- Date : 03/10/2018
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हम अक्सर कार बेचते समय उससे जुड़ी कानूनी प्रक्रिया को पूरा करने में लापरवाही करते हैं। लेकिन इससे जुड़ी प्रक्रिया और कानूनी आवश्यकताओं पर पूरा ध्यान देना चाहिए।

नई कार खरीदने का आनंद कुछ और ही होता है। कार खरीदने पर आप खुद को अचानक से व्यस्क महसूस करते हैं। यह इस बात का भी संकेत होता है कि आप जीवन में तरक्की कर रहे हैं। कम से कम मुझे तो कार खरीदते समय ऐसा ही महसूस हुआ था।
कुछ वर्षों के बाद मुझे लगा कि इस कार को बेच कर नई कार लेनी चाहिए। मैं शादीशुदा था। हम पति-पत्नी पहली बार माता-पिता बनने वाले थे। उसी समय मुझे नई नौकरी मिली जिसके लिए दूसरे शहर में जाना था। उस समय सामान की पैकिंग, कार को बेचने, दूसरे शहर जाने, बैंक खाते को बदलने, घर तलाशने, नई कार खरीदने और नए शहर में जमने के चक्कर में कुछ चीजें भूल जाना स्वाभाविक है।
बहुत सी चीजें जो आप भूल जाते हैं उनका बहुत ज्यादा असर नहीं होता। बस इतना ही होता है कि जरूरी प्रक्रियाओं को पूरा करने में कुछ ज्यादा समय लगता है। लेकिन जल्द ही मुझे अहसास हुआ कि कुछ भी हो कार के मालिकाना हक के कागजों को बदलवाने में देरी नहीं करनी चाहिए।
ऑफिस में मेरा एक जूनियर सहकर्मी मेरी कार खरीदना चाहता था और जब मैंने कहा कि मैं बेचने के लिए तैयार हूँ तो वह बहुत खुश हुआ। मुझे लगा कि यह बहुत आसान है। मैंने उससे चेक लिया, एक पत्र लिख कर दिया कि अब से वह इस कार का नया मालिक है और कार की चाबी और कागजात उसके हवाले कर दिए। मुझे याद है कि कार बेचने के बाद मुझे बहुत राहत मिली क्योंकि मेरा एक काम पूरा हो गया था।
परिणाम
मैं अपने इस दोस्ताना लेन-देन के संभावित परिणामों के बारे में ज्यादा नहीं जानता था। एक बार देर शाम मुंबई पुलिस की सामान्य जांच के दौरान मेरे दोस्त को एक नाकाबंदी पर रोक लिया गया। मुझे हमेशा लगता था कि इस तरह की नाकाबंदी सही चीज है- हालांकि उनको लागू करने का तरीका अजीब सा होता था लेकिन काम सही था। इस तरह की नाकाबंदी से शहर में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की संख्या कम करने में मदद मिलती थी, हालांकि उसके बाद भी कुछ लोग ऐसा करते थे।
अगले दिन मेरे दोस्त ने घबराहट में मुझे फोन किया। उसे शराब पीकर गाड़ी चलाने के जुर्म में पकड़ा गया था लेकिन उसने कहा कि इस वजह से मैं भी परेशानी में पड़ गया था क्योंकि गाड़ी अभी मेरे ही नाम पर थी। मेरा दोस्त जिंदगी की भागदौड़ में कार के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट में नाम बदलवाना भूल गया था और जहां तक पुलिस और कानून का सवाल था मैं अभी भी कार का मालिक था।
हालांकि पुलिस का रवैया सहानुभूति से भरा था लेकिन सच्चाई यही थी कि मैं और मेरे दोस्त ने प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया था और अब हम दोनों कानून के शिकंजे में थे। मैं ऐसा बिल्कुल नहीं चाहता था। मैं और मेरी पत्नी हाल ही में माता-पिता बने थे और पहली बार अभिभावक बनने वालों की तरह ही हम बच्चे की रोजाना की जरूरतों को पूरा करने में लगे थे।
भाग्य से मेरे जीजा मेरे लिए संकटमोचक साबित हुए! वह मुंबई में एक वकील हैं। वैसे तो वह रियल एस्टेट से जुड़े मामलों को देखते हैं लेकिन, उनके संबंध काफी अच्छे थे ,और तब मुझे पता चला कि गाड़ी को बेचने के बावजूद अगर आप रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड में नाम नहीं बदलवाते हैं तो गाड़ी से जुड़ी कोई घटना होने पर गाड़ी के असली मालिक होने के कारण आप को भी हरजाने में भागीदार होना पड़ेगा। भले ही आपने गाड़ी किसी दूसरे को बेच दी हो।
कानूनी पहलू
देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में कहा है, “ऐसी स्थिति में जहां पंजीकृत मालिक ने वाहन किसी को बेच दिया है लेकिन पंजीकरण करने वाली अथॉरिटी में वाहन के मालिकाना हक से जुड़े रिकॉर्ड में बदलाव नहीं किया है, तो उसे जिम्मेदारी से मुक्त नहीं समझा जा सकता।” अदालत ने यहां तक कहा, “मुआवजे का दावा करने वाले पर मालिकाना हक के वैसे किसी भी बदलाव को मानने का दबाव नहीं डाला जा सकता, जिसे रजिस्टरिंग अथॉरिटी के पास रजिस्टर ना किया गया हो।
ऐसा ना करने पर इस कानून का वैधानिक उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा।”
मोटर व्हीकल्स एक्ट 1950
इंडियन मोटर व्हीकल्स एक्ट 1950 के अनुसार वाहन बेचने वाले को उपयुक्त रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस ( आरटीओ) को वाहन बेचने के 14 दिन के अंदर इस बारे में सूचित करना होगा। कानून वाहन खरीदने वाले को भी निर्देश देता है कि उसे वाहन के स्वामित्व से जुड़े बदलाव के बारे में आरटीओ को सूचित करना होगा और 30 दिन के भीतर स्थानातंरण से जुड़े जरूरी दस्तावेज़ दिखाने होगें।
मेरे जीजा ने बताया कि ट्रैफिक अधिकारी ने कहा कि उनके पास वाहन को जब्त करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है; आरसी बुक में जिस व्यक्ति का नाम है उसे नोटिस भेजा जाएगा और वाहन से जुड़ी किसी घटना के लिए उसे ही जिम्मेदार माना जाएगा।
क्या आप समझ रहे हैं कि कोई गंभीर घटना होने पर मैं कितनी बड़ी मुश्किल में फंस सकता था? मैं आज भी यह सोच कर कांप जाता हूँ।
मैं भाग्यशाली रहा कि मेरे जीजा और दोस्त की सहायता और ट्रैफिक पुलिस के सहयोग से मामला सुलझ गया। लेकिन इसके लिए मुझे काफी परेशानियां उठानी पड़ी। मेरी पत्नी के चेहरे पर आने वाला वह भाव कि- मैंने तो तुम्हे पहले ही कहा था- भी देखना पड़ा। इस आखिरी बात से पार पाना सबसे मुश्किल रहा!
मुझे तो सबक मिल गया लेकिन जरूरी प्रक्रियाओं का पालन नहीं करने वाले लोग अपने जोखिम पर ही ऐसा करें। किसी वाहन के मालिकाना हक में बदलाव करने की प्रक्रिया बिल्कुल सीधी है। इसलिए कुछ अतिरिक्त समय निकाल कर इसे पूरा कर लें।

कार में बदलाव करने पर
आखिरी बात जो मैं कहना चाहता हूँ, वह मुझ पर लागू नहीं होती। लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूँ कि अगर आप कार में किसी तरह का बदलाव करते हैं या उसका रंग बदलवाते हैं तो यह आपकी जिम्मेदारी है कि गाड़ी की आरसी में इन बदलावों को दर्ज करवायें।
अगर आप गाड़ी को कबाड़ में बेचना चाहते हैं तो आपको आरटीओ से इसकी अनुमति लेनी होगी और अपनी आरसी वहां जमा करानी होगी। जो भी लोग अपने वाहन बेचना चाहते हैं मैं उनको खबरदार करना चाहता हूँ कि इससे जुड़ी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करें और पुरानी गाड़ी की अच्छी यादों के साथ बिना चिंता के नई गाड़ी चलाने का मजा लें।