- Date : 30/07/2020
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- Read in English: How has the motor insurance industry responded to the lockdown?
मोटर बीमा उद्योग को विभिन्न रणनीतिक कदमों के साथ चल रहे लॉकडाउन पर प्रतिक्रिया देने के लिए मजबूर किया गया है।

मई 2020 में कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआईआई) ने सुझाव दिया था कि सरकार को जीडीपी का कम से कम 3% बिजनेस प्रोत्साहन पैकेज के रूप में देना चाहिए। यह देखते हुए कि लॉकडाउन का प्रभाव सभी क्षेत्रों में स्पष्ट था ,यह आश्चर्य की बात नहीं थी। हॉस्पिटैलिटी, मैन्युफैक्चरिंग, ट्रांसपोर्टेशन, लॉजिस्टिक्स - दरअसल, लॉकडाउन की वजह से हर सेक्टर भारी वित्तीय दबाव से जूझ रहा था।
बीमा उद्योग - विशेष रूप से मोटर बीमा - इसमें कोई अपवाद नहीं है।सड़कों से ज्यादातर गायब हो रहे वाहनों के साथ, अप्रैल 2020 में मोटर बीमा में निराशाजनक बिक्री के आंकड़े देखे गए । टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि साल दर साल अप्रैल में मोटर इंश्योरेंस सेल्स में 49% की गिरावट देखी गई। मरीन(समुद्री), विमानन और व्यक्तिगत दुर्घटना जैसे अन्य सामान्य बीमा क्षेत्रों में 5%-40% की गिरावट देखी गई। थर्ड पार्टी जनरल इंश्योरर्स ने साल-दर-साल मामूली सी केवल 7.3% विकास दर दर्ज़ की, जबकि स्व-क्षति श्रेणी में 2.7% की गिरावट आई थी ।
आईआरडीएआई के प्रमुख दिशानिर्देश
लॉकडाउन ने वित्त वर्ष 2019-20 में प्रवेश बस किया ही था । पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने बीमा कंपनियों और पॉलिसीधारकों के हितों की रक्षा के लिए एक परिपत्र जारी किया। इसके प्रमुख दिशा-निर्देशों में से कुछ इस प्रकार थे:
- आवश्यक बीमा सेवाओं का रखरखाव सुनिश्चित करें
- एक व्यापार निरंतरता योजना अपनाएं
- व्यापार व्यवधान से बचने के लिए एक संकट प्रबंधन समिति का गठन करें
- कोविड-19 के जोखिम को कवर करने की योजना बनाएं और संबंधित दावों से निपटने के लिए एक प्रक्रिया अपनाएं
- यात्रा स्थगन के मामले में यात्रा बीमा पॉलिसी शुल्क में छूट प्रदान करें
- 15 मार्च 2020 और 30 अप्रैल 2020 के बीच जारी नीति दस्तावेजों के प्रेषण में 30 दिनों की छूट प्रदान करें
- 15 मार्च 2020 से 30 अप्रैल 2020 के बीच प्राप्त शिकायतों से निपटने में 21 दिनों की छूट दें
बीमा कंपनियों की प्रतिक्रिया
चूंकि मोटर बीमा नवीकरण की समय-सीमा 15 मई तक बढ़ा दी गई थी, फिर भी लॉकडाउन अवधि के दौरान एकत्र किया गया प्रीमियम बहुत कम था । अप्रैल में जनरल इंश्योरेंस प्रीमियम कलेक्शन में 10% से ज्यादा की गिरावट आई । इस परिदृश्य में, बीमाकर्ताओं ने लॉकडाउन के प्रभाव को संभालने के लिए विभिन्न कदम उठाये और अपने मौजूदा ढांचे को मजबूत करना शुरू किया। आइए इनमें से कुछ उपायों पर नजर डालते हैं:
- ऑनलाइन खरीद और नवीकरण: बीमाकर्ता नए उत्साह के साथ नीतियों की ऑनलाइन बिक्री को प्रोत्साहित और बढ़ावा दे रहे हैं । ऑनलाइन व्यवसाय कोविड-19 के सोशल डिस्टेंसिंग मानदंडों के साथ पूरी तरह से फिट बैठता है । और इसलिए, ऑनलाइन नवीकरण, बीमित रहने के एक परेशानी मुक्त तरीके के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है । इसमें विलम्बित नीतियों का ऑनलाइन नवीकरण भी शामिल है।
- मुफ्त बीमा: कई दिनों तक बेकार खड़े वाहनों के लिए बीमा कंपनियां अपनी नीतियों पर विस्तारित बीमा कवर की पेशकश कर रहे हैं । इस तरह, पॉलिसीधारक 12 महीने के प्रीमियम की कीमत के लिए 13 महीने का मोटर बीमा कवर प्राप्त कर सकते हैं। एक्को जनरल इंश्योरेंस ने ग्राहकों को लुभाने के लिए इसे उद्योग में पहली पहल के रूप में बढ़ावा दिया। यह रणनीति विदेशों में कई बीमाकर्ताओं द्वारा भी लागू की जा रही है ।
- व्यक्तिगत तत्त्व: हालांकि नवीकरण की समय सीमा बढ़ा दी गई थी, पर फिर भी बीमा कंपनियों ने अपने ग्राहकों को समय पर नवीकरण के गुण के बारे में समझाया । आम धारणा यह थी कि गैरेज में बेकार पड़ी कारों की बीमा पॉलिसी के नवीनीकरण का कोई मतलब नहीं है । हालांकि, बीमा कंपनियों ने बताया कि निष्क्रिय कारों को भी कवरेज की आवश्यकता हो सकती है; उदाहरण के लिए, प्राकृतिक आपदाओं के मामले में। इसके अलावा, यदि पॉलिसी ख़त्म हो जाती है और तब यदि भौतिक निरीक्षण अनिवार्य हो जाता है, तो पॉलिसीधारक को नो-क्लेम बोनस को अर्थदंड के रूप में भुगतान करना पड़ सकता है। इसके अलावा प्रीमियम बढ़ सकता है और ऑनलाइन नवीनीकरण बंद हो सकता है।
- खर्च में कटौती के उपाय- बीमा क्षेत्र में कर्मचारी छंटनी के मामले सामने आए हैं । महामारी की प्रतिक्रिया के रूप में नेतृत्व स्तर पर वेतन में कटौती भी शुरू की गई है । बीमाकर्ता अब बिक्री और निपटान प्रक्रिया के डिजिटाइजेशन के माध्यम से प्राप्त की जा सकने वाली खर्च में बचत को पूंजी के रूप में उपयोग करने की सोच रहे हैं ।
- ऑनलाइन निपटान: कॉल के माध्यम से ऑनलाइन दावा दर्ज कराने और दावों को प्रोत्साहित और प्रचारित किया जा रहा है । निरीक्षण वस्तुतः ग्राहक द्वारा प्रदान की गई तस्वीरों के माध्यम से किया जाता है। चूंकि बीमा कंपनियां भी दूर से काम कर रही हैं, इसलिए संपर्क रहित दावा की प्रक्रिया का कार्यान्वयन अधिक से अधिक प्रासंगिक होता जा रहा है। लॉकडाउन के दौरान ,बीमाकर्ता के ऐप के माध्यम से दावा निपटान में काफी वृद्धि हुई।
अंतिम पंक्तियाँ
एक प्राकृतिक परिणाम जो कि मोटर बीमा उद्योग के पक्ष में रहा है ,वह है -दावों की संख्या में आयी कमी। सड़क पर कम वाहनों का मतलब है कि टकराव और वाहनों के नुकसान की संभावना कम है । इकनॉमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, अप्रैल 2020 के दौरान भारत में दावे सामान्य दर के दसवें हिस्से तक गिर गए। लॉकडाउन में छूट के बाद भी,दावों का आंकड़ा सामान्य दर का 50 फीसद के आसपास ही है । इस गिरावट ने मोटर बीमा कंपनियों क बचा लिया है और यह सुनिश्चित किया है कि लॉकडाउन में इस उद्योग को बर्बादी का सामना नहीं करना पड़ेगा |