- Date : 14/10/2020
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हम आपको बताएंगे कि क्या आपके वित्तीय लक्ष्य और जोखिम उठाने की क्षमता को देखते हुए डायरेक्ट म्युचुअल फंड आपके लिए योग्य हैं कि नहीं।

डायेक्टर और सामान्य म्युचुअल फंड में अंतर समझने के लिए आपको एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) और मध्यवर्ती संस्थाओं की म्युचुअल फंड क्षेत्र में भूमिका को समझना होगा।
एएमसी अलग-अलग प्रकार के म्युचुअल फंड प्लान बनाते हैं जैसे स्मॉल कप फंड, मिड कैप फंड, बैलेंस्ड फंड, आदि। ये कंपनियां अपने प्लान को ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए वितरकों और एंजेसियों को नियुक्त करती हैं। आप जो पैसा म्युचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं वो किसी विशिष्ट एएमसी के पास जाता है, जो फिर आपके द्वारा चुने हुए म्युचुअल फंड प्लान के मुताबिक आपके पैसे निवेश करती है।
डायरेक्ट म्युचुअल फंड प्लान के तहत आप मध्यवर्ती संस्था के बजाय सीधा एएमसी से यूनिट्स खरीदते हैं। वहीं, सामान्य प्लान के तहत म्युचुअल फंड यूनिट्स खरीदते वक्त आपका सीधा वास्ता एएमसी से नहीं पड़ता है। आप किसी मध्यवर्ती संस्था के साथ लेन-देन करते हैं और ये बैंक या किसी दूसरे वित्तीय संस्था की तरह ही काम करती है।
सरल शब्दों में, डायरेक्ट म्युचुअल फंड प्लान खरीदना किसी किसान से सीधा चावल खरीदने जैसा ही है। वहीं, सामान्य प्लान के तहत आप शहरभर में फैली दुकानों में से किसी एक से चावल खरीद रहे होते हैं।
डायरेक्ट और सामान्य म्युचुअल फंड प्लान की तुलना नीचे दिए गए मापदंडों पर की जा सकती है।
1. लागत
सामान्य प्लान के मुकाबले डायरेक्ट प्लान का एक्सपेंस रेशो कम होता है। इसकी वजह है कि सामान्य प्लान में एएमसी को मध्यवर्ती संस्थाओं को उनके मार्केटिंग और वितरण लागत के ऐवज में कमीशन देना पड़ता है। इस लागत को आमतौर पर खर्च की तरह प्लान से वसूला जाता है। डायरेक्ट प्लान का एक्सपेंस रेशो यानि नेट एसेट के अनुपात में खर्च, सामान्य प्लान के मुकाबले 0.75 फीसदी से लेकर 2 फीसदी तक कम हो सकता है।
इसका महत्व फिक्स्ड रिटर्न या डेट फंड या आर्बिटरेज फंड जैसे कम जोखिम वाले फंड के मामले में बढ़ जाता है। कम लागत का मतलब है बेहतर रिटर्न, खासतौर पर लंबी अवधि के निवेश के मामले में।
बेहतर विकल्प: डायरेक्ट प्लान
2. खरीदारी के विकल्प
चावल खरीदने के उदाहरण को लेते हैं, किसान से सीधा चावल खरीदना, चाहे वो सस्ता क्यों न हो, ये दुकान से चावल खरीदने जितना आसान नहीं है। वैसे ही, म्युचुअल फंड में निवेश सरल हो जाता है, अगर आप पेशेवर सेवा मुहैया कराने वाली मध्यवर्ती संस्था का चुनाव करते हैं।
हालांकि, कई एएमसी ने अब डायरेक्ट प्लान में ऑनलाइन निवेश का भी विकल्प देना शुरू कर दिया है। लिहाजा, एएमसी से सीधा यूनिट्स खरीदने से परेशानी या अतिरिक्त औपचारिकताएं जुड़ी नहीं है।
बेहतर विकल्प: डायरेक्ट प्लान
3. निवेश सलाह
कोई भी एमएमसी दूसरी कंपनी के म्युचुअल फंड प्लान की सिफारिश नहीं करती है। इसलिए, हो सकता है कि आपको डायरेक्ट प्लान के विक्रेता से आधी अधूरी या फिर एक तरफी निवेश सलाह मिले।
अलग-अलग सामान्य प्लान के वितरकों से आपको बेहतर निवेश सहायता मिल सकती है। इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है, जब तक कि आप खुद अपने निवेश का प्रबंधन न करते हो, जिसमें पोर्टफोलियो में फेरबदल, निवेश की एवरेजिंग, घाटा कम करना जैसे काम शामिल हैं।
अगर म्युचुअल फंड में निवेश करते वक्त आपको अलग-अलग प्लान की तुलना में सहायता चाहिए और साथ ही निवेश रणनीति को लेकर भी मदद चाहिए, तो आपके लिए डायरेक्ट प्लान के मुकाबले सामान्य प्लान लेना बेहतर रहेगा।
बेहतर विकल्प: सामान्य प्लान
4. अतिरिक्त खर्च
किसान आपको चावल काफी कम दाम पर बेच सकता है। हालांकि, चावल की सफाई, बोरों में भरना, भंडारण और ऐसे काम आपके जिम्मे होंगे। अगर आप म्युचुअल फंड विशेषज्ञ नहीं हैं तो आपको रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एडवाइजर्स की मदद लेनी होगी। आरआईए आपको योग्य निवेश योजना बनाने में सहायता करेंगे और इस योजना पर अमल करने की जिम्मेदारी आपकी होगी।
चूंकि ये सेवाओं की लागत एएमसी द्वारा वितरक को दिए जाने वाले कमीशन में शामिल होती है, आपको सामान्य प्लान खरीदते वक्त इन सेवाओं के लिए अलग से पैसे खर्च नहीं करने पड़ते हैं।
बेहतर विकल्प: सामान्य प्लान
निष्कर्ष में
जैसा आप देख सकते हैं कि डायरेक्ट या सामान्य म्युचुअल फंड में से किसका चुनाव करना चाहिए इस सवाल का कोई ठोस जवाब नहीं है। ये आपके वित्तीय ज्ञान, कितनी निवेश सहायता की जरूरत, वित्तीय लक्ष्य, रिटर्न पर एक्सपेंस रेशो का असर और दूसरी बातों पर निर्भर करता है।
डायेक्टर और सामान्य म्युचुअल फंड में अंतर समझने के लिए आपको एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) और मध्यवर्ती संस्थाओं की म्युचुअल फंड क्षेत्र में भूमिका को समझना होगा।
एएमसी अलग-अलग प्रकार के म्युचुअल फंड प्लान बनाते हैं जैसे स्मॉल कप फंड, मिड कैप फंड, बैलेंस्ड फंड, आदि। ये कंपनियां अपने प्लान को ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए वितरकों और एंजेसियों को नियुक्त करती हैं। आप जो पैसा म्युचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं वो किसी विशिष्ट एएमसी के पास जाता है, जो फिर आपके द्वारा चुने हुए म्युचुअल फंड प्लान के मुताबिक आपके पैसे निवेश करती है।
डायरेक्ट म्युचुअल फंड प्लान के तहत आप मध्यवर्ती संस्था के बजाय सीधा एएमसी से यूनिट्स खरीदते हैं। वहीं, सामान्य प्लान के तहत म्युचुअल फंड यूनिट्स खरीदते वक्त आपका सीधा वास्ता एएमसी से नहीं पड़ता है। आप किसी मध्यवर्ती संस्था के साथ लेन-देन करते हैं और ये बैंक या किसी दूसरे वित्तीय संस्था की तरह ही काम करती है।
सरल शब्दों में, डायरेक्ट म्युचुअल फंड प्लान खरीदना किसी किसान से सीधा चावल खरीदने जैसा ही है। वहीं, सामान्य प्लान के तहत आप शहरभर में फैली दुकानों में से किसी एक से चावल खरीद रहे होते हैं।
डायरेक्ट और सामान्य म्युचुअल फंड प्लान की तुलना नीचे दिए गए मापदंडों पर की जा सकती है।
1. लागत
सामान्य प्लान के मुकाबले डायरेक्ट प्लान का एक्सपेंस रेशो कम होता है। इसकी वजह है कि सामान्य प्लान में एएमसी को मध्यवर्ती संस्थाओं को उनके मार्केटिंग और वितरण लागत के ऐवज में कमीशन देना पड़ता है। इस लागत को आमतौर पर खर्च की तरह प्लान से वसूला जाता है। डायरेक्ट प्लान का एक्सपेंस रेशो यानि नेट एसेट के अनुपात में खर्च, सामान्य प्लान के मुकाबले 0.75 फीसदी से लेकर 2 फीसदी तक कम हो सकता है।
इसका महत्व फिक्स्ड रिटर्न या डेट फंड या आर्बिटरेज फंड जैसे कम जोखिम वाले फंड के मामले में बढ़ जाता है। कम लागत का मतलब है बेहतर रिटर्न, खासतौर पर लंबी अवधि के निवेश के मामले में।
बेहतर विकल्प: डायरेक्ट प्लान
2. खरीदारी के विकल्प
चावल खरीदने के उदाहरण को लेते हैं, किसान से सीधा चावल खरीदना, चाहे वो सस्ता क्यों न हो, ये दुकान से चावल खरीदने जितना आसान नहीं है। वैसे ही, म्युचुअल फंड में निवेश सरल हो जाता है, अगर आप पेशेवर सेवा मुहैया कराने वाली मध्यवर्ती संस्था का चुनाव करते हैं।
हालांकि, कई एएमसी ने अब डायरेक्ट प्लान में ऑनलाइन निवेश का भी विकल्प देना शुरू कर दिया है। लिहाजा, एएमसी से सीधा यूनिट्स खरीदने से परेशानी या अतिरिक्त औपचारिकताएं जुड़ी नहीं है।
बेहतर विकल्प: डायरेक्ट प्लान
3. निवेश सलाह
कोई भी एमएमसी दूसरी कंपनी के म्युचुअल फंड प्लान की सिफारिश नहीं करती है। इसलिए, हो सकता है कि आपको डायरेक्ट प्लान के विक्रेता से आधी अधूरी या फिर एक तरफी निवेश सलाह मिले।
अलग-अलग सामान्य प्लान के वितरकों से आपको बेहतर निवेश सहायता मिल सकती है। इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है, जब तक कि आप खुद अपने निवेश का प्रबंधन न करते हो, जिसमें पोर्टफोलियो में फेरबदल, निवेश की एवरेजिंग, घाटा कम करना जैसे काम शामिल हैं।
अगर म्युचुअल फंड में निवेश करते वक्त आपको अलग-अलग प्लान की तुलना में सहायता चाहिए और साथ ही निवेश रणनीति को लेकर भी मदद चाहिए, तो आपके लिए डायरेक्ट प्लान के मुकाबले सामान्य प्लान लेना बेहतर रहेगा।
बेहतर विकल्प: सामान्य प्लान
4. अतिरिक्त खर्च
किसान आपको चावल काफी कम दाम पर बेच सकता है। हालांकि, चावल की सफाई, बोरों में भरना, भंडारण और ऐसे काम आपके जिम्मे होंगे। अगर आप म्युचुअल फंड विशेषज्ञ नहीं हैं तो आपको रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एडवाइजर्स की मदद लेनी होगी। आरआईए आपको योग्य निवेश योजना बनाने में सहायता करेंगे और इस योजना पर अमल करने की जिम्मेदारी आपकी होगी।
चूंकि ये सेवाओं की लागत एएमसी द्वारा वितरक को दिए जाने वाले कमीशन में शामिल होती है, आपको सामान्य प्लान खरीदते वक्त इन सेवाओं के लिए अलग से पैसे खर्च नहीं करने पड़ते हैं।
बेहतर विकल्प: सामान्य प्लान
निष्कर्ष में
जैसा आप देख सकते हैं कि डायरेक्ट या सामान्य म्युचुअल फंड में से किसका चुनाव करना चाहिए इस सवाल का कोई ठोस जवाब नहीं है। ये आपके वित्तीय ज्ञान, कितनी निवेश सहायता की जरूरत, वित्तीय लक्ष्य, रिटर्न पर एक्सपेंस रेशो का असर और दूसरी बातों पर निर्भर करता है।