- Date : 07/10/2018
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- Read in English: Rupee-cost averaging: Why SIPs are more profitable?
क्या बात सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) को किफायती और फायदेमंद निवेश विकल्प बनाती है

बीते कुछ बरसों में सिस्टैमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान्स ने निवेशकों के यूनिट खरीदने और निवेश का तरीका बदल दिया है। म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स का फायदा उठाने के लिए आपको हमेशा मार्केट पर नजर रखने की ज़रूरत नहीं पड़ती। ये स्कीम आपको नियमित तौर पर एक तय रकम को हर महीने या हर तिमाही निवेश का मौका मुहैया कराती है। एक तरह से ये बैंकों के रिकरिंग डिपॉजिट की तरह होती है। एसआईपी से डेट फंड, इक्विटी फंड, गोल्ड ईटीएफ या मनी मार्केट में निवेश किया जा सकता है। इससे रूपी कॉस्ट एवरजिंग का फायदा मिलता है।
क्या है रूपी कॉस्ट एवरेजिंग?
ये एक ऐसा ज़रिया है जिसमें एक तय रकम नियमित तौर पर निवेश की जाती है, इससे मार्केट में जब यूनिट की कीमत कम होती है तो ज्यादा यूनिट खरीदे जा सकते हैं, जबकि यूनिट की कीमत ज्यादा होने पर कम यूनिट की खरीद होती है।
ये सच्चाई है कि कोई रातों रात लखपति नहीं बन जाता बशर्ते कोई लॉटरी नहीं लग जाए। लेकिन अगर मेहनत से धीरे धीरे पैसा इकट्ठा किया जाए तो ठीक ठाक पैसा जुटाया जा सकता है। एसआईपी मेहनत से पैसे जुटाने और निवेश करने का ऐसा ही एक ज़रिया है इससे लंबी मियाद में आपकी बचत कई गुना बढ़ जाती है। इसीलिए वित्तीय सलाहकार लंबी मियाद तक निवेशित रहने पर ज़ोर देते हैं।
संबंधित: 10 चीजें जो आप अपने बचत की रकम से कर सकते हैं
मूल बात
ये बात पहले ही समझना ज़रूरी है कि एसआईपी प्रोडक्ट नहीं है, बल्कि वित्तीय निवेश का एक ज़रिया है। जिससे फिक्स डिपॉजिट, डेट फंड, शेयर, म्यूचुअल फंड, रियल एस्टेट, गोल्ड, ऑयल या कमोटिडी के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में निवेश किया जा सकता है।
लोग एसआईपी का विकल्प लंबी मियाद के निवेश के लिए या छोटी मियाद में बाज़ार के उतार चढ़ाव पर नुकसान से बचने के लिए करते हैं। एसआईपी वेतनभोगी वर्ग में भी काफी लोकप्रिय है, जो कहीं निवेश कर टैक्स बचाने या लंबी मियाद में बचत कर संपत्ति जोड़ने के लिए करते हैं।
तीसरे उस किस्म के लोगों को एसआईपी आसान विकल्प लगता है, जिसके पास मार्केट पर नज़र रखने का वक्त नहीं होता, कि कब मार्केट के नीचे आने पर सस्ते में खरीदारी करें, ऐसे लोग औसत रेट पर खरीदारी में भरोसा रखते हैं।
एसआईपी की सिफारिश उनके लिए होती है जो कैपिटल मार्केट में नए होते हैं जिन्हें शेयरों में निवेश करने में हिचकिचाहट होती है। ये लोगों को मार्केट से जोड़ने और उसे समझने का मौका देता है।
दूसरी ओर नए निवेशकों में भी थोड़े जोखिम लेने वाले भी होते हैं जो एक ही सौदे में बड़ा हाथ मारने के लिए लालायित रहते हैं। लेकिन भलाई इसी में होती है कि एसआईपी के ज़रिए मार्केट में धीरे धीरे, सिस्टमैटिक तरीके से एक तय रकम शेयरों में नियमित तौर पर निवेश किया जाए।
इससे रूपी कॉस्ट एवरेजिंग में आसानी होती है, बाज़ार में निवेश के दौरान अलग-अलग किस्म के उतार-चढ़ाव से निपटा जा सकता है।
एसआईपी को फायदेमंद और सुरक्षित बनाने वाली सबसे बड़ी चीज़ निवेशक को उतार चढ़ाव से बचाव है। ऐसे प्लान में ये पक्का किया जाता है कि निश्चित रकम आप निवेश करते रहे हैं और लंबी मियाद में आपको इसका वित्तीय लाभ मिले।
संबंधित: एसआईपी शुरू करने का चरणबद्ध तरीका
एसआईपी के फायदे
जिंदगी में हर चीज़ की तरह एसआईपी के भी अपने फायदे-नुकसान होते हैं।
- निवेशकों को मार्केट में निवेश से जुड़े तनाव का सामना नहीं करना पड़ता, जैसे कि मार्केट की टाइमिंग को देखते रहना। क्योंकि तय रकम निवेशक के खाते से निवेश के लिए कट जाती है। ये वेतनभोगी वर्ग और समय की किल्लत वाले लोगों के लिए निवेश का आकर्षक ज़रिया साबित होता है।
- छोटी मियाद के उतार चढ़ाव से इससे ज्यादा बुरा असर नहीं पड़ता जो आमतौर पर निवेशकों पर पड़ सकता है। क्योंकि अगर मान लें कि यूनिट की कीमत 10% गिरती है तो निवेशकों के पास इस बात का मौका होता है कि वो घटी हुई कीमत पर यूनिट खरीद सकते हैं। और अगर बाज़ार संभल कर पहले के स्तर पर आ जाता है तो वो मुनाफा कमा सकते हैं।
- एसआईपी के ज़रिए निवेश करने पर लंबी मियाद में बेहतर रिटर्न यानी मुनाफा कमाया जा सकता है। हर महीने छोटी छोटी बचत करने पर 40 साल के अंत में एक बड़ी रकम जुटाई जा सकती है, क्योंकि एसआईपी में बचत की रकम में कंपाउंडिंग होने और उसके कई गुना तक बढ़ने की क्षमता बनी रहती है।
संबंधित: नौसिखियों के लिए एसआईपी | सिस्टैमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान का मतलब
- एसआईपी को किसी भी समय लिखित में अर्जी देकर खत्म किया जा सकता है; प्लान को खत्म करने में करीब एक महीने का समय लग जाता है। ठीक इसी तरह चालू एसआईपी को खत्म कर नया शुरू कर निवेश की रकम को घटाया या बढ़ाया भी जा सकता है।
- एसआईपी से निवेश को नियमित तौर पर हर हफ्ते, पखवाड़े या महीने दर महीने के आधार पर भी शुरू किया जा सकता है। एसआईपी को कम से कम 5000 रु से भी शुरू किया जा सकता है। मजे की बात ये है कि जैसे जैसे निवेश की गई रकम बढ़ने लगती है बचत की आदत भी बढ़ती है।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी उद्देश्य के लिए है और इसे निवेश, बीमा, कर या कानूनी सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। इन क्षेत्रों से संबंधित निर्णय लेने के पहले विशेषज्ञों से स्वतंत्र सलाह प्राप्त करें।
बीते कुछ बरसों में सिस्टैमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान्स ने निवेशकों के यूनिट खरीदने और निवेश का तरीका बदल दिया है। म्यूचुअल फंड्स की यूनिट्स का फायदा उठाने के लिए आपको हमेशा मार्केट पर नजर रखने की ज़रूरत नहीं पड़ती। ये स्कीम आपको नियमित तौर पर एक तय रकम को हर महीने या हर तिमाही निवेश का मौका मुहैया कराती है। एक तरह से ये बैंकों के रिकरिंग डिपॉजिट की तरह होती है। एसआईपी से डेट फंड, इक्विटी फंड, गोल्ड ईटीएफ या मनी मार्केट में निवेश किया जा सकता है। इससे रूपी कॉस्ट एवरजिंग का फायदा मिलता है।
क्या है रूपी कॉस्ट एवरेजिंग?
ये एक ऐसा ज़रिया है जिसमें एक तय रकम नियमित तौर पर निवेश की जाती है, इससे मार्केट में जब यूनिट की कीमत कम होती है तो ज्यादा यूनिट खरीदे जा सकते हैं, जबकि यूनिट की कीमत ज्यादा होने पर कम यूनिट की खरीद होती है।
ये सच्चाई है कि कोई रातों रात लखपति नहीं बन जाता बशर्ते कोई लॉटरी नहीं लग जाए। लेकिन अगर मेहनत से धीरे धीरे पैसा इकट्ठा किया जाए तो ठीक ठाक पैसा जुटाया जा सकता है। एसआईपी मेहनत से पैसे जुटाने और निवेश करने का ऐसा ही एक ज़रिया है इससे लंबी मियाद में आपकी बचत कई गुना बढ़ जाती है। इसीलिए वित्तीय सलाहकार लंबी मियाद तक निवेशित रहने पर ज़ोर देते हैं।
संबंधित: 10 चीजें जो आप अपने बचत की रकम से कर सकते हैं
मूल बात
ये बात पहले ही समझना ज़रूरी है कि एसआईपी प्रोडक्ट नहीं है, बल्कि वित्तीय निवेश का एक ज़रिया है। जिससे फिक्स डिपॉजिट, डेट फंड, शेयर, म्यूचुअल फंड, रियल एस्टेट, गोल्ड, ऑयल या कमोटिडी के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में निवेश किया जा सकता है।
लोग एसआईपी का विकल्प लंबी मियाद के निवेश के लिए या छोटी मियाद में बाज़ार के उतार चढ़ाव पर नुकसान से बचने के लिए करते हैं। एसआईपी वेतनभोगी वर्ग में भी काफी लोकप्रिय है, जो कहीं निवेश कर टैक्स बचाने या लंबी मियाद में बचत कर संपत्ति जोड़ने के लिए करते हैं।
तीसरे उस किस्म के लोगों को एसआईपी आसान विकल्प लगता है, जिसके पास मार्केट पर नज़र रखने का वक्त नहीं होता, कि कब मार्केट के नीचे आने पर सस्ते में खरीदारी करें, ऐसे लोग औसत रेट पर खरीदारी में भरोसा रखते हैं।
एसआईपी की सिफारिश उनके लिए होती है जो कैपिटल मार्केट में नए होते हैं जिन्हें शेयरों में निवेश करने में हिचकिचाहट होती है। ये लोगों को मार्केट से जोड़ने और उसे समझने का मौका देता है।
दूसरी ओर नए निवेशकों में भी थोड़े जोखिम लेने वाले भी होते हैं जो एक ही सौदे में बड़ा हाथ मारने के लिए लालायित रहते हैं। लेकिन भलाई इसी में होती है कि एसआईपी के ज़रिए मार्केट में धीरे धीरे, सिस्टमैटिक तरीके से एक तय रकम शेयरों में नियमित तौर पर निवेश किया जाए।
इससे रूपी कॉस्ट एवरेजिंग में आसानी होती है, बाज़ार में निवेश के दौरान अलग-अलग किस्म के उतार-चढ़ाव से निपटा जा सकता है।
एसआईपी को फायदेमंद और सुरक्षित बनाने वाली सबसे बड़ी चीज़ निवेशक को उतार चढ़ाव से बचाव है। ऐसे प्लान में ये पक्का किया जाता है कि निश्चित रकम आप निवेश करते रहे हैं और लंबी मियाद में आपको इसका वित्तीय लाभ मिले।
संबंधित: एसआईपी शुरू करने का चरणबद्ध तरीका
एसआईपी के फायदे
जिंदगी में हर चीज़ की तरह एसआईपी के भी अपने फायदे-नुकसान होते हैं।
- निवेशकों को मार्केट में निवेश से जुड़े तनाव का सामना नहीं करना पड़ता, जैसे कि मार्केट की टाइमिंग को देखते रहना। क्योंकि तय रकम निवेशक के खाते से निवेश के लिए कट जाती है। ये वेतनभोगी वर्ग और समय की किल्लत वाले लोगों के लिए निवेश का आकर्षक ज़रिया साबित होता है।
- छोटी मियाद के उतार चढ़ाव से इससे ज्यादा बुरा असर नहीं पड़ता जो आमतौर पर निवेशकों पर पड़ सकता है। क्योंकि अगर मान लें कि यूनिट की कीमत 10% गिरती है तो निवेशकों के पास इस बात का मौका होता है कि वो घटी हुई कीमत पर यूनिट खरीद सकते हैं। और अगर बाज़ार संभल कर पहले के स्तर पर आ जाता है तो वो मुनाफा कमा सकते हैं।
- एसआईपी के ज़रिए निवेश करने पर लंबी मियाद में बेहतर रिटर्न यानी मुनाफा कमाया जा सकता है। हर महीने छोटी छोटी बचत करने पर 40 साल के अंत में एक बड़ी रकम जुटाई जा सकती है, क्योंकि एसआईपी में बचत की रकम में कंपाउंडिंग होने और उसके कई गुना तक बढ़ने की क्षमता बनी रहती है।
संबंधित: नौसिखियों के लिए एसआईपी | सिस्टैमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान का मतलब
- एसआईपी को किसी भी समय लिखित में अर्जी देकर खत्म किया जा सकता है; प्लान को खत्म करने में करीब एक महीने का समय लग जाता है। ठीक इसी तरह चालू एसआईपी को खत्म कर नया शुरू कर निवेश की रकम को घटाया या बढ़ाया भी जा सकता है।
- एसआईपी से निवेश को नियमित तौर पर हर हफ्ते, पखवाड़े या महीने दर महीने के आधार पर भी शुरू किया जा सकता है। एसआईपी को कम से कम 5000 रु से भी शुरू किया जा सकता है। मजे की बात ये है कि जैसे जैसे निवेश की गई रकम बढ़ने लगती है बचत की आदत भी बढ़ती है।
डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी उद्देश्य के लिए है और इसे निवेश, बीमा, कर या कानूनी सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। इन क्षेत्रों से संबंधित निर्णय लेने के पहले विशेषज्ञों से स्वतंत्र सलाह प्राप्त करें।