Investor’s favorite Target Maturity Fund

ये म्यूचुअल फंड अपने शानदार रिटर्न और बेहतर लिक्विडिटी के कारण निवेशकों को लुभा रहे हैं।

शानदार रिटर्न देने वाले म्यूचुअल फंड

Target Maturity Funds: टारगेट मैच्योरिटी फंड को भारत में सबसे पहले 2019 में लॉन्च किया गया था। ये वे फंड हैं जो अपने शानदार रिटर्न, बेहतर लिक्विडिटी और कम नुकसान की संभावना के लिए जाने जाते हैं। यही कारण है कि एसेट मैनेजमेंट कंपनियाँ इस क्षेत्र का हिस्सा बनने के लिए खासी उत्सुक नजर आ रही हैं। दैनिक समाचार पत्र द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार फिलहाल हर एक बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी एक टारगेट मैच्योरिटी फंड पेश करने में लगी हुई है। इस फंड में निवेश करने के लिए आपको कुछ महत्त्वपूर्ण टिप्स देने जा रहे हैं।  

2019 में आरंभ 

भारत के घरेलू शेयर बाजार के निवेशकों को इनका पहला परिचय 2019 में हुआ था। तब बॉन्ड ईटीएफ 2023 और 2030 इस प्रकार दो शृंखलाएँ लॉन्च की गई थीं। वर्ष 2020 में दो एडिशनल फंड भारत बॉन्ड ईटीएफ शृंखलाएँ 2025 और 2031 पेश की गई थीं। डेट फंड में निवेश करने वालों के लिए एक अच्छी क्रेडिट क्वालिटी का पोर्टफोलियो प्रस्तुत किया गया था।

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टीएमएफ के फायदे 

इन इन्वेस्टमेंट स्कीम्स को AAA का रेटिंग दिया गया था और ये निवेश की दृष्टि से काफी सुरक्षित हैं। इस स्कीम में पोर्टफोलियो की पारदर्शिता पर ज़ोर दिया गया है और इसमें मैच्योरिटी पूर्व निर्धारित होने के कारण रिटर्न अनुमान लगाना पहले से आसान हो गया है। दूसरी बड़ी बात है कि इसमें ब्याज की दर के बारे में जोखिम बहुत कम हो गया है। निवेशक के लिए किसी भी समय अपनी निवेश की गई रकम की निकासी करना बहुत ही आसान है। 

निवेश के विकल्प 

इस स्कीम में निवेशकों को पीएसयू बॉन्ड में निवेश करने का विकल्प तो है ही साथ ही एसडीएल इंडेक्स फंड और जीसेक इंडेक्स फंड में भी निवेश करने का विकल्प मिलता है। 

लंबी अवधि का निवेश नहीं 

विशेषज्ञ क्रेडेंस वेल्थ एडवरटाइजर के संस्थापक कीर्तन शाह का मानना है कि इस स्कीम में लंबी अवधि के निवेश से बचना चाहिए। उनके अनुसार ‘यील्ड में केवल 0.1% या 0.2% अधिक यील्ड ही प्राप्त होगा। इसलिए लंबी अवधि के मैच्योरिटी फंड का विकल्प चुनने से बचना चाहिए। हो सकता है लंबी अवधि के निवेश के कारण कुछ अच्छे मौके हाथ से छूट जाएँ’।

कौन सा विकल्प बेहतर? 

जानकारों की राय है कि निवेशक को अपनी आवश्यकता के अनुसार पहले सही मैच्योरिटी वाले फंड को चिन्हित करना चाहिए। उन्हें खुद अपने समय की सीमा निर्धारित करनी चाहिए। इसका मतलब है कि यदि निवेशक को 3 या 5 सालों बाद पैसे की जरूरत है तो निवेशक दो अलग-अलग टारगेट मैच्योरिटी फंड में अपना पैसा विभाजित करके निवेश कर सकते हैं। प्लानरूपी इन्वेस्टमेंट सर्विसेज के संस्थापक अमोल जोशी ने सलाह दी है कि ‘निवेश को उस टीएमएफ में निवेश करना चाहिए जो उनकी आवश्यकता के समय मैच्योर होता हो।’

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