Stock Market: आसान शब्‍दों में समझिए क्‍या है लार्ज कैप, मिड कैप और स्‍मॉल कैप

स्टॉक मार्केट में निवेश करते समय कंपनी का चुनाव करने में यदि परेशानी है तो पहले लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप को भली-भाँति समझ लीजिए।

स्टॉक मार्केट में निवेश

Stock market: अक्सर आपने म्यूचुअल फंड में स्मॉल कैप, मिडकैप या लार्ज कैप के बारे में सुना होगा। लेकिन यदि आप इन नामों के पीछे की विशेषताएँ और शेयर मार्केट से उनका संबंध सही तरीके से न समझते हों तो निवेश करने में परेशानी हो सकती है।

क्या होता है कैप का मतलब? 

मार्केट कैपिटलाइज़ेशन को ही ‘कैप’ कहा जाता है। स्टॉक मार्केट में कैप का मतलब सीधे-सीधे कंपनियों के मार्केट में निर्धारित किए गए मूल्य से होता है। 

कैपिटलाइज़ेशन को कंपनी के शेयरों की कुल संख्या और उसके बाजार के मूल्य (मार्केट वैल्यू) से गुणा करके निकाला जाता है। इस हिसाब से कंपनियों को शेयर मार्केट में तीन श्रेणियों में बाँट सकते हैं, लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप। 

लार्जकैप 

मार्केट कैपिटलाइजेशन- आमतौर पर जब किसी भी कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन ₹10,000 करोड़ से अधिक हो तो उस कंपनी को लार्जकैप कंपनी कहा जाता है। 

विशेषताएँ- माना जाता है कि कंपनी की मार्केट कैपिटलाइजेशन जितनी अधिक हो उतनी ही उसकी बाजार पर पकड़ भी प्रभावी होगी। 

शेयर मार्केट के लिहाज़ से- लार्ज कैप कंपनियों पर बाजार के उतार-चढ़ाव का अधिक असर नहीं होता और जब मार्केट में संशोधन (करेक्शन) होता है उस स्थिति में भी ये स्टॉक तुलनात्मक रूप से स्थिर होते हैं। 

इन कंपनियों का प्रदर्शन भी संतुलित होता है यानी बहुत अधिक उतार-चढ़ाव देखने को नहीं मिलता। 

जानकारों की राय में लार्ज कैप कंपनियों में निवेश एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। 

वैश्विक बाजार में जिन कंपनियों का कैपिटलाइज़ेशन 10 अरब डॉलर से अधिक हो उन्हें ही लार्ज कैप कंपनियाँ कहा जाता है। 

इस लिहाज से भारत की अधिकतर लार्ज कैप कंपनियाँ वैश्विक बाजार में मिड कैप या स्मॉल कैप कंपनियाँ बन जाती हैं। 

यह भी पढ़ें७ वित्तीय नियम

मिड कैप    

मार्केट कैपिटलाइजेशन- मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर जिन भी कंपनियों की मार्केट वैल्यू ₹2000 करोड़ से अधिक और ₹10,000 करोड़ तक की हो वे सभी कंपनियाँ इस श्रेणी के अंतर्गत गिनी जाती हैं। 

विशेषताएँ- मिड कैप कंपनियों की सबसे बड़ी विशेषता होती है कि इनमें लार्ज कैप कंपनी के रूप में विकसित होने की क्षमता होती है।

शेयर मार्केट के लिहाज़ से- देखा गया है कि इन कंपनियों में निवेश करने से रिटर्न भी ज्यादा मिलने की संभावना होती है। 

एक निवेशक के तौर पर इन कंपनियों पर ध्यान देना बहुत महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है। यदि निवेश का ख्याल हो तो इन कंपनियों को नजरंदाज नहीं करना चाहिए। 

स्मॉल कैप 

मार्केट कैपिटलाइजेशन- जिन कंपनियों की स्टॉक मार्केट में मार्केट वैल्यू ₹2000 करोड़ से कम हो वे सभी कंपनियाँ इस श्रेणी में रखी जाती हैं। 

विशेषताएँ- स्मॉल कैप कंपनियों में मिड कैप कंपनी के रूप में विकसित होने की क्षमता जरूर होती है। इसके साथ ही इनके विकास की दर (ग्रोथ रेट) बहुत ही अधिक होती है। 

शेयर मार्केट के लिहाज से- स्मॉल कैप कंपनियों में किया जाने वाला निवेश जोखिम भरा होता है। 

माना जाता है कि यह निवेश बहुत अधिक मुनाफा लेकिन बहुत अधिक जोखिम लेकर आता है। इसलिए स्मॉलकैप कंपनियों के संबंध में यदि निवेश का पासा सही नहीं पड़ा तो पूरी बाजी पलट जाती है और निवेशक को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

यह भी पढ़ेंमार्केट में निफ़्टी ५० से रिटर्न कैसे पाए?

Stock market: अक्सर आपने म्यूचुअल फंड में स्मॉल कैप, मिडकैप या लार्ज कैप के बारे में सुना होगा। लेकिन यदि आप इन नामों के पीछे की विशेषताएँ और शेयर मार्केट से उनका संबंध सही तरीके से न समझते हों तो निवेश करने में परेशानी हो सकती है।

क्या होता है कैप का मतलब? 

मार्केट कैपिटलाइज़ेशन को ही ‘कैप’ कहा जाता है। स्टॉक मार्केट में कैप का मतलब सीधे-सीधे कंपनियों के मार्केट में निर्धारित किए गए मूल्य से होता है। 

कैपिटलाइज़ेशन को कंपनी के शेयरों की कुल संख्या और उसके बाजार के मूल्य (मार्केट वैल्यू) से गुणा करके निकाला जाता है। इस हिसाब से कंपनियों को शेयर मार्केट में तीन श्रेणियों में बाँट सकते हैं, लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप। 

लार्जकैप 

मार्केट कैपिटलाइजेशन- आमतौर पर जब किसी भी कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन ₹10,000 करोड़ से अधिक हो तो उस कंपनी को लार्जकैप कंपनी कहा जाता है। 

विशेषताएँ- माना जाता है कि कंपनी की मार्केट कैपिटलाइजेशन जितनी अधिक हो उतनी ही उसकी बाजार पर पकड़ भी प्रभावी होगी। 

शेयर मार्केट के लिहाज़ से- लार्ज कैप कंपनियों पर बाजार के उतार-चढ़ाव का अधिक असर नहीं होता और जब मार्केट में संशोधन (करेक्शन) होता है उस स्थिति में भी ये स्टॉक तुलनात्मक रूप से स्थिर होते हैं। 

इन कंपनियों का प्रदर्शन भी संतुलित होता है यानी बहुत अधिक उतार-चढ़ाव देखने को नहीं मिलता। 

जानकारों की राय में लार्ज कैप कंपनियों में निवेश एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। 

वैश्विक बाजार में जिन कंपनियों का कैपिटलाइज़ेशन 10 अरब डॉलर से अधिक हो उन्हें ही लार्ज कैप कंपनियाँ कहा जाता है। 

इस लिहाज से भारत की अधिकतर लार्ज कैप कंपनियाँ वैश्विक बाजार में मिड कैप या स्मॉल कैप कंपनियाँ बन जाती हैं। 

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मिड कैप    

मार्केट कैपिटलाइजेशन- मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर जिन भी कंपनियों की मार्केट वैल्यू ₹2000 करोड़ से अधिक और ₹10,000 करोड़ तक की हो वे सभी कंपनियाँ इस श्रेणी के अंतर्गत गिनी जाती हैं। 

विशेषताएँ- मिड कैप कंपनियों की सबसे बड़ी विशेषता होती है कि इनमें लार्ज कैप कंपनी के रूप में विकसित होने की क्षमता होती है।

शेयर मार्केट के लिहाज़ से- देखा गया है कि इन कंपनियों में निवेश करने से रिटर्न भी ज्यादा मिलने की संभावना होती है। 

एक निवेशक के तौर पर इन कंपनियों पर ध्यान देना बहुत महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है। यदि निवेश का ख्याल हो तो इन कंपनियों को नजरंदाज नहीं करना चाहिए। 

स्मॉल कैप 

मार्केट कैपिटलाइजेशन- जिन कंपनियों की स्टॉक मार्केट में मार्केट वैल्यू ₹2000 करोड़ से कम हो वे सभी कंपनियाँ इस श्रेणी में रखी जाती हैं। 

विशेषताएँ- स्मॉल कैप कंपनियों में मिड कैप कंपनी के रूप में विकसित होने की क्षमता जरूर होती है। इसके साथ ही इनके विकास की दर (ग्रोथ रेट) बहुत ही अधिक होती है। 

शेयर मार्केट के लिहाज से- स्मॉल कैप कंपनियों में किया जाने वाला निवेश जोखिम भरा होता है। 

माना जाता है कि यह निवेश बहुत अधिक मुनाफा लेकिन बहुत अधिक जोखिम लेकर आता है। इसलिए स्मॉलकैप कंपनियों के संबंध में यदि निवेश का पासा सही नहीं पड़ा तो पूरी बाजी पलट जाती है और निवेशक को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।

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