- Date : 07/03/2023
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वित्तीय संकट में घिरे अडानी ग्रुप में 15000 करोड़ रुपये निवेश करने वाले GQG ग्रुप के अध्यक्ष राजीव जैन ने बताया कि आखिर क्यों उन्होंने इतनी बड़ी डील की।

Adani-Hindenburg Row: कहतें है मार्केट सेंटिमेंट्स का खेल है। अगर आपने मार्केट का सेंटीमेंट पकड़ लिया तो आप यहां के बादशाह बन जाएंगे। यूएस बुटीक इन्वेस्टमेंट फर्म जीक्यूजी पार्टनर्स ने मार्केट सेंटिमेंट और अडानी ग्रुप पर रिसर्च कर एक निवेश का फैसला लिया और नतीजा ये निकला कि फर्म ने दो दिन में ही 3300 करोड़ रुपये कमा लिए। अडानी ग्रुप की चार कंपनियों अडानी पोर्ट्स स्पेशल इकोनॉमिक जोन, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड और अडानी ट्रांसमिशन 15 हजार करोड़ रुपये निवेश करने वाले जीक्यूजी पार्टनर्स ने अडानी ग्रुप का ऐसे समय पर साथ दिया जब ग्रुप गहरे वित्तीय संकट में था।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से अडानी ग्रुप के एक के बाद एक शेयर टूटते जा रहे थे। जीक्यूजी पार्टनर्स के अध्यक्ष राजीव जैन ने अडानी ग्रुप में निवेश पर एक इंटरव्यू में कई बातों का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि सिर्फ अडानी ही नहीं, उनकी फर्म ने इंफोसिस में जमकर निवेश किया जब वह व्हिसलब्लोअर के आरोपों से जूझ रही थी।
द इकोनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में जैन ने कहा कि उन्हें लगा कि एक प्राइमरी ऑप्शन से सैकेंड्री ऑप्शन ज्यादा अच्छा होता है।
- उन्होंने कहा कि जिस तरह से स्टॉक चल रहा था, उन्हें पता था कि यह हमेशा के लिए नहीं रहेगा। इंटरव्यू में जैन ने कहा- जितनी तेजी से स्टॉक में गिरावट आती है, उतनी ही जल्दी गिरावट खत्म हो जाएगी।
- राजीव जैन ने कहा कि केवल अडानी ही नहीं, ऐसे और भी उदाहरण रहे हैं जब वे गिरावट के दौरान आक्रामक रहे। उन्होंने 2004 के चुनावों के बाद खरीदारी का उदाहरण दिया, जब पूरे बाजार में 25 फीसदी की गिरावट आई थी। 1996 में ITC को टैक्स की स्थिति के कारण संकट का सामना करना पड़ा, जिसे उन्होंने 20 वर्षों तक खरीदा और ओनरशिप में रखा।
- जैन ने कहा- संकट आमतौर पर अवसर पैदा करता है। मैंने कुछ संकटों को पूरी तरह से गलत पाया है।
- जैन ने 2019 से इंफोसिस व्हिसलब्लोअर संकट का भी उदाहरण दिया, जिसके बाद स्टॉक में 30-45 फीसदी की गिरावट आई थी।
- उन्होंने कहा कि बहुत से लोग यह नहीं समझते हैं कि यूटिलिटी साइड पर यह खेल कैसे खेला जाता है।
- जैन ने कहा कि भारत को किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो उसकी बुनियादी ढांचा जरूरतों को पूरा कर सके। उन्होंने कहा कि अडानी मुंबई हवाईअड्डे को चला रहा है।
- जैन ने यह भी कहा कि उन्होंने अडानी समूह के साथ काम कर चुके लोगों के साथ उनके कल्चर को समझने के लिए काफी मेहनत की है। रिसर्च के बाद हम निवेश के लिए काफी सहज स्थिति में थे।
- राजीव जैन ने कहा कि लोग निवेश को लेकर चिंतित थे, लेकिन उन्होंने अपने निवेशकों से काफी बात की है। उन्होंने कहा कि GQG अपने निवेशकों से बात करना जारी रखता है।
- जैन ने कहा कि वह गौतम अडानी या उनके भाई विनोद अडानी को पहले से नहीं जानते थे। उन्होंने कहा कि कुछ तथ्यों को विवाद के बीच में नहीं भूलना चाहिए और वो ये कि अडानी को थाली में परोस कर कुछ भी नहीं दिया गया था।
- जैन ने हालांकि कहा कि वह राजनीतिक संबंधों के आरोपों से इनकार नहीं करते हैं।
- उन्होंने कहा कि उन्होंने 25 साल से रिलायंस के बारे में इसी तरह की कहानियां सुनी हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी कहानियां आती हैं और चली जाती हैं।
Adani-Hindenburg Row: कहतें है मार्केट सेंटिमेंट्स का खेल है। अगर आपने मार्केट का सेंटीमेंट पकड़ लिया तो आप यहां के बादशाह बन जाएंगे। यूएस बुटीक इन्वेस्टमेंट फर्म जीक्यूजी पार्टनर्स ने मार्केट सेंटिमेंट और अडानी ग्रुप पर रिसर्च कर एक निवेश का फैसला लिया और नतीजा ये निकला कि फर्म ने दो दिन में ही 3300 करोड़ रुपये कमा लिए। अडानी ग्रुप की चार कंपनियों अडानी पोर्ट्स स्पेशल इकोनॉमिक जोन, अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड और अडानी ट्रांसमिशन 15 हजार करोड़ रुपये निवेश करने वाले जीक्यूजी पार्टनर्स ने अडानी ग्रुप का ऐसे समय पर साथ दिया जब ग्रुप गहरे वित्तीय संकट में था।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से अडानी ग्रुप के एक के बाद एक शेयर टूटते जा रहे थे। जीक्यूजी पार्टनर्स के अध्यक्ष राजीव जैन ने अडानी ग्रुप में निवेश पर एक इंटरव्यू में कई बातों का खुलासा किया। उन्होंने कहा कि सिर्फ अडानी ही नहीं, उनकी फर्म ने इंफोसिस में जमकर निवेश किया जब वह व्हिसलब्लोअर के आरोपों से जूझ रही थी।
द इकोनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में जैन ने कहा कि उन्हें लगा कि एक प्राइमरी ऑप्शन से सैकेंड्री ऑप्शन ज्यादा अच्छा होता है।
- उन्होंने कहा कि जिस तरह से स्टॉक चल रहा था, उन्हें पता था कि यह हमेशा के लिए नहीं रहेगा। इंटरव्यू में जैन ने कहा- जितनी तेजी से स्टॉक में गिरावट आती है, उतनी ही जल्दी गिरावट खत्म हो जाएगी।
- राजीव जैन ने कहा कि केवल अडानी ही नहीं, ऐसे और भी उदाहरण रहे हैं जब वे गिरावट के दौरान आक्रामक रहे। उन्होंने 2004 के चुनावों के बाद खरीदारी का उदाहरण दिया, जब पूरे बाजार में 25 फीसदी की गिरावट आई थी। 1996 में ITC को टैक्स की स्थिति के कारण संकट का सामना करना पड़ा, जिसे उन्होंने 20 वर्षों तक खरीदा और ओनरशिप में रखा।
- जैन ने कहा- संकट आमतौर पर अवसर पैदा करता है। मैंने कुछ संकटों को पूरी तरह से गलत पाया है।
- जैन ने 2019 से इंफोसिस व्हिसलब्लोअर संकट का भी उदाहरण दिया, जिसके बाद स्टॉक में 30-45 फीसदी की गिरावट आई थी।
- उन्होंने कहा कि बहुत से लोग यह नहीं समझते हैं कि यूटिलिटी साइड पर यह खेल कैसे खेला जाता है।
- जैन ने कहा कि भारत को किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो उसकी बुनियादी ढांचा जरूरतों को पूरा कर सके। उन्होंने कहा कि अडानी मुंबई हवाईअड्डे को चला रहा है।
- जैन ने यह भी कहा कि उन्होंने अडानी समूह के साथ काम कर चुके लोगों के साथ उनके कल्चर को समझने के लिए काफी मेहनत की है। रिसर्च के बाद हम निवेश के लिए काफी सहज स्थिति में थे।
- राजीव जैन ने कहा कि लोग निवेश को लेकर चिंतित थे, लेकिन उन्होंने अपने निवेशकों से काफी बात की है। उन्होंने कहा कि GQG अपने निवेशकों से बात करना जारी रखता है।
- जैन ने कहा कि वह गौतम अडानी या उनके भाई विनोद अडानी को पहले से नहीं जानते थे। उन्होंने कहा कि कुछ तथ्यों को विवाद के बीच में नहीं भूलना चाहिए और वो ये कि अडानी को थाली में परोस कर कुछ भी नहीं दिया गया था।
- जैन ने हालांकि कहा कि वह राजनीतिक संबंधों के आरोपों से इनकार नहीं करते हैं।
- उन्होंने कहा कि उन्होंने 25 साल से रिलायंस के बारे में इसी तरह की कहानियां सुनी हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी कहानियां आती हैं और चली जाती हैं।