- Date : 14/10/2020
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आमतौर पर धारणा होती है कि बीमा सिर्फ परिवार वाले और मध्यम आयु वर्ग के लोगों के लिए ही जरूरी है। लेकिन ऐसा नहीं है, युवा, बूढ़े, कुंवारे या फिर कोई भी ऐसा व्यक्ति जो कमाते हैं, उन सबके लिए बीमा उतना ही जरूरी है, जितना परिवार वाले और मध्यम उम्र वर्ग के व्यक्ति के लिए ज़रूरी है। बीमा लेने से पहले इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आप पर कोई आश्रित है या नहीं है।

ऐसे लोग जो दूसरों की कमाई पर निर्भर रहते हैं, आश्रित कहे जाते हैं। एक नाबालिग बच्चा आश्रित हो सकता है, बूढ़े माता-पिता या फिर जीवनसाथी भी आप पर आश्रित हो सकते हैं। आपकी गैरमौजूदगी में आप पर आश्रित लोगों को किसी तरह की वित्तीय दिक्कतों का सामना ना करना पड़े, इसके लिए बीमा सबसे बढ़िया साधन है।
लेकिन अब सवाल उठता है कि अगर आप पर कोई भी आश्रित नहीं है, फिर भी क्या वाकई बीमा की जरूरत है?
इस सवाल का जवाब हां है, क्योंकि बीमा आपको पैसे बचाने में मदद करता है। मुश्किल वक्त में आपको अपनी जेब से खर्च घटाने में बीमा से भरपूर मदद मिलती है।
अगर आप पर कोई भी आश्रित नहीं है फिर भी बीमा क्यों ज़रूरी है? जानिए 4 बड़े कारण:
1. बदलाव के लिए तैयार रहने और सस्ते प्रीमियम का फायदा उठाने के लिए
हो सकता है आपकी शादी अभी नहीं हुई हो, लेकिन भविष्य में आपकी शादी होती है और बच्चे होते हैं तब क्या करेंगे? क्या होगा जब आपके माता-पिता रिटायर हो जाएंगे?
अगर हालात को एक दिन बदलना है तो आपके लिए बीमा खरीदना भी बेहद जरूरी है। लेकिन अगर आपने लंबे समय तक इंतजार किया तो प्रीमियम इतना ज्यादा हो जाएगा कि आपको उस बोझ को उठाने में दिक्कतें होंगी। आपको किसी अन्य व्यक्ति की आमदनी नहीं, बल्कि अपनी आमदनी पर निर्भर रहना होगा। इसलिए जितनी जल्दी हो सके बीमा पॉलिसी ले लेनी चाहिए, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ प्रीमियम भी बढ़ता जाता है।
2. क्रिटिकल इलनेस (गंभीर बीमारी) भावनात्मक और वित्तीय तौर पर सदमा पहुंचा सकती है
अगर कैंसर, दिल की बीमारी जैसी गंभीरी बीमारियों का सामना करना पड़े तो ये वित्तीय तौर पर आपको लाचार बना देते हैं। इनके इलाज में लगने वाले खर्चों की आप कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। कैंसर के इलाज में औसतन 10 लाख रुपए तक का खर्च आ जाता है। किडनी की बीमारी के लिए पेरीटोनियल डायलिसिस का हर महीने का खर्च 18,000 रुपए से 20,000 रुपए तक है। वहीं फेफड़ों के ट्रांसप्लांट में तकरीबन 20 लाख रुपए तक का खर्च आता है। ऐसे बड़े खर्च अगर अचानक कभी आ जाए तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि इस स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त व्यवस्था हो। सही इंश्योरेंस प्लान से आप इस मुसीबत से बच सकते हैं। गंभीर बीमारियों के लिए सही इंश्योरेंस प्लान चुनने में यहां गाइड आपको सही दिशा दिखा सकते हैं।
3. टैक्स छूट के फायदे
ज्यादातर इंश्योरेंस स्कीम के साथ टैक्स छूट के फायदे भी जुड़े होते हैं। लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस, क्रिटिकल इलनेस जैसी कवरेज के लिए प्रीमियम भुगतान और परिपक्वता लाभ के तौर पर मिलने वाली रकम पर आप इनकम टैक्स की धारा 80सी, 80डी और 10(10)डी के तहत टैक्स छूट का फायदा तय की गई सीमा तक उठा सकते हैं। प्रीमियम के तौर पर भुगतान की गई राशि और मैच्योरिटी बेनिफिट यानि परिपक्वता लाभ की रकम को तय की गई सीमा तक टैक्स योग्य आमदनी से घटा दी जाती है। जब निवेश प्रमाण इंवेस्टमेंट जमा करने का समय आता है तो बीमा से टैक्स बचाने में मदद मिलती है।
4. आपकी कई संपत्तियों को बीमा की जरूरत होगी
कार, घर, विदेश यात्रा- इनमें से कोई या और भी कई ऐसी संपत्ति के नुकसान का जोखिम हमेशा बना रहता है। अगर आपने अपनी संपत्तियों का बीमा ले रखा है तो सही है, अन्यथा अचानक किसी तरह के नुकसान की स्थिति में मरम्मत का पूरा खर्च खुद उठाना होगा। अगर आपने इंश्योरेंस नहीं ले रखा है, और अचानक संपत्ति के बड़े नुकसान पर आपकी वित्तीय स्थिति पटरी से उतर सकती है। भविष्य की पूरी प्लानिंग अचानक आए खर्चों से पिछड़ सकता है। इसलिए घर का इंश्योरेंस, गाड़ी का इंश्योरेंस, ट्रैवल इंश्योरेंस या फिर कोई भी जरूरी इंश्योरेंस करवाना बेहद जरूरी है। क्योंकि आपदाओं से होने वाली क्षति का इंश्योरेंस ही भरपाई कर सकता है।
लिहाजा, जैसा हम ऊपर देख चुके हैं कि बीमा में बहुत मामूली रकम प्रीमियम भरकर बड़ी राशि प्राप्त की जा सकती है। जितना प्रीमियम दिया जाता है उससे कई गुना ज्यादा रिटर्न आपको जरूरत पड़ने पर मिल जाता है। और बेशकीमती संपत्ति के नुकसान की भरपाई वित्तीय मदद के जरिए की जाती है। कुल मिलाकर कहें तो बीमा आपात स्थिति में वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है।
ऐसे लोग जो दूसरों की कमाई पर निर्भर रहते हैं, आश्रित कहे जाते हैं। एक नाबालिग बच्चा आश्रित हो सकता है, बूढ़े माता-पिता या फिर जीवनसाथी भी आप पर आश्रित हो सकते हैं। आपकी गैरमौजूदगी में आप पर आश्रित लोगों को किसी तरह की वित्तीय दिक्कतों का सामना ना करना पड़े, इसके लिए बीमा सबसे बढ़िया साधन है।
लेकिन अब सवाल उठता है कि अगर आप पर कोई भी आश्रित नहीं है, फिर भी क्या वाकई बीमा की जरूरत है?
इस सवाल का जवाब हां है, क्योंकि बीमा आपको पैसे बचाने में मदद करता है। मुश्किल वक्त में आपको अपनी जेब से खर्च घटाने में बीमा से भरपूर मदद मिलती है।
अगर आप पर कोई भी आश्रित नहीं है फिर भी बीमा क्यों ज़रूरी है? जानिए 4 बड़े कारण:
1. बदलाव के लिए तैयार रहने और सस्ते प्रीमियम का फायदा उठाने के लिए
हो सकता है आपकी शादी अभी नहीं हुई हो, लेकिन भविष्य में आपकी शादी होती है और बच्चे होते हैं तब क्या करेंगे? क्या होगा जब आपके माता-पिता रिटायर हो जाएंगे?
अगर हालात को एक दिन बदलना है तो आपके लिए बीमा खरीदना भी बेहद जरूरी है। लेकिन अगर आपने लंबे समय तक इंतजार किया तो प्रीमियम इतना ज्यादा हो जाएगा कि आपको उस बोझ को उठाने में दिक्कतें होंगी। आपको किसी अन्य व्यक्ति की आमदनी नहीं, बल्कि अपनी आमदनी पर निर्भर रहना होगा। इसलिए जितनी जल्दी हो सके बीमा पॉलिसी ले लेनी चाहिए, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ प्रीमियम भी बढ़ता जाता है।
2. क्रिटिकल इलनेस (गंभीर बीमारी) भावनात्मक और वित्तीय तौर पर सदमा पहुंचा सकती है
अगर कैंसर, दिल की बीमारी जैसी गंभीरी बीमारियों का सामना करना पड़े तो ये वित्तीय तौर पर आपको लाचार बना देते हैं। इनके इलाज में लगने वाले खर्चों की आप कल्पना तक नहीं कर सकते हैं। कैंसर के इलाज में औसतन 10 लाख रुपए तक का खर्च आ जाता है। किडनी की बीमारी के लिए पेरीटोनियल डायलिसिस का हर महीने का खर्च 18,000 रुपए से 20,000 रुपए तक है। वहीं फेफड़ों के ट्रांसप्लांट में तकरीबन 20 लाख रुपए तक का खर्च आता है। ऐसे बड़े खर्च अगर अचानक कभी आ जाए तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि इस स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त व्यवस्था हो। सही इंश्योरेंस प्लान से आप इस मुसीबत से बच सकते हैं। गंभीर बीमारियों के लिए सही इंश्योरेंस प्लान चुनने में यहां गाइड आपको सही दिशा दिखा सकते हैं।
3. टैक्स छूट के फायदे
ज्यादातर इंश्योरेंस स्कीम के साथ टैक्स छूट के फायदे भी जुड़े होते हैं। लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस, क्रिटिकल इलनेस जैसी कवरेज के लिए प्रीमियम भुगतान और परिपक्वता लाभ के तौर पर मिलने वाली रकम पर आप इनकम टैक्स की धारा 80सी, 80डी और 10(10)डी के तहत टैक्स छूट का फायदा तय की गई सीमा तक उठा सकते हैं। प्रीमियम के तौर पर भुगतान की गई राशि और मैच्योरिटी बेनिफिट यानि परिपक्वता लाभ की रकम को तय की गई सीमा तक टैक्स योग्य आमदनी से घटा दी जाती है। जब निवेश प्रमाण इंवेस्टमेंट जमा करने का समय आता है तो बीमा से टैक्स बचाने में मदद मिलती है।
4. आपकी कई संपत्तियों को बीमा की जरूरत होगी
कार, घर, विदेश यात्रा- इनमें से कोई या और भी कई ऐसी संपत्ति के नुकसान का जोखिम हमेशा बना रहता है। अगर आपने अपनी संपत्तियों का बीमा ले रखा है तो सही है, अन्यथा अचानक किसी तरह के नुकसान की स्थिति में मरम्मत का पूरा खर्च खुद उठाना होगा। अगर आपने इंश्योरेंस नहीं ले रखा है, और अचानक संपत्ति के बड़े नुकसान पर आपकी वित्तीय स्थिति पटरी से उतर सकती है। भविष्य की पूरी प्लानिंग अचानक आए खर्चों से पिछड़ सकता है। इसलिए घर का इंश्योरेंस, गाड़ी का इंश्योरेंस, ट्रैवल इंश्योरेंस या फिर कोई भी जरूरी इंश्योरेंस करवाना बेहद जरूरी है। क्योंकि आपदाओं से होने वाली क्षति का इंश्योरेंस ही भरपाई कर सकता है।
लिहाजा, जैसा हम ऊपर देख चुके हैं कि बीमा में बहुत मामूली रकम प्रीमियम भरकर बड़ी राशि प्राप्त की जा सकती है। जितना प्रीमियम दिया जाता है उससे कई गुना ज्यादा रिटर्न आपको जरूरत पड़ने पर मिल जाता है। और बेशकीमती संपत्ति के नुकसान की भरपाई वित्तीय मदद के जरिए की जाती है। कुल मिलाकर कहें तो बीमा आपात स्थिति में वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है।