- Date : 03/06/2021
- Read: 5 mins
- Read in English: What are the types of IPO and how to apply for its shares?
आईपीओ शेयर ऑफर प्राइस को फाइनलाइज करने के लिए दो अलग-अलग तरीकों का उपयोग किया जाता है। उनके बारे में और आवेदन करने की विधि के बारे में अधिक जानें।

इस समय हम भारत में भारी संख्या में लिस्टिंग हो रही है। बीस कंपनियों ने जनवरी 2021 से लेकर अब तक तीन महीने से कम समय में इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) के जरिए पूंजी जमा किए। महामारी भरे पिछले नौ महीनों में, 29 कंपनियां बॉम्बे स्टॉक ऐक्सचेंज (बीएसई) पर नई-नई लिस्टेड हुईं। यद्यपि इनमें से कुछ शेयरों में उनकी लिस्टिंग मूल्य से नीच गिरावट आई, फिर भी आईपीओ को जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है, जहां कुछ को 100 से अधिक बार ओवरसब्सक्राइब किया जा रहा है।
आईपीओ के प्रकार
पुराने निवेशक जानते हैं कि दो प्रकार के आईपीओ होते हैं जिसे पब्लिक में जाने वाली कंपनी अपना सकती है।
- फिक्स्ड प्राइस ऑफरिंग
कोई कंपनी आईपीओ से पहले एक मर्चेंट बैंकर को नियुक्त करती है। मर्चेंट बैंकर कंपनी की परिसंपत्तियों और देयताओं का मूल्यांकन करता है और एक जोखिम मूल्यांकन भी करता है। परिणामों के आधार पर, मर्चेंट बैंकर आईपीओ के लिए एक शेयर प्राइस निर्धारित करता है।
इस ऑफरिंग के तहत, कंपनी फिक्स्ड शेयर प्राइस पर सहमत होती है और निवेशक को यह कीमत पता होता है। निवेशक इस कीमत पर आईपीओ के दौरान शेयर्स के लिए आवेदन करता है। ऑफर प्राइस के अलावा, शेयर की एक फेस वैल्यू भी होता है। उदाहरण के लिए, कोई कंपनी अपने शेयर्स के लिए 10 रुपए का फेस वैल्यू तय कर सकती है और आईपीओ के दौरान शेयर्स पर 70 रुपए का ऑफर प्राइस लगा सकती है।
इससे जुड़ी बातें: क्या होता है जब आप जिस स्टॉक में अपना पैसा निवेश करते हैं वह डीलिस्टेड हो जाता है?
- बुक बिल्डिंग ऑफरिंग
इस प्रक्रिया में, शेयर प्राइस कोई फिक्स्ड राशि नहीं होता। बल्कि, प्राइस बैंड डिस्क्लोज किया जाता है, जिसके आधार पर निवेशक शेयर अलॉटमेंट के लिए अप्लाय करते हैं। प्राइस बैंड का निर्णय कंपनी करती है और निवेशकों को तय समय के अंदर इसी प्राइस रेंज में बिड करना होता है। प्राइस बैंड की ऊपरी सीमा को कैप प्राइस कहा जाता है जबकि निचली सीमा को फ्लो प्राइस कहा जाता है। फाइनल शेयर प्राइस निवेशकों द्वारा किए गए बिड्स पर निर्भर करता है। निवेशक शेयर अलॉट होने के बाद ही उनके लिए भुगतान करते हैं।
प्रक्रिया को अच्छी तरह से समझने के लिए, यहां एक उदाहरण दिया गया है। मान लें कि कोई कंपनी 70 से 80 रुपए के प्राइस बैन्ड पर 10,000 शेयर्स का आईपीओ जारी कर रही है। कुल 15,000 निवेशक अप्लाय करते हैं, प्रत्येक 5000 निवेशकों ने रु. 70, रु. 75 और रु. 80 पर बिड किया है। कंपनी को 10,000 शेयर्स जारी करने हैं, इसलिए यह उच्च बिड्स वाले निवेशकों पर विचार करेगी। इसी अनुसार, 75 और 80 रुपए पर बिड करने वाले 10,000 निवेशकों (5000 + 5000) को शेयर अलॉट होंगे। शेयर प्राइस 75 रुपए पर फिक्स्ड होगा और 5 रुपए प्रति शेयर के हिसाब से उन 5000 निवेशकों को रिफंड किया जाएगा जिन्होंने 80 रुपए पर बिड किया है। 70 रुपए पर बिड करने वाले सभी निवेशकों को उनका सारा पैसा वापस हो जाएगा।
इससे जुड़ी बातें: आईपीओ किस प्रकार एनएफओ से भिन्न है?
आईपीओ में निवेश कैसे करें
जब आईपीओ के लिए अप्लाय करने की बात आती है, तो पेपर वर्क करने के बाद भी आपको कुछ ग्राउंड वर्क करना होता है। उस कंपनी के बारे में जाने जिसके लिए आप अप्लाय करना चाहते हैं, उनका ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रोस्पेक्टस (कच्ची विवरणिका) पढ़ें, उनकी वित्तीय स्थितियां देखें, उनकी योजना का पता लगाएं, वे एकत्रित पैसे का उपयोग कहां करने वाले हैं इत्यादि। हाल के आईपीओ में ज्यादा ओवरसब्सक्रिप्शन को देखते हुए, छोटे-छोटे रिटेल निवेशकों को आईपीओ मिलना चुनौती भरा हो जाता है। सुनिश्चित करें कि आपके पास ने शेयर्स के लिए अप्लाय करने के लिए पर्याप्त रुपए हैं।
योग्यता मानदंड
आईपीओ के अंतर्गत ऑफर किए हुए शेयर्स हेतु अप्लाय करने की योग्यता हासिल करने के लिए, आपके पास आयकर विभाग द्वारा जारी पैन कार्ड होना चाहिए, और एक मान्य डीमैट अकाउंट होना चाहिए। ट्रेडिंग अकाउंट की तत्काल जरूरत नहीं होती जब तक कि आप अलॉटमेंट के बाद स्टॉक बेचना नहीं चाहते हैं।
इससे जुड़ी बातें: पिछले 10 वर्षों में निवेशकों को निराश करने वाले आईपीओ
औपचारिकताएं
सबसे पहले, ऐसे पार्टिसिपेंट या ब्रोकर के साथ एक डिमैट अकाउंट खोलें जो निवेशक के लिए अकाउंट खोलने के लिए अधिकृत हो। इसके लिए, आपको दस्तावेज देने होंगे जैसे आधार, पैन, पहचान और पता प्रमाण, फ़ोटोग्राफ इत्यादि।
ट्रांजैक्शन करने के लिए, आपको स्टॉकब्रोकिंग फर्म में एक ट्रेडिंग अकाउंट भी खोलना होगा। आपको ऐप्लिकेशन सपोर्टेड बाय ब्लॉक्ड अमाउंट (एएसबीए) सुविधा की भी जरूरत होगी जो आपके अकाउंट से लिंक होगी ताकि आपका ऐप्लिकेशन धनराशि अलॉटमेंट तक ब्लॉक रहे। इसके बाद आप बैंक या ट्रेडिंग अकाउंट के जरिए आईपीओ के लिए आवेदन कर सकते हैं। आजकल, ब्रॉकर डिमैट-कम-ट्रेडिंग अकाउंट दे रहे हैं जिससे बैंक अकाउंट जुड़े होते हैं।
अब आप फिक्स्ड प्राइस के अनुसार या प्राइस बैंड के अनुसार बिड कर सकते हैं। आपको लॉट साइज के अनुसार अप्लाय करना होता है, जहां लॉट शेयरों की न्यूनतम संख्या होती है जिसके लिए आपको अप्लाय करना है। यह जानने के लिए पढ़ें कि क्यों आपको आईपीओ ऐप्लिकेशन के लिए एएसबीए का रास्त अपनाना चाहिए।
इससे जुड़ी बातें: एएसबीए और आईपीओ: सभी बातें जो आपको जाननी चाहिए
अंतिम शब्द
जैसा कि दुनिया भर की सरकारें और सेंट्रल बैंक वित्तीय और नीतिगत सहयोग के जरि अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूर कर रहे हैं, कुछ फंड स्टॉक मार्केट में जाएंगे। इसके अलावा, चूंकि ब्याज दरें कम हैं, इसलिए इक्विटी मार्केट की ओर आकर्षण लगातार बना रहेगा। ऑफरिंग में कई अनेक हाई-प्रोफाइल आईपीओ के साथ, आप आईपीओ ट्रेड के पेंचीदगियों को समझने के लिए अच्छा करेंगे और समझदारी से निवेश करेंगे। आईपीओ में निवेश करने में कौन सी बातें ध्यान में रखी जानी चाहिए?