- Date : 29/11/2019
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बिजनेस चैनल कारोबार जगत की पल-पल की जानकारी के लिए एक बड़ा स्रोत बनते हैं। यहां वित्तीय मामलों पर विशेषज्ञों की राय मिलती है, जिसकी मदद से आप अपने निवेश बेहतर बना सकते हैं और समझदारी के साथ अपने आर्थिक फैसले कर सकते हैं।

हम आपको ज्यादा टीवी देखने की सलाह देने का जोखिम तो उठा रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही यह भी बता रहे हैं कि बिजनेस टीवी चैनल ना देखने से आपको क्या नुकसान हो सकता है। जब बात पर्सनल फाइनेंस की आती है, तो बिजनेस चैनल आपको दुनिया की नई जानकारियों से अवगत कराते हैं और आपके वित्तीय मामलों से जुड़े फैसले पूरी जानकारी के साथ और समय पर करने में मददगार साबित होते हैं।
#1: RBI की मौद्रिक नीति में बदलाव और इसके परिणाम:
RBI देश का सेंट्रल बैंक है, और इसके मुख्य उद्देश्य में से एक इकोनॉमी में नकदी की आपूर्ति पर नियंत्रण रखना है। RBI रेपो रेट, कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) और स्टैचुटरी लिक्विडिटी रेश्यो (SLR) में मौद्रिक नीति समीक्षा के जरिए बदलाव करता रहता है, ताकि सिस्टम में नकदी के प्रवाह पर नियंत्रण रखा जा सके।
इन बदलावों का आपके पर्सनल फाइनेंस पर गहरा असर हो सकता है
रेपो रेट (RBI जिस दर पर व्यावसायिक बैंकों को कर्ज़ देता है) में बढ़ोतरी से आपको बैंकों से मिलने वाले कर्ज़ की ब्याज दरों पर असर हो सकता है। आपका कर्ज़ महंगा या सस्ता हो सकता है। इसी तरह, बैंक में जमा की जा रही राशि पर मिल रहे ब्याज दरों में भी बदलाव हो सकता है। ब्याज दरों का रुख काफी हद तक रेपो रेट में बदलाव पर निर्भर करता है।
बिजनेस चैनल ऐसी खबरों की जल्दी और बेहतर तरीके से विश्लेषण करते हैं ताकि आप छोटी अवधि के निवेश के लिए योजना बना सकें। इस जानकारी के जरिए होम लोन या पर्सनल लोन का प्री-पेमेंट, बचे हुए लोन को दूसरे बैंक में ट्रांसफर जैसी योजना पर काम कर सकते हैं।
#2: बाज़ार की स्थिति:
बिजनेस चैनल अपने स्क्रीन के निचले हिस्से में जो टिकर चलाते हैं उन पर सभी शेयरों की ताज़ा कीमतें दिखाई जाती हैं। सेंसेक्स का भाव, डॉलर इंडेक्स, करेंसी रेट्स, सोना-चांदी जैसी कमोडिटी का भाव आदि टिकर पर लगातार चलते रहते हैं। एक आम आदमी के लिए इस तरह की जानकारी से छोटी अवधि में बाज़ार की चाल का विस्तृत अंदाज़ा मिल जाता है। हालांकि, ट्रेडर्स के लिए, इस तरह की जानकारी सोने की खान की तरह है, क्योंकि इस जानकारी के बदौलत वो खरीदारी या बिकवाली का फैसला ले सकते हैं।
#3: नीतिगत बदलाव और अन्य घटनाक्रम:
भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में कई बड़े और महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव और घटनाक्रम होते रहते हैं। उदाहरण के तौर पर, ऐसा कहा जाता है कि चीन में अगर मंदी आती है तो उसका असर कमोडिटी कीमतों पर देखने को मिलता है, जो वैश्विक मंदी का बड़ा कारण हो सकता है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का फायदा सरकार ग्राहकों को पेट्रोल, डीजल की कीमतें कम करके देती है। फिर BREXIT जैसे हालात भी आते हैं, जिसका असर सालों तक रहता है। कहने का मतलब यह है कि घरेलू या वैश्विक अर्थव्यवस्था में इस तरह के बदलावों के बारे में आपको बिजनेस चैनल के जरिए जानने और समझने का मौका मिलता है। इस तरह की खबरों के जरिए आप लंबी अवधि की निवेश योजना बना सकते हैं।
#4: टैक्स नियम बदलाव और दायित्व:
बजट में बड़ी घोषणाओं की बजाए, सरकार द्वारा टैक्स व्यवस्था में लगातार होते बदलावों की जानकारी पूरे साल दी जाती है। उदाहरण के तौर पर, हाल में सरकार ने विदेशी टैक्स क्रेडिट पर अंतिम नियमों की घोषणा की है। यह अनिवासी भारतीयों (NRIs) के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारतीय टैक्स रिटर्न में भुगतान किए गए विदेशी टैक्स के क्लेम के लिए विदेशी टैक्स क्रेडिट नियम बेहद जरूरी है। इसी तरह बिजनेस चैनल आपको टैक्स नियम और इसकी समय सीमा के बारे में हमेशा कुछ नई जानकारी देते रहते हैं। चाहे वो टैक्स रिटर्न दाखिल करना हो, एडवांस टैक्स रिटर्न फाइलिंग, TDS जमा करना और जरूरी सर्टिफिकेट जारी करना आदि।
#5: विशेषज्ञों से सीखें:
ईटी नाउ, ब्लूमबर्ग और सीएनबीसी जैसे बिजनेस चैनलों में टैक्स, पर्सनल फाइनेंस, रियल एस्टेट, स्टार्ट-अप जैसे मुद्दों पर खास कार्यक्रम दिखाए जाते हैं। एक समय में एक विषय पर ध्यान देना और उसकी जानकारी हासिल करना सही तरीका होता है। इसलिए इस तरह के शो देखने और विभिन्न प्रतिष्ठित विशेषज्ञों की राय जानने से जानकारी बढ़ती है, जिसका इस्तेमाल आप अपने व्यक्तिगत विकास के लिए कर सकते हैं। मान लीजिए, अगर आप अब तक पारंपरिक निवेश उत्पादों तक ही सीमित हैं, तो आप पैसा बनाने वाले नए विकल्पों के बारे में जान सकते हैं, जिनके बारे में आपने अब तक सोचा नहीं होगा। आप यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान जैसे उत्पादों के जरिए कम जोखिम उठाते हुए शेयर बाज़ार में निवेश करने के बारे में भी सीख सकते हैं।
निष्कर्ष
मौजूदा दौर में हर घंटे निरंतर बदलाव और नई घटनाएं होती रहती हैं। ऐसे में बिजनेस चैनल ताजा अपडेट के साथ वित्तीय मामलों पर विशेषज्ञों की राय मुहैया कराते हैं ताकि आप अपने निवेश को बेहतर दिशा देने के साथ आर्थिक रूप से समझदार भी बन सकें। अगर आप अपने पैसों को बढ़ाने और निवेश को बेहतर करने के लिए और अधिक तरीके जानना चाहते हैं, तो यहां पैसों के मामलों में ज्यादा जागरुक रहने के लिए 6 व्यावहारिक तरीके दिए गए हैं।
विषय: वित्तीय सलाह, फाइनेंशियल प्लानिंग, पैसा, रिटायरमेंट प्लानिंग, पैसों का प्रबंधन