Bank Crisis in US: अमेरिका में लगातार डूब रहे बैंक, अगर भारत में बैंक डूबा तो आपके पैसे का क्या होगा?

अमेरिका में आए बैंकिंग सकंट को देखते हुए सवाल खड़ा हो रहा है कि अगर भारत में भी ऐसा संकट आया तो लोगों की जमा पूंजी का क्या होगा?

Bank Crisis in US

Bank Crisis in US: दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका में बैंकिंग संकट गहरा गया है। सिलिकॉन वैली बैंक के बाद न्यूयॉर्क के प्रतिष्ठित सिग्नेचर बैंक पर भी ताला लग गया है। दुनियाभर के बाजार अमेरिकी बैंकिंग संकट के चलते सहमे हुए हैं। हर रोज गिरते बाजार संभलने का नाम ही नहीं ले रहे। कुछ लोग इस बैंकिंग संकट को 2008 में आई महामंदी से जोड़कर देख रहे हैं और कह रहे हैं कि ये दोबारा महामंदी आने का संकेत है।

सवाल खड़ा हो रहा है कि अमेरिकी बैंकों के डूबने का क्या भारतीय बैंकों पर भी असर होगा? क्या भारतीय बैंक इस मंदी को झेल पाने की हालत में हैं? क्या हमारे बैंकों की हालत भी अमेरिकी बैंकों के जैसी होने वाली है? चौथा और सबसे जरूरी सवाल- अगर बैंक डूबे तो आपके पैसों को क्या होगा जो आपने बैंक में जमा किए थे?

एक-एक कर हम इन सारे सवालों का जवाब देंगे। सबसे पहले तो ये समझ लीजिए कि हमारी हालत अमेरिका जैसी नहीं होने वाली है। ऐसा हम भारतीयों की एक आदत की वजह से है और वो है सेविंग की आदत। हम भारतीय कर्ज से ज्यादा बचत में विश्वास रखते हैं। कर्ज लेकर कोई सामान खरीदने से बेतहर लोग धीरे-धीरे पैसे जोड़कर किसी सामान को खरीदने पर ज्यादा जोर देते हैं। इसके लिए तरह-तरह से लोग पैसा जमा करते हैं। कई लोग आज भी गुल्लक में पैसा डालते हैं। कई लोग एसआईपी में तो कई म्यूच्युअल फंड में तो कई लोग सोना और प्रॉपर्टी में निवेश करते हैं। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक 2027 में भारतीय लोगों की वित्तीय सेविंग 135 लाख करोड़ से बढ़कर 315 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी। 

एक्सपर्ट्स का मानना है कि यही बचाने की आदत हमें और हमारे बैंकों को बचाएगी। दूसरी बात ये कि हम कभी भी पैसा एक जगह निवेश नहीं करते बल्कि अपना निवेश बांटकर रखते हैं। थोड़ा पैसा शेयर बाजार, थोड़ा पैसा बीमा, एफडी, पोस्ट ऑफिस, सरकारी योजना, सोना और ऐसी कई चीजें हैं जहां हम पैसा लगाते हैं। 

दूसरे तरफ अमेरिका की बात की जाए तो अमेरिका में कर्ज लेना बड़ी सामान्य सी बात है। अमेरिका में ब्याज दरें भी कम है लिहाजा लोग धडल्ले से लोन लेते है। वहीं भारत में ब्याज की दर ज्यादा है इसलिए लोग लोन लेने से बचते हैं।

 

Bank Crisis in US: दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका में बैंकिंग संकट गहरा गया है। सिलिकॉन वैली बैंक के बाद न्यूयॉर्क के प्रतिष्ठित सिग्नेचर बैंक पर भी ताला लग गया है। दुनियाभर के बाजार अमेरिकी बैंकिंग संकट के चलते सहमे हुए हैं। हर रोज गिरते बाजार संभलने का नाम ही नहीं ले रहे। कुछ लोग इस बैंकिंग संकट को 2008 में आई महामंदी से जोड़कर देख रहे हैं और कह रहे हैं कि ये दोबारा महामंदी आने का संकेत है।

सवाल खड़ा हो रहा है कि अमेरिकी बैंकों के डूबने का क्या भारतीय बैंकों पर भी असर होगा? क्या भारतीय बैंक इस मंदी को झेल पाने की हालत में हैं? क्या हमारे बैंकों की हालत भी अमेरिकी बैंकों के जैसी होने वाली है? चौथा और सबसे जरूरी सवाल- अगर बैंक डूबे तो आपके पैसों को क्या होगा जो आपने बैंक में जमा किए थे?

एक-एक कर हम इन सारे सवालों का जवाब देंगे। सबसे पहले तो ये समझ लीजिए कि हमारी हालत अमेरिका जैसी नहीं होने वाली है। ऐसा हम भारतीयों की एक आदत की वजह से है और वो है सेविंग की आदत। हम भारतीय कर्ज से ज्यादा बचत में विश्वास रखते हैं। कर्ज लेकर कोई सामान खरीदने से बेतहर लोग धीरे-धीरे पैसे जोड़कर किसी सामान को खरीदने पर ज्यादा जोर देते हैं। इसके लिए तरह-तरह से लोग पैसा जमा करते हैं। कई लोग आज भी गुल्लक में पैसा डालते हैं। कई लोग एसआईपी में तो कई म्यूच्युअल फंड में तो कई लोग सोना और प्रॉपर्टी में निवेश करते हैं। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक 2027 में भारतीय लोगों की वित्तीय सेविंग 135 लाख करोड़ से बढ़कर 315 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी। 

एक्सपर्ट्स का मानना है कि यही बचाने की आदत हमें और हमारे बैंकों को बचाएगी। दूसरी बात ये कि हम कभी भी पैसा एक जगह निवेश नहीं करते बल्कि अपना निवेश बांटकर रखते हैं। थोड़ा पैसा शेयर बाजार, थोड़ा पैसा बीमा, एफडी, पोस्ट ऑफिस, सरकारी योजना, सोना और ऐसी कई चीजें हैं जहां हम पैसा लगाते हैं। 

दूसरे तरफ अमेरिका की बात की जाए तो अमेरिका में कर्ज लेना बड़ी सामान्य सी बात है। अमेरिका में ब्याज दरें भी कम है लिहाजा लोग धडल्ले से लोन लेते है। वहीं भारत में ब्याज की दर ज्यादा है इसलिए लोग लोन लेने से बचते हैं।

 

संवादपत्र

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