- Date : 22/06/2021
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- Read in English: 4 Mathematical concepts that can prove useful for investors
इन चार मैथ्स कॉन्सेप्ट्स में महारत हासिल करके निवेशक अपनी निवेश क्षमताओं को बढ़ा सकते हैं.

शेयर बाजारों में पैसा लगाने के बारे में सोच रहे लोगों को इक्विटी में निवेश करने के लिए कुछ ख़ास गुण अपनाने होते हैं. उन्हें रिसर्च और एनालिसिस में तेज़ होना चाहिए, व्यावहारिक फाइनेंस की समझ होनी चाहिए, धैर्य, अनुकूलन क्षमता, एक मज़बूत स्वभाव और जानने की ललक होनी चाहिए.
गणित तो निवेश का बस एक छोटा सा हिस्सा है. अगर गणित का हिसाब लगाने से ही हर निवेश कामयाब होता, तो मशहूर बी-स्कूलों के सभी विद्वान अर्थशास्त्री और गणितज्ञ अब तक अरबपति हो गए होते. फिर भी, मैथ्स के कुछ कॉन्सेप्ट्स को समझना एक निवेशक के रूप में आपके लिए उपयोगी सकता है. कुछ रेश्यो यहाँ बताए गए हैं:
1. फ्रैक्शन और रेश्यो
किसी कंपनी की परफॉरमेंस को दर्शाने वाले फाइनेंशियल स्टेटमेंट सभी के लिए उपलब्ध हैं. बस ज़रूरत है इन्हें ‘सही तरह से समझने’ वाले शख्स की. आखिरकार, फाइनेंशियल स्टेटमेंट पर मौजूद ये संख्याएँ एबसल्यूट हैं और अलग-अलग पढ़ने पर इनका कोई वास्तविक मूल्य नहीं होता.
ऐसे में ही रेश्यो और फ्रैक्शन को अलग-अलग देखने की ज़रूरत पड़ती है. रेश्यो एक दूसरे के साथ कनजंक्शन में पढ़ी गई दो संख्याओं के बीच एक क्वांटिटेटिव रिलेशनशिप है.
उदाहरण के लिए, 10% का नेट प्रॉफिट रेश्यो हमें बताता है कि कंपनी ने 100 करोड़ रूपये के रेवेन्यु बेस पर 10 करोड़ रूपये का लाभ कमाया. एबसल्यूट वैल्यू की का कोई वास्तविक वैल्यू नहीं होती लेकिन 10% प्रॉफिट मार्जिन की तुलना अलग-अलग वित्तीय वर्षों के साथ-साथ एक ही सेक्टर की दूसरी कंपनियों की साथ की जा सकती है.
रेश्यो एनालिसिस किसी भी फाइनेंशियल स्टेटमेंट के फंडामेंटल एनालिसिस शुरू करने के लिए एक अहम आधार बन सकता है. इससे फाइनेंशियल स्टेटमेंट देखने वाले को दूसरे लोगों की तुलना में या समय-समय पर कंपनी की परफॉरमेंस पर नज़र रखने में मदद मिलती है.
जब आप इन फ्रैक्शन्स के पीछे के गणित को समझ लेते हैं, तो कंपनी के महत्वपूर्ण फंडामेंटल रेश्योज़ जैसे कि डैट टू इक्विटी, रिटर्न ऑन कैपिटल एम्प्लोएड, प्राइस टू अर्निंग्स आदि को कैलकुलेट करते समय यह बहुत काम आता है.
आइए प्राइस टू अर्निंग्स (पी/ई) रेश्यो को अधिक विस्तार से देखें. यह सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले रेश्यो में से एक है जो किसी कंपनी की कमाई की तुलना उसके मार्किट प्राइस से करता है. दूसरे शब्दों में, यह किसी कंपनी के वैल्यूएशन को दर्शाता है.
उदाहरण के लिए, अगर पी/ई 10 गुना है, तो इसका मतलब है कि निवेशक 1 रुपया (ईपीएस) कमाने के लिए 10 रूपये (मार्किट प्राइस) देने को तैयार है. इससे कंपनी में ग्रोथ की उम्मीदों का भी अनुमान लगता है.
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2. प्रतिशत
प्रतिशत की मदद से, निवेशक नेट प्रॉफिट मार्जिन, इंटरेस्ट पेआउट और फ्यूचर ग्रोथ जैसे महत्वपूर्ण इन्वेस्टमेंट मेट्रिक्स को जल्दी कैलकुलेट कर सकते हैं. प्रतिशत के इस्तेमाल से आप कंपाउंडिंग इन्वेस्टमेंट की पावर को भी समझ सकते हैं.
उदाहरण के लिए:
इक्विटी में निवेश किया गया अमाउंट |
सीएजीआर |
टेन्योर/समय अवधि |
कॉरपस की वैल्यू |
रु. 10,000 | 10% |
10 साल |
रु. 25,937 |
रु. 10,000 | 12% |
10 साल |
रु. 25,937 |
रु. 10,000 | 15% |
10 साल |
रु. 25,937 |
अगर आप इक्विटी में 10,000 रुपये का निवेश करते हैं और 10% की सीएजीआर कमाते हैं, तो 10 साल के अंत में आपके पास 25,937 रुपये होंगे.
अगर आप इक्विटी में 10,000 रुपये का निवेश करते हैं और 12% की सीएजीआर कमाते हैं, तो 10 साल के अंत में आपके पास 31,058 रुपये होंगे.
अगर आप इक्विटी में 10,000 रुपये का निवेश करते हैं और 15% की सीएजीआर कमाते हैं, तो 10 साल के अंत में आपके पास 40,455 रुपये होंगे.
आप एक इन्वेस्टमेंट कैलकुलेटर का इस्तेमाल करके भी रिज़ल्ट कैलकुलेट कर सकते हैं.
प्रतिशत के माध्यम से हानि और लाभ के प्रभाव को समझना आसान है. उदाहरण के तौर पर, कल्पना कीजिए कि किसी शेयर की कीमत 400 रुपये है. यदि यह 20% गिर जाता है, तो कीमत 320 रुपये हो जाती है. हालांकि, 320 रुपये से 400 रुपये पर वापस जाने के लिए शेयर को 25% तक बढ़ना होगा. यह स्टॉप लॉस की अहमियत को सामने रखता है.
इसलिए, हरेक निवेशक को निवेश या ट्रेडिंग करते समय प्रतिशत का समझदारी से इस्तेमाल करना आना चाहिए.
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3. नियम 72
नियम 72 एक आसान फ़ॉर्मूला है जिसका इस्तेमाल यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि पैसों को दोगुना होने में कितने साल लगेंगे, अगर ब्याज दर मालूम हो तो. उदाहरण के लिए, मान लीजिए आपके पा 10,000 रुपये हैं. अगर इस पर ब्याज की दर 9% है, तो आपको 72 को 9 से भाग देना होगा. इस मामले में जवाब होगा 8. यानी, 10,000 रुपये को दोगुना होने में 8 साल लगेंगे.
इस नियम का इस्तेमाल महंगाई दर का अनुमान लगाने के लिए भी किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, मान लें कि किराने के सामान पर आपका हर महीने 3000 रुपये खर्च होता है. अगर अगले दशक में औसत वार्षिक मुद्रास्फीति दर 8% बनी रहती है, तो किराने के सामान पर आपका खर्च 9 साल बाद 6000 रुपये प्रति माह होगा.
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4. संभावना
शेयर बाजार में निवेश करना हमेशा फायदेमंद नहीं होता है. कोई भी पूरी तरह से सही नहीं हो सकता. हालांकि, स्वयं किए गए विश्लेषण से आपको फायदा मिलना चाहिए.
स्टॉक में निवेश मुख्य रूप से कंपनी के भविष्य के दृष्टिकोण और व्यापार में बढ़त की संभावनाओं में एक निवेश है. भविष्य में क्या होगा यह कोई भी नहीं जान सकता, कई मापदंडों का विश्लेषण करके बेहतर निवेश का रास्ता बनाना चाहिए.
कुछ ज़रूरी फैक्टर्स जैसे स्टॉक का वैल्यूएशन, कंपनी की प्रोफिटेबिलिटी, भविष्य के ग्रोथ की संभावनाएं, मैनेजमेंट की क्वालिटी, विकास बने रहना आदि हैं. कई इंडीकेटर्स और पैरामीटर का विश्लेषण करने के बाद, आप यह तय कर सकते हैं कि भविष्य में कंपनी के बढ़ने की संभावना 90% है.
अगला कदम यह समझना होगा कि क्या आप किसी ऐसी कंपनी में निवेश करने के इच्छुक होंगे जिसके सही होने की संभावना 90% हो. इस तरह, आप निवेश के विभिन्न अवसरों का मूल्यांकन कर सकते हैं.
इसलिए आपके निवेश से लाभ होने की संभावना होने पर आप आसानी से स्टॉक पर दांव लगा सकेंगे. दूसरे शब्दों में कहें तो, शेयर बाजार में निवेश करने के लिए कोई बनी-बनाई तरकीब नहीं नहीं है, केवल आपका तर्कसंगत निर्णय ही आपको एक स्थायी और लाभदायक निवेशक बना सकता है.
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और आखिर में
हो सकता है शेयर बाजार उतना जटिल न हो जितना लगता है. आपको केवल कुछ सरल मैथ्स के कॉन्सेप्ट समझने होंगे जिन्हें आपने स्कूल में सीखा हो और निवेश के लिए सफलता पाने के लिए उन्हें उपयुक्त परिस्थितियों में लागू करना है. निवेश करते समय आपको किस प्रकार के जोखिमों के बारे में पता होना चाहिए.