Budget 2019: Faceless assessment proposed

इसका लक्ष्य करदाता और आयकर कार्यालय के बीच संपर्क में कमी लाना और भ्रष्‍टाचार को खत्म करना है

बजट 2019: फेसलिफ्ट असेसमैन

फेसलेस असेसमेंट क्‍या है?

जब फेसलेस चैनल के माध्यम से वित्तीय जांच या असेसमेंट किया जाएगा, तो जहां एक ओर करदाता को किसी भी कर अधिकारियों के साथ संपर्क नहीं करना होगा, वहीं दूसरी तरफ, असेसमेंट ऑफिसर के पास भी उस असेसी का कोई व्यक्तिगत विवरण नहीं होगा, जिसके रिकॉर्ड की जांच की जाएगी।

तकनीक का लाभ उठाते हुए, आयकर विभाग सत्यापन, जांच और मूल्यांकन का कार्य आसानी से पूरा कर सकेगा, वह भी बिना सामने आए पारदर्शी और त्वरित तरीके से।

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बदलाव क्यों?

देश में जहां कई लोग टैक्‍स देने से बचते हैं, गलत कामों में लिप्‍त हैं या कभी भी टैक्‍स फाइल नहीं करते, इसके चलते देश में अभी भी टैक्‍स रिपोर्ट बहुत कम है। वित्‍त मंत्री सीतारमण ने बजट 2019 में अपने पहले भाषण में कहा, "आयकर विभाग में जांच की मौजूदा प्रणाली में करदाता और विभाग के बीच बड़े स्तर पर व्यक्तिगत संपर्क होता है, जिसके चलते टैक्‍स अधिकारियों की ओर से कुछ अवांछनीय चीजें भी सामने आती हैं।"

आयकर विभाग को सही डिजिटल उपकरण प्रदान करने और टैक्‍स रिपोर्ट के लिए एक प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए, यह अपनी तरह का पहला असेस्‍मेंट सिस्‍टम है जिसका उद्देश्‍य किसी भी प्रकार के भ्रष्‍टाचार को कम करना और खत्म करना है।

क्या उम्मीद है?

आरंभ में, ई-असेसमेंट का प्रयोग उस अवस्‍था में किया जाएगा जब फाइलिंग में विशिष्ट लेनदेन या विसंगति के चलते ध्‍यान देने की जरूरत होगी। स्‍क्रूटनी के लिए कोई खास मामला बिना किसी क्रम के असेसमेंट यूनिट को सौंपा जाएगा और असेसी को सेंट्रल सेल की ओर से इलेक्‍ट्रॉनिक माध्‍यम से नोटिस भेजे जाएंगे।

यह सेंट्रल सेल असेसी और आईटी विभाग के बीच संपर्क का एकल बिंदु होगा। करदाता और असेसमेंट करने वाले अधिकारी दोनों का व्यक्तिगत विवरण और स्थान अज्ञात रहेगा।

आगे क्‍या होगा?

जब एक अधिकार क्षेत्र से मुक्त और फेसलेस असेसमेंट के लिए मूल सिफारिश सीबीडीटी के एक आंतरिक टास्क फोर्स से प्राप्‍त होने के बाद, सरकार द्वारा सिस्टम-आधारित वेरिफिकेशन चैनल की संरचना तैयार करने के लिए एक उच्च-स्तरीय प्रत्यक्ष कर पैनल को जिम्‍मेदारी सौंपी है।

टास्क फोर्स की अगुवाई सीबीडीटी के अखिलेश रंजन, राजस्व विभाग के संयुक्त सचिव ऋत्विक पांडे, मुख्य आर्थिक सलाहकार के सुब्रमण्यन करेंगे। वहीं पूर्व सीईए अरविंद सुब्रमण्यन टास्क फोर्स के विशेष स्थायी सदस्य होंगे।

टास्क फोर्स को 31 जुलाई तक एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी जो कि फेसलेस असेसमेंट के लिए तौर-तरीके तय करेगी, करदाताओं के अनुपालन के बोझ को कम करने, मुकदमेबाजी को कम करने के रास्‍ते खोजेगी और जीएसटी अधिकारियों, सीमा शुल्क विभाग और वित्तीय खुफिया इकाइयों के बीच संचार का एक माध्यम बनेगी।

देश की आर्थिक आवश्यकताओं को प्राथमिकता देते हुए अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल कर, टास्क फोर्स को टैक्‍स कानूनों को सरल बनाने और फिर से लिखने के लिए कहा जाएगा। ये पढ़ें  केंद्रीय बजट 2019 की मुख्य विशेषताएं

संवादपत्र

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