Buy a weekend home

क्या आप दुविधा में हैं कि आपको वीकेंड होम लेना चाहिए या नहीं? या फिर पैसों को किसी दूसरे निवेश विकल्प में लगाना बेहतर है? इस बात का फैसला लेने के पहले इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

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सबसे जरूरी सवाल – किसे वीकेंड होम कहते हैं?

वीकेंड होम वो आपका दूसरा घर या छुट्टियां बिताने के लिए लिया गया घर है, जिसे आपने सिर्फ आराम करने के मकसद से खरीदा है। ज्यादातर लोग ठंडे और पहाड़ों वाले इलाकों में वीकेंड होम खरीदना पसंद करते हैं, ताकि वो सप्ताहांत में शहर के शोर-गुल से मुक्ति पा सकें। कुछ लोगों के लिए वीकेंड होम या दूसरा घर रिटायरमेंट के बाद रहने का प्रबंध होता है। कई लोग घर खाली रहने पर उसे किराए पर भी देते हैं और इससे उन्हें अतिरिक्त कमाई भी होती है। लेकिन, क्या ये सब वजहें वीकेंड होम खरीदने के लिए पर्याप्त हैं?

क्या वीकेंड होम खरीदना अच्छा विकल्प है?

इस स्थिति पर गौर करिए – आपके पास इतने पैसे हैं कि आप एक घर खरीद सकते हैं या महीने भर की यूरोप सैर पर जा सकते हैं। इसमें से आप क्या चुनेंगे? कुछ साल पहले घर खरीदना बेहतर फैसला होता, लेकिन अब ऐसा नहीं है। आजकल के युवाओं की सोच अलग है और इसका रियल एस्टेट बाजार पर भी असर दिखा है। घर बसाने के बजाय ज्यादातर युवा जिंदगी का पूरा मजा उठाना पसंद करते हैं। इसकी कई वजहे हैं:

  • नई पीढ़ी के ज्यादातर युवाओं पर शिक्षा कर्ज का बोझ होता है। दिसंबर 2016 को कुल बकाया शिक्षा कर्ज करीब 72,336 करोड़ रुपये था। 
  • पहले मुकाबले निर्वाह-खर्च में काफी बढ़ोतरी हुई है। पिछले तीन सालों में शिक्षा खर्च 13 फीसदी, घर खरीदने का खर्च 10 फीसदी, स्वास्थ्य सेवा खर्च 14 फीसदी और बिजली 8 फीसदी बढ़ा है। 
  • पिछले दशक के मुकाबले आज के युवा जिंदगी का मजा लेने (यात्रा, इलेक्ट्रनिक्स और गैजेट्स) में विश्वास रखते है न कि जिम्मेदारियों के बोझ के तले दबना। एक सर्वे के मुताबिक 82 फीसदी युवा रिटायरमेंट, घर या परिवार से जुड़े किसी खर्च के बजाय अपने मजे के लिए बचत करते हैं।
  • मौजूदा बाजार में शहर में घर खरीदना पहले के मुकाबले बहुत महंगा हो गया है। किराए पर घर लेना ज्यादा किफायती विकल्प है। मुंबई में ही 1 करोड़ रुपये से ज्यादा महंगे घरों में 69 फीसदी बिक नहीं सके हैं।

मुख्य घर को सुरक्षित करने का महत्व

जब बात वीकेंड होम खरीदने की हो, तो आप इस विकल्प के बारे में सिर्फ तब ही सोचिए जब आपका मुख्य घर सुरक्षित हो गया हो। क्योंकि, अगर आपका पहला घर कर्ज मुक्त नहीं है तब आपके दूसरे घर के कर्ज को न चुका पाने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा दूसरे घर के रख-रखाव पर भी खर्चा करना पड़ता है और अगर आप इसे किराए पर देते हैं तो घर के मूल्य के 2-7 फीसदी के बराबर ही किराए के तौर पर आपको मिलेगा। 

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घर का स्थान सबसे अहम है

मुख्य घर या दूसरा घर (या वीकेंड होम) के फायदों को अनदेखा करते हुए आज की पीढ़ी अच्छी और सुविधाजनक जगह पर घर किराए पर लेना पसंद करती है। आप सोच रहे हैं कि सुविधाजनक स्थान क्या है? सोचिए कितनी बार आपके मन में ख्याल आया होगा कि काश आप ऑफिस के करीब रहते होते? लेकिन, रियल एस्टेट के बढ़ते दाम को देखते हुए शहर के मुख्य भाग में घर लेना करीब असंभव हो गया है, खासतौर पर नौकरी मिलने के शुरुआती दिनों में। और उपनगरों में घर खरीदना समझदारी की बात नहीं है, क्योंकि आपको काफी वक्त ऑफिस आने-जाने में गुजराना पड़ेगा। 

इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए कि आजकल ज्यादातर लोगों को काम के लिए बार-बार यात्रआ करनी पड़ती है, इसलिए वो लोग किराए पर रखना पसंद करते हैं। साथ ही, आज के युवा नौकरी के मौके के मुताबिक शहर बदलने का भी विकल्प अपने पास रखना चाहते हैं। अगर चाहे शहर बदलने का मौका बार-बार न भी आए, तब भी युवाओं के लिए घर ऑफिस के नजदीक होने महत्वपूर्ण है। 

वीकेंड होम का स्थिरता के साथ क्या संबंध है?

वीकेंड होम खरीदने से पहले अपनी वित्तीय हालत पर गौर कीजिए। अपनी पूंजी, करियर और निजी स्थिरता को सही तरीके से आंकिए। क्या आपका वेतन मौजूदा स्तर पर कायम रहेगा, या बढ़ेगा या फिर वेतन घटने की संभावना है? क्या आप खरीदए हुए घर में 8-10 साल बिताने के लिए तैयार हैं? अगर आप अपने जीवनसाथी के साथ मिलकर घर खरीद रहे हैं तो क्या आपको भरोसा है कि तलाक होने या जीवनसाथी से अलग होने का असर कर्ज के भुगतान पर नहीं पड़ेगा? अगर इन सवालों में से एक का जवाब नहीं है तो फिर आपको वीकेंड होम या दूसरा घर खरीदने पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। 

अगर आपने वीकेंड होम खरीदने का फैसला कर लिया है, तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें:

  • अगर आप प्री-ओन्ड घर खरीद रहे हैं, तो कुछ दिन उस घर में बिताकर देखें ताकि आपको पता चल जाए कि घर के साथ आसपास की जगह भी आपके मन मुताबिक है। आप उस घर को खरीदने बिताने वाले हैं इसलिए जगह से ऊब जाने के बाद घर बदलने का विकल्प नहीं होगा। 
  • ये प्रॉपर्टी आपका दूसरा घर होगा इसलिए इसके ज्यादातर वक्त के लिए खाली रहने की संभावना होगी। लेकिन, इसके भी नियमित रख-रखाव की जरूरत पड़ेगी। 
  • अगर आप दूसरे घर में कभी-कभार रहने वाले हैं, तो आसानी से किराए पर दिए जा सकने वाले घर को ही खरीदिए। इसका मतलब है घर के स्थान तक पहुंचना आसान हो और घर में बुनियादी सुविधाएं हों जैसे बिजली, पानी, रसोई गैस, आदि। 
  • जब आप दूसरे घर में नहीं रह रहे हों उस वक्त के लिए आपको घर का ख्याल रखने के लिए किसी व्यक्ति को नियुक्त करना पड़ेगा। साथ ही, सुरक्षा प्रबंध करना भी जरूरी है। 
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आप दूसरा घर या वीकेंड होम खरीदने में लगने वाले पैसों को दूसरे निवेश विकल्पों जैसे म्युचुअल फंड, शेयर या बॉन्ड में भी लगा सकते हैं। निवेश विकल्प के प्रकार के आधार पर आप ब्याज दर और निश्चित अवधि में मिलने रिटर्न का अनुमान लगा सकते हैं। 

प्रॉपर्टी के दाम बढ़ोतरी बनाम निवेश पर मिलने वाला रिटर्न

ये बात ध्यान रखने वाली है कि जो आपको प्रॉपर्टी से रिटर्न मिलेगा वो म्युचुअल फंड, बॉन्ड और शेयरों में निवेश करके मिलने वाले रिटर्न से अलग होगा।

जैसे, साल 2000 में 15 लाख रुपये की प्रॉपर्टी की आज कीमत 75 लाख रुपये है। इसका मतलब 12 सालों में प्रॉपर्टी की कीमत में 60 लाख रुपये की बढ़ोतरी हुई है। 

वहीं, जब दूसरे निवेश विकल्पों से इसकी तुलना करें तो बैंक डिपॉजिट 9 फीसदी का सालाना ब्याज देते हैं। वहीं, कंपाऊंड ऐन्यूअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) की मदद से प्रॉपर्टी पर मिलने वाले सालाना रिटर्न का पता लगा सकते हैं। इस उदाहरण में प्रॉपर्टी की कीमत में 13 सालों में (जनवरी 2000 से जनवरी 2013 तक) से 13.17 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। 

वहीं, अगर 15 लाख रुपये इसी अवधि के लिए लार्ज-कैप म्युचुअल फंड में लगाए गए होते तो आपको करीब 1 करोड़ रुपये मिलते (18 फीसदी की दर से)। 

इससे दिखता है कि कुछ म्युचुअल फंड में निवेश करने से लंबी अवधि में आपको प्रॉपर्टी से भी ज्यादा रिटर्न मिल सकते हैं। 

आप कहां पैसा लगाएंगे इसका फैसला आपकी जोखिम उठाने की क्षमता पर भी निर्भर करता है। जहां एक ओर प्रॉपर्टी के साथ कम जोखिम जुड़ा है, वहीं दूसरे विकल्पों में जोखिम ज्यादा होता है (ये निवेश विकल्प के प्रकार पर निर्भर है)। इसलिए चुनाव करने से पहले इन बातों पर ध्यान दें ताकि आप अपने पैसों को बेहतर तरीके से निवेश कर पाएं। 

चाहे आपका पहला घर हो या वीकेंड होम, प्रॉपर्टी खरीदने से बेहतर मौजूदा घर खरीदना बेहतर है। घर का निर्माण करना सुनने में अच्छा लगता हो, लेकिन अगर आप सभी बातों पर गौर करेंगे तो ये काफी मुश्किल भरा काम है। साथ ही, घर के निर्माण के वक्त भी लगता है और ज्यादा महंगा भी पड़ सकता है।  

डिस्क्लेमरयह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी उद्देश्य के लिए है और इसे निवेशबीमाकर या कानूनी सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। इन क्षेत्रों से संबंधित निर्णय लेने के पहले विशेषज्ञों से स्वतंत्र सलाह प्राप्त करें। 

 

संवादपत्र

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