Reasons for FII withdrawing : भारतीय स्‍टॉक्‍स से लगातार पैसे निकाल रहे हैं

एफआईआई भारतीय स्‍टॉक्‍स से लगातार पैसे निकाल रहे हैं

FLLS Stocks

साल 2022 स्‍टॉक मार्केट्स के लिए कई चुनौतियों के साथ आया है। दुनिया मुद्रास्फीति के रिकॉर्ड उच्च स्तर से लड़ रही है, और रूस-यूक्रेन युद्ध आपूर्ति में बाधा डाल रहा है। आपूर्ति की यह बाधाएं मुद्रास्फीति पर और दवाब डाल रही हैं। जवाब में, यूएस फेडरल रिज़र्व ने पॉलिसी दरों को बढ़ा दिया है। जून में हुई आखिरी मीटिंग में, फेडरल रिज़र्व ने पॉलिसी की दरों में 75 bps की बढ़ोतरी की। साथ ही, आरबीआई ने इस तिमाही में रेपो रेट में 90 bps की बढ़ोतरी की। एक अनिर्धारित मीटिंग में 40 bps की बढ़ोतरी की गई थी, और जून में आरबीआई की एक निर्धारित पॉलिसी मीटिंग में 50 bps की बढ़ोतरी की गई थी। 

एफआईआई(FII) द्वारा पैसे की निकासी

एफआईआई इस साल भारतीय स्‍टॉक मार्केट्स से पैसे निकाल रहे हैं। पिछले दो महीनों में निकासी की मात्रा बढ़ी है। भारतीय स्‍टॉक्‍स मार्केट से एफआईआई की निकासी यहां दी गई है:- 

FLLs from Indian Stock Markets

जैसा कि हम ऊपर दे सकते हैं, एफआईआई ने कैश सेगमेंट से भारी मात्रा में निकासी कर रहे हैं। निकाली गई कुल राशि 2,80,167.73 करोड़ रुपये है। इसलिए, हम देख सकते हैं कि एफआईआई ने इस साल नकद भाग से भारी मात्रा में पैसा निकाला है।

यह निकासी पिछले साल अक्‍टूबर में शुरू हुई। अक्‍टूबर-दिसम्‍बर 2021 की निकासी नीचे दी गई है:-

Flls Withdrawals

इस प्रकार, हम देख सकते हैं कि एफआईआई भारतीय मार्केट से अपना पैसा निकाल रहे हैं। लेकिन घरेलू धन लगातार मार्केट में डाला जा रहा है जिसने एफआईआई की निकासी का मुकाबला किया है। यहां तक कि माननीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी, बड़े पैमाने पर पैसे की निकासी के बावजूद मार्केट को स्थिर रखने के लिए घरेलू निवेशकों की प्रशंसा की।

एफआईआई के पलायन के कारण

एफआईआई के पलायन के कारण ज्यादातर मुद्रास्फीति और ब्याज दर से संबंधित हैं। कारण नीचे संक्षेप में दिये गए हैं:-

  • अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि से आवश्यक पूंजी पर रिटर्न पर दबाव पड़ा है।
  • आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि से अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ा है।
  • दुनिया भर में उच्च मुद्रास्फीति से उच्च वैश्विक मुद्रास्फीति की परिस्थिति उत्पन्न हुई है।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध से आपूर्ति में बाधाएं आ रही हैं।
  • भारतीय स्‍टॉक मार्केट में कई स्टॉक्स का उच्च मूल्यांकन हुआ है।
  • 10 साल और 30 साल के बॉन्ड के लिए बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी हुई है।

विभिन्न विशेषज्ञों के अनुसार, बॉन्ड यील्ड में वृद्धि को रोकने से मार्केट को कुछ सहयोग मिल सकता है और संभवत: यह इक्विटी में निचला स्तर होगा। आपको इन अस्थिर मार्केट में नेविगेट करने पर अपना उचित मूल्‍यांकन करना चाहिए और अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लेनी चाहिए। 

साल 2022 स्‍टॉक मार्केट्स के लिए कई चुनौतियों के साथ आया है। दुनिया मुद्रास्फीति के रिकॉर्ड उच्च स्तर से लड़ रही है, और रूस-यूक्रेन युद्ध आपूर्ति में बाधा डाल रहा है। आपूर्ति की यह बाधाएं मुद्रास्फीति पर और दवाब डाल रही हैं। जवाब में, यूएस फेडरल रिज़र्व ने पॉलिसी दरों को बढ़ा दिया है। जून में हुई आखिरी मीटिंग में, फेडरल रिज़र्व ने पॉलिसी की दरों में 75 bps की बढ़ोतरी की। साथ ही, आरबीआई ने इस तिमाही में रेपो रेट में 90 bps की बढ़ोतरी की। एक अनिर्धारित मीटिंग में 40 bps की बढ़ोतरी की गई थी, और जून में आरबीआई की एक निर्धारित पॉलिसी मीटिंग में 50 bps की बढ़ोतरी की गई थी। 

एफआईआई(FII) द्वारा पैसे की निकासी

एफआईआई इस साल भारतीय स्‍टॉक मार्केट्स से पैसे निकाल रहे हैं। पिछले दो महीनों में निकासी की मात्रा बढ़ी है। भारतीय स्‍टॉक्‍स मार्केट से एफआईआई की निकासी यहां दी गई है:- 

FLLs from Indian Stock Markets

जैसा कि हम ऊपर दे सकते हैं, एफआईआई ने कैश सेगमेंट से भारी मात्रा में निकासी कर रहे हैं। निकाली गई कुल राशि 2,80,167.73 करोड़ रुपये है। इसलिए, हम देख सकते हैं कि एफआईआई ने इस साल नकद भाग से भारी मात्रा में पैसा निकाला है।

यह निकासी पिछले साल अक्‍टूबर में शुरू हुई। अक्‍टूबर-दिसम्‍बर 2021 की निकासी नीचे दी गई है:-

Flls Withdrawals

इस प्रकार, हम देख सकते हैं कि एफआईआई भारतीय मार्केट से अपना पैसा निकाल रहे हैं। लेकिन घरेलू धन लगातार मार्केट में डाला जा रहा है जिसने एफआईआई की निकासी का मुकाबला किया है। यहां तक कि माननीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी, बड़े पैमाने पर पैसे की निकासी के बावजूद मार्केट को स्थिर रखने के लिए घरेलू निवेशकों की प्रशंसा की।

एफआईआई के पलायन के कारण

एफआईआई के पलायन के कारण ज्यादातर मुद्रास्फीति और ब्याज दर से संबंधित हैं। कारण नीचे संक्षेप में दिये गए हैं:-

  • अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि से आवश्यक पूंजी पर रिटर्न पर दबाव पड़ा है।
  • आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि से अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ा है।
  • दुनिया भर में उच्च मुद्रास्फीति से उच्च वैश्विक मुद्रास्फीति की परिस्थिति उत्पन्न हुई है।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध से आपूर्ति में बाधाएं आ रही हैं।
  • भारतीय स्‍टॉक मार्केट में कई स्टॉक्स का उच्च मूल्यांकन हुआ है।
  • 10 साल और 30 साल के बॉन्ड के लिए बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी हुई है।

विभिन्न विशेषज्ञों के अनुसार, बॉन्ड यील्ड में वृद्धि को रोकने से मार्केट को कुछ सहयोग मिल सकता है और संभवत: यह इक्विटी में निचला स्तर होगा। आपको इन अस्थिर मार्केट में नेविगेट करने पर अपना उचित मूल्‍यांकन करना चाहिए और अपने वित्तीय सलाहकार से सलाह लेनी चाहिए। 

संवादपत्र

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