- Date : 10/05/2023
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नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने गो फर्स्ट को कर्जदारों द्वारा रिकवरी प्रक्रिया शुरू करने से सुरक्षा प्रदान करने पर सहमति जताई

Go First Crisis: एक बड़ी मशहूर कहावत है.. डूबते को तिनके का सहारा। ऐसा ही एक सहारा गो फर्स्ट को मिला है जिसकी उड़ान पिछले दस दिनों से बंद है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने गो फर्स्ट को कर्जदारों द्वारा रिकवरी प्रक्रिया शुरू करने से सुरक्षा प्रदान करने पर सहमति जताई है। एनसीएलटी ने अपने फैसले में कहा, 'हम दिवालिया कार्यवाही के लिए गो एयरलाइंस की याचिका स्वीकार करते हैं।'
जस्टिस रामलिंगम सुधाकर और एलएन गुप्ता की दो सदस्यीय पीठ ने कर्ज में डूबी कंपनी को चलाने के लिए अभिलाष लाल को अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया है। इस फैसले से कंपनी का अधिग्रहण बच गया है। कोर्ट द्वारा निलंबित निदेशक मंडल को तत्काल खर्च करने के लिए 5 करोड़ जमा करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, एनसीएलटी ने कंपनी को चालू संस्था के रूप में रखने और यह सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया कि किसी भी कर्मचारी की छंटनी ना हो।
4 मई को एनसीएलटी ने वाडिया समूह के स्वामित्व वाली कंपनी गो एयर और पट्टेदारों की सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिन्होंने अंतरिम सुरक्षा की मांग वाली याचिका का विरोध किया था।
पिछले 17 सालों से एविएशन सेक्टर में काम कर रहे गो फर्स्ट ने प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की अनुपलब्धता के कारण अपने आधे से अधिक बेड़े के ग्राउंडिंग के कारण वित्तीय संकट के बीच 3 मई से उड़ानें बंद कर दीं थी। 11,463 करोड़ रुपये की देनदारियों के साथ, एयरलाइन ने स्वैच्छिक दिवाला समाधान कार्यवाही के साथ-साथ अपने वित्तीय दायित्वों पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की है।
प्रैट एंड व्हिटनी (पी एंड डब्ल्यू) द्वारा इंजनों की आपूर्ति ना करने के कारण कम से कम 28 विमान या एयरलाइन के बेड़े के आधे से अधिक विमान को खड़ा कर दिया गया है। एयरलाइंस के पट्टेदारों ने गो फ़र्स्ट की अंतरिम अधिस्थगन की याचिका का यह कहते हुए विरोध किया है कि इसके हानिकारक और गंभीर परिणाम होंगे।
Go First Crisis: एक बड़ी मशहूर कहावत है.. डूबते को तिनके का सहारा। ऐसा ही एक सहारा गो फर्स्ट को मिला है जिसकी उड़ान पिछले दस दिनों से बंद है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने गो फर्स्ट को कर्जदारों द्वारा रिकवरी प्रक्रिया शुरू करने से सुरक्षा प्रदान करने पर सहमति जताई है। एनसीएलटी ने अपने फैसले में कहा, 'हम दिवालिया कार्यवाही के लिए गो एयरलाइंस की याचिका स्वीकार करते हैं।'
जस्टिस रामलिंगम सुधाकर और एलएन गुप्ता की दो सदस्यीय पीठ ने कर्ज में डूबी कंपनी को चलाने के लिए अभिलाष लाल को अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया है। इस फैसले से कंपनी का अधिग्रहण बच गया है। कोर्ट द्वारा निलंबित निदेशक मंडल को तत्काल खर्च करने के लिए 5 करोड़ जमा करने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, एनसीएलटी ने कंपनी को चालू संस्था के रूप में रखने और यह सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया कि किसी भी कर्मचारी की छंटनी ना हो।
4 मई को एनसीएलटी ने वाडिया समूह के स्वामित्व वाली कंपनी गो एयर और पट्टेदारों की सुनवाई के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था, जिन्होंने अंतरिम सुरक्षा की मांग वाली याचिका का विरोध किया था।
पिछले 17 सालों से एविएशन सेक्टर में काम कर रहे गो फर्स्ट ने प्रैट एंड व्हिटनी इंजन की अनुपलब्धता के कारण अपने आधे से अधिक बेड़े के ग्राउंडिंग के कारण वित्तीय संकट के बीच 3 मई से उड़ानें बंद कर दीं थी। 11,463 करोड़ रुपये की देनदारियों के साथ, एयरलाइन ने स्वैच्छिक दिवाला समाधान कार्यवाही के साथ-साथ अपने वित्तीय दायित्वों पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की है।
प्रैट एंड व्हिटनी (पी एंड डब्ल्यू) द्वारा इंजनों की आपूर्ति ना करने के कारण कम से कम 28 विमान या एयरलाइन के बेड़े के आधे से अधिक विमान को खड़ा कर दिया गया है। एयरलाइंस के पट्टेदारों ने गो फ़र्स्ट की अंतरिम अधिस्थगन की याचिका का यह कहते हुए विरोध किया है कि इसके हानिकारक और गंभीर परिणाम होंगे।