Go First Bankrupt: एविएशन सेक्टर को बड़ा झटका, गो फर्स्ट ने डाली दिवालिया होने की याचिका, फ्लाइट्स कैंसिल

गो फर्स्ट एयरलाइंस आर्थिक संकट के चलते दिवालिया होने की कगार पर, एनसीएलटी में इनसॉल्वेंसी रिसोल्यूशन के लिए याचिका दायर की।

Go First Bankrupt

Go First Bankrupt: आर्थिक संकट के कारण एविएशन सेक्टर की एक और एयरलाइंस दिवालिया होने जा रही है। वाडिया ग्रुप की गो फर्स्ट एयरलाइंस ने एनसीएलटी में इनसॉल्वेंसी रिसोल्यूशन के लिए याचिका दायर की है। गो फर्स्ट के सीईओ कौशिक खोना के मुताबिक 3 और 4 मई की सारी फ्लाइट कैंसिल कर दी गई है

कौशिक खोना ने अपने बयान में कहा है कि  प्रैट एंड व्हिटनी इंटरनेशनल एयरो इंजन, एलएलसी द्वारा आपूर्ति किए गए फेल इंजनों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण GO FIRST को यह कदम उठाना पड़ा है। कौशिक खोना ने कहा कि फेल इंजन की वजह से गो फर्स्ट को 1 मई 2023 तक 25 विमानों को ग्राउंड करना पड़ा है। एयरलाइन ने कहा इसके कारण इसके एयरबस A320neo विमान बेड़े का लगभग 50% ग्राउंडिंग हो गया क्योंकि उनके बेड़े में कुल 54 विमान शामिल हैं।

इसके अलावा, गो फर्स्ट ने पिछले दो वर्षों में पट्टेदारों को 5,657 करोड़ का भुगतान किया है, जिसमें से लगभग 1600 करोड़ का भुगतान गैर-परिचालन वाले ग्राउंडेड विमानों के लिए लीज रेंट के लिए किया गया था, जो प्रमोटरों और भारत सरकार की आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना द्वारा लगाए गए पैसों से किया गया था।

इन नुकसानों की वसूली के लिए गो फर्स्ट ने SIAC मध्यस्थता में लगभग 8000 करोड़ के मुआवजे की मांग की है। एयरलाइंस ने अपने बयान में कहा कि  यदि गो फर्स्ट मध्यस्थता में सफल होता है, तो आशा है कि गो फर्स्ट अपने छोटे और बड़े लेनदारों की देनदारियों को वापस लौटाने में सक्षम होगा। हालांकि इस स्तर पर प्रैट एंड व्हिटनी द्वारा आवश्यक संख्या में स्पेयर लीज्ड इंजन उपलब्ध नहीं कराने की स्थिति में गो फर्स्ट अब अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने की स्थिति में नहीं है। 

एयरलाइन ने आगे कहा कि इन कार्रवाइयों की वजह से गो फर्स्ट के संचालन के लिए उपलब्ध विमानों की संख्या में भारी कमी होगी, जिससे गो फर्स्ट के लिए अपना परिचालन जारी रखना और अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करना और भी अव्यावहारिक हो जाएगा।

गौरतलब है कि गो फर्स्ट पिछले पांच सालों में जेट एयरवेज के बाद भारत में एनसीएलटी में दिवाला समाधान के लिए फाइल करने वाली दूसरी एयरलाइन है। जेट एयरवेज ने लंबे समय तक एनसीएलटी की कार्यवाही के बावजूद एविएशन सेक्टर में वापसी नहीं की है।

Go First Bankrupt: आर्थिक संकट के कारण एविएशन सेक्टर की एक और एयरलाइंस दिवालिया होने जा रही है। वाडिया ग्रुप की गो फर्स्ट एयरलाइंस ने एनसीएलटी में इनसॉल्वेंसी रिसोल्यूशन के लिए याचिका दायर की है। गो फर्स्ट के सीईओ कौशिक खोना के मुताबिक 3 और 4 मई की सारी फ्लाइट कैंसिल कर दी गई है

कौशिक खोना ने अपने बयान में कहा है कि  प्रैट एंड व्हिटनी इंटरनेशनल एयरो इंजन, एलएलसी द्वारा आपूर्ति किए गए फेल इंजनों की लगातार बढ़ती संख्या के कारण GO FIRST को यह कदम उठाना पड़ा है। कौशिक खोना ने कहा कि फेल इंजन की वजह से गो फर्स्ट को 1 मई 2023 तक 25 विमानों को ग्राउंड करना पड़ा है। एयरलाइन ने कहा इसके कारण इसके एयरबस A320neo विमान बेड़े का लगभग 50% ग्राउंडिंग हो गया क्योंकि उनके बेड़े में कुल 54 विमान शामिल हैं।

इसके अलावा, गो फर्स्ट ने पिछले दो वर्षों में पट्टेदारों को 5,657 करोड़ का भुगतान किया है, जिसमें से लगभग 1600 करोड़ का भुगतान गैर-परिचालन वाले ग्राउंडेड विमानों के लिए लीज रेंट के लिए किया गया था, जो प्रमोटरों और भारत सरकार की आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना द्वारा लगाए गए पैसों से किया गया था।

इन नुकसानों की वसूली के लिए गो फर्स्ट ने SIAC मध्यस्थता में लगभग 8000 करोड़ के मुआवजे की मांग की है। एयरलाइंस ने अपने बयान में कहा कि  यदि गो फर्स्ट मध्यस्थता में सफल होता है, तो आशा है कि गो फर्स्ट अपने छोटे और बड़े लेनदारों की देनदारियों को वापस लौटाने में सक्षम होगा। हालांकि इस स्तर पर प्रैट एंड व्हिटनी द्वारा आवश्यक संख्या में स्पेयर लीज्ड इंजन उपलब्ध नहीं कराने की स्थिति में गो फर्स्ट अब अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने की स्थिति में नहीं है। 

एयरलाइन ने आगे कहा कि इन कार्रवाइयों की वजह से गो फर्स्ट के संचालन के लिए उपलब्ध विमानों की संख्या में भारी कमी होगी, जिससे गो फर्स्ट के लिए अपना परिचालन जारी रखना और अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करना और भी अव्यावहारिक हो जाएगा।

गौरतलब है कि गो फर्स्ट पिछले पांच सालों में जेट एयरवेज के बाद भारत में एनसीएलटी में दिवाला समाधान के लिए फाइल करने वाली दूसरी एयरलाइन है। जेट एयरवेज ने लंबे समय तक एनसीएलटी की कार्यवाही के बावजूद एविएशन सेक्टर में वापसी नहीं की है।

संवादपत्र

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