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होली पर स्विगी का एक विज्ञापन तेजी से इंटरनेट पर ट्रेंड हो रहा है। #HinduPhobicSwiggy ट्रेंड कर रहा है।

Holi Swiggy Advertisement Controversy

Holi Swiggy Advertisement Controversy: फूडटेक यूनिकॉर्न स्विगी ट्विटर ट्रेंड पर इन दिनों छाया हुआ है। दरअसल स्विगी द्वारा एक विज्ञापन जारी किया गया जो कि काफी विवादास्पद बना हुआ है। ट्वीटर पर इस दिनों #HinduPhobicSwiggy चर्चा का विषय बना हुआ है। जिसको लेकर काफी संख्या में ट्वीटर यूजर ट्वीट कर रहे हैं। ट्ववीटर पर वाइरल हुए इस विज्ञापन पर ट्वीट कर लोग खूब मजे ले रहे हैं। आइए आगे जानते हैं कि आखिर स्विगी का वो कौन का विज्ञापन है जो कि स्विटर पर वाइरल हो रहा है और जिसे लेकर ट्ववीटर पर संग्राम मचा हुआ है।  

विज्ञापन के ट्विटर पर वायरल होने के तुरंत बाद, यूजर्स ने फूडटेक कंपनी से कहा कि उन्हें जिस तरह से वे चाहते हैं, वैसे ही होली मनाने दें। एक यूजर ने स्विगी को टैग करते हुए लिखा, 'क्या आपने वही बिलबोर्ड ईद के दौरान लगाया था, जिसमें मुस्लिमों को बकरा काटने से परहेज करने के लिए कहा गया था या क्रिसमस के दौरान ईसाइयों से पेड़ों को नहीं काटने का आग्रह किया था? अपने हिंदूफोबिया को हमारे त्योहारों से दूर रखें और हमें होली अपने मनचाहे तरीके से मनाने दें।

Mithie इस नाम के यूजर नें अपने ट्वीटर हेंडल से लिखा कि " @Swiggy, क्या आपने वही बिलबोर्ड ईद के दौरान लगाया था ? जिसमें मुसलमान भाइयों को बकरा काटने से परहेज करने के लिए कहा गया था या क्रिसमस के दौरान ईसाइयों से पेड़ों को न काटने का आग्रह किया था? इस यूजर नें इसी पोस्ट में आगे लिखा कि अपने हिंदूफोबिया को हमारे त्योहारों से दूर रखें और हमें अपने धर्म के अनुरूप होली का त्योहार मनाने दें।

वहीं, इस्कॉन के उपाध्यक्ष राधारमण दास ने कहा कि स्विगी की गिनती पुराने अपराधियों में की जाती है। दरअसर ये अपने कट्टर शाकाहारी ग्राहकों को नॉन-वेज आइटम भेजने के लिए भी फेमस और बदनाम है, जिन्होंने कभी भी  खाने के लिए शाकाहारी वस्तुओं का ऑर्डर किया था। दास ने अपने ट्वीट में आगे लिखा कि स्विगी ने होली पर हिंदुओं में ज्ञान बांटने का अभियान शुरू किया है। इसके साथ ही इसने  हैशटैग #BuraMatKhelo के साथ बड़े पैमाने पर विज्ञापन अभियान शुरू किया है। इतना ही नहीं, कंपनी स्विगी अपने कुछ ग्राहकों को नॉन-वेज आइटम भेजने के लिए भी प्रसिद्ध है. जो कि विशुद्ध रूप से शाकाहारी हैं और जिन्होंने शाकाहारी आइटम का ऑर्डर दिया था। 

अखिल भारतीय साधु समाज के सदस्य और कच्छ संत समाज के पूर्व अध्यक्ष योगी देवनाथ भी ट्रेंड की ग्रेवी ट्रेन में कूद गए और स्विगी से विज्ञापन के लिए माफी मांगने का आग्रह किया। देवनाथ ने ट्वीट किया, 'स्विगी हिंदू त्योहारों के बारे में चुनिंदा जानकारी देना ठीक नहीं है। आपकी होली की रील और बिलबोर्ड होली के बारे में गलत धारणा बना रहे हैं। आपको माफी मांगनी चाहिए और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने चाहिए।

ट्वीटर पर दूसरे यूजर ने लिखा कि यह एक प्रकार से सही और सकारात्मक विज्ञापन है जो कि खाने की बर्बादी के लिए बता रहा है. ये यूजर आगे लिखते हैं कि यह स्विगी का एक खूबसूरत विज्ञापन है। अंडा एक ऐसा उत्पाद है जिसे किसी के सिर पर फेंकने के बजाय खाया जाना चाहिए। 

शिवसेना के पूर्व नेता रमेश सोलंकी ने ट्वीट किया, “स्विगी का होली रील और बिलबोर्ड लाखों लोगों द्वारा मनाए जाने वाले त्योहार के लिए अपमानजनक है। अन्य गैर-हिंदू त्योहारों पर ऐसी जानकारी क्यों नहीं? स्विगी को अपनी जानबूझकर की गई गलती के लिए हिंदुओं से माफी मांगनी चाहिए।” आपको बता दें कि कुछ ट्विटर यूजर हाल ही में आए स्विगी के विज्ञापन से नाराज थे। 

ट्विटर पर  Pahadipk  नाम के यूजर ने इसी बहाने लोगों से सवाल किया कि होली के नाम पर लोगों पर अंडे और अन्य सामान फेंकना उचित है. ये अपनी ट्वीट में आगे लिखते हैं, “बुरा मत खेलो में क्या गलत है? क्या लोगों पर अंडे, गोबर, गटर का पानी फेंकना सही है?”

एक ट्वीटर यूजर नें अपने ट्विटर हेंडल से स्विगी से माफी मांगने वालों का मज़ाक उड़ाया और लिखा, “वे सचमुच कह रहे हैं कि होली में अंडे का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.क्या लाल और सफेद क्रॉस को देखना कठिन है? बुरा मत खेलो का मतलब होली के लिए अंडे का उपयोग नहीं करना था, जो कि बहुत सारे "हिंदू" करते हैं। पहले विषय को समझें, फिर माफी मांगते फिरें। बताते चलें कि सोशल मीडिया पर मचे बवाल के बावजूद अब तक स्विगी की ओर से अपने सोशल मीडिया हैंडल पर किसी भी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

 

संवादपत्र

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