- Date : 08/09/2019
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लेट्स बार्टर इंडिया की को-फाउंडर पूजा भयाना की नज़र से उनका व्यावसायिक सफर, जेंडर से जुड़ा भेदभाव और बिज़नेस करने की इच्छुक महिलाओं को उनकी सलाह|

महिला उद्यमियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में अब तक बहुत कुछ कहा जा चुका है। उदाहरण के लिए, यह सामने आया कि पिछले साल जुटाई गई कुल इक्विटी फंडिंग में से महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्ट-अप्स को बस 2% प्राप्त हुआ। लेकिन उन महिलाओं के बारे में बहुत कम बात होती है जिन्होंने इन सारी बाधाओं और मुश्किलों को पार करके अपने लिए एक कामयाब बिज़नेस खड़ा किया।
पूजा भयाना एक ऐसी ही महिला आंत्रप्रेन्योर यानि उद्यमी हैं। पूजा ने 2015 में अपने दोस्त साहिल ढींगरा के साथ मिलकर, केवल एक फेसबुक पेज के माध्यम से लेट्स बार्टर इंडिया के रूप में अपना बिज़नेस शुरू किया। आज उत्पादों और सेवाओं के इस ऑनलाइन एक्सचेंज प्लेटफॉर्म का अपना एप है और इसके फेसबुक पेज पर लगभग 1.9 लाख सदस्य हैं।
जानिए क्या कहती हैं पूजा अपने इस सफर के बारे में।
परिवार, शिक्षा और व्यक्तिगत अनुभव
मैं बहुत ही संरक्षित माहौल में पैदा हुई और पली-बढ़ी। जब में 17 साल की थी तो मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुशन करने सिंगापुर चली गई। इस अनुभव से मैंने बहुत कुछ सीखा क्योंकि वहां मुझे विभिन्न संस्कृति और विचारधारा के लोगों के साथ रहने का मौका मिला। पढ़ाई के बाद सिंगापुर में कुछ दिनों तक एक मैग्ज़ीन में काम करने के बाद, मैं अपने परिवार के करीब रहने के लिए भारत लौट आई।
पब्लिक रिलेशन में करियर से अपने बिज़नेस की तरफ मुड़े कदम
पब्लिक रिलेशन में मेरा काम बेहद भाग-दौड़ भरा था। मैंने महसूस किया कि मैं इस दौड़ का हिस्सा नहीं बनना चाहती। मेरे भाई ने मुझे कुछ बड़ा सोचने के लिए काफी प्रोत्साहित किया। उन्होंने पूछा कि – “दस साल बाद मैं खुद को कहां देखना चाहती हूं?” और बस मैंने फैसला कर लिया कि “अभी नहीं तो कभी नहीं”। मैंने एक साल तक विभिन्न स्टार्ट-अप्स में काम किया ताकि उनके काम करने का तरीका समझ सकूं। मैंने लेट्स बार्टर इंडिया शुरू करने की कोई योजना नहीं बनाई थी। यह सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन मैंने खुद के लिए काम करना इसलिए शुरू किया क्योंकि मैं ज़िंदगी में अपनी रफ्तार से काम करते हुए खुशी ढूंढना चाहती थी।
अक्सर सामने आने वाली चुनौतियां
वैसे मैं नकारात्मक चीज़ों और बातों पर ध्यान नहीं देना चाहती हूं लेकिन यह सच है कि मेरे सफर में कुछ मुश्किलें सिर्फ इसलिए आईं क्योंकि मैं एक औरत हूं। कई मौकों पर हमारे वेंचर के बारे में सवाल पूछने के लिए निवेशकों ने मेरी जगह साहिल का रुख किया। ऐसा लगा जैसे उन्होंने पहले ही तय कर लिया हो कि सारा काम साहिल ही करता है। कुछ निवेशक ऐसे भी मिले जिन्होंने मुझसे मेरे भविष्य की योजनाओं के बारे में जानना चाहा जैसे – “आपकी शादी के बाद क्या होगा?” दूसरा मुद्दा जो बड़ी चुनौती बनकर उभरा वो था अनगिनत स्टार्ट-अप्स के बीच लेट्स बार्टर इंडिया की अलग पहचान बनाना।

लेट्स बार्टर इंडिया में भूमिका और ज़िम्मेदारियां
मैं लेट्स बार्टर इंडिया को बनाने और चलाने के हर पहलू में शामिल हूं। शुरुआत में मैंने कॉन्टेंट और ग्राफिक्स का काम संभाला। अब मैं सोशल मीडिया, ऑपरेशंस (परिचालन प्रक्रिया) और फंडरेज़िंग (पैसा इकट्ठा करना) का प्रबंधन भी देखती हूं।
वेंचर के लिए कैसे जुटाया पैसा
हमने एक फेसबुक पेज बनाकर शुरुआत की क्योंकि उस वक्त हमारे पास बेहद कम पूंजी थी। पहले हमने अपने जानकारों से मदद मांगी और बाद में पैसों के लिए निवेशकों का रुख करना शुरू किया। हमें अपने स्टार्ट-अप के लिए एक ऐसा निवेशक नहीं चाहिए था जिससे हमें बस पैसा मिल जाता। मेरा मानना है स्टार्ट-अप के फाउंडर और निवेशकों के बीच शादी जैसा रिश्ता होता है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि हमारे निवेशक की सोच, मूल्य और नज़रिया हमसे मिलता-जुलता हो।
लेट्स बार्टर इंडिया को मिली प्रतिक्रिया
हमें गज़ब की प्रतिक्रिया मिली। यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हमने कुछ आयोजनों के अलावा अपने स्टार्टअप की बेहद कम मार्केटिंग और प्रचार किया था। उदाहरण के लिए हमने एक सोशल बुक बार्टर इवेंट किया था जहां लोगों ने दूसरों के द्वारा खरीदी गई किताबों के साथ अपनी किताबों की अदला-बदली की। यह सब अपने-आप हुआ, हमारे ग्राहक खुद ही हम तक पहुंचे थे।
अपने प्रतियोगियों से कैसे अलग है लेट्स बार्टर इंडिया
हमारा मकसद बस एक एप को बढ़ावा देना नहीं है बल्कि हम बार्टरिंग यानि अदला-बदली के इस कल्चर को प्रोत्साहन देकर समाज में नया बदलाव लाना चाहते हैं। यही बात हमें खास बनाती है। हमारा उद्देश्य बस ये नहीं है कि अपने ग्राहकों को कुछ ऐसा दें जो शायद उन्हें पसंद आ जाए। बल्कि हम उनकी ज़रूरतों को समझ कर, उनके हिसाब से उपयुक्त उत्पाद तैयार करके उन तक पहुंचाना चाहते हैं।
जिन्होंने हमेशा दिया साथ
हमें सबसे बड़ा समर्थन रहा है इनोवे8 कोवर्गिंग चलाने वाले डॉ. रीतेश मलिक का। उन्होंने ही हमारे बार्टर के आइडिया को बिज़नेस वेंचर में बदलने का सुझाव दिया। उन्होंने शुरुआती चरणों की फंडिंग में भी हमारी सहायता की। उन्होंने हमारे लिए कई दरवाज़े खोले। डॉ. मलिक ने हमेशा मुझे और साहिल को बराबरी का दर्जा दिया।
महिला उद्यमियों के लिए सुझाव
एक निवेशक आपके बिज़नेस से तभी प्रभावित होगा जब उसे वित्तीय फायदे की गुंजाइश दिखाई देगी। सिर्फ आइडिया काफी नहीं है। यह भी महत्वपूर्ण है कि आप उस पर अमल कैसे करते हैं। निवेशक को यह समझाना ज़रूरी है कि आपकी योजना किस तरह उनके पैसे को लौटाने या बढ़ाने का काम करेगी।
कभी यह मत सोचिए कि आप अपने सपनों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। अपने सपनों को पूरा करने के लिए किसी की मदद का इंतज़ार मत कीजिए। आप खुद अपनी हीरो बनिए।
निष्कर्ष
आज पूजा भयाना उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं जो लड़ना चाहती हैं और बिज़नेस जगत में अपनी जगह बनाने के लिए लिंग भेदभाव से लड़ रही हैं।
महिला उद्यमियों के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में अब तक बहुत कुछ कहा जा चुका है। उदाहरण के लिए, यह सामने आया कि पिछले साल जुटाई गई कुल इक्विटी फंडिंग में से महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्ट-अप्स को बस 2% प्राप्त हुआ। लेकिन उन महिलाओं के बारे में बहुत कम बात होती है जिन्होंने इन सारी बाधाओं और मुश्किलों को पार करके अपने लिए एक कामयाब बिज़नेस खड़ा किया।
पूजा भयाना एक ऐसी ही महिला आंत्रप्रेन्योर यानि उद्यमी हैं। पूजा ने 2015 में अपने दोस्त साहिल ढींगरा के साथ मिलकर, केवल एक फेसबुक पेज के माध्यम से लेट्स बार्टर इंडिया के रूप में अपना बिज़नेस शुरू किया। आज उत्पादों और सेवाओं के इस ऑनलाइन एक्सचेंज प्लेटफॉर्म का अपना एप है और इसके फेसबुक पेज पर लगभग 1.9 लाख सदस्य हैं।
जानिए क्या कहती हैं पूजा अपने इस सफर के बारे में।
परिवार, शिक्षा और व्यक्तिगत अनुभव
मैं बहुत ही संरक्षित माहौल में पैदा हुई और पली-बढ़ी। जब में 17 साल की थी तो मास कम्युनिकेशन में ग्रेजुशन करने सिंगापुर चली गई। इस अनुभव से मैंने बहुत कुछ सीखा क्योंकि वहां मुझे विभिन्न संस्कृति और विचारधारा के लोगों के साथ रहने का मौका मिला। पढ़ाई के बाद सिंगापुर में कुछ दिनों तक एक मैग्ज़ीन में काम करने के बाद, मैं अपने परिवार के करीब रहने के लिए भारत लौट आई।
पब्लिक रिलेशन में करियर से अपने बिज़नेस की तरफ मुड़े कदम
पब्लिक रिलेशन में मेरा काम बेहद भाग-दौड़ भरा था। मैंने महसूस किया कि मैं इस दौड़ का हिस्सा नहीं बनना चाहती। मेरे भाई ने मुझे कुछ बड़ा सोचने के लिए काफी प्रोत्साहित किया। उन्होंने पूछा कि – “दस साल बाद मैं खुद को कहां देखना चाहती हूं?” और बस मैंने फैसला कर लिया कि “अभी नहीं तो कभी नहीं”। मैंने एक साल तक विभिन्न स्टार्ट-अप्स में काम किया ताकि उनके काम करने का तरीका समझ सकूं। मैंने लेट्स बार्टर इंडिया शुरू करने की कोई योजना नहीं बनाई थी। यह सुनने में अजीब लग सकता है लेकिन मैंने खुद के लिए काम करना इसलिए शुरू किया क्योंकि मैं ज़िंदगी में अपनी रफ्तार से काम करते हुए खुशी ढूंढना चाहती थी।
अक्सर सामने आने वाली चुनौतियां
वैसे मैं नकारात्मक चीज़ों और बातों पर ध्यान नहीं देना चाहती हूं लेकिन यह सच है कि मेरे सफर में कुछ मुश्किलें सिर्फ इसलिए आईं क्योंकि मैं एक औरत हूं। कई मौकों पर हमारे वेंचर के बारे में सवाल पूछने के लिए निवेशकों ने मेरी जगह साहिल का रुख किया। ऐसा लगा जैसे उन्होंने पहले ही तय कर लिया हो कि सारा काम साहिल ही करता है। कुछ निवेशक ऐसे भी मिले जिन्होंने मुझसे मेरे भविष्य की योजनाओं के बारे में जानना चाहा जैसे – “आपकी शादी के बाद क्या होगा?” दूसरा मुद्दा जो बड़ी चुनौती बनकर उभरा वो था अनगिनत स्टार्ट-अप्स के बीच लेट्स बार्टर इंडिया की अलग पहचान बनाना।

लेट्स बार्टर इंडिया में भूमिका और ज़िम्मेदारियां
मैं लेट्स बार्टर इंडिया को बनाने और चलाने के हर पहलू में शामिल हूं। शुरुआत में मैंने कॉन्टेंट और ग्राफिक्स का काम संभाला। अब मैं सोशल मीडिया, ऑपरेशंस (परिचालन प्रक्रिया) और फंडरेज़िंग (पैसा इकट्ठा करना) का प्रबंधन भी देखती हूं।
वेंचर के लिए कैसे जुटाया पैसा
हमने एक फेसबुक पेज बनाकर शुरुआत की क्योंकि उस वक्त हमारे पास बेहद कम पूंजी थी। पहले हमने अपने जानकारों से मदद मांगी और बाद में पैसों के लिए निवेशकों का रुख करना शुरू किया। हमें अपने स्टार्ट-अप के लिए एक ऐसा निवेशक नहीं चाहिए था जिससे हमें बस पैसा मिल जाता। मेरा मानना है स्टार्ट-अप के फाउंडर और निवेशकों के बीच शादी जैसा रिश्ता होता है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि हमारे निवेशक की सोच, मूल्य और नज़रिया हमसे मिलता-जुलता हो।
लेट्स बार्टर इंडिया को मिली प्रतिक्रिया
हमें गज़ब की प्रतिक्रिया मिली। यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हमने कुछ आयोजनों के अलावा अपने स्टार्टअप की बेहद कम मार्केटिंग और प्रचार किया था। उदाहरण के लिए हमने एक सोशल बुक बार्टर इवेंट किया था जहां लोगों ने दूसरों के द्वारा खरीदी गई किताबों के साथ अपनी किताबों की अदला-बदली की। यह सब अपने-आप हुआ, हमारे ग्राहक खुद ही हम तक पहुंचे थे।
अपने प्रतियोगियों से कैसे अलग है लेट्स बार्टर इंडिया
हमारा मकसद बस एक एप को बढ़ावा देना नहीं है बल्कि हम बार्टरिंग यानि अदला-बदली के इस कल्चर को प्रोत्साहन देकर समाज में नया बदलाव लाना चाहते हैं। यही बात हमें खास बनाती है। हमारा उद्देश्य बस ये नहीं है कि अपने ग्राहकों को कुछ ऐसा दें जो शायद उन्हें पसंद आ जाए। बल्कि हम उनकी ज़रूरतों को समझ कर, उनके हिसाब से उपयुक्त उत्पाद तैयार करके उन तक पहुंचाना चाहते हैं।
जिन्होंने हमेशा दिया साथ
हमें सबसे बड़ा समर्थन रहा है इनोवे8 कोवर्गिंग चलाने वाले डॉ. रीतेश मलिक का। उन्होंने ही हमारे बार्टर के आइडिया को बिज़नेस वेंचर में बदलने का सुझाव दिया। उन्होंने शुरुआती चरणों की फंडिंग में भी हमारी सहायता की। उन्होंने हमारे लिए कई दरवाज़े खोले। डॉ. मलिक ने हमेशा मुझे और साहिल को बराबरी का दर्जा दिया।
महिला उद्यमियों के लिए सुझाव
एक निवेशक आपके बिज़नेस से तभी प्रभावित होगा जब उसे वित्तीय फायदे की गुंजाइश दिखाई देगी। सिर्फ आइडिया काफी नहीं है। यह भी महत्वपूर्ण है कि आप उस पर अमल कैसे करते हैं। निवेशक को यह समझाना ज़रूरी है कि आपकी योजना किस तरह उनके पैसे को लौटाने या बढ़ाने का काम करेगी।
कभी यह मत सोचिए कि आप अपने सपनों को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। अपने सपनों को पूरा करने के लिए किसी की मदद का इंतज़ार मत कीजिए। आप खुद अपनी हीरो बनिए।
निष्कर्ष
आज पूजा भयाना उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं जो लड़ना चाहती हैं और बिज़नेस जगत में अपनी जगह बनाने के लिए लिंग भेदभाव से लड़ रही हैं।