- Date : 10/09/2021
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सरकार हर साल अपनी कल्याणकारी योजनाओं के तहत करोड़ों लाभार्थियों को पैसे या अनाज जैसे लाभ बांटने के लिए लाखों करोड़ों रुपये खर्च करती है। कई खामियों की वजह से इस दौरान काफी बर्बादी भी होती है। हालांकि जेएएम और डीबीटी के माध्यम से इस बर्बादी को रोकने के मामले में कुछ कामयाबी मिली है। ई-रुपी भुगतान समाधान सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत जारी बर्बादी को रोकने की दिशा में एक और महत्वपूर्व कदम है।

केंद्र और राज्य सरकारें कई कल्याणकारी योजनाएं चलाती हैं। सरकार इसके माध्यम से इच्छित लाभार्थियों तक पैसे या अनाज जैसे लाभ पहुंचाती है। हालांकि, इन कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में सरकार के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं।
- सरकार अक्सर सही लाभार्थियों की पहचान करने में असमर्थ होती है
- कुछ लाभ सही लाभार्थियों तक नहीं पहुंचते हैं क्योंकि बिचौलिए गैर-कानूनी तरीके से इन लाभों को छीन लेते हैं
- कुछ मामलों में लाभार्थियों के पास उनके खातों में लाभ स्थानांतरित करने के लिए बैंक खाते नहीं होते हैं
- पैसा भले ही लाभार्थी के बैंक खाते में पहुंच जाए लेकिन सरकार यह सुनिश्चित करने में सक्षम नहीं हो सकती है कि धन का उपयोग पहले से तय उद्देश्य के लिए ही किया गया है ना कि किसी अन्य उद्देश्य के लिए।
हालांकि सरकार जेएएम(जन धन बैंक खाता, आधार, मोबाइल) तिकड़ी और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) तंत्र के साथ पहली दो चुनौतियों को हल करने में सक्षम है। लेकिन, जैम और डीबीटी के बावजूद तीसरी और चौथी चुनौतियां बनी हुई हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार ने ई-रुपी की शुरुआत की है।
ई-रुपी क्या है?
ई-रुपी एक वाउचर-आधारित डिजिटल भुगतान समाधान है। इस प्रणाली के तहत सरकार कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को ई-वाउचर भेजेगी। उदाहरण के लिए, मान लें कि एक लाभार्थी को टीकाकरण लाभ वाउचर प्राप्त होता है। इस मामले में लाभ केवल लक्षित लाभार्थी द्वारा प्राप्त किया जा सकता है और केवल स्वास्थ्य देखभाल केंद्र/अस्पताल में टीकाकरण प्राप्त करने के उद्देश्य से ही।
तो, ई-रुपी एक वाउचर-आधारित व्यक्ति- और उद्देश्य-आधारित डिजिटल भुगतान समाधान है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लाभ लक्षित लाभार्थियों तक लक्षित और खामीमुक्त तरीके से पहुंचे। जारीकर्ता वाउचर के उपयोग पर नजर रख सकता है जो कि सुनिश्चित करेगा कि पैसा इच्छित उद्देश्य के लिए खर्च किया गया है।
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ई-रुपी प्रणाली से लाभार्थियों को वाउचर कैसे मिलेगा?
सरकार कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस तरीके से क्यूआर-कोड या एसएमएस के रूप में इच्छित लाभार्थी के मोबाइल पर ई-वाउचर भेजेगी। कई लोगों के पास अभी भी स्मार्टफोन नहीं है, इसलिए ऐसे लोगों को ई-वाउचर देने के लिए एक एसएमएस सबसे अच्छा तरीका होगा। तो, ग्रामीण या दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाले भी वाउचर का लाभ उठा सकेंगे।
लाभार्थी सेवा प्रदाता के पास जा सकते हैं और लाभ प्राप्त कर सकते हैं। वाउचर रिडेम्पशन के लिए किसी के पास बैंक खाता, कार्ड, डिजिटल भुगतान ऐप, इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस आदि की आवश्यकता नहीं होती है। यह एक बार उपयोग किया जाने वाला वाउचर होगा जो एक निश्चित राशि के साथ पहले से लोड होता है।
सेवा प्रदाता को भुगतान तभी मिलेगा जब इच्छित लाभार्थी ने वाउचर को भुना लिया हो। इसलिए, सिस्टम यह सुनिश्चित करेगा कि लाभ सही लाभार्थी तक पहुंचा है और इसका लाभ उठाया गया है।
बिचौलियों का उन्मूलन
सरकार ई-रुपी प्रणाली के जरिये सीधे लाभार्थी के मोबाइल पर वाउचर वितरित करने में सक्षम होगी। यह लाभ प्रदान करते समय बिचौलियों (वाउचर जारी करने वाले बैंकों को छोड़कर) की भूमिका को समाप्त करता है। इच्छित लाभार्थी सीधे सेवा प्रदाता के पास जा सकता है और लाभ प्राप्त कर सकता है।
जारी करने वाली संस्थाओं की भूमिका
ई-रुपी भुगतान समाधान भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा कुछ अन्य सरकारी निकायों (वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण) और सहयोगी बैंकों के साथ शुरू किया गया है।
साझेदार बैंक वाउचर जारी करने वाली संस्थाओं के रूप में काम करेंगे। कल्याणकारी योजनाएं चलाने वाली सरकारी संस्थाओं को लाभार्थियों की सूची, जारी किए जाने वाले वाउचर के विवरण और अन्य जानकारी के साथ जारीकर्ता संस्थाओं से संपर्क करना होगा। जारी करने वाली संस्था वाउचर जनरेट करेगी और उन्हें इच्छित लाभार्थियों को भेजेगी।
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जारीकर्ता संस्थाओं के रूप में नामांकित बैंक
- ऐक्सिस बैंक
- बैंक ऑफ बड़ौदा
- केनरा बैंक
- एचडीएफसी बैंक
- आईसीआईसीआई बैंक
- इंड्सइंड बैंक
- इंडियन बैंक
- कोटक बैंक
- पंजाब नेशनल बैंक
- भारतीय स्टेट बैंक
- यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
वर्तमान में ई-रुपी के लिए पहचान की गई कल्याणकारी योजनाएं
ई-रुपी भुगतान समाधान प्रणाली का उपयोग करके वाउचर जारी करने के लिए सरकार द्वारा वर्तमान में पहचानी गई कुछ कल्याणकारी योजनाएं निम्नलिखित हैं:
- दवाएं और पोषण संबंधी सहायता देने के लिए मातृ एवं शिशु कल्याण योजनाएं
- क्षय रोग (टीबी) उन्मूलन योजनाएं
- औषधि और जांच के लिए आयुष्मान भारत बीमा योजना
- उर्वरक सब्सिडी
क्या ई-रुपी सिस्टम सुरक्षित है?
वाउचर रिडेम्पशन के समय लाभार्थी को किसी भी व्यक्तिगत या गोपनीय जानकारी बताने की जरूरत नहीं होगी। यह प्रणाली एकदम सुरक्षित और सुदृढ़ है। लाभार्थी की गोपनीयता का पूरा ध्यान रखा जाता है। ई-रुपी को क्रिप्टोक्यूरेंसी समझने की गलती नहीं करना चाहिए। ई-रुपी वाउचर एक अंतर्निहित परिसंपत्ति के रूप में भारतीय रुपये द्वारा समर्थित है।
कॉरपोरेट्स के लिए ई-रुपी का विस्तार
सरकार ने कॉरपोरेट्स को स्वास्थ्य सेवा आदि जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए अपने कर्मचारियों को वाउचर देने के लिए ई-रुपी भुगतान समाधान का उपयोग करने की अनुमति दी है।
ई-रुपी प्रणाली की चुनौतियां
लाभार्थियों को लाभ पहुंचाने के लिए ई-रुपी प्रणाली मोबाइल पर निर्भर है। भारत में वर्तमान में लगभग 80 फीसदी आबादी के पास मोबाइल है। इसलिए सरकार को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए बाकी के 20 फीसदी तक पहुंचने के अन्य तरीकों के बारे में सोचना होगा।
ई-रुपी: सही दिशा में एक कदम
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अगस्त 2021 को ई-रुपी डिजिटल भुगतान प्रणाली का शुभारंभ किया। इस प्रणाली के साथ सरकार की अपनी सार्वजनिक वितरण प्रणाली को और मजबूत करने और उसकी खामियों को दूर करने की मंशा झलकती है।
ई-रुपी प्रणाली की शुरूआत सही दिशा में उठाया गया एक कदम है। यह सुनिश्चित करेगी कि सरकार अपनी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ लक्षित और खामीमुक्त तरीके से सरकार और लाभार्थी के बीच सीमित संसाधनों के साथ लक्षित लाभार्थियों तक पहुंचाने में सक्षम है।
ई-रुपी इलेक्ट्रॉनिक वाउचर की अवधारणा सुशासन के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाती है। इसकी एक और खास बात ये है कि यह प्रणाली सुरक्षित और सुदृढ़ है। साथ ही इसका मकसद आम भारतीय नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार लाना है।