All you need to know about ESOPs

कराधान में हालिया बदलावों के साथ, ई.एस.ओ.पी. का महत्व मुआवजे के घटक और प्रतिधारण रणनीति के रूप में परिवर्तन से गुजर सकता है।

ई.एस.ओ.पी. के बारे में वो सब जो कुछ भी आपको जानना चाहिए

कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व योजना (ई.एस.ओ.पी.) एक स्वामित्व विकल्प है जो नियोक्ता द्वारा कर्मचारियों को प्रदान किया जाता है, जिसके माध्यम से कर्मचारियों को उस कंपनी के शेयरों को खरीदने के लिए अधिमान्य अधिकार प्राप्त होता है,जिस मं वे काम करते हैं। शेयरधारक बनकर, कर्मचारी अपने कार्यस्थल पर स्वामित्व और अधिक आत्मीयता की भावना प्राप्त करते हैं। उन्हें मतदान के अधिकार मिलते हैं और कंपनी के लक्ष्यों के साथ उनके लक्ष्य भी जुड़ जाते हैं।

दूसरी ओर, कंपनियां अक्सर अपने मूल्यवान कर्मचारियों को बनाए रखने के लिए साधन के रूप में ई.एस.ओ.पी. योजना का उपयोग करती हैं; अर्थात्, वे इंसेंटिव के रूप में ई.एस.ओ.पी. की पेशकश करते हैं। जो कंपनियां बाजार में चल रहे सर्वश्रेष्ठ वेतन देने में असमर्थ होती हैं, वे एड-ऑन के रूप में ई.एस.ओ.पी. योजना की पेशकश करके क्षतिपूर्ति करने की कोशिश करते हैं। वास्तव में, ई.एस.ओ.पी. की पेशकश अक्सर कंपनी की दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा होते हैं।

ई.एस.ओ.पी. की कराधान

प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए एक साधन के रूप में ई.एस.ओ.पी. की पेशकश करने वाली कंपनियों में प्रमुख स्टार्टअप कंपनियां हैं, जिन्हे लोक-प्रसिद्ध ''यंग तुर्क" कहते हैं। जैसा कि उनके नाम से पता चलता है, स्टार्टअप शुरुआती दौर में होते हैं,जो अक्सर बाजार से सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धी वेतन पैकेज की पेशकश करने की स्थिति में नहीं होते हैं। यह उनकी वित्तीय समझदारी होती है कि वे अपने कर्मचारियों को इसके बदले ई.एस.ओ.पी. पेश करें ।

हालांकि, ई.एस.ओ.पी. पर कराधान ने स्टार्टअप को एक प्रभावी उपकरण के रूप में उपयोग करने से रोक दिया है। ई.एस.ओ.पी. की कर-योग्यता को समझने के लिए, हमें कुछ महत्वपूर्ण शब्दों को समझना होगा जो इस योजना में प्रासंगिक हैं।

  • अनुदान की तारीख वह तारीख होती है, जिस दिन नियोक्ता और कर्मचारी के बीच समझौता होता है जिससे कर्मचारी को निकट भविष्य में नियोक्ता के शेयरों के मालिक होने का विकल्प मिलता है।
  • निहित तारीख भविष्य की वह तारीख है जिस पर कर्मचारी शेयर खरीदने का हकदार है।
  • अभ्यास की तारीख वह तारीख होती है जिस पर कर्मचारी शेयरों को खरीदने के विकल्प का उपयोग करता है।
  • निहित अवधि ,अनुदान की तारीख और निहित तिथि के बीच का समय है।
  • अभ्यास अवधि वह अवधि है जिसके दौरान कर्मचारी को शेयर खरीदने का अधिकार होता है।
  • अभ्यास मूल्य वह शेयर मूल्य है जिस पर कर्मचारी ई.एस.ओ.पी. खरीदता है।

विशेष रूप से, आयकर अधिनियम 1961 की धारा 17 (2) के तहत, ई.एस.ओ.पी. को एक अनुलाभ के रूप में वर्गीकृत किया गया है जो प्राप्तकर्ता की कुल आय में शामिल किया जाना चाहिए और इसलिए कर के लिए उत्तरदायी होगा। कर की गणना के लिए, अनुलाभ की गणना अभ्यास की तिथि पर शेयर के उचित बाजार मूल्य (एफ.एम.वी.) और शेयर के अभ्यास मूल्य के बीच के अंतर के रूप में की जाती है। असूचीबद्ध शेयरों के मामले में, एफ.एम.वी. एक मर्चेंट बैंकर द्वारा निर्धारित किया जाता है। सूचीबद्ध शेयरों के मामले में, एफ.एम.वी. अभ्यास की तारीख पर शुरूआती और समापन मूल्य का औसत, या अभ्यास की तारीख से पहले की तारीख का समापन मूल्य है।

अनुलाभ के रूप में कर लगाए जाने के अलावा, कर्मचारी द्वारा शेयरों की बिक्री के समय ई.एस.ओ.पी. पर पूंजीगत लाभ के रूप में भी कर लगाया जाता है। यहां बिक्री मूल्य और अभ्यास की तारीख पर शेयर के एफ.एम.वी. के बीच के अंतर को कर गणना के लिए पूंजीगत लाभ के रूप में माना जाता है। इस प्रकार, ई.एस.ओ.पी. कराधान दो-धारी तरीके से लागू किया गया है, और भारत में ई.एस.ओ.पी. दोहरे कराधान के अधीन है।

बदलाव का आधार

कंपनियां, विशेष रूप से स्टार्टअप ने भारत में ई.एस.ओ.पी. के इस दोहरे कराधान की आलोचना की हैं। हालांकि आयकर अधिनियम ने ई.एस.ओ.पी. को इंसेंटिव के एक भाग के रूप में देखा , लेकिन इसका लाभ आपात के वर्ष में हमेशा बढ़ा नहीं होता है। कंपनियों ने लंबे समय से अभ्यास के बिंदु पर लगाए गए कराधान पर ध्यान देने की मांग की है। तर्गसंगतता यह था कि एफ.एम.वी. और अभ्यास मूल्य के बीच का अंतर एक काल्पनिक कमाई थी, न कि नकद का वास्तविक अन्तर्वाह, उन लोगों के लिए जिन्होंने तुरंत इसकी बिक्री नहीं की । इससे कर्मचारियों के बीच ई.एस.ओ.पी. की लोकप्रियता कम हो गई और परिणामस्वरूप स्टार्टअप इसे उस साधन के रूप में उपयोग करने में सक्षम नहीं हुए जैसा इसे परिभाषित किया गया था ।

अंततः, ई.एस.ओ.पी. कर्मचारियों को सशक्त बनाने और कर्मचारियों की संपत्ति में वृद्धि करने में एक महत्वपूर्ण चालाक हैं। यह शेयरधारकों की सूची में इस प्रमुख हितधारक को शामिल करके कंपनी में शेयरहोल्डिंग पैटर्न को भी विकेंद्रीकृत करता है।

केंद्रीय बजट 2020 में ई.एस.ओ.पी. कराधान

इस वर्ष के केंद्रीय बजट में, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रस्ताव दिया कि ई.एस.ओ.पी. पर कर को पांच साल के लिए या कंपनी से कर्मचारी के निकलने तक, जो भी पहले हो, स्थगित कर दिया जाएगा। उन्होंने देखा कि ई.एस.ओ.पी . के कराधान के कारण, कर्मचारियों को नकदी प्रवाह की समस्या का सामना करना पड़ रहा था यदि वे उन्हें तुरंत नहीं बेचते थे और बजाय इसके उन्हें लंबे समय तक रख लेते थे।

सीतारमण ने स्वीकार किया कि ई.एस.ओ.पी. का उपयोग प्रतिभाशाली कर्मचारियों को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए स्टार्टअप द्वारा किया जाता है और वे इन कर्मचारियों को दिए जाने वाले मुआवजे में एक महत्वपूर्ण घटक होते हैं। स्टार्टअप्स पिछले कुछ समय से इस निर्णय का अनुरोध कर रहे हैं; वे नहीं चाहते कि उनके कर्मचारियों पर शेयरों के आवंटन के समय कर लगाया जाए।

ई.एस.ओ.पी. में नवीनीकृत रूचि

जाहिर है, ई.एस.ओ.पी. के अभ्यास के मुद्दे पर कर वापस लेने के सरकार के फैसले ने इस योजना में कर्मचारियों और उनके नियोक्ताओं की रूचि को फिर से जागृत किया है। स्टार्टअप आमतौर पर एक तंग बजट पर अपना परिचालन शुरू करते हैं और ई.एस.ओ.पी. उनके नकद-प्रवाह की स्थिति से समझौता किए बिना, जनशक्ति की वांछित गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए ,उनके लिए सही साधन हो सकता है। वे अपने कर्मचारियों की शेयरहोल्डिंग के माध्यम से अपने विकास प्रक्षेपवक्र में एक हिस्सा देकर के (वित्तीय उद्योग के दिग्गजों की तुलना में) आर्थिक शक्ति के मामले में अपनी कमी की भरपाई कर सकते हैं।

यह कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों के लिए एक जीत की स्थिति है, क्योंकि गुणवत्ता जनशक्ति भी स्टार्टअप कंपनियों के विकास को सकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी। एक विशिष्ट स्टार्टअप वेतन संरचना में ई.एस.ओ.पी. की उपस्थिति से भविष्य में केवल बढ़त की संभावना है। विभिन्न स्टार्टअप ने अपने कर्मचारी मुआवजे पैकेज में ई.एस.ओ.पी. के अनुपात में वृद्धि पर विचार किया है।

आखरी पंक्तियाँ

अभ्यास के बिंदु पर ई.एस.ओ.पी. का कराधान हाल के बजट में पूरी तरह से दूर नहीं किया गया है। बजट प्रस्ताव केवल अधिकतम पाँच वर्षों के लिए कर देयता को समाप्त करता है। नियोक्ता और उद्योग विशेषज्ञ बताते हैं कि ई.एस.ओ.पी. का दोहरा कराधान अभी भी कर संरचना में मौजूद है और यह इसे पूरी तरह से प्रभावी प्रतिधारण और क्षतिपूर्ति उपकरण होने से बाधित करेगा।

हालांकि, अगर और बाद में बजट ई.एस.ओ.पी. कराधान पर अधिक उदार दृष्टिकोण लाना चाहें , तो तार्किक कदम अभ्यास के बिंदु पर ई.एस.ओ.पी. के स्थगित कर को हटाना ही होगा।

संवादपत्र

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