Indian Economy: भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ने से रोक रहीं ये दो चुनौतियां, जल्द समाधान नहीं तो होगा बड़ा असर

Indian Economy: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि मौजूदा समय में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में दो बड़े अवरोध हैं और ये दोनों खतरे बाहरी देशों के द्वारा पैदा किए गए हैं। इनमें एक तो तेल की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी है और दूसरा यूक्रेन और रूस के बीच लंबे समय से चल रहा युद्ध है।

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Challenges Before Indian Economy: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने आ रहे मौजूदा संकट को लेकर कई तरह की बातें कहीं हैं। वित्त मंत्री ने तेल की बढ़ती कीमतों के जोखिम और यूक्रेन में रूस के युद्ध से होने वाले प्रभावों का हवाला देते हुए कहा कि भारत के आर्थिक विकास के लिए सबसे बड़ा खतरा देश के बाहर की ताकतों से आएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और अन्य विकसित देशों में संभावित मंदी निर्यात, विशेष रूप से विनिर्माण को नुकसान पहुंचाकर भारत पर दबाव डाल सकती है।

अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में एक इंटरव्यू के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हाल ही में ओपेक और तेल-उत्पादन में आश्चर्यजनक रूप से कटौती से ईंधन की कीमतों पर प्रभाव पड़ा है और रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़े सभी फैसलों का फैलाव दो मुख्य चीजें हैं, जिनकी वजह से चिंताजनक स्थिति बनी है। वित्त मंत्री भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की स्प्रिंग मीटिंग्स में भाग लेने और 20 फाइनैंस चीफ के समूह की सह-अध्यक्षता करने के लिए अमेरिका गई हैं।

भारत की 3.2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था फिलहाल थकाऊ मोड में नजर आ रही है, क्योंकि उच्च ब्याज दरों से घरेलू और विदेशी मांग में कमी आई है। घटती खपत और निवेश के कारण अक्टूबर-दिसंबर की अवधि में वृद्धि पिछली तिमाही के 6.3 फीसद से घटकर 4.4 फीसद हो गई है। आईएमएफ ने इस हफ्ते की शुरुआत में 1 अप्रैल से चालू वित्त वर्ष में भारत के लिए अपने विकास के दृष्टिकोण को जनवरी में 6.1 पर्सेंट पूर्वानुमान से घटाकर 5.9 पर्सेंट कर दिया था। कमजोर विकास और ग्लोबल बैंकिंग सेक्टर में उथल-पुथल ने इस महीने की शुरुआत में आरबीआई को एक दशक में अपने सबसे आक्रामक टाइटनिंग साइकल को रोकने के लिए प्रेरित किया।

Challenges Before Indian Economy: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने आ रहे मौजूदा संकट को लेकर कई तरह की बातें कहीं हैं। वित्त मंत्री ने तेल की बढ़ती कीमतों के जोखिम और यूक्रेन में रूस के युद्ध से होने वाले प्रभावों का हवाला देते हुए कहा कि भारत के आर्थिक विकास के लिए सबसे बड़ा खतरा देश के बाहर की ताकतों से आएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका और अन्य विकसित देशों में संभावित मंदी निर्यात, विशेष रूप से विनिर्माण को नुकसान पहुंचाकर भारत पर दबाव डाल सकती है।

अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में एक इंटरव्यू के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हाल ही में ओपेक और तेल-उत्पादन में आश्चर्यजनक रूप से कटौती से ईंधन की कीमतों पर प्रभाव पड़ा है और रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़े सभी फैसलों का फैलाव दो मुख्य चीजें हैं, जिनकी वजह से चिंताजनक स्थिति बनी है। वित्त मंत्री भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास के साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की स्प्रिंग मीटिंग्स में भाग लेने और 20 फाइनैंस चीफ के समूह की सह-अध्यक्षता करने के लिए अमेरिका गई हैं।

भारत की 3.2 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था फिलहाल थकाऊ मोड में नजर आ रही है, क्योंकि उच्च ब्याज दरों से घरेलू और विदेशी मांग में कमी आई है। घटती खपत और निवेश के कारण अक्टूबर-दिसंबर की अवधि में वृद्धि पिछली तिमाही के 6.3 फीसद से घटकर 4.4 फीसद हो गई है। आईएमएफ ने इस हफ्ते की शुरुआत में 1 अप्रैल से चालू वित्त वर्ष में भारत के लिए अपने विकास के दृष्टिकोण को जनवरी में 6.1 पर्सेंट पूर्वानुमान से घटाकर 5.9 पर्सेंट कर दिया था। कमजोर विकास और ग्लोबल बैंकिंग सेक्टर में उथल-पुथल ने इस महीने की शुरुआत में आरबीआई को एक दशक में अपने सबसे आक्रामक टाइटनिंग साइकल को रोकने के लिए प्रेरित किया।

संवादपत्र

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