- Date : 12/09/2018
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कौन कहता है कि महिलाएं आर्थिक क्षेत्र में काम नहीं कर सकतीं? ये महिलाएं इस रूढ़िवादी सोच को बदल रही हैं।

वित्त की दुनिया पर लंबे समय से पुरूषों का प्रभुत्व रहा है। बैंकिंग, बीमा या निवेश से लेकर वित्तीय योजना तक के क्षेत्र में महिलाओं की राय और काम को अहमियत नहीं दी जाती। लेकिन अब यह सोच बदल रही है। अब महिलाएं दूसरे क्षेत्रों की तरह आर्थिक जगत में भी अपनी छाप छोड़ रही हैं। यहां हम प्रेरणा देने वाली चार महिलाओं का जिक्र कर रहे हैं। ये महिलाएं साबित कर रही हैं कि अर्थिक जगत में भी महिलाएं पुरूषों के बराबर ही सफलता पा सकती हैं।
1. चंदा कोचर
चंदा कोचर का जन्म जोधपुर में हुआ। वह भारत के दूसरे सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई की प्रबंध निदेशक और सीईओ रहीं । कोचर ने वर्ष1984 में बतौर ट्रेनी आईसीआईसीआई बैंक के साथ काम करना शुरू किया । उन्होंने उस दौर में बैंक के साथ काम किया जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी का शिकार हो रही थी। मैनजमेंट ट्रेनी से प्रबंध निदेशक बनने तक, कोचर का सफर उन बहुत सी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है जो बैंकिग के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहती हैं।
उनके नेतृत्व में आईसीआईसीआई भारत के सबसे बड़े निजी बैंकों में से एक बना। इसमें आश्चर्य नहीं कि उन्हें कई बार भारत की सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया गया। आर्थिक जगत में उनके अहम योगदान के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2010 में उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया।
2. उषा अनंतसुब्रमण्यम
अपने 30 वर्ष लंबे करियर में उषा अनंतसुब्रमण्यम ने बहुत से बैंकों जैसे बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय महिला बैंक आदि में काम किया। फिलहाल उषा अनंतसुब्रमण्यम इलाहाबाद बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ के पद पर काम कर रही हैं। अनंतसुब्रमण्यम ने करियर की शुरूआत जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में एक्चूरीअल विभाग के साथ की। सांख्यिकी की पृष्ठभूमि के कारण यहां उन्हें अपनी क्षमता को बढ़ाने का मौका मिला ।
उन्होंने ऐसे समय में पंजाब नेशनल बैंक का कामकाज संभाला जब बैंक के ऐसेट्स की गिरती गुणवत्ता के कारण रिजर्व बैंक उसकी जांच कर रहा था। भारत सरकार ने भारत के पहले पूर्ण महिला बैंक- भारतीय महिला बैंक की स्थापना में उनके योगदान को सराहा।
3. शिखा शर्मा
वर्तमान में शिखा शर्मा एक्सिस बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ के पद पर काम कर रही हैं। एक्सिस बैंक भारत का तीसरा सबसे बड़ा निजी क्षेत्र का बैंक है। उन्होंने वर्ष 1980 में आईसीआईसीआई बैंक के साथ करियर की शुरूआत की थी। उस समय उन्होंने आईसीआईसीआई सिक्युरटीज़, इंवेस्टमेंट बैंकिग और रिटेल फाइनेंसिंग को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई।
वित्त के क्षेत्र में अपने तीन दशक लंबे अनुभव के साथ शिखा एक्सिस बैंक को फ्रैंचाइज़ी, निवेश बैंकिंग और पेमेंट के क्षेत्र में मजबूत बनाने के लिए काम कर रही हैं।
4. अरुन्धति भट्टाचार्य
अरून्धति भट्टाचार्य भारतीय स्टेट बैंक की पूर्व अध्यक्ष रही हैं। वह भारतीय स्टेट बैंक के 208 वर्ष के इतिहास में इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला बनीं। फोर्ब्स पत्रिका की वर्ष 2016 की सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में वह 25वें स्थान पर थीं।
भारतीय स्टेट बैंक में रहते हुए उन्होंने बैंक की महिला कर्मियों के लिए दो वर्ष के सबैटिकल लीव लेने की नीति बनाई जिससे महिलाएं बुजुर्गों की देखभाल या गर्भावस्था के समय छुट्टी ले सकें। उन्होंने बैंक की सभी महिला कर्मियों के लिए सर्वाइकल कैंसर के टीके मुफ्त लगाने की भी शुरूआत की थी।
5.चित्रा रामकृष्ण
रामकृष्ण उन कुछ लोगों में से थीं जिन्हें नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
(एनएसई) को शुरू करने के लिए चुना गया था। उन्होंने उसे मजबूती के साथ बांबे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के बराबर खड़ा किया। उन्होंने चार्टर्ड एकाउंटेंट के रूप में करियर की शुरूआत की और उसके बाद आईडीबीआई बैंक के प्रोजेक्ट फाइनेंस डिविजन में काम करने लगीं। उन्होंने भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) में भी काम किया।
एनएसई में 20 वर्ष काम करने के बाद वर्ष 2013 में रामकृष्ण को इसका प्रबंध निदेशक और सीईओ बनाया गया। इसी वर्ष उन्होंने ‘फोर्ब्स इंडिया विमेन लीडर ऑफ द ईयर’ अवार्ड भी जीता। चित्रा रामकृष्ण ने 2 दिसम्बर 2016 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
6. उषा सांगवान
जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को तकनीकी रूप से चार प्रबंध निदेशकों द्वारा चलाया जाता है। उषा सांगवान एलआईसी की पहली महिला प्रबंध निदेशक बनी। उन्होंने उस समय भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी का नेतृत्व किया जब प्रबंध निदेशकों के बाकि 3 पद 6 महीने तक खाली रहे थे।
इस दौरान बीमा के बाजार में भयंकर प्रतिस्पर्धा के बावजूद एलआईसी का मार्केट शेयर 70% से बढ़कर 71% हो गया और एलआईसी की क्लेम सेटलमेंट दर भी बेहतरीन 99.6% पर बनी रही। सांगवान डिजीटल इंडिया के मिशन ऑफिस की भी प्रमुख हैं। डिजीटल इंडिया मिशन से ही यूपीआई के जरिए भुगतान और जीवन प्रमाण जैसे उत्पादों की शुरूआत की गई। जीवन प्रमाण बायोमैट्र्कि प्रणाली पर काम करता है जिससे वार्षिक भुगतान करना आसान हो जाता है।
7. वानी कोला
वानी कोला ने अपने करियर के 22 वर्ष सिलिकॉन वैली में और 10 वर्ष एक वेंचर कैपिटलिस्ट के तौर पर बिताए। वह बेंगलुरू की कालारी कैपिटल की संस्थापक और प्रबंध निदेशक है। कालारी कैपिटल भारत की अग्रणी अर्ली- स्टेज कैपिटल फर्म में से एक है।
वर्ष 2005 में भारत आने के बाद उन्होंने 6 महीने के भीतर 210 मिलियन डॉलर की फर्स्ट कैपिटल जुटाई। उन्होंने करीब 650 मिलियन डॉलर जुटाने के साथ और 60 स्टार्टअप्स में हिस्सेदारी हासिल की, जिसमें फ्लिपकार्ट और स्नेपडील जैसी कंपनियां भी शामिल हैं।
निष्कर्ष:
इन महिलाओं ने ना केवल अपनी कंपनियों को ऊंचाईयों पर पहुँचाने में मदद की बल्कि आर्थिक जगत में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। ये उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा की स्रोत हैं जो आज भी सोचती हैं कि महिलाएं कुछ क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकती।
वित्त की दुनिया पर लंबे समय से पुरूषों का प्रभुत्व रहा है। बैंकिंग, बीमा या निवेश से लेकर वित्तीय योजना तक के क्षेत्र में महिलाओं की राय और काम को अहमियत नहीं दी जाती। लेकिन अब यह सोच बदल रही है। अब महिलाएं दूसरे क्षेत्रों की तरह आर्थिक जगत में भी अपनी छाप छोड़ रही हैं। यहां हम प्रेरणा देने वाली चार महिलाओं का जिक्र कर रहे हैं। ये महिलाएं साबित कर रही हैं कि अर्थिक जगत में भी महिलाएं पुरूषों के बराबर ही सफलता पा सकती हैं।
1. चंदा कोचर
चंदा कोचर का जन्म जोधपुर में हुआ। वह भारत के दूसरे सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई की प्रबंध निदेशक और सीईओ रहीं । कोचर ने वर्ष1984 में बतौर ट्रेनी आईसीआईसीआई बैंक के साथ काम करना शुरू किया । उन्होंने उस दौर में बैंक के साथ काम किया जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी का शिकार हो रही थी। मैनजमेंट ट्रेनी से प्रबंध निदेशक बनने तक, कोचर का सफर उन बहुत सी महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है जो बैंकिग के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहती हैं।
उनके नेतृत्व में आईसीआईसीआई भारत के सबसे बड़े निजी बैंकों में से एक बना। इसमें आश्चर्य नहीं कि उन्हें कई बार भारत की सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया गया। आर्थिक जगत में उनके अहम योगदान के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2010 में उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया।
2. उषा अनंतसुब्रमण्यम
अपने 30 वर्ष लंबे करियर में उषा अनंतसुब्रमण्यम ने बहुत से बैंकों जैसे बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, भारतीय महिला बैंक आदि में काम किया। फिलहाल उषा अनंतसुब्रमण्यम इलाहाबाद बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ के पद पर काम कर रही हैं। अनंतसुब्रमण्यम ने करियर की शुरूआत जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में एक्चूरीअल विभाग के साथ की। सांख्यिकी की पृष्ठभूमि के कारण यहां उन्हें अपनी क्षमता को बढ़ाने का मौका मिला ।
उन्होंने ऐसे समय में पंजाब नेशनल बैंक का कामकाज संभाला जब बैंक के ऐसेट्स की गिरती गुणवत्ता के कारण रिजर्व बैंक उसकी जांच कर रहा था। भारत सरकार ने भारत के पहले पूर्ण महिला बैंक- भारतीय महिला बैंक की स्थापना में उनके योगदान को सराहा।
3. शिखा शर्मा
वर्तमान में शिखा शर्मा एक्सिस बैंक के प्रबंध निदेशक और सीईओ के पद पर काम कर रही हैं। एक्सिस बैंक भारत का तीसरा सबसे बड़ा निजी क्षेत्र का बैंक है। उन्होंने वर्ष 1980 में आईसीआईसीआई बैंक के साथ करियर की शुरूआत की थी। उस समय उन्होंने आईसीआईसीआई सिक्युरटीज़, इंवेस्टमेंट बैंकिग और रिटेल फाइनेंसिंग को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई।
वित्त के क्षेत्र में अपने तीन दशक लंबे अनुभव के साथ शिखा एक्सिस बैंक को फ्रैंचाइज़ी, निवेश बैंकिंग और पेमेंट के क्षेत्र में मजबूत बनाने के लिए काम कर रही हैं।
4. अरुन्धति भट्टाचार्य
अरून्धति भट्टाचार्य भारतीय स्टेट बैंक की पूर्व अध्यक्ष रही हैं। वह भारतीय स्टेट बैंक के 208 वर्ष के इतिहास में इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला बनीं। फोर्ब्स पत्रिका की वर्ष 2016 की सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में वह 25वें स्थान पर थीं।
भारतीय स्टेट बैंक में रहते हुए उन्होंने बैंक की महिला कर्मियों के लिए दो वर्ष के सबैटिकल लीव लेने की नीति बनाई जिससे महिलाएं बुजुर्गों की देखभाल या गर्भावस्था के समय छुट्टी ले सकें। उन्होंने बैंक की सभी महिला कर्मियों के लिए सर्वाइकल कैंसर के टीके मुफ्त लगाने की भी शुरूआत की थी।
5.चित्रा रामकृष्ण
रामकृष्ण उन कुछ लोगों में से थीं जिन्हें नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
(एनएसई) को शुरू करने के लिए चुना गया था। उन्होंने उसे मजबूती के साथ बांबे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के बराबर खड़ा किया। उन्होंने चार्टर्ड एकाउंटेंट के रूप में करियर की शुरूआत की और उसके बाद आईडीबीआई बैंक के प्रोजेक्ट फाइनेंस डिविजन में काम करने लगीं। उन्होंने भारतीय प्रतिभूति और विनियम बोर्ड (सेबी) में भी काम किया।
एनएसई में 20 वर्ष काम करने के बाद वर्ष 2013 में रामकृष्ण को इसका प्रबंध निदेशक और सीईओ बनाया गया। इसी वर्ष उन्होंने ‘फोर्ब्स इंडिया विमेन लीडर ऑफ द ईयर’ अवार्ड भी जीता। चित्रा रामकृष्ण ने 2 दिसम्बर 2016 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
6. उषा सांगवान
जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को तकनीकी रूप से चार प्रबंध निदेशकों द्वारा चलाया जाता है। उषा सांगवान एलआईसी की पहली महिला प्रबंध निदेशक बनी। उन्होंने उस समय भारत की सबसे बड़ी बीमा कंपनी का नेतृत्व किया जब प्रबंध निदेशकों के बाकि 3 पद 6 महीने तक खाली रहे थे।
इस दौरान बीमा के बाजार में भयंकर प्रतिस्पर्धा के बावजूद एलआईसी का मार्केट शेयर 70% से बढ़कर 71% हो गया और एलआईसी की क्लेम सेटलमेंट दर भी बेहतरीन 99.6% पर बनी रही। सांगवान डिजीटल इंडिया के मिशन ऑफिस की भी प्रमुख हैं। डिजीटल इंडिया मिशन से ही यूपीआई के जरिए भुगतान और जीवन प्रमाण जैसे उत्पादों की शुरूआत की गई। जीवन प्रमाण बायोमैट्र्कि प्रणाली पर काम करता है जिससे वार्षिक भुगतान करना आसान हो जाता है।
7. वानी कोला
वानी कोला ने अपने करियर के 22 वर्ष सिलिकॉन वैली में और 10 वर्ष एक वेंचर कैपिटलिस्ट के तौर पर बिताए। वह बेंगलुरू की कालारी कैपिटल की संस्थापक और प्रबंध निदेशक है। कालारी कैपिटल भारत की अग्रणी अर्ली- स्टेज कैपिटल फर्म में से एक है।
वर्ष 2005 में भारत आने के बाद उन्होंने 6 महीने के भीतर 210 मिलियन डॉलर की फर्स्ट कैपिटल जुटाई। उन्होंने करीब 650 मिलियन डॉलर जुटाने के साथ और 60 स्टार्टअप्स में हिस्सेदारी हासिल की, जिसमें फ्लिपकार्ट और स्नेपडील जैसी कंपनियां भी शामिल हैं।
निष्कर्ष:
इन महिलाओं ने ना केवल अपनी कंपनियों को ऊंचाईयों पर पहुँचाने में मदद की बल्कि आर्थिक जगत में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। ये उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा की स्रोत हैं जो आज भी सोचती हैं कि महिलाएं कुछ क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकती।