- Date : 17/02/2022
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अगर आप अपने वित्तीय लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं, तो आपको समर्पित और अनुशासित निवेशक बनने की जरूरत है।
कम से कम तीन साल के लिए जब कहीं निवेश किया जाए, तो उसे लंबी अवधि का निवेश माना जाना चाहिए। लेकिन, अगर आप सेवानिवृत्ति की योजना बना रहे हैं, तो आपके लिए लंबी अवधि 20-30 साल होनी चाहिए। निवेश से बेहतर रिटर्न के लिए निवेश को लेकर समर्पित और अनुशासित बनने की जरूरत है। यहां आपके जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर आपके द्वारा चुने जा सकने वाले सबसे बेहतर दीर्घकालिक निवेश विकल्पों की जानकारी गई है।
1. पीपीएफ
भारत की सबसे अच्छी दीर्घकालिक निवेश योजनाओं में से एक है सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ), जो फिलहाल 7.1% सालाना ब्याज दर की पेशकश करता है। आप इस योजना में टैक्स बचाने के लिए निवेश कर सकते हैं, क्योंकि इसमें (और ईपीएफ - कर्मचारी भविष्य निधि ) में साल में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स लाभ ले सकते हैं। दोनों सुरक्षित निवेश हैं। इसकी परिपक्वता अवधि हालांकि 15 साल है, लेकिन शर्तों के साथ परिपक्वता अवधि से पहले भी आंशिक निकासी की अनुमति है।
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2. यूलिप्स
यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान या यूलिप्स भी लंबी अवधि के निवेश विकल्प हैं, जिनके बारे में आपको सोचना चाहिए। इसके लिए जो आप प्रीमियम चुकाते हैं, उसका एक हिस्सा बीमा कवरेज में निवेश किया जाता है और बाकी बाजार से जुड़े वित्तीय साधनों जैसे शेयरों और बांडों में निवेश किया जाता है। तो, यूलिप्स बीमा और निवेश दोनों का लाभ देते हैं। साथ ही कुछ प्रकार के प्लान टैक्स बचाने में भी मदद करते हैं। डीम्ड वेल्थ क्रिएटर, यूलिप्स वैसे निवेशकों के लिए सही हैं, जो कम जोखिम सहनशीलता और/या सेवानिवृत्ति, बच्चों की शिक्षा और चिकित्सा आकस्मिकताओं की योजना बना रहे हैं। भुगतान की गई पॉलिसी प्रीमियम राशि पर निवेशक सालाना 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स कटौती का भी लाभ ले सकते हैं।
3. म्युचुअल फंड्स
आप म्युचुअल फंड्स में भी निवेश के बारे में सोच सकते हैं। ये फंड लोगों के एक समूह से पैसे इकट्ठा करते हैं और लंबी अवधि में अधिक रिटर्न के लिए वित्तीय सिक्योरिटीज और मनी मार्केट निवेश साधनों में निवेश करते हैं। इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम(ईएलएसएस) सालाना 1.5 लाख तक निवेशित राशि पर टैक्स कटौटी का लाभ भी देती है। म्युचुअल फंड को इकट्ठा की गई राशि को कहां निवेश करना है, इस आधार पर बांटा जाता है। नीचे इसकी विस्तार से जानकारी दी गई है:
- इक्विटी फंड्स: ज्यादा जोखिम ज्यादा रिटर्न वाले फंड्स होते हैं, इसके तहत पैसों को इक्विटी/शेयर्स में निवेश किया जाता है
- कर्ज/स्थिर आमदनी वाले फंड्स: इसे स्थिर आय के साथ ‘सुरक्षित निवेश’ माना जाता है। इसकी राशि को डिबेंचर्स, सरकारी बॉन्ड्स जैसे कर्ज आधारित निवेश साधन में निवेश किया जाता है।
- मनी मार्केट फंड्स: अतिरिक्त पैसों के निवेश पर तुरंत और मामूली रिटर्न के लिए इसे सुरक्षित माना जाता है। इसे ट्रेजरी बिल्स और कमर्शियल पेपर्स जैसे लिक्विड निवेश साधनों में निवेश किया जाता है।
- हाईब्रिड/संतुलित फंड्स: इसे मिश्रित परिसंपत्ति वर्गों में निवेश किया जाता है, ताकि जोखिम और रिटर्न संतुलित रहे।
कुछ म्युचुअल फंड्स को निवेश लक्ष्यों के हिसाब से भी बांटा जाता है, यहां दो उदाहरण दिए गए हैं:
- ग्रोथ फंड्स: काफी जोखिमपूर्ण है, लेकिन लंबी अवधि के निवेशकों के लिए उपयुक्त है। आमतौर पर इक्विटी/स्टॉक में निवेश किया जाता है।
- टैक्स सेविंग फंड्स (ईएलएसएस): ज्यादा जोखिम ज्यादा रिटर्न वाला फंड, प्राथमिक तौर पर शेयर मार्केट में निवेश करके टैक्स लाभ का आनंद देने वाला
4. राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस)
सभी भारतीय नागरिक इसका लाभ उठा सकते हैं। लंबी अवधि के निवेश के नजरिये से सेवानिवृति के बाद रेगुलर पेंशन के लिए इस स्कीम को शुरू किया गया है। निवेशक इसमें 60 साल तक निवेश कर सकते हैं। इसमें निवेश शुरू करने के तीन साल के बाद मैच्योरिटी से पहले खास खास मौकों पर कुल फंड का 25 प्रतिशत तक पैसा निकाल सकते हैं। जैसे:
- बच्चों की शादी
- बच्चों की उच्चतर शिक्षा
- घर या बिल्डिंग खरीदना
- सब्सक्राइवर या उसके फैमिली सदस्य के लिए चिकित्सकीय इलाज
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मैच्योरिटी से पहले पांच साल या उससे अधिक के अंतराल पर अधिकतम तीन निकासी की अनुमति है। 60 साल के होने पर सब्सक्राइबर एनपीएस से बाहर निकल सकते हैं। प्राप्त आय में से, उन्हें वार्षिकी की खरीद में राशि का कम से कम 40% निवेश करना होगा।
एनपीएस योगदान छूट-छूट-छूट (ईईई) कर व्यवस्था के अंतर्गत आता है, जहां योगदान की गई राशि, उससे होने वाली आय और परिपक्वता राशि सभी कर-मुक्त हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य सूचना उद्देश्यों के लिए है और इसे निवेश या कर या कानूनी सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। इन क्षेत्रों में निर्णय लेते समय आपको अलग से स्वतंत्र सलाह लेनी चाहिए।