- Date : 16/09/2020
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क्या आपने अपनी नौकरी छोड़ दी है या छोड़ने की योजना बना रहे हैं? इस लेख को पढ़कर जानें कि अपने ईपीएफ के साथ आपको क्या करना है

दशकों से ईपीएफ के नाम से मशहूर कर्मचारी भविष्य निधि ने भारत में वेतनभोगी वर्ग के लिए वित्तीय ढाल की तरह काम किया है । ईपीएफ इंडिया में निवेश स्वचालित और अनिवार्य है|यह उन कर्मचारियों के लिए एक सुविधाजनक आश्रय है जिन्होंने वर्षों तक मेहनत की है । आज भारत में 4 .5 करोड़ ईपीएफ सदस्य हैं, जिनमें से 7 .2 करोड़ इस वित्त वर्ष में जोड़े गए हैं।
हम जीवन में विभिन्न अप्रत्याशित स्थितियों का सामना कर रहे हैं ।हम एक दिलचस्प व्यापार के अवसर के बारे में सोच सकते हैं, या नौकरी खोने जैसे किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण सहायता लेने की सोच सकते है। या हम बस काम से ब्रेक लेना चाहते हो । हमे यह जानना महत्वपूर्ण है कि अगर हमें कभी इसमें योगदान देना बंद करना पड़े तो ईपीएफ से कैसे लाभ मिल सकता है ।
आगे पढ़िए और जानिये कि अपना ईपीएफ बैलेंस कैसे चेक करें, ईपीएफ से पैसे कैसे निकालें, कब निकालें आदि।
ईपीएफ क्या होता है?
ईपीएफ बैलेंस में पिछले कुछ वर्षों में कर्मचारी और नियोक्ता द्वारा किये गए योगदान,अर्जित ब्याज के साथ जमा रहते है। ईपीएफ निवेश का एक सुरक्षित जरिया है और एक अच्छी ब्याज दर प्रदान करता है। वित्त वर्ष 2019-2020 के लिए ईपीएफ की ब्याज दर 8.5% थी। हालांकि पिछले वर्ष से अभी इसमें एक मामूली गिरावट आयी है, पर ईपीएफ फिर भी आपके पोर्टफोलियो में सबसे अच्छे निवेश विकल्पों में से एक है|
ईपीएफ में कर्मचारी पेंशन स्कीम (ईपीएस) भी शामिल है, जो ईपीएफ में पेंशन योगदान होता है। ईपीएस आपकी सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन प्रदान करता है, जो 58 साल की उम्र में यदि किसी ने न्यूनतम 10 साल की सेवा दी है ,उसे मिलता है ।
ईपीएफ बैलेंस की जांच कैसे करें
अपने ईपीएफ बैलेंस की जांच करने के लिए, आपको अपने खाते को अपने यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) के साथ टैग करना होगा। इसके बाद आप यहां से ईपीएफ पासबुक डाउनलोड कर सकते हैं।
कोई ईपीएफ से पैसे कब निकाल सकता है?
- 58 वर्ष की आयु होने के बाद सेवा से सेवानिवृत्ति
- बेरोजगारी
- नौकरी बदलने के परिणामस्वरूप अगले नियोक्ता को ईपीएफ का हस्तांतरण
मौजूदा ईपीएफ नियमों के तहत अगर आप 58 वर्ष के होने से पहले ईपीएफ निकासी करना चाहते हैं तो नौकरी छोड़ने के बाद 60 दिन (दो महीने) बेरोजगार रहकर आप पीएफ का पूरा बैलेंस निकाल सकते हैं। एक महीने तक बेरोजगार रहने के बाद आप फंड का 75% निकाल सकते हैं।
कृपया ध्यान दें कि एकमुश्त राशि के निकासी की अनुमति तभी दी जाती है जब आपकी सेवा अवधि 10 वर्ष से कम हो। यदि यह 10 वर्ष से अधिक हो, तो आपको पेंशन योग्य सेवा, पेंशन योग्य वेतन और रोजगार अवधि ख़त्म होने पर देय पेंशन की राशि बताते हुए पेंशन का प्रमाण पत्र दिया जाता है ।
निकासी प्रक्रिया
अगर आपके पास आधार नंबर है तो ईपीएफ से निकासी सरल है, क्योंकि तब यह प्रक्रिया ई-सेवा पोर्टल पर ऑनलाइन पूरी की जा सकती है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) पोर्टल पर अपने खाते में लॉग इन करने से पहले आपका यूएएन सक्रिय होना चाहिए। 'वन ईपीएफ अकाउंट (ट्रांसफर रिक्वेस्ट) ' का चयन करें, फिर ट्रांसफर क्लेम फॉर्म को प्रमाणित करने के लिए पिछले या वर्तमान नियोक्ता का चयन करें, मान्य ओटीपी डालें और 'सबमिट' बटन दबाये।
आप अपने ईपीएफ क्लेम की स्थिति की जांच बाद में कर सकते हैं। अगर आपके पास आधार कार्ड नहीं है तो फिर आपको अपने बैंक खाते के एक रद्द चेक के साथ निकासी क्लेम फॉर्म जमा करने के लिए ईपीएफओ कार्यालय जाना होगा। यदि आपने पांच साल से कम समय तक काम किया है, तो आपको एक स्थायी खाता संख्या (पैन) प्रदान करना होगा और इसके अलावा यदि लागू होती हो तो फॉर्म 15G/15H की दो प्रतियां।
ईपीएफ का दावा करते समय जरूरी फॉर्म अलग-अलग हो सकता है। जो कर्मचारी 58 साल की उम्र पूरा होने से पहले नौकरी से इस्तीफा देते हैं, वे पूरा ईपीएफ बैलेंस निकाल सकते हैं। आपको नीचे दी गई सूचि से अपनी स्थिति के आधार पर यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आप सही फॉर्म चुनें।
- ईपीएस राशि के साथ पीएफ बैलेंस वापस लेना (10 साल से कम सेवा पर)
अगर आपकी सेवा अवधि 10 साल से कम है तो ईपीएफ और ईपीएस, दोनों की रकम का भुगतान किया जाएगा। बस 'अंतिम पीएफ बैलेंस' और 'पेंशन निकासी' विकल्प के साथ कम्पोजिट क्लेम फॉर्म जमा करें। यदि आप फिर से सेवा उद्योग में शामिल होने की योजना बनाते हैं, तो आप फॉर्म 10C प्रस्तुत करके 'योजना प्रमाण पत्र' प्राप्त करने का विकल्प चुन सकते हैं।
- ईपीएस राशि के साथ पीएफ बैलेंस निकालना (10 साल से अधिक सेवा पर)
अगर आप पहले से 10 साल या उससे ज्यादा काम कर चुके हैं तो ईपीएस की रकम नहीं निकाली जा सकती। आप कंपोजिट क्लेम फॉर्म के साथ फॉर्म 10सी फाइल करके केवल स्कीम सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं । पेंशन का भुगतान 58 वर्ष की आयु से किया जाएगा, हालांकि 50 वर्ष की आयु से कम पेंशन का लाभ उठाया जा सकता है।
- केवल पीएफ बैलेंस और कम पेंशन की राशि निकालना (आयु 50-58; 10 वर्ष से अधिक सेवा पर )
आपकी उम्र 50 वर्ष होने के बाद ही आप पेंशन पा सकते हैं, जब आपने कम से कम 10 साल की सेवा दी हो। यदि आपने 10 वर्ष से अधिक समय तक काम किया है और आपकी आयु 50 से 58 वर्ष के बीच हैं, तो आप कम पेंशन का विकल्प चुन सकते हैं। इस प्रक्रिया के लिए, कंपोजिट क्लेम फॉर्म के साथ फॉर्म 10डी जमा करें।
- केवल पीएफ बैलेंस और पूर्ण पेंशन वापस लेना (58 की आयु के बाद)
58 की उम्र के बाद, आपको पूर्ण पेंशन का दावा करने के लिए फॉर्म 10D जमा करना होगा। संशोधित नियमों के मुताबिक, ईपीएफ के सदस्य को ईपीएफ खाते के बैलेंस का 75% तक या तीन महीने की मूल वेतन या आपको जो भी रकम चाहिए, जो भी सबसे कम हो,उसे निकाल सकता है।
अंतिम शब्द
आपको अपने फायदे के लिए हमेशा ईपीएफ का उपयोग करना चाहिए। नौकरी बदलने पर अपने ईपीएफ बैलेंस को नए नियोक्ता को ट्रांसफर करने का सुझाव दिया जाता है, क्योंकि यह अनुशासित बचत का एक रूप है । अगर आप खुद का बिजनेस शुरू करना छोड़ देते हैं तो आपके ईपीएफ खाता का पूरा बैलेंस नेशनल पेंशन स्कीम में ट्रांसफर किया जा सकता है।
दशकों से ईपीएफ के नाम से मशहूर कर्मचारी भविष्य निधि ने भारत में वेतनभोगी वर्ग के लिए वित्तीय ढाल की तरह काम किया है । ईपीएफ इंडिया में निवेश स्वचालित और अनिवार्य है|यह उन कर्मचारियों के लिए एक सुविधाजनक आश्रय है जिन्होंने वर्षों तक मेहनत की है । आज भारत में 4 .5 करोड़ ईपीएफ सदस्य हैं, जिनमें से 7 .2 करोड़ इस वित्त वर्ष में जोड़े गए हैं।
हम जीवन में विभिन्न अप्रत्याशित स्थितियों का सामना कर रहे हैं ।हम एक दिलचस्प व्यापार के अवसर के बारे में सोच सकते हैं, या नौकरी खोने जैसे किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण सहायता लेने की सोच सकते है। या हम बस काम से ब्रेक लेना चाहते हो । हमे यह जानना महत्वपूर्ण है कि अगर हमें कभी इसमें योगदान देना बंद करना पड़े तो ईपीएफ से कैसे लाभ मिल सकता है ।
आगे पढ़िए और जानिये कि अपना ईपीएफ बैलेंस कैसे चेक करें, ईपीएफ से पैसे कैसे निकालें, कब निकालें आदि।
ईपीएफ क्या होता है?
ईपीएफ बैलेंस में पिछले कुछ वर्षों में कर्मचारी और नियोक्ता द्वारा किये गए योगदान,अर्जित ब्याज के साथ जमा रहते है। ईपीएफ निवेश का एक सुरक्षित जरिया है और एक अच्छी ब्याज दर प्रदान करता है। वित्त वर्ष 2019-2020 के लिए ईपीएफ की ब्याज दर 8.5% थी। हालांकि पिछले वर्ष से अभी इसमें एक मामूली गिरावट आयी है, पर ईपीएफ फिर भी आपके पोर्टफोलियो में सबसे अच्छे निवेश विकल्पों में से एक है|
ईपीएफ में कर्मचारी पेंशन स्कीम (ईपीएस) भी शामिल है, जो ईपीएफ में पेंशन योगदान होता है। ईपीएस आपकी सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन प्रदान करता है, जो 58 साल की उम्र में यदि किसी ने न्यूनतम 10 साल की सेवा दी है ,उसे मिलता है ।
ईपीएफ बैलेंस की जांच कैसे करें
अपने ईपीएफ बैलेंस की जांच करने के लिए, आपको अपने खाते को अपने यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) के साथ टैग करना होगा। इसके बाद आप यहां से ईपीएफ पासबुक डाउनलोड कर सकते हैं।
कोई ईपीएफ से पैसे कब निकाल सकता है?
- 58 वर्ष की आयु होने के बाद सेवा से सेवानिवृत्ति
- बेरोजगारी
- नौकरी बदलने के परिणामस्वरूप अगले नियोक्ता को ईपीएफ का हस्तांतरण
मौजूदा ईपीएफ नियमों के तहत अगर आप 58 वर्ष के होने से पहले ईपीएफ निकासी करना चाहते हैं तो नौकरी छोड़ने के बाद 60 दिन (दो महीने) बेरोजगार रहकर आप पीएफ का पूरा बैलेंस निकाल सकते हैं। एक महीने तक बेरोजगार रहने के बाद आप फंड का 75% निकाल सकते हैं।
कृपया ध्यान दें कि एकमुश्त राशि के निकासी की अनुमति तभी दी जाती है जब आपकी सेवा अवधि 10 वर्ष से कम हो। यदि यह 10 वर्ष से अधिक हो, तो आपको पेंशन योग्य सेवा, पेंशन योग्य वेतन और रोजगार अवधि ख़त्म होने पर देय पेंशन की राशि बताते हुए पेंशन का प्रमाण पत्र दिया जाता है ।
निकासी प्रक्रिया
अगर आपके पास आधार नंबर है तो ईपीएफ से निकासी सरल है, क्योंकि तब यह प्रक्रिया ई-सेवा पोर्टल पर ऑनलाइन पूरी की जा सकती है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) पोर्टल पर अपने खाते में लॉग इन करने से पहले आपका यूएएन सक्रिय होना चाहिए। 'वन ईपीएफ अकाउंट (ट्रांसफर रिक्वेस्ट) ' का चयन करें, फिर ट्रांसफर क्लेम फॉर्म को प्रमाणित करने के लिए पिछले या वर्तमान नियोक्ता का चयन करें, मान्य ओटीपी डालें और 'सबमिट' बटन दबाये।
आप अपने ईपीएफ क्लेम की स्थिति की जांच बाद में कर सकते हैं। अगर आपके पास आधार कार्ड नहीं है तो फिर आपको अपने बैंक खाते के एक रद्द चेक के साथ निकासी क्लेम फॉर्म जमा करने के लिए ईपीएफओ कार्यालय जाना होगा। यदि आपने पांच साल से कम समय तक काम किया है, तो आपको एक स्थायी खाता संख्या (पैन) प्रदान करना होगा और इसके अलावा यदि लागू होती हो तो फॉर्म 15G/15H की दो प्रतियां।
ईपीएफ का दावा करते समय जरूरी फॉर्म अलग-अलग हो सकता है। जो कर्मचारी 58 साल की उम्र पूरा होने से पहले नौकरी से इस्तीफा देते हैं, वे पूरा ईपीएफ बैलेंस निकाल सकते हैं। आपको नीचे दी गई सूचि से अपनी स्थिति के आधार पर यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आप सही फॉर्म चुनें।
- ईपीएस राशि के साथ पीएफ बैलेंस वापस लेना (10 साल से कम सेवा पर)
अगर आपकी सेवा अवधि 10 साल से कम है तो ईपीएफ और ईपीएस, दोनों की रकम का भुगतान किया जाएगा। बस 'अंतिम पीएफ बैलेंस' और 'पेंशन निकासी' विकल्प के साथ कम्पोजिट क्लेम फॉर्म जमा करें। यदि आप फिर से सेवा उद्योग में शामिल होने की योजना बनाते हैं, तो आप फॉर्म 10C प्रस्तुत करके 'योजना प्रमाण पत्र' प्राप्त करने का विकल्प चुन सकते हैं।
- ईपीएस राशि के साथ पीएफ बैलेंस निकालना (10 साल से अधिक सेवा पर)
अगर आप पहले से 10 साल या उससे ज्यादा काम कर चुके हैं तो ईपीएस की रकम नहीं निकाली जा सकती। आप कंपोजिट क्लेम फॉर्म के साथ फॉर्म 10सी फाइल करके केवल स्कीम सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं । पेंशन का भुगतान 58 वर्ष की आयु से किया जाएगा, हालांकि 50 वर्ष की आयु से कम पेंशन का लाभ उठाया जा सकता है।
- केवल पीएफ बैलेंस और कम पेंशन की राशि निकालना (आयु 50-58; 10 वर्ष से अधिक सेवा पर )
आपकी उम्र 50 वर्ष होने के बाद ही आप पेंशन पा सकते हैं, जब आपने कम से कम 10 साल की सेवा दी हो। यदि आपने 10 वर्ष से अधिक समय तक काम किया है और आपकी आयु 50 से 58 वर्ष के बीच हैं, तो आप कम पेंशन का विकल्प चुन सकते हैं। इस प्रक्रिया के लिए, कंपोजिट क्लेम फॉर्म के साथ फॉर्म 10डी जमा करें।
- केवल पीएफ बैलेंस और पूर्ण पेंशन वापस लेना (58 की आयु के बाद)
58 की उम्र के बाद, आपको पूर्ण पेंशन का दावा करने के लिए फॉर्म 10D जमा करना होगा। संशोधित नियमों के मुताबिक, ईपीएफ के सदस्य को ईपीएफ खाते के बैलेंस का 75% तक या तीन महीने की मूल वेतन या आपको जो भी रकम चाहिए, जो भी सबसे कम हो,उसे निकाल सकता है।
अंतिम शब्द
आपको अपने फायदे के लिए हमेशा ईपीएफ का उपयोग करना चाहिए। नौकरी बदलने पर अपने ईपीएफ बैलेंस को नए नियोक्ता को ट्रांसफर करने का सुझाव दिया जाता है, क्योंकि यह अनुशासित बचत का एक रूप है । अगर आप खुद का बिजनेस शुरू करना छोड़ देते हैं तो आपके ईपीएफ खाता का पूरा बैलेंस नेशनल पेंशन स्कीम में ट्रांसफर किया जा सकता है।