- Date : 08/05/2021
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- Read in English: Should investors consider RailTel’s IPO after IRFC’s weak listing?
यहां बताया गया है कि आईआरएफसी की कमजोर लिस्टिंग के बाद निवेशक को रेलटेल के आईपीओ में निवेश करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

हम सरकार द्वारा भारत के नागरिकों को मुहैया कराई जाने वाली विभिन्न सेवाओं से अच्छी तरह अवगत हैं। इसमें शिक्षा, बिजली, पानी, बीमा, परिवहन, कच्चा तेल, स्टील आदि जैसी सेवाएं शामिल हैं। ये सेवाएं किफायती मूल्यों पर सरकारी क्षेत्र की विभिन्न कंपनियों द्वारा मुहैया कराई जाती हैं। अधिकतर स्थितियों में, माना जाता है कि आम जनता के कल्याण हेतु ऐसे व्यवसायों को चलाना घाटे का काम होता है। और इसीलिए, पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) शुरू किए गए।
पीएसयू क्या हैं?
सरकार द्वारा चलाए जाने वाले व्यवसाय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम या पीएसयू कहलाते हैं। ऐसे संगठनों में अधिकांश हिस्सेदारी (51%) सरकार के पास रहती है। ऐसे संगठनों को केंद्र सरकार, राज्य सरकार अथवा दोनों सरकारें मिलकर चलाती हैं। इस क्षेत्र का संचालन भारी उद्योग मंत्रालय और सार्वजनिक उपक्रमों का मंत्रालय करते हैं।
हाल में, रेलटेल नामक एक पीएसयू कंपनी की ओर से इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) जारी किए गए। आमतौर पर, सरकार फंड जुटाने और अपनी कंपनियों का विनिवेश करने के लिए आईपीओ का मार्ग चुनती है। इस तरह से, ऐसी कंपनियों के संभावित निजीकरण द्वारा सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी कम की जा सकती है।
इससे जुड़ी बातें: आईपीओ में निवेश करने में कौन सी बातें ध्यान में रखी जानी चाहिए?
रेलटेल आईपीओ
पृष्ठभूमि
रेलटेल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को भारत में सबसे बड़े निष्पक्ष टेलीकॉम इनफ्रास्ट्रक्चर प्रदाता के रूप में जाना जाता है और यह सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के तहत आता है। इस संगठन ने सितंबर 2000 में काम करना शुरू किया और तब से यह सतत प्रगति की राह पर चलता रहा है।
इसकी सेवाओं में शामिल हैं एनएलडी (नेशनल लॉन्ग डिस्टेंस) सेवाएं, लीज्ड लाइंस, मल्टी-प्रोटोकोल लेबल स्विचिंग (एमपीएलएस) आधारित वर्चुअल निजी नेटवर्क (वीपीएन) सुविधाएं तथा अन्य। यह संगठन दूरसंचार अवसंरचना सेवाओं, डेटा सेंटर तथा प्रबंधित होस्टिंग सेवाओं एवं सिस्टम इंटीग्रेशन सेवाओं के व्यापक दायरे के अंदर विभिन्न सेवाएं प्रदान करता है।
आईपीओ के बारे में
रेलटेल आईपीओ एक ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) था, इसलिए कोई नया इश्यू जारी नहीं किया जा रहा था। इस आईपीओ को विनिवेश के उद्देश्य से जारी किया गया।
प्रति शेयर रु. 93-94 के मूल्य पर कंपनी 819 करोड़ रुपए का सार्वजनिक इश्यू जारी कर रही थी। किसी भी निवेशक को न्यूनतम 155 शेयर खरीदना होता था और इस तरह कुल मिलाकर 14,570 रुपए का न्यूनतम निवेश करना होता था। कुल इश्यू में से 50% क्वालिफायड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (क्यूआईबी) के लिए, 15% नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (एनआईआई) के लिए और शेष 35% खुदरा (रीटेल) निवेशकों के लिए निर्धारित किया गया।
मूल्यांकन और प्रभाव
रेलटेल आईपीओ को 42 बार ओवरसब्सक्राइब किया गया। इंस्टीट्यूशनल और एचएनआई अंशों को क्रमशः 65 और 73 बार सब्सक्राइब किया गया। रेलटेल कैटेगरी को 17 बार सब्सक्राइब किया गया। 94 रु. के ऊपरी सीमा, 3017 करोड़ के मार्केट कैप, 33x एन्यूअलाइज्ड पीई और 2x के P/B वैल्यू पर इश्यू को अग्रणी विश्लेषकों ने अच्छ मूल्यांकन दिया।
26 फरवरी 2021 को आईपीओ की एक टेपिड लिस्टिंग थी। 11.27% प्रीमियम के साथ रु. 94 की आईपीओ कीमत की तुलना में इसे प्रति शेयर रु. 109 पर सूचीबद्ध किया गया। हालांकि, तब से कीमत में उछाल आती रही और 16 मार्च 2021 को 140 रु. से अधिक पर स्टॉक बंद हुआ। इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि आईआरएफसी की कमजोर लिस्टिंग के बावजूद, निवेशकों ने रेलटेल में भरोसा और विश्वास जताया जिसके पीछे बेहतरीन फंडामेंटल्स, सरकारी सहयोग और विस्तार की भावी योजनाएं थीं।
इससे जुड़ी बातें: आईपीओ किस प्रकार एनएफओ से भिन्न है?
संभावित जोखिम
यहां कुछ ऐसे कारक बताए गए हैं जो भविष्य के लिए संभावित जोखिम बन सकते हैं:
- चूंकि इस व्यवसाय में सरकार की एक बड़ी हिस्सेदारी है तो नियमों और नियामकों में कोई भी परिवर्तन रेलटेल के बिजनस के ऊपर बुरा असर डाल सकता है।
- दूरसंचार (टेलीकॉम) उद्योग जबरदस्त रूप से प्रतिस्पर्धी है। यदि कंपनी अद्यतन तकनीकी सेवाएं नहीं प्रदान करती है तो इस कारण व्यवसाय अनुपयुक्त हो सकता है जिससे यूएसपी (यूनिक सेलिंग प्रोपोजिशन) की क्षति होगी।
- इस इंडस्ट्री को पूंजी का भारी बहिर्प्रवाह (आउटफ्लो) और बड़ी स्थिर लागत चाहिए।
- रेलटेल कानूनी प्रक्रियाओं में शामिल रहा। यदि इनके विपरीत परिणाम आए तो इसकी व्यावसायिक प्रतिष्ठा और नकदीप्रवाह (कैशफ्लो) प्रभावित हो सकता है।
- राजस्व के लिए कंपनी सरकारी निकायों (जैसे कि भारतीय रेल) पर बहुत ज्यादा निर्भर करती है ।
इससे जुड़ी बातें: भारत में आईपीओ से जुड़ी प्रमुख बातें
क्या हमें पीएसयू में निवेश करना चाहिए?
उपरोक्त प्रश्न का उत्तर बहुत ही विषयनिष्ठ है। इस बारे में सारा कुछ निर्भर करता है व्यक्ति के जोखिम लेने की क्षमता और इच्छा पर, उस समय सीमा पर जिसमें व्यक्ति निवेश करता है, अर्जित लाभ के उद्देश्य आदि पर। इन कारकों को ध्यान में रखकर आप निर्धारित कर सकते हो कि क्या उक्त इंस्ट्रूमेंट में निवेश करने से आपकी जरूरतें पूरी होती हैं।
इसके बाद, आइए उन विविध कारकों को समझें जो पीएसयू में आपके निवेश के निर्णय को प्रभावित कर सकता है।
- जोखिम उठाने की क्षमता: व्यक्ति अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर इस कंपनी में निवेश का फैसला कर सकता है।
- निवेश की अवधि: यदि आप छोटी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो पीएसयू के बारे में सोचा जा सकता है। लंबी अवधि के लिए, हो सकता है पीएसयू सार्वजनिक कंपनी होने की वजह से बेहतर न हो क्योंकि ऐसी कंपनियों द्वारा एनपीए (गैर-निष्पादन परिसंपत्ति) के निर्माण होने की संभावना बनी रहती है, उनकी विकास दर धीमी होती है और उनमें कुशल प्रबंधन का प्रायः अभाव दिखता है।
- प्राप्ति: यदि आप लाभांश के रूप में अच्छी प्राप्ति की उम्मीद करते हैं तो कुछ पीएसयू स्टॉक बेहतर लाभांश देती हैं, तो इसलिए बुद्धिमानी से चयन करें।
- हानि: कुछ स्थियों में, शेयर के बहुत अधिक सब्स्क्राइब होने के बावजूद रिपोर्ट दर्शाती हैं कि कंपनी के घाटा उठाया।
ये कुछ कारक हैं जो इस व्यवसाय के धुंधले पक्ष की ओर संकेत करते हैं। आपको व्यवसाय और बाजार समझना होगा और उसी अनुरूप निवेश करना होगा।
इससे जुड़ी बातें: क्या आपके आईपीओ का सही वैल्यू किया गया है?
अंतिम शब्द
पीएसयू या स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किसी भी स्टॉक में निवेश पर बाजार के जोखिम का असर पड़ता है, इसलिए आपको को कुछ जांच-परख और स्टॉक विश्लेषण करना होगा। कंपनी के स्टॉक में निवेश के सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष होते हैं, इसलिए विविध कारकों पर जरूर विचार करें। पीएसयू को सुरक्षित माना जाता है कि क्योंकि इसमें प्रमुख हिस्सेदारी सरकार की होती है। निम्नलिखित देखें प्रामाणिक निवेश रणनीतियां जिनपर उतार-चढ़ाव भरे बाजार के लिए विचार किया जा सकता है।
अस्वीकरण: इस आलेख का उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी प्रदान करना है और इसे निवेश के बारे में, टैक्स के बारे में या कानूनी सलाह के रूप में न मान जाए। इस क्षेत्र में निर्णय लेने के समय आप अलग से परामर्श लेना चाहिए।
हम सरकार द्वारा भारत के नागरिकों को मुहैया कराई जाने वाली विभिन्न सेवाओं से अच्छी तरह अवगत हैं। इसमें शिक्षा, बिजली, पानी, बीमा, परिवहन, कच्चा तेल, स्टील आदि जैसी सेवाएं शामिल हैं। ये सेवाएं किफायती मूल्यों पर सरकारी क्षेत्र की विभिन्न कंपनियों द्वारा मुहैया कराई जाती हैं। अधिकतर स्थितियों में, माना जाता है कि आम जनता के कल्याण हेतु ऐसे व्यवसायों को चलाना घाटे का काम होता है। और इसीलिए, पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) शुरू किए गए।
पीएसयू क्या हैं?
सरकार द्वारा चलाए जाने वाले व्यवसाय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम या पीएसयू कहलाते हैं। ऐसे संगठनों में अधिकांश हिस्सेदारी (51%) सरकार के पास रहती है। ऐसे संगठनों को केंद्र सरकार, राज्य सरकार अथवा दोनों सरकारें मिलकर चलाती हैं। इस क्षेत्र का संचालन भारी उद्योग मंत्रालय और सार्वजनिक उपक्रमों का मंत्रालय करते हैं।
हाल में, रेलटेल नामक एक पीएसयू कंपनी की ओर से इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) जारी किए गए। आमतौर पर, सरकार फंड जुटाने और अपनी कंपनियों का विनिवेश करने के लिए आईपीओ का मार्ग चुनती है। इस तरह से, ऐसी कंपनियों के संभावित निजीकरण द्वारा सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी कम की जा सकती है।
इससे जुड़ी बातें: आईपीओ में निवेश करने में कौन सी बातें ध्यान में रखी जानी चाहिए?
रेलटेल आईपीओ
पृष्ठभूमि
रेलटेल कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को भारत में सबसे बड़े निष्पक्ष टेलीकॉम इनफ्रास्ट्रक्चर प्रदाता के रूप में जाना जाता है और यह सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के तहत आता है। इस संगठन ने सितंबर 2000 में काम करना शुरू किया और तब से यह सतत प्रगति की राह पर चलता रहा है।
इसकी सेवाओं में शामिल हैं एनएलडी (नेशनल लॉन्ग डिस्टेंस) सेवाएं, लीज्ड लाइंस, मल्टी-प्रोटोकोल लेबल स्विचिंग (एमपीएलएस) आधारित वर्चुअल निजी नेटवर्क (वीपीएन) सुविधाएं तथा अन्य। यह संगठन दूरसंचार अवसंरचना सेवाओं, डेटा सेंटर तथा प्रबंधित होस्टिंग सेवाओं एवं सिस्टम इंटीग्रेशन सेवाओं के व्यापक दायरे के अंदर विभिन्न सेवाएं प्रदान करता है।
आईपीओ के बारे में
रेलटेल आईपीओ एक ऑफर फॉर सेल (ओएफएस) था, इसलिए कोई नया इश्यू जारी नहीं किया जा रहा था। इस आईपीओ को विनिवेश के उद्देश्य से जारी किया गया।
प्रति शेयर रु. 93-94 के मूल्य पर कंपनी 819 करोड़ रुपए का सार्वजनिक इश्यू जारी कर रही थी। किसी भी निवेशक को न्यूनतम 155 शेयर खरीदना होता था और इस तरह कुल मिलाकर 14,570 रुपए का न्यूनतम निवेश करना होता था। कुल इश्यू में से 50% क्वालिफायड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (क्यूआईबी) के लिए, 15% नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (एनआईआई) के लिए और शेष 35% खुदरा (रीटेल) निवेशकों के लिए निर्धारित किया गया।
मूल्यांकन और प्रभाव
रेलटेल आईपीओ को 42 बार ओवरसब्सक्राइब किया गया। इंस्टीट्यूशनल और एचएनआई अंशों को क्रमशः 65 और 73 बार सब्सक्राइब किया गया। रेलटेल कैटेगरी को 17 बार सब्सक्राइब किया गया। 94 रु. के ऊपरी सीमा, 3017 करोड़ के मार्केट कैप, 33x एन्यूअलाइज्ड पीई और 2x के P/B वैल्यू पर इश्यू को अग्रणी विश्लेषकों ने अच्छ मूल्यांकन दिया।
26 फरवरी 2021 को आईपीओ की एक टेपिड लिस्टिंग थी। 11.27% प्रीमियम के साथ रु. 94 की आईपीओ कीमत की तुलना में इसे प्रति शेयर रु. 109 पर सूचीबद्ध किया गया। हालांकि, तब से कीमत में उछाल आती रही और 16 मार्च 2021 को 140 रु. से अधिक पर स्टॉक बंद हुआ। इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि आईआरएफसी की कमजोर लिस्टिंग के बावजूद, निवेशकों ने रेलटेल में भरोसा और विश्वास जताया जिसके पीछे बेहतरीन फंडामेंटल्स, सरकारी सहयोग और विस्तार की भावी योजनाएं थीं।
इससे जुड़ी बातें: आईपीओ किस प्रकार एनएफओ से भिन्न है?
संभावित जोखिम
यहां कुछ ऐसे कारक बताए गए हैं जो भविष्य के लिए संभावित जोखिम बन सकते हैं:
- चूंकि इस व्यवसाय में सरकार की एक बड़ी हिस्सेदारी है तो नियमों और नियामकों में कोई भी परिवर्तन रेलटेल के बिजनस के ऊपर बुरा असर डाल सकता है।
- दूरसंचार (टेलीकॉम) उद्योग जबरदस्त रूप से प्रतिस्पर्धी है। यदि कंपनी अद्यतन तकनीकी सेवाएं नहीं प्रदान करती है तो इस कारण व्यवसाय अनुपयुक्त हो सकता है जिससे यूएसपी (यूनिक सेलिंग प्रोपोजिशन) की क्षति होगी।
- इस इंडस्ट्री को पूंजी का भारी बहिर्प्रवाह (आउटफ्लो) और बड़ी स्थिर लागत चाहिए।
- रेलटेल कानूनी प्रक्रियाओं में शामिल रहा। यदि इनके विपरीत परिणाम आए तो इसकी व्यावसायिक प्रतिष्ठा और नकदीप्रवाह (कैशफ्लो) प्रभावित हो सकता है।
- राजस्व के लिए कंपनी सरकारी निकायों (जैसे कि भारतीय रेल) पर बहुत ज्यादा निर्भर करती है ।
इससे जुड़ी बातें: भारत में आईपीओ से जुड़ी प्रमुख बातें
क्या हमें पीएसयू में निवेश करना चाहिए?
उपरोक्त प्रश्न का उत्तर बहुत ही विषयनिष्ठ है। इस बारे में सारा कुछ निर्भर करता है व्यक्ति के जोखिम लेने की क्षमता और इच्छा पर, उस समय सीमा पर जिसमें व्यक्ति निवेश करता है, अर्जित लाभ के उद्देश्य आदि पर। इन कारकों को ध्यान में रखकर आप निर्धारित कर सकते हो कि क्या उक्त इंस्ट्रूमेंट में निवेश करने से आपकी जरूरतें पूरी होती हैं।
इसके बाद, आइए उन विविध कारकों को समझें जो पीएसयू में आपके निवेश के निर्णय को प्रभावित कर सकता है।
- जोखिम उठाने की क्षमता: व्यक्ति अपनी जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर इस कंपनी में निवेश का फैसला कर सकता है।
- निवेश की अवधि: यदि आप छोटी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो पीएसयू के बारे में सोचा जा सकता है। लंबी अवधि के लिए, हो सकता है पीएसयू सार्वजनिक कंपनी होने की वजह से बेहतर न हो क्योंकि ऐसी कंपनियों द्वारा एनपीए (गैर-निष्पादन परिसंपत्ति) के निर्माण होने की संभावना बनी रहती है, उनकी विकास दर धीमी होती है और उनमें कुशल प्रबंधन का प्रायः अभाव दिखता है।
- प्राप्ति: यदि आप लाभांश के रूप में अच्छी प्राप्ति की उम्मीद करते हैं तो कुछ पीएसयू स्टॉक बेहतर लाभांश देती हैं, तो इसलिए बुद्धिमानी से चयन करें।
- हानि: कुछ स्थियों में, शेयर के बहुत अधिक सब्स्क्राइब होने के बावजूद रिपोर्ट दर्शाती हैं कि कंपनी के घाटा उठाया।
ये कुछ कारक हैं जो इस व्यवसाय के धुंधले पक्ष की ओर संकेत करते हैं। आपको व्यवसाय और बाजार समझना होगा और उसी अनुरूप निवेश करना होगा।
इससे जुड़ी बातें: क्या आपके आईपीओ का सही वैल्यू किया गया है?
अंतिम शब्द
पीएसयू या स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किसी भी स्टॉक में निवेश पर बाजार के जोखिम का असर पड़ता है, इसलिए आपको को कुछ जांच-परख और स्टॉक विश्लेषण करना होगा। कंपनी के स्टॉक में निवेश के सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष होते हैं, इसलिए विविध कारकों पर जरूर विचार करें। पीएसयू को सुरक्षित माना जाता है कि क्योंकि इसमें प्रमुख हिस्सेदारी सरकार की होती है। निम्नलिखित देखें प्रामाणिक निवेश रणनीतियां जिनपर उतार-चढ़ाव भरे बाजार के लिए विचार किया जा सकता है।
अस्वीकरण: इस आलेख का उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी प्रदान करना है और इसे निवेश के बारे में, टैक्स के बारे में या कानूनी सलाह के रूप में न मान जाए। इस क्षेत्र में निर्णय लेने के समय आप अलग से परामर्श लेना चाहिए।