‌Bihar Food: बिहार के खुरमा, तिलकुट और बालू शाही की बनेगी राष्ट्रीय पहचान, जीआई टैग के लिए आवेदन मंजूर

Famous Delicacies Of Bihar: हाजीपुर के फेमस ‘चिनिया केले’, नालंदा की पॉपुलर ‘बावन बूटी’ साड़ी और गया के ‘पत्थरकट्टी स्टोन क्राफ्ट’ के लिए भी इसी तरह के आवेदन जीआई रजिस्ट्री ने मंजूर किए हैं।

‌Bihar Food

Famous Delicacies Of Bihar: नैशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) ने बिहार के कई पॉपुलर व्यंजनों और उत्पादों, जैसे खुरमा, तिलकुट, चिनिया केला, बावन बूटी साड़ी और बालू शाही के लिए जीआई टैग के वास्ते आवेदन दाखिल कराने में उत्पादक संघों की सहायता की है। नाबार्ड के बिहार चीफ जनरल मैनेजर सुनील कुमार ने कहा कि हमने इस उद्देश्य के लिए विशेषज्ञों को भी नियुक्त किया है। बैंक जीआई रजिस्ट्रेशन प्रोसेस में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और मार्केटिंग लिंकेज, ब्रैंडिंग और इन उत्पादों के प्रचार के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

बिहार के पॉपुलर व्यंजन खुरमा, तिलकुट और बालू शाही की देश-विदेश में अच्छी डिमांड है। इन व्यंजनों के लिए जियो टैगिंग की मांग करने वाले आवेदनों को प्रारंभिक जांच के बाद सक्षम प्राधिकारी द्वारा मंजूर कर लिया गया है। जीआई टैग किसी उत्पाद को किसी विशेष इलाके की प्रमुख पहचान बनाने में को कारगर है ही, साथ ही इससे प्रचारित भी होता है। भोजपुर के उदवंतनगर ‘खुरमा’, गया के ‘तिलकुट’ और सीतामढ़ी के बालू शाही के साथ ही हाजीपुर के ‘चिनिया’ केले, नालंदा की लोकप्रिय ‘बावन बूटी’ साड़ी और गया के ‘पत्थरकट्टी स्टोन क्राफ्ट'’ की आमने वाले समय में महत्वपूर्ण जांच और परीक्षा के बाद जीआई रजिस्ट्री होने की संभावना है।

आपको बता दें कि भोजपुर का खुरमा विदेशियों को पसंद आता है। वहीं, तिल और गुड़ से बना तिलकुट देश के बाहर काफी पॉपुलर है। सीतामढ़ी के रुन्नी सैदपुर गांव का मीठा व्यंजन बालू शाही भी देशभर में काफी लोकप्रिय है। कुमार ने कहा कि इन व्यंजनों और उत्पादों के लिए जीआई टैग से किसानों, निर्माताओं और इन वस्तुओं से जुड़े कारीगरों को ज्यादा कमाई करने में मदद मिलेगी। हाल ही में बिहार के प्रसिद्ध ‘मार्चा चावल’ को जीआई टैग प्रदान किया गया, जो अपने सुगंधित स्वाद के लिए फेमस है। भागलपुर का ‘जर्दालू आम’, ‘कतरनी धान’, नवादा का ‘मघई पान’ और मुजफ्फरपुर की ‘शाही लीची’ पहले ही जीआई टैग के तहत संरक्षित किए जा चुके हैं।

Famous Delicacies Of Bihar: नैशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (NABARD) ने बिहार के कई पॉपुलर व्यंजनों और उत्पादों, जैसे खुरमा, तिलकुट, चिनिया केला, बावन बूटी साड़ी और बालू शाही के लिए जीआई टैग के वास्ते आवेदन दाखिल कराने में उत्पादक संघों की सहायता की है। नाबार्ड के बिहार चीफ जनरल मैनेजर सुनील कुमार ने कहा कि हमने इस उद्देश्य के लिए विशेषज्ञों को भी नियुक्त किया है। बैंक जीआई रजिस्ट्रेशन प्रोसेस में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और मार्केटिंग लिंकेज, ब्रैंडिंग और इन उत्पादों के प्रचार के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

बिहार के पॉपुलर व्यंजन खुरमा, तिलकुट और बालू शाही की देश-विदेश में अच्छी डिमांड है। इन व्यंजनों के लिए जियो टैगिंग की मांग करने वाले आवेदनों को प्रारंभिक जांच के बाद सक्षम प्राधिकारी द्वारा मंजूर कर लिया गया है। जीआई टैग किसी उत्पाद को किसी विशेष इलाके की प्रमुख पहचान बनाने में को कारगर है ही, साथ ही इससे प्रचारित भी होता है। भोजपुर के उदवंतनगर ‘खुरमा’, गया के ‘तिलकुट’ और सीतामढ़ी के बालू शाही के साथ ही हाजीपुर के ‘चिनिया’ केले, नालंदा की लोकप्रिय ‘बावन बूटी’ साड़ी और गया के ‘पत्थरकट्टी स्टोन क्राफ्ट'’ की आमने वाले समय में महत्वपूर्ण जांच और परीक्षा के बाद जीआई रजिस्ट्री होने की संभावना है।

आपको बता दें कि भोजपुर का खुरमा विदेशियों को पसंद आता है। वहीं, तिल और गुड़ से बना तिलकुट देश के बाहर काफी पॉपुलर है। सीतामढ़ी के रुन्नी सैदपुर गांव का मीठा व्यंजन बालू शाही भी देशभर में काफी लोकप्रिय है। कुमार ने कहा कि इन व्यंजनों और उत्पादों के लिए जीआई टैग से किसानों, निर्माताओं और इन वस्तुओं से जुड़े कारीगरों को ज्यादा कमाई करने में मदद मिलेगी। हाल ही में बिहार के प्रसिद्ध ‘मार्चा चावल’ को जीआई टैग प्रदान किया गया, जो अपने सुगंधित स्वाद के लिए फेमस है। भागलपुर का ‘जर्दालू आम’, ‘कतरनी धान’, नवादा का ‘मघई पान’ और मुजफ्फरपुर की ‘शाही लीची’ पहले ही जीआई टैग के तहत संरक्षित किए जा चुके हैं।

संवादपत्र

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