- Date : 30/04/2023
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ATM Fraudsters: आप अगर किसी ऐसे एटीएम में पैसे निकालने जा रहे हैं, जहां आपको कोई सिक्यॉरिटी गार्ड नहीं दिखता है तो जरा सतर्क रहिएगा, नहीं तो पल भर में कोई आपके साथ बड़ा खेल कर सकता है।

ATM fraudsters: आपने कभी ऐसी स्थिति का सामना किया है, जब आप किसी ऐसे एटीएम में डेबिट कार्ड डालते हैं और वहां सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं हैं। अचानक आपका कार्ड मशीन में फंस जाता है। आपका जवाब अगर हां है तो आप अकेले नहीं हैं। बाइक या अन्य गाड़ियों पर ठग ऐसे एटीएम के आसपास घूम रहे हैं, जहां सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं हैं, जिससे कि वे डेबिड कार्ड यूजर्स से धोखाधड़ी कर सकें। वे ऐसे यूजर्स के कार्ड को क्लोन करके या उनके कार्ड बदलकर उनकी जीवन भर की कमाई पल भर में गायब कर दे रहे हैं। जब तक आपको अपने साथ ठगी का पता चलता है, तब तक आपसे हजारों से लेकर लाखों रुपये की धोखाधड़ी हो चुकी होती है।
भारत के कई इलाकों में ऐसे ढेरों गैंग सक्रिय हैं, जो एटीएम से पिन डालकर पैसा निकालने में लोगों की मदद करते हैं। लेकिन पैसा निकालने के बाद कार्ड मशीन में फंस जाता है और एटीएम की स्क्रीन पर शेष राशि, फोन नंबर और अन्य जानकारियां आने लगती हैं। जैसे ही आपको लगेगा कि मशीन में कुछ गड़बड़ है, तो दो या तीन लोग अंदर घुसेंगे और उनमें से एक आपसे बातचीत करने लगेगा, जबकि दूसरा आपके कार्ड को दूसरे कार्ड से बदल देगा। इसके बाद वे गायब हो जाएंगे और फिर कुछ देर बाद आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर पैसा निकलने का मेसेज आएगा।
ग्राहक जब तक कार्ड बंद कराने के लिए बैंक से संपर्क करेगा, तब तक उसे पता चलेगा कि अकाउंट से कुछ और हजार रुपये निकल गए हैं। कार्ड बंद कराना भी अपने आप में जटिल प्रक्रिया है, क्योंकि बैंकों के पास ऐसे मसलों से निपटने के लिए एक डेडिकेटेड लाइन या टीम नहीं है। जब तक कार्ड को ब्लॉक कराने की कवायद जारी रहती है, तब तक और कई हजार रुपये खाते से निकाले जा चुके होते हैं।
आरबीआई की सलाह के बाद आप यह सोचकर अपनी शाखा से संपर्क करेंगे और साइबर अपराध शाखा में मामला दर्ज कराएंगे कि वे आपका पैसा वापस दिलाने में मदद करेंगे। हालांकि, बैंक वही घिसा-पिटा जवाब देता है कि आपके पिन से छेड़छाड़ की गई होगी, इसलिए आपको पैसा वापस नहीं किया जा सकता। इसी तरह साइबर क्राइम ब्रांच के पास आपके मामले के लिए समय नहीं होगा, क्योंकि उनके पास ऐसे मामलों की लंबी लिस्ट है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2021-22 में कार्ड/इंटरनेट एटीएम/डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग से संबंधित धोखाधड़ी की 65,893 घटनाएं घटीं और इनसे 258.61 करोड़ रुपये का चूना लगा।
ATM fraudsters: आपने कभी ऐसी स्थिति का सामना किया है, जब आप किसी ऐसे एटीएम में डेबिट कार्ड डालते हैं और वहां सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं हैं। अचानक आपका कार्ड मशीन में फंस जाता है। आपका जवाब अगर हां है तो आप अकेले नहीं हैं। बाइक या अन्य गाड़ियों पर ठग ऐसे एटीएम के आसपास घूम रहे हैं, जहां सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं हैं, जिससे कि वे डेबिड कार्ड यूजर्स से धोखाधड़ी कर सकें। वे ऐसे यूजर्स के कार्ड को क्लोन करके या उनके कार्ड बदलकर उनकी जीवन भर की कमाई पल भर में गायब कर दे रहे हैं। जब तक आपको अपने साथ ठगी का पता चलता है, तब तक आपसे हजारों से लेकर लाखों रुपये की धोखाधड़ी हो चुकी होती है।
भारत के कई इलाकों में ऐसे ढेरों गैंग सक्रिय हैं, जो एटीएम से पिन डालकर पैसा निकालने में लोगों की मदद करते हैं। लेकिन पैसा निकालने के बाद कार्ड मशीन में फंस जाता है और एटीएम की स्क्रीन पर शेष राशि, फोन नंबर और अन्य जानकारियां आने लगती हैं। जैसे ही आपको लगेगा कि मशीन में कुछ गड़बड़ है, तो दो या तीन लोग अंदर घुसेंगे और उनमें से एक आपसे बातचीत करने लगेगा, जबकि दूसरा आपके कार्ड को दूसरे कार्ड से बदल देगा। इसके बाद वे गायब हो जाएंगे और फिर कुछ देर बाद आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर पैसा निकलने का मेसेज आएगा।
ग्राहक जब तक कार्ड बंद कराने के लिए बैंक से संपर्क करेगा, तब तक उसे पता चलेगा कि अकाउंट से कुछ और हजार रुपये निकल गए हैं। कार्ड बंद कराना भी अपने आप में जटिल प्रक्रिया है, क्योंकि बैंकों के पास ऐसे मसलों से निपटने के लिए एक डेडिकेटेड लाइन या टीम नहीं है। जब तक कार्ड को ब्लॉक कराने की कवायद जारी रहती है, तब तक और कई हजार रुपये खाते से निकाले जा चुके होते हैं।
आरबीआई की सलाह के बाद आप यह सोचकर अपनी शाखा से संपर्क करेंगे और साइबर अपराध शाखा में मामला दर्ज कराएंगे कि वे आपका पैसा वापस दिलाने में मदद करेंगे। हालांकि, बैंक वही घिसा-पिटा जवाब देता है कि आपके पिन से छेड़छाड़ की गई होगी, इसलिए आपको पैसा वापस नहीं किया जा सकता। इसी तरह साइबर क्राइम ब्रांच के पास आपके मामले के लिए समय नहीं होगा, क्योंकि उनके पास ऐसे मामलों की लंबी लिस्ट है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, साल 2021-22 में कार्ड/इंटरनेट एटीएम/डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग से संबंधित धोखाधड़ी की 65,893 घटनाएं घटीं और इनसे 258.61 करोड़ रुपये का चूना लगा।