लंबी अवधि का निवेश बेहतर क्यों होता है?

क्या आपको लगता है कि लंबी अवधि के निवेश में इंतजार करने का फायदा नहीं होता? यहां जानिये कि आप क्यों गलत हैं।

Reasons why Long term investments are better

जब भी मैं यात्रा करता हूं, यात्रियों के साथ दोस्ती करना पसंद करता हूं। इससे अलग-अलग नजरिया जानने का मौका मिलता है। लेकिन, जब वो यात्री ये जान लेते हैं कि मैं आर्थिक मामलों का लेखक हूं, तो सभी अन्य बातें खत्म हो जाती है। वे निवेश के बारे में बातें करना शुरू कर देते हैं।

सवाल अक्सर एक जैसे होते हैं: लोग जानना चाहते हैं कि क्या मैं उनको बाज़ार में अच्छे शेयर खरीदने में मदद कर सकता हूं? क्या मैं उन्हें कुछ बेहतर टिप्स दे सकता हूं? ज्यादातर लोगों में जल्दी और आसानी से पैसा कमाने की भूख सी होती है।

मुझे अक्सर बताना पड़ता है कि निवेश कभी भी छोटी अवधि के लिए नहीं होता है। अगर आप छोटी अवधि में कोई संपत्ति खरीद और बेच रहे हैं, तो आप निवेश नहीं ट्रेडिंग कर रहे हैं। ट्रेडिंग और निवेश के बीच एक मौलिक अंतर है।

वास्तव में, अगर आप दुनिया के दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट के रास्ते पर चलते हैं, तो आप जानेंगे कि शॉर्ट टर्म निवेश कोई तरीका नहीं है। वे ‘ट्रेडिंग’ शब्द में विश्वास नहीं करते हैं।

जब आप किसी खास एसेट यानि संपत्ति में निवेश करते हैं, तो आमतौर पर ये उस एसेट की उत्पादकता के लिए होता है, जो उस निवेश से मिलता है। आपके निवेश की वैल्यू आपके द्वारा निवेश की जाने वाली संपत्ति के आंतरिक मूल्य से जुड़ा होता है। आमतौर पर किसी संपत्ति का बाज़ार भाव और आंतरिक मूल्य आगे-पीछे चलते हैं।

ये मेरे शब्द नहीं हैं। मैंने बफेट द्वारा हर साल शेयरधारकों को पत्र के माध्यम दिए गए ज्ञान को आपसे बांटने की कोशिश की है।

आइए इसे एक उदाहरण के तौर पर समझते हैं, जिससे आप परिचित होंगे।

अगर आप 1979 से S&P BSE सेंसेक्स के भाव का आंकलन करते हैं (जब बेंचमार्क इंडेक्स की शुरुआत हुई), तो आप पाएंगे लगातार इसमें तेजी का रुख बना हुआ है। 1979 में 119 के स्तर से बढ़कर 2016 में सेंसेक्स 28,000 के स्तर पर पहुंच गया।

इसलिए, अगर आपने S&P BSE सेंसेक्स के आधार पर निवेश शुरू किया, तो आपका निवेश इंडेक्स के प्रदर्शन के मुताबिक बढ़ेगा। हालांकि कुछ साल ऐसे हो सकते हैं जब सेंसेक्स पिछले साल के मुकाबले नीचे आ सकता है। लेकिन लंबी अवधि में ये हमेशा ऊपर की ओर ही जाएगा।


समस्या क्या है?

निवेश को बढ़ने में समय लगता है। किसी भी पेड़ की तरह आप उम्मीद करते हैं कि आखिर में आपको फल के स्वाद की तरह निवेश का आनंद मिलेगा।

लेकिन हमारे सपने हमें बेसब्र बनाते हैं। हम दुनिया की यात्रा करना चाहते हैं; एक बड़े शहर में समुद्र के किनारे घर बनाना चाहते हैं; बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं, और पर्याप्त पैसों के साथ रिटायर होना चाहते हैं। इन सारी जरूरतों को जीवन के अलग-अलग समय में पूरा करने की जरूरत है। यही वो जगह है जहां मुश्किलें आती हैं: लोग अक्सर लंबी अवधि के निवेश को छोटी अवधि के सपनों के साथ जोड़ते हैं, और भ्रमित हो जाते हैं।

लक्ष्य तय करें

अपने सपनों को लक्ष्य के तौर पर मानें। ये एक अच्छी शुरुआत है। एक बार आप बैठकर मूल्यांकन करते हैं, तो आप समझ जाएंगे किसके लिए निवेश कर रहे हैं। इंटरनेट पर आपको फाइनेंशियल प्लानिंग से जुड़ी काफी सामग्री मिल जाएगी। थोड़ा ज्यादा पढ़ने से आपको अपने लक्ष्य को और बेहतर दिशा देने में मदद मिलेगी। अपने लक्ष्य तय करने के लिए एक वित्तीय सलाहकार की मदद लें। मौजूदा दौर में फाइनेंशियल प्लानिंग पर ऑनलाइन और ऑफलाइन काफी जानकारी मिल जाती है। जबकि एक दशक पहले ऐसा नहीं था।

पैसे के प्रति नजरिए में बदलाव करें

शुरू करने के लिए ज्यादातर लोगों को पैसे के प्रति अपने नजिरया में मौलिक बदलाव करने की जरूरत होती है। आम तौर पर, लोग हर महीने खर्च के लिए पैसा निकालकर बची हुए रकम का निवेश करते हैं। हमारे निवेश और खर्च के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव की जरूरत है। हम जिन सपनों के पूरा करने के लिए निवेश करते हैं, उसके लिए पहले कोशिश करनी चाहिए। यानी, पहले हमें अपनी आमदनी में से निवेश करना चाहिए, और फिर बचे हुए पैसे खर्च करना चाहिए। इस तरह का अनुशासन आपको सपनों को हकीकत में बदलने में मदद कर सकता है।

इसके बारे में कैसे समझें

अगर आप वॉरेन बफेट के रास्ते पर जाते हैं, तो आपको हर साल एक ऐसे फंड में निवेश करने की आवश्यकता है, जो बेंचमार्क इंडेक्स के प्रदर्शन को ट्रैक करता है। इससे पहले सेंसेक्स या NSE निफ्टी के प्रदर्शन को सटीक तौर पर ट्रैक करना संभव नहीं था। आपको इन इंडेक्स में शामिल शेयरों को उसी अनुपात में खरीदना पड़ता था, जिस अनुपात में इन शेयरों का वेटेज इन इंडेक्स में है।

लेकिन साल 2002 से, भारतीय बाज़ारों में इंडेक्स आधारित फंड्स की एंट्री हुई। जैसे, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) या इंडेक्स फंड्स जो बेंचमार्क इंडेक्स जैसे S&P BSE सेंसेक्स के प्रदर्शन को ट्रैक करते हैं। इसलिए आज, 30 कंपनियों के प्रदर्शन को ट्रैक करना संभव है, जो इंडेक्स को सटीक तरीके से बनाते हैं।

अंतिम निष्कर्ष

मैं एक वित्तीय सलाहकार नहीं हूं। हालांकि, एक पत्रकार के तौर पर मैंने उन लोगों से बात की जो वित्तीय उत्पाद (फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स) बेचते हैं, या हर दिन वित्तीय संपत्ति (फाइनेंशियल एसेट्स) का प्रबंधन करते हैं। एक लेखक के तौर पर, जो आपको कोई भी वित्तीय उत्पाद नहीं बेच रहे हैं, हमारी जानकारी उन लोगों के साथ हमारी बातचीत पर आधारित है, जो आपके पैसे के प्रबंधन के कारोबार में हैं।

जब भी मैं यात्रा करता हूं, यात्रियों के साथ दोस्ती करना पसंद करता हूं। इससे अलग-अलग नजरिया जानने का मौका मिलता है। लेकिन, जब वो यात्री ये जान लेते हैं कि मैं आर्थिक मामलों का लेखक हूं, तो सभी अन्य बातें खत्म हो जाती है। वे निवेश के बारे में बातें करना शुरू कर देते हैं।

सवाल अक्सर एक जैसे होते हैं: लोग जानना चाहते हैं कि क्या मैं उनको बाज़ार में अच्छे शेयर खरीदने में मदद कर सकता हूं? क्या मैं उन्हें कुछ बेहतर टिप्स दे सकता हूं? ज्यादातर लोगों में जल्दी और आसानी से पैसा कमाने की भूख सी होती है।

मुझे अक्सर बताना पड़ता है कि निवेश कभी भी छोटी अवधि के लिए नहीं होता है। अगर आप छोटी अवधि में कोई संपत्ति खरीद और बेच रहे हैं, तो आप निवेश नहीं ट्रेडिंग कर रहे हैं। ट्रेडिंग और निवेश के बीच एक मौलिक अंतर है।

वास्तव में, अगर आप दुनिया के दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट के रास्ते पर चलते हैं, तो आप जानेंगे कि शॉर्ट टर्म निवेश कोई तरीका नहीं है। वे ‘ट्रेडिंग’ शब्द में विश्वास नहीं करते हैं।

जब आप किसी खास एसेट यानि संपत्ति में निवेश करते हैं, तो आमतौर पर ये उस एसेट की उत्पादकता के लिए होता है, जो उस निवेश से मिलता है। आपके निवेश की वैल्यू आपके द्वारा निवेश की जाने वाली संपत्ति के आंतरिक मूल्य से जुड़ा होता है। आमतौर पर किसी संपत्ति का बाज़ार भाव और आंतरिक मूल्य आगे-पीछे चलते हैं।

ये मेरे शब्द नहीं हैं। मैंने बफेट द्वारा हर साल शेयरधारकों को पत्र के माध्यम दिए गए ज्ञान को आपसे बांटने की कोशिश की है।

आइए इसे एक उदाहरण के तौर पर समझते हैं, जिससे आप परिचित होंगे।

अगर आप 1979 से S&P BSE सेंसेक्स के भाव का आंकलन करते हैं (जब बेंचमार्क इंडेक्स की शुरुआत हुई), तो आप पाएंगे लगातार इसमें तेजी का रुख बना हुआ है। 1979 में 119 के स्तर से बढ़कर 2016 में सेंसेक्स 28,000 के स्तर पर पहुंच गया।

इसलिए, अगर आपने S&P BSE सेंसेक्स के आधार पर निवेश शुरू किया, तो आपका निवेश इंडेक्स के प्रदर्शन के मुताबिक बढ़ेगा। हालांकि कुछ साल ऐसे हो सकते हैं जब सेंसेक्स पिछले साल के मुकाबले नीचे आ सकता है। लेकिन लंबी अवधि में ये हमेशा ऊपर की ओर ही जाएगा।


समस्या क्या है?

निवेश को बढ़ने में समय लगता है। किसी भी पेड़ की तरह आप उम्मीद करते हैं कि आखिर में आपको फल के स्वाद की तरह निवेश का आनंद मिलेगा।

लेकिन हमारे सपने हमें बेसब्र बनाते हैं। हम दुनिया की यात्रा करना चाहते हैं; एक बड़े शहर में समुद्र के किनारे घर बनाना चाहते हैं; बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं, और पर्याप्त पैसों के साथ रिटायर होना चाहते हैं। इन सारी जरूरतों को जीवन के अलग-अलग समय में पूरा करने की जरूरत है। यही वो जगह है जहां मुश्किलें आती हैं: लोग अक्सर लंबी अवधि के निवेश को छोटी अवधि के सपनों के साथ जोड़ते हैं, और भ्रमित हो जाते हैं।

लक्ष्य तय करें

अपने सपनों को लक्ष्य के तौर पर मानें। ये एक अच्छी शुरुआत है। एक बार आप बैठकर मूल्यांकन करते हैं, तो आप समझ जाएंगे किसके लिए निवेश कर रहे हैं। इंटरनेट पर आपको फाइनेंशियल प्लानिंग से जुड़ी काफी सामग्री मिल जाएगी। थोड़ा ज्यादा पढ़ने से आपको अपने लक्ष्य को और बेहतर दिशा देने में मदद मिलेगी। अपने लक्ष्य तय करने के लिए एक वित्तीय सलाहकार की मदद लें। मौजूदा दौर में फाइनेंशियल प्लानिंग पर ऑनलाइन और ऑफलाइन काफी जानकारी मिल जाती है। जबकि एक दशक पहले ऐसा नहीं था।

पैसे के प्रति नजरिए में बदलाव करें

शुरू करने के लिए ज्यादातर लोगों को पैसे के प्रति अपने नजिरया में मौलिक बदलाव करने की जरूरत होती है। आम तौर पर, लोग हर महीने खर्च के लिए पैसा निकालकर बची हुए रकम का निवेश करते हैं। हमारे निवेश और खर्च के तरीके में महत्वपूर्ण बदलाव की जरूरत है। हम जिन सपनों के पूरा करने के लिए निवेश करते हैं, उसके लिए पहले कोशिश करनी चाहिए। यानी, पहले हमें अपनी आमदनी में से निवेश करना चाहिए, और फिर बचे हुए पैसे खर्च करना चाहिए। इस तरह का अनुशासन आपको सपनों को हकीकत में बदलने में मदद कर सकता है।

इसके बारे में कैसे समझें

अगर आप वॉरेन बफेट के रास्ते पर जाते हैं, तो आपको हर साल एक ऐसे फंड में निवेश करने की आवश्यकता है, जो बेंचमार्क इंडेक्स के प्रदर्शन को ट्रैक करता है। इससे पहले सेंसेक्स या NSE निफ्टी के प्रदर्शन को सटीक तौर पर ट्रैक करना संभव नहीं था। आपको इन इंडेक्स में शामिल शेयरों को उसी अनुपात में खरीदना पड़ता था, जिस अनुपात में इन शेयरों का वेटेज इन इंडेक्स में है।

लेकिन साल 2002 से, भारतीय बाज़ारों में इंडेक्स आधारित फंड्स की एंट्री हुई। जैसे, एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) या इंडेक्स फंड्स जो बेंचमार्क इंडेक्स जैसे S&P BSE सेंसेक्स के प्रदर्शन को ट्रैक करते हैं। इसलिए आज, 30 कंपनियों के प्रदर्शन को ट्रैक करना संभव है, जो इंडेक्स को सटीक तरीके से बनाते हैं।

अंतिम निष्कर्ष

मैं एक वित्तीय सलाहकार नहीं हूं। हालांकि, एक पत्रकार के तौर पर मैंने उन लोगों से बात की जो वित्तीय उत्पाद (फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स) बेचते हैं, या हर दिन वित्तीय संपत्ति (फाइनेंशियल एसेट्स) का प्रबंधन करते हैं। एक लेखक के तौर पर, जो आपको कोई भी वित्तीय उत्पाद नहीं बेच रहे हैं, हमारी जानकारी उन लोगों के साथ हमारी बातचीत पर आधारित है, जो आपके पैसे के प्रबंधन के कारोबार में हैं।

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