Stock Market upward or downfall: शेयर बाजार में तेजी या गिरावट?

अमरीका में महंगाई के चलते अब सबकी नजर अमरीकी संघीय मुक्त बाजार समिति (FOMC) के नतीजों पर।

शेयर बाजार में तेजी या गिरावट

Stock market: वैश्विक बाजार इस समय मंदी और महंगाई से जूझ रहा है। आनेवाले समय में शेयर बाजार का प्रदर्शन कई प्रमुख बातों पर निर्भर करेगा। इसमें महत्त्वपूर्ण हैं अमरीकी फेडरल रिज़र्व द्वारा तय की जाने वाली ब्याज की दरें। शेयर बाजार में विदेशी पूँजी निवेश की आवक अंतरराष्ट्रीय मार्ग बाजार में कच्चे तेल की कीमतों पर भी निर्भर करती है। इन सबका असर शेयर बाजार के सूचकांक पर पड़ता है।

पिछले हफ्ते शेयर बाजार में गिरावट देखी गई है। भारतीय स्टॉक एक्सचेंज (निफ्टी) में 302.50 अंक की गिरावट देखी गई। यह गिरावट 1.69% की थी। वहीं बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सेंसेक्स 952.35 अंक लुढ़का और उसमें 1.59% की कमी आई। पिछले हफ्ते शुक्रवार को कारोबार बंद होते समय सेंसेक्स 58,840.79 अंक पर था जो कि 1093.22 अंक कम था और इसमें 1.89% की गिरावट देखी गई।  

निफ्टी भी 346.55 अंक लुढ़का। शुक्रवार को निफ्टी का इंडेक्स 1.94% की गिरावट के साथ 17,530.85 अंकों पर बंद हुआ। इन तमाम अटकलों के बीच जानते हैं इस हफ्ते शेयर बाजार में क्या परिस्थितियाँ उभर सकती हैं। 

वैश्विक बाजार पर अमेरिका की महंगाई का साया 

स्वास्तिका इन्वेस्ट मार्ट लिमिटेड के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने जानकारी देते हुए कहा, “अमरीका में महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए वैश्विक बाजार में बहुत डर बना हुआ है। इस कारण डॉलर का सूचकांक भी अब 110 के पास पहुँच गया है।” अब सभी कारोबारियों का ध्यान अमरीका की संघीय मुक्त बाजार समिति की होने वाली बैठक पर टिका है। यह इसलिए भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इस समय विदेशी निवेशकों में भारतीय इक्विटी में बिकवाली की ओर रुझान देखा जा रहा है। इसी बीच बैंक ऑफ इंग्लैंड के ब्याज दर भी तय होनेवाले हैं। इन सभी बातों का संस्थागत निवेश पर प्रभाव पड़ेगा।

यह भी पढ़ें: RBI की नवीनतम मौद्रिक नीति समीक्षा कैसे प्रभावित करती है?

फेडरल रिज़र्व बैंक की बैठक होगी महत्त्वपूर्ण

रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के शोध उपाध्यक्ष अजीत मिश्रा का कहना है, “घरेलू आंकड़ों और घटनाओं के अभाव में निवेशक अब अमेरिकी फेडरल रिज़र्व बैंक की बैठक पर ध्यान केंद्रित करेंगे। साथ ही विदेशी आवक पर भी लोगों का ध्यान बना रहेगा।” जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर का कहना है कि बाजार में हाल ही में देखी गई गिरावट डॉलर सूचकांक की बढ़ोतरी और घरेलू बाजार में बॉन्ड यील्ड के बढ़ते रवैये के कारण है जबकि व्यापक आर्थिक आंकड़े काफी मजबूत हैं।

सीएनआई रिसर्च लिमिटेड के सीएमडी किशोर पी ओस्तवाल का मानना है कि अमरीकी महंगाई दर अब कुछ-कुछ काबू में नजर आ रही है। अमेरिकी महंगाई की दर अभी 8.3% है जो कि अनुमानित 8.1% से अधिक तो है लेकिन अपने उच्चतम स्तर 8.9% से कम हो गई है। इसलिए माना जा सकता है कि महंगाई काबू में आ रही है। इसके चलते यह भी कहा जा सकता है कि अब निफ्टी में भी गिरावट का दौर लगभग पूरा हो चुका है। उनका मानना है कि बाजार में अभी तेजी की क्षमता बाकी है। 

यह भी पढ़ें: बजट विधियों के साथ क़र्ज़ मुक्त 

3M INDIA LTD SHARE LATEST UPDATE

Stock market: वैश्विक बाजार इस समय मंदी और महंगाई से जूझ रहा है। आनेवाले समय में शेयर बाजार का प्रदर्शन कई प्रमुख बातों पर निर्भर करेगा। इसमें महत्त्वपूर्ण हैं अमरीकी फेडरल रिज़र्व द्वारा तय की जाने वाली ब्याज की दरें। शेयर बाजार में विदेशी पूँजी निवेश की आवक अंतरराष्ट्रीय मार्ग बाजार में कच्चे तेल की कीमतों पर भी निर्भर करती है। इन सबका असर शेयर बाजार के सूचकांक पर पड़ता है।

पिछले हफ्ते शेयर बाजार में गिरावट देखी गई है। भारतीय स्टॉक एक्सचेंज (निफ्टी) में 302.50 अंक की गिरावट देखी गई। यह गिरावट 1.69% की थी। वहीं बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सेंसेक्स 952.35 अंक लुढ़का और उसमें 1.59% की कमी आई। पिछले हफ्ते शुक्रवार को कारोबार बंद होते समय सेंसेक्स 58,840.79 अंक पर था जो कि 1093.22 अंक कम था और इसमें 1.89% की गिरावट देखी गई।  

निफ्टी भी 346.55 अंक लुढ़का। शुक्रवार को निफ्टी का इंडेक्स 1.94% की गिरावट के साथ 17,530.85 अंकों पर बंद हुआ। इन तमाम अटकलों के बीच जानते हैं इस हफ्ते शेयर बाजार में क्या परिस्थितियाँ उभर सकती हैं। 

वैश्विक बाजार पर अमेरिका की महंगाई का साया 

स्वास्तिका इन्वेस्ट मार्ट लिमिटेड के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने जानकारी देते हुए कहा, “अमरीका में महंगाई के आंकड़ों को देखते हुए वैश्विक बाजार में बहुत डर बना हुआ है। इस कारण डॉलर का सूचकांक भी अब 110 के पास पहुँच गया है।” अब सभी कारोबारियों का ध्यान अमरीका की संघीय मुक्त बाजार समिति की होने वाली बैठक पर टिका है। यह इसलिए भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इस समय विदेशी निवेशकों में भारतीय इक्विटी में बिकवाली की ओर रुझान देखा जा रहा है। इसी बीच बैंक ऑफ इंग्लैंड के ब्याज दर भी तय होनेवाले हैं। इन सभी बातों का संस्थागत निवेश पर प्रभाव पड़ेगा।

यह भी पढ़ें: RBI की नवीनतम मौद्रिक नीति समीक्षा कैसे प्रभावित करती है?

फेडरल रिज़र्व बैंक की बैठक होगी महत्त्वपूर्ण

रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के शोध उपाध्यक्ष अजीत मिश्रा का कहना है, “घरेलू आंकड़ों और घटनाओं के अभाव में निवेशक अब अमेरिकी फेडरल रिज़र्व बैंक की बैठक पर ध्यान केंद्रित करेंगे। साथ ही विदेशी आवक पर भी लोगों का ध्यान बना रहेगा।” जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर का कहना है कि बाजार में हाल ही में देखी गई गिरावट डॉलर सूचकांक की बढ़ोतरी और घरेलू बाजार में बॉन्ड यील्ड के बढ़ते रवैये के कारण है जबकि व्यापक आर्थिक आंकड़े काफी मजबूत हैं।

सीएनआई रिसर्च लिमिटेड के सीएमडी किशोर पी ओस्तवाल का मानना है कि अमरीकी महंगाई दर अब कुछ-कुछ काबू में नजर आ रही है। अमेरिकी महंगाई की दर अभी 8.3% है जो कि अनुमानित 8.1% से अधिक तो है लेकिन अपने उच्चतम स्तर 8.9% से कम हो गई है। इसलिए माना जा सकता है कि महंगाई काबू में आ रही है। इसके चलते यह भी कहा जा सकता है कि अब निफ्टी में भी गिरावट का दौर लगभग पूरा हो चुका है। उनका मानना है कि बाजार में अभी तेजी की क्षमता बाकी है। 

यह भी पढ़ें: बजट विधियों के साथ क़र्ज़ मुक्त 

3M INDIA LTD SHARE LATEST UPDATE

संवादपत्र

संबंधित लेख

Union Budget