- Date : 29/09/2021
- Read: 4 mins
- Read in English: What are the intraday trading charges in India?
आपको भारत में इंट्राडे ट्रेडिंग शुल्क के बारे में जरूर जानना चाहिए।

विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि केवल 3.5%-4.5%[1]इंट्राडे ट्रेडर्स ही पैसा कमाने में सफल होते हैं। इसलिए, अनुशासित होकर सही ट्रेडिंग रणनीति को अपनाने के अलावा, कारोबारियों को ब्रोकरेज, करों और अन्य शुल्कों के बारे में पता होना चाहिए जो कि इंट्राडे ट्रेडिंग करते समय लगते हैं।
आइये यहां इंट्राडे ट्रेडिंग ब्रोकरेज की लागत के साथ-साथ इंट्राडे ट्रेडिंग की कुल लागत पर एक नजर डालते हैं।
विभिन्न प्रकार के इंट्राडे ट्रेडिंग शुल्क
इंट्राडे ट्रेडिंग में शामिल होने पर ट्रेडर को मुख्य रूप से पांच अलग-अलग प्रकार के शुल्क का भुगतान करना पड़ता है। यहां जानें शुल्क और उनकी गणना कैसे की जाती है, के बारे में:
एसटीटी (प्रतिभूति लेनदेन कर)
एसटीटी निवेशकों और व्यापारियों द्वारा केंद्र सरकार को भुगतान किया जाने वाला एक नियामक शुल्क है। ब्रोकर द्वारा जारी किए गए अनुबंध नोट में एसटीटी लगाया जाता है और यह लेनदेन के समग्र मूल्य पर आधारित होता है।
एसटीटी = (बेचे गए शेयरों की संख्या * औसत मूल्य) का 0.025%
औसत मूल्य की गणना इस प्रकार की जाती है:
औसत मूल्य = [(खरीदी मात्रा * खरीदी मूल्य) + (बिक्री मात्रा * बिक्री मूल्य)] / (खरीदी मात्रा + बिक्री मात्रा
ब्रोकरेज:
ब्रोकरेज वह कमीशन है जो ब्रोकर्स अपनी सेवाओं के लिए वसूलते हैं। यह अलग अलग ब्रोकर्स के लिए अलग अलग हो सकता है। ब्रोकरेज शुल्क (जिसे कमीशन शुल्क भी कहा जाता है) की गणना लेनदेन के प्रतिशत, एक सपाट शुल्क या दोनों के संयोजन के रूप में की जाती है। पिछले कुछ वर्षों में डिस्काउंट ब्रोकरेज काफी लोकप्रिय हुए हैं क्योंकि उनका कमीशन पारंपरिक ब्रोकरों की तुलना में सस्ता है।
संबंधित: इंट्राडे ट्रेडिंग: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
सेबी नियामक शुल्क:
सेबी अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में आने वाली लागत को कवर करने के लिए एक नियामक शुल्क (सेबी टर्नओवर शुल्क के रूप में भी जाना जाता है) वसूलता है। सेबी शुल्क अब 20 रुपये प्रति करोड़ मूल्य लेनदेन या प्रत्येक इक्विटी लेनदेन के लिए 0.0002 प्रतिशत में से, जो भी कम हो, पर निर्धारित किया गया है।
लेनदेन शुल्क:
भारत में शेयर ब्रोकर्स स्टॉक एक्सचेंजों (बीएसई, एनएसई, एमसीएक्स) पर किए गए ट्रेडों के लिए लेनदेन शुल्क लेते हैं। लेन-देन शुल्क, जिसे अक्सर टर्नओवर शुल्क के रूप में जाना जाता है, आमतौर पर एक्सचेंज टर्नओवर शुल्क और समाशोधन शुल्क का एक संयोजन होता है। यह जिस एक्सचेंज पर लेनदेन हुआ है उसके हिसाब से लिया जाता है। यह अलग अलग एक्सचेंज के अनुसार अलग अलग होता है।
उदाहरण के लिए [2], एनएसई प्रति लेनदेन 0.00325% चार्ज करता है और बीएसई प्रति लेनदेन 0.00275% चार्ज करता है।
स्टाम्प शुल्क:
राज्यों में स्टांप ड्यूटी की दरें अलग-अलग हैं क्योंकि राज्य ही स्टांप ड्यूटी को परिभाषित करते हैं और वसूलते हैं। शेयर खरीदते और बेचते समय स्टांप शुल्क लिया जाता है।
जीएसटी:
जीएसटी की गणना कुल ब्रोकरेज और लेनदेन शुल्क के 18% के रूप में की जाती है।
संबंधित: इंट्राडे ट्रेडिंग से होने वाले लाभ पर कर कैसे लगता है
इंट्राडे ट्रेडिंग शुल्क का विश्लेषण
अब जब आप विभिन्न शुल्कों को समझ गए हैं, तो आइए देखें कि एक प्रमुख ब्रोकरेज (ज़ेरोधा) इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कैसे शुल्क लेता है। मान लीजिए कि आप किसी कंपनी के 1000 शेयरों को 200 रुपये में खरीद रहे हैं और उसी दिन उन्हें 210 रुपये में बेच रहे हैं।
शेयरों की मात्रा: 1000
खरीदी मूल्य: 200 रुपये
बिक्री मूल्य: 210 रुपये
इसलिए, आपका कारोबारी लाभ 210*(1000) - 200*(1000) = 10,000 रुपये होगा
संबंधित : इंट्राडे ट्रेडिंग में सूचित निर्णयों के लिए कैंडलस्टिक चार्ट कैसे पढ़ें?
ज़ेरोधा का इंट्राडे शुल्क
ज़ेरोधा के इंट्राडे (इक्विटी) कैलकुलेटर [3] के अनुसार, ज़ेरोधा पर इंट्राडे शुल्क का ब्रेकअप इस प्रकार होगा:
इसलिए, आपका कुल लाभ 10,000 रुपये (ट्रेडिंग लाभ) – 123.30 रुपये (शुल्क और कमीशन) = 9876.70 रुपये होगा
संबंधित: इंट्राडे ट्रेडिंग पर टुमॉरो मेकर्स की विस्तृत ईबुक
लगभग सभी प्रमुख ब्रोकर इंट्राडे इक्विटी कैलकुलेटर प्रदान करते हैं। इसलिए ब्रोकर चुनने से पहले आप उनके इंट्राडे इक्विटी ब्रोकरेज कैलकुलेटर का उपयोग करके पता लगाएं कि इंट्राडे ट्रेडिंग आपके लिए फायदेमंद होगी या नहीं।