वैश्विक महामारी के दौरान आपको कैसा निवेश निर्णय लेना चाहिए?

विश्लेषकों को अन्य लोगों के विपरीत मौजूदा संकट में कई अवसर दिखाई दे रहे हैं, और निवेशकों को लाभ मिलेगा अगर वे अपने लक्ष्यों को भूले नहीं ।

वैश्विक महामारी के दौरान आपको कैसा निवेश निर्णय लेना चाहिए

अप्रैल में आईएमएफ की विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट में, इसकी मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि कोविड-19 प्रकोप के बाद मौजूदा मंदी "हमारे जीवन में अनुभव की गई किसी भी चीज से परे है " । इसे ग्रेट लॉकडाउन का नाम देते हुए,उन्होंने दावा किया कि यह ग्रेट डिप्रेशन के बाद सबसे खराब मंदी थी, और अभी तक के वैश्विक वित्तीय संकट से भी बदतर है ।

गोपीनाथ ने जिस ग्रेट डिप्रेशन का जिक्र किया था, वह जाहिर है,वो वैश्विक मंदी थी जो 29 अक्टूबर, 1929 की वॉल स्ट्रीट क्रैश के बाद हुई थी, जबकि ' ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस ' दुनिया भर में फैली मंदी थी जो सितंबर 2008 में निवेश बैंक लेहमैन ब्रदर्स के पतन के बाद हुई थी ।

इसके अलावा, ' हमारे जीवनकाल ' में तीन महामारियां हाल की चर्चाओं में उभरी हैं-सार्स, मर्स और इबोला फैलने से । हालांकि, ये ज्यादातर एक स्थान तक सीमित था, और वर्तमान स्थिति के विपरीत, भारतीय अर्थव्यवस्था या बाजारों को प्रभावित नहीं किया था। इसके साथ ही, कुछ वित्तीय संकट थे जिसने भारत को भी छुआ था , हालांकि यह प्रभाव अस्थायी थे, और हमारी अर्थव्यवस्था तुलनात्मक रूप से जल्दी ठीक हो गई । 

अस्थायी प्रभाव

जुलाई 1997 का पहला ' एशियाई संकट ' था, जब थाई बात डॉलर से अलग किया गया था ,जिसके बाद वह ढह गई, जिससे गंभीर रूप से कई एशियाई अर्थव्यवस्था  (थाईलैंड, इंडोनेशिया, और दक्षिण कोरिया सबसे ज्यादा प्रभावित थे) प्रभावित हुए। फिर 2000-2002 में डॉट कॉम्स - इंटरनेट कंपनियों का उदय और पतन देखा गया जिसमे '.कॉम ' प्रत्यय जुड़ा था । और सितंबर 2008 में लेहमन ब्रदर्स को टूटते देखा, जिसने दुनिया भर में मंदी को बढ़ावा दिया  ।

यह ध्यान देने योग्य है कि हर बार बाजार गिरा ज़रूर , पर केवल फिर से उठने के लिए । इसका सबूत है कि सेंसेक्स इन अवधियों के दौरान कैसे चला थ: 

  • यह 1997 के एशियाई संकट के बाद चार वर्षों में 40% नीचे चला गया, लेकिन सिर्फ एक साल में 115% तक उछल गया
  • डॉट कॉम केस के होने के बाद,यह और एक बड़े अंतर (56%) से गिरा,ताकि लगभग 18 महीनों में एक बड़ी वसूली  (138%) दर्ज़ कर सके 
  • यह लेहमन ब्रदर्स के पतन के बाद 61% गिर गया, लेकिन 1.5 साल में 157% वापस उठ गया।

बाजार में रिकवरी

ऐसा प्रतीत होता है कि मौजूदा संकट के बाद भारतीय निवेशक इसी तरह की रिकवरी की उम्मीद कर रहे हैं, हालांकि 2020 के पहले तीन महीनों में सेंसेक्स 28.6% डूबा, जो 1992 के बाद से सबसे तेज तिमाही गिरावट को चिह्नित करता है । साथ ही में, इसने  'बियर चरण' में प्रवेश किया, जिससे 20% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई। 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में बैंक ऋण वृद्धि पिछेल पांच दशक के निचले स्तर 6.14% पर आ गई।

फिर भी, सब कुछ के बावजूद, उदासी के अंत की शुरुआत अभी भी शुरू हो सकती है। अप्रैल, एक बुरी शुरुआत के बावजूद, पिछले 11 साल में बाजार के लिए सबसे अच्छा महीना रहा है , जिसमे 14% उछाल हुआ।

मोतीलाल ओसवाल म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर ,आकाश सिंघानिया के लिए मार्केट रिकवरी तब शुरू नहीं होती, जब कोई गुफाके अंत में रौशनी दिखाई देती है, लेकिन तब होता है जब अंधेरा कम होता दिखता है । उन्होंने वैल्यू रिसर्च से कहा, "मेरे विचार से, हमारे बाजार काफी करीब हैं [रिकवरी के]।

हालांकि, अर्थव्यवस्था की सामान्यीकरण प्रक्रिया में कुछ हफ्तों से कुछ महीनों तक का समय लग सकता है, हर्ष उपाध्याय, सीआईओ इक्विटी, कोटक म्यूचुअल फंड का ऐसा मानना है। उन्होंने वैल्यू रिसर्च के साथ बातचीत में कहा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि बीमारी का फैलाव कब सीमित होता है ।

इक्विटी का समर्थन

उपाध्याय का मानना है कि भारतीय शेयरों में लंबी अवधि के निवेशकों के लिए इक्विटी बहुत आकर्षक मूल्यांकन स्तर पर पहुंच गया है, जो उनके अनुसार, एक बार स्थिति सामान्य होने पर बहुत धन लाभ दे सकता है । अन्य विश्लेषक भी इससे सहमत हैं । ई.टी. नाउ के साथ एक साक्षात्कार में बजाज एलियांज लाइफ के सीआईओ संपत रेड्डी ने कहा है कि लंबी अवधि के निवेशकों के पास अभी ' कुछ खरीदारी का मौका ' है क्योंकि मार्केट वैल्यूएशन तेज सुधार के दौर से गुजर रहा है|

रेड्डी के विचार में, डॉट कॉम दुर्घटना और 2008-09 वित्तीय संकट के दौरान आयी पिछले बाजार में गिरावट से पता चला है कि निवेशकों को मुश्किल समय में किए गए निवेश से लाभ होता है जब तक कि उनके पास दीर्घकालिक क्षितिज हो । उनकी सलाह है: निवेशकों को धीरे से अपने जोखिम प्रोफ़ाइल के अनुसार, इक्विटी में निवेश करना शुरू कर देना चाहिए ।

मुंबई स्थित म्यूचुअल फंड वितरक रुषभ देसाई स्माल-कैप का समर्थन करते हुए कहते हैं कि इस क्षेत्र ने मार्च से लगभग 30% सुधार देखे हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने एकमुश्त निवेश की सलाह दी हैं। उनकी सलाह है : एकमुश्त निवेशकों को स्माल कैप की श्रेणी से प्राप्त होने वाली अल्फा के लिए "सुधार अवधि में ही केवल " खरीदी करनी चाहिए । 

(स्रोत: इकनोमिकटाइम्स.इंडियाटाइम्स.कॉम ) 

अनुकूल क्षेत्र

तो किसी को अपने धन को कैसे आवंटित करना चाहिए? प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के सीईओ विशाल धवन ने ब्लूमबर्ग-क्विंट को बताया कि वे पोर्टफोलियो में 70-20-10 मिक्स के अनुपात का समर्थन करते हैं । यानी 70% लार्ज-कैप फंड्स में , 20% मिड-कैप फंड्स में और 10% स्मॉल-कैप फंड्स में,7-10 साल की अवधि के लिए ।

एंजेल ब्रोकिंग में हेड एडवाइजरी अमर देव सिंह ने अनिश्चितताओं को देखते हुए सावधानी बरतने के लिए कुछ शब्द कहें है । फाइनेंशियल एक्सप्रेस के साथ एक बातचीत के दौरान उनकी सलाह थी : कमजोर क्षेत्रों को देखो और 3-4 किस्तों में मजबूत व्यवसायों में निवेश करो ।

उस सलाह के अनुसार, बाजार में कम प्रदर्शन करने वाले स्टॉक पर ध्यान दें: ये ज्यादातर वित्तीय क्षेत्र से थे (बैंकिंग, एनबीएफसी, आवास वित्त और बीमा शामिल), जो जनवरी-मार्च के दौरान कुछ 40-43% गिर गए। अन्य क्षेत्र जिन्होंने कम अच्छा प्रदर्शन किया,वे ऑटो, मेटल और रियल एस्टेट क्षेत्र हैं ।

जिन क्षेत्रों में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है उनमें एफएमसीजी, हेल्थकेयर और फार्मा के साथ-साथ टेलिकॉम में चुनिंदा स्टॉक्स भी शामिल हैं । फार्मा, एफएमसीजी, और आईटी शेयर संयोग से पहले तीन महीनों में क्रमशः 11%, 9% और 18% गिर गया, और अभी मौजूदा मंदी का सामना करने के लिए तैयार दिख रहा है , भले ही कम लाभ के साथ । 

अंतिम शब्द

पहले बताए गए एक बिंदु को दोहराए तो निवेशक किसी भी एक दशक में पहली बार बियर बाजार की पूरी गिरावट देख रहे हैं । ऐसे समय में निवेशकों के लिए निवेश को लेकर घबराना आम बात है। बात यह है, जब आप बाजार के पूरी तरह से ठीक होने का  इंतजार करते हो, तो जब बाजार ठीक हो तो आपके अधिक से अधिक नुकसान खाने की संभावना होती है।

आदर्श रूप से, कोविड-19 शुरू होने पर निवेश बंद कर दिया था  और यदि आप फिर से निवेश करने के लिए हिचकिचा रहे हैं तो आपको बाद में एक स्टैगर्ड प्रविष्टि करने के बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए, बशर्ते आपके पास धन हो। और हालांकि इक्विटी फंड लंबे समय क्षितिज के निवेशकों के लिए उपयोगी हो सकता है (मान लें , 5-10 साल या उससे भी अधिक के लिए ) यह भी महत्वपूर्ण है कि निवेशकों की एक निश्चित आय हो ।

इसके अलावा,अगर आपके पास फंड हो, तो ऐसे में आपको अपने एसआईपी को रोकना उचित नहीं है। इसका कारण यह है कि मजबूत फंडामेंटल वाले व्यवसाय लंबे समय में मुश्किल बाजार वातावरण में भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे, और आप रुपये की लागत को औसत करके लाभान्वित हो सकते हैं और अतिरिक्त इकाइयां खरीद सकते हैं। वास्तव में, महामारी के कारण इतनी बड़ी मंदी के जोखिमों को देखते हुए, एक एसआईपी दृष्टिकोण अपनाना एकमुश्त निवेश की तुलना में आगे बढ़ने का सबसे अच्छा मार्ग हो सकता है।

अंततः, यह सब नियंत्रित करने के बारे में है कि क्या नियंत्रित किया जा सकता है, मूल बातें पे डटे रहे , और दहशत में निर्णय नहीं ले-चाहे आप बेच रहे हो या खरीद रहे हो -विशेष रूप से सामाजिक मीडिया या व्हाट्सएप्प से मिले ' समाचार ' की प्रतिक्रिया के रूप में। फिक्स्ड डिपॉजिट, बचत खाता या लिक्विड फंड?

अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी उद्देश्यों के लिए है और इसे निवेश या कानूनी सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। इन क्षेत्रों में निर्णय लेते समय आपको अलग से स्वतंत्र सलाह प्राप्त करनी चाहिए ।

अप्रैल में आईएमएफ की विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट में, इसकी मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि कोविड-19 प्रकोप के बाद मौजूदा मंदी "हमारे जीवन में अनुभव की गई किसी भी चीज से परे है " । इसे ग्रेट लॉकडाउन का नाम देते हुए,उन्होंने दावा किया कि यह ग्रेट डिप्रेशन के बाद सबसे खराब मंदी थी, और अभी तक के वैश्विक वित्तीय संकट से भी बदतर है ।

गोपीनाथ ने जिस ग्रेट डिप्रेशन का जिक्र किया था, वह जाहिर है,वो वैश्विक मंदी थी जो 29 अक्टूबर, 1929 की वॉल स्ट्रीट क्रैश के बाद हुई थी, जबकि ' ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस ' दुनिया भर में फैली मंदी थी जो सितंबर 2008 में निवेश बैंक लेहमैन ब्रदर्स के पतन के बाद हुई थी ।

इसके अलावा, ' हमारे जीवनकाल ' में तीन महामारियां हाल की चर्चाओं में उभरी हैं-सार्स, मर्स और इबोला फैलने से । हालांकि, ये ज्यादातर एक स्थान तक सीमित था, और वर्तमान स्थिति के विपरीत, भारतीय अर्थव्यवस्था या बाजारों को प्रभावित नहीं किया था। इसके साथ ही, कुछ वित्तीय संकट थे जिसने भारत को भी छुआ था , हालांकि यह प्रभाव अस्थायी थे, और हमारी अर्थव्यवस्था तुलनात्मक रूप से जल्दी ठीक हो गई । 

अस्थायी प्रभाव

जुलाई 1997 का पहला ' एशियाई संकट ' था, जब थाई बात डॉलर से अलग किया गया था ,जिसके बाद वह ढह गई, जिससे गंभीर रूप से कई एशियाई अर्थव्यवस्था  (थाईलैंड, इंडोनेशिया, और दक्षिण कोरिया सबसे ज्यादा प्रभावित थे) प्रभावित हुए। फिर 2000-2002 में डॉट कॉम्स - इंटरनेट कंपनियों का उदय और पतन देखा गया जिसमे '.कॉम ' प्रत्यय जुड़ा था । और सितंबर 2008 में लेहमन ब्रदर्स को टूटते देखा, जिसने दुनिया भर में मंदी को बढ़ावा दिया  ।

यह ध्यान देने योग्य है कि हर बार बाजार गिरा ज़रूर , पर केवल फिर से उठने के लिए । इसका सबूत है कि सेंसेक्स इन अवधियों के दौरान कैसे चला थ: 

  • यह 1997 के एशियाई संकट के बाद चार वर्षों में 40% नीचे चला गया, लेकिन सिर्फ एक साल में 115% तक उछल गया
  • डॉट कॉम केस के होने के बाद,यह और एक बड़े अंतर (56%) से गिरा,ताकि लगभग 18 महीनों में एक बड़ी वसूली  (138%) दर्ज़ कर सके 
  • यह लेहमन ब्रदर्स के पतन के बाद 61% गिर गया, लेकिन 1.5 साल में 157% वापस उठ गया।

बाजार में रिकवरी

ऐसा प्रतीत होता है कि मौजूदा संकट के बाद भारतीय निवेशक इसी तरह की रिकवरी की उम्मीद कर रहे हैं, हालांकि 2020 के पहले तीन महीनों में सेंसेक्स 28.6% डूबा, जो 1992 के बाद से सबसे तेज तिमाही गिरावट को चिह्नित करता है । साथ ही में, इसने  'बियर चरण' में प्रवेश किया, जिससे 20% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई। 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में बैंक ऋण वृद्धि पिछेल पांच दशक के निचले स्तर 6.14% पर आ गई।

फिर भी, सब कुछ के बावजूद, उदासी के अंत की शुरुआत अभी भी शुरू हो सकती है। अप्रैल, एक बुरी शुरुआत के बावजूद, पिछले 11 साल में बाजार के लिए सबसे अच्छा महीना रहा है , जिसमे 14% उछाल हुआ।

मोतीलाल ओसवाल म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर ,आकाश सिंघानिया के लिए मार्केट रिकवरी तब शुरू नहीं होती, जब कोई गुफाके अंत में रौशनी दिखाई देती है, लेकिन तब होता है जब अंधेरा कम होता दिखता है । उन्होंने वैल्यू रिसर्च से कहा, "मेरे विचार से, हमारे बाजार काफी करीब हैं [रिकवरी के]।

हालांकि, अर्थव्यवस्था की सामान्यीकरण प्रक्रिया में कुछ हफ्तों से कुछ महीनों तक का समय लग सकता है, हर्ष उपाध्याय, सीआईओ इक्विटी, कोटक म्यूचुअल फंड का ऐसा मानना है। उन्होंने वैल्यू रिसर्च के साथ बातचीत में कहा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि बीमारी का फैलाव कब सीमित होता है ।

इक्विटी का समर्थन

उपाध्याय का मानना है कि भारतीय शेयरों में लंबी अवधि के निवेशकों के लिए इक्विटी बहुत आकर्षक मूल्यांकन स्तर पर पहुंच गया है, जो उनके अनुसार, एक बार स्थिति सामान्य होने पर बहुत धन लाभ दे सकता है । अन्य विश्लेषक भी इससे सहमत हैं । ई.टी. नाउ के साथ एक साक्षात्कार में बजाज एलियांज लाइफ के सीआईओ संपत रेड्डी ने कहा है कि लंबी अवधि के निवेशकों के पास अभी ' कुछ खरीदारी का मौका ' है क्योंकि मार्केट वैल्यूएशन तेज सुधार के दौर से गुजर रहा है|

रेड्डी के विचार में, डॉट कॉम दुर्घटना और 2008-09 वित्तीय संकट के दौरान आयी पिछले बाजार में गिरावट से पता चला है कि निवेशकों को मुश्किल समय में किए गए निवेश से लाभ होता है जब तक कि उनके पास दीर्घकालिक क्षितिज हो । उनकी सलाह है: निवेशकों को धीरे से अपने जोखिम प्रोफ़ाइल के अनुसार, इक्विटी में निवेश करना शुरू कर देना चाहिए ।

मुंबई स्थित म्यूचुअल फंड वितरक रुषभ देसाई स्माल-कैप का समर्थन करते हुए कहते हैं कि इस क्षेत्र ने मार्च से लगभग 30% सुधार देखे हैं, लेकिन फिर भी उन्होंने एकमुश्त निवेश की सलाह दी हैं। उनकी सलाह है : एकमुश्त निवेशकों को स्माल कैप की श्रेणी से प्राप्त होने वाली अल्फा के लिए "सुधार अवधि में ही केवल " खरीदी करनी चाहिए । 

(स्रोत: इकनोमिकटाइम्स.इंडियाटाइम्स.कॉम ) 

अनुकूल क्षेत्र

तो किसी को अपने धन को कैसे आवंटित करना चाहिए? प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के सीईओ विशाल धवन ने ब्लूमबर्ग-क्विंट को बताया कि वे पोर्टफोलियो में 70-20-10 मिक्स के अनुपात का समर्थन करते हैं । यानी 70% लार्ज-कैप फंड्स में , 20% मिड-कैप फंड्स में और 10% स्मॉल-कैप फंड्स में,7-10 साल की अवधि के लिए ।

एंजेल ब्रोकिंग में हेड एडवाइजरी अमर देव सिंह ने अनिश्चितताओं को देखते हुए सावधानी बरतने के लिए कुछ शब्द कहें है । फाइनेंशियल एक्सप्रेस के साथ एक बातचीत के दौरान उनकी सलाह थी : कमजोर क्षेत्रों को देखो और 3-4 किस्तों में मजबूत व्यवसायों में निवेश करो ।

उस सलाह के अनुसार, बाजार में कम प्रदर्शन करने वाले स्टॉक पर ध्यान दें: ये ज्यादातर वित्तीय क्षेत्र से थे (बैंकिंग, एनबीएफसी, आवास वित्त और बीमा शामिल), जो जनवरी-मार्च के दौरान कुछ 40-43% गिर गए। अन्य क्षेत्र जिन्होंने कम अच्छा प्रदर्शन किया,वे ऑटो, मेटल और रियल एस्टेट क्षेत्र हैं ।

जिन क्षेत्रों में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है उनमें एफएमसीजी, हेल्थकेयर और फार्मा के साथ-साथ टेलिकॉम में चुनिंदा स्टॉक्स भी शामिल हैं । फार्मा, एफएमसीजी, और आईटी शेयर संयोग से पहले तीन महीनों में क्रमशः 11%, 9% और 18% गिर गया, और अभी मौजूदा मंदी का सामना करने के लिए तैयार दिख रहा है , भले ही कम लाभ के साथ । 

अंतिम शब्द

पहले बताए गए एक बिंदु को दोहराए तो निवेशक किसी भी एक दशक में पहली बार बियर बाजार की पूरी गिरावट देख रहे हैं । ऐसे समय में निवेशकों के लिए निवेश को लेकर घबराना आम बात है। बात यह है, जब आप बाजार के पूरी तरह से ठीक होने का  इंतजार करते हो, तो जब बाजार ठीक हो तो आपके अधिक से अधिक नुकसान खाने की संभावना होती है।

आदर्श रूप से, कोविड-19 शुरू होने पर निवेश बंद कर दिया था  और यदि आप फिर से निवेश करने के लिए हिचकिचा रहे हैं तो आपको बाद में एक स्टैगर्ड प्रविष्टि करने के बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए, बशर्ते आपके पास धन हो। और हालांकि इक्विटी फंड लंबे समय क्षितिज के निवेशकों के लिए उपयोगी हो सकता है (मान लें , 5-10 साल या उससे भी अधिक के लिए ) यह भी महत्वपूर्ण है कि निवेशकों की एक निश्चित आय हो ।

इसके अलावा,अगर आपके पास फंड हो, तो ऐसे में आपको अपने एसआईपी को रोकना उचित नहीं है। इसका कारण यह है कि मजबूत फंडामेंटल वाले व्यवसाय लंबे समय में मुश्किल बाजार वातावरण में भी बेहतर प्रदर्शन करेंगे, और आप रुपये की लागत को औसत करके लाभान्वित हो सकते हैं और अतिरिक्त इकाइयां खरीद सकते हैं। वास्तव में, महामारी के कारण इतनी बड़ी मंदी के जोखिमों को देखते हुए, एक एसआईपी दृष्टिकोण अपनाना एकमुश्त निवेश की तुलना में आगे बढ़ने का सबसे अच्छा मार्ग हो सकता है।

अंततः, यह सब नियंत्रित करने के बारे में है कि क्या नियंत्रित किया जा सकता है, मूल बातें पे डटे रहे , और दहशत में निर्णय नहीं ले-चाहे आप बेच रहे हो या खरीद रहे हो -विशेष रूप से सामाजिक मीडिया या व्हाट्सएप्प से मिले ' समाचार ' की प्रतिक्रिया के रूप में। फिक्स्ड डिपॉजिट, बचत खाता या लिक्विड फंड?

अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी उद्देश्यों के लिए है और इसे निवेश या कानूनी सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। इन क्षेत्रों में निर्णय लेते समय आपको अलग से स्वतंत्र सलाह प्राप्त करनी चाहिए ।

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