FD/RD पर मिलने वाले ब्याज से जुड़े नियम बदल गए हैं, जानिये आपको नफा होगा या नुकसान

क्या आपने किसी बैंक में FD/RD कराया है, लेकिन मैच्योरिटी के बाद भी बंद नहीं कराया है, तो आपके लिए जरूरी खबर है।

FD/RD कराकर भूल गए हैं तो आपके काम की खबर है

आम आदमी के लिए FD या RD पैसा से पैसा से कमाने का सबसे आसान और सुरक्षित निवेश साधन है। FD यानी फिक्स्ड डिपॉजिट और RD यानी रेकरिंग डिपॉजिट कराने पर बचत खाते से ज्यादा ब्याज मिलता है। इन निवेश साधनों में लंबे समय तक पैसा रखने पर चक्रवृद्धि ब्याज का भी फायदा मिलता है। इससे निवेशक के पास अच्छा-खासा पैसा जमा हो जाता है। मगर, देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंक में की गई FD/RD के ब्याज से जुड़े नियमों में कुछ बदलाव किए है। ये नियम पिछले साल जुलाई से लागू भी हो चुके हैं। 

> क्या है FD/RD?

फिक्स्ड डिपॉजिट, वह जमा राशि है जो बैंकों में एक निश्चित अवधि के लिए तय ब्याज पर रखी जाती है। इसमें रेकरिंग, संचयी, पुनर्निवेश जमा और नकद प्रमाण पत्र जैसी जमा भी शामिल हैं। बैंकों में 7 दिनों से लेकर 10 साल तक एफडी, आरडी करा सकते हैं और मैच्योरिटी के बाद फिर से उसे रिन्यू करा सकते हैं। हर बैंक अलग अलग मैच्योरिटी अवधि वाली FD/RD पर अलग अलग ब्याज देते हैं। किसी भी बैंक में FD/RD कराने से पहले अलग-अलग अवधि की ब्याज दर जरूर मालूम कर लें।   

> FD/RD पर मिलने वाले ब्याज से जुड़े नए नियम:

नए नियम के मुताबिक, अब अगर मैच्योरिटी यानी परिपक्वता अवधि पूरी होने के बाद आप FD/RD की पूरी रकम (मूलधन और ब्याज मिलाकर) का दावा नहीं करते हैं और उसे यूं ही छोड़ देते हैं, तो आपको इस पर कम ब्याज मिलेगा। पुराने नियम के मुताबिक, ऐसी स्थिति में आपको बचत खाते जितना ब्याज मिलता, भले ही ब्याज की दर FD/RD की निर्धारित ब्याज दर से कम हो या ज्यादा। 

FD/RD जब मैच्योर हो जाए, तो तीन स्थिति हो सकती है-पहली, पूरा पैसा निकालकर उसे तुरंत बंद करा दें। दूसरी, उसे रिन्यू करा दें और तीसरी, बिना दावा किए ही उसे यूं ही छोड़ दें और भूल जाएं। तो, नए नियम तीसरी स्थिति के लिए है। 

आरबीआई ने नए नियम में कहा है कि FD/RD मैच्योर होती है और पूरी रकम (मूलधन और ब्याज) का भुगतान संबंधित निवेशकों के बचत खाते में नहीं हो पाता है या फिर इस पर दावा नहीं किया जाता है तो उसके बाद की अवधि में उस पर बचत खाते पर मिलने वाले ब्याज या मैच्योर्ड FD/RD पर निर्धारित ब्याज में से जो कम होगा, उसके हिसाब से ब्याज का भुगतान होगा। 

नए नियम भारत स्थित अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लघु वित्त बैंक यानी स्मॉल फाइनेंस बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक यानी लोकल एरिया बैंक या फिर प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक या जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक या राज्य सहकारी बैंकों पर लागू होंगे। 

आरबीआई का नियम सिर्फ भारतीय बैंकों पर लागू होगा। भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं के परिचालन पर ये नियम लागू नहीं होंगे। यदि आप चाहें तो FD/RD पोस्ट ऑफिस में भी करा सकते हैं।

>नियम के नफा-नुकसान: 

इसको उदाहरण से समझिए। अगर बचत खाते पर ब्याज दर सालाना 5% है और FD/RD पर निर्धारित ब्याज दर 4% है तो पहले के नियम के मुताबिक, परिपक्वता अवधि के बाद की अवधि में हर साल 5%  ब्याज मिलता, लेकिन नए नियम के हिसाब से 4%  ब्याज मिलेगा। दूसरी ओर अगर ये मान लें कि यदि बचत खाते पर ब्याज दर सालाना 4% है और FD/RD पर निर्धारित ब्याज दर 5% है, तो परिपक्वता अवधि के बाद दावा नहीं करने पर पुराने और नए नियम के मुताबिक, 4% ब्याज मिलेगा। आमतौर पर बैंक FD/RD के मुकाबले बचत खाते पर कम ब्याज की पेशकश करते हैं। 

कुल मिलाकर कह सकते हैं कि अगर आपकी एफडी किसी भी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लघु वित्त बैंक यानी स्मॉल फाइनेंस बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक यानी लोकल एरिया बैंक या फिर प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक या  जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक या राज्य सहकारी बैंक में है और मैच्योर हो चुकी है लेकिन आपने अभी तक उस एफडी खाते को पूरे पैसे निकाल कर ना तो बंद कराया है और ना ही रिन्यू कराया है, तो आप संभल जाएं, क्योंकि हो सकता है कि आपको इस पर नुकसान उठाना पड़े।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों में ₹18,381 करोड़ रुपए लावारिस पड़े हैं, इन पैसों का कोई दावेदार नहीं है। इसमें से एफडी की भी रकम शामिल है।

आम आदमी के लिए FD या RD पैसा से पैसा से कमाने का सबसे आसान और सुरक्षित निवेश साधन है। FD यानी फिक्स्ड डिपॉजिट और RD यानी रेकरिंग डिपॉजिट कराने पर बचत खाते से ज्यादा ब्याज मिलता है। इन निवेश साधनों में लंबे समय तक पैसा रखने पर चक्रवृद्धि ब्याज का भी फायदा मिलता है। इससे निवेशक के पास अच्छा-खासा पैसा जमा हो जाता है। मगर, देश के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंक में की गई FD/RD के ब्याज से जुड़े नियमों में कुछ बदलाव किए है। ये नियम पिछले साल जुलाई से लागू भी हो चुके हैं। 

> क्या है FD/RD?

फिक्स्ड डिपॉजिट, वह जमा राशि है जो बैंकों में एक निश्चित अवधि के लिए तय ब्याज पर रखी जाती है। इसमें रेकरिंग, संचयी, पुनर्निवेश जमा और नकद प्रमाण पत्र जैसी जमा भी शामिल हैं। बैंकों में 7 दिनों से लेकर 10 साल तक एफडी, आरडी करा सकते हैं और मैच्योरिटी के बाद फिर से उसे रिन्यू करा सकते हैं। हर बैंक अलग अलग मैच्योरिटी अवधि वाली FD/RD पर अलग अलग ब्याज देते हैं। किसी भी बैंक में FD/RD कराने से पहले अलग-अलग अवधि की ब्याज दर जरूर मालूम कर लें।   

> FD/RD पर मिलने वाले ब्याज से जुड़े नए नियम:

नए नियम के मुताबिक, अब अगर मैच्योरिटी यानी परिपक्वता अवधि पूरी होने के बाद आप FD/RD की पूरी रकम (मूलधन और ब्याज मिलाकर) का दावा नहीं करते हैं और उसे यूं ही छोड़ देते हैं, तो आपको इस पर कम ब्याज मिलेगा। पुराने नियम के मुताबिक, ऐसी स्थिति में आपको बचत खाते जितना ब्याज मिलता, भले ही ब्याज की दर FD/RD की निर्धारित ब्याज दर से कम हो या ज्यादा। 

FD/RD जब मैच्योर हो जाए, तो तीन स्थिति हो सकती है-पहली, पूरा पैसा निकालकर उसे तुरंत बंद करा दें। दूसरी, उसे रिन्यू करा दें और तीसरी, बिना दावा किए ही उसे यूं ही छोड़ दें और भूल जाएं। तो, नए नियम तीसरी स्थिति के लिए है। 

आरबीआई ने नए नियम में कहा है कि FD/RD मैच्योर होती है और पूरी रकम (मूलधन और ब्याज) का भुगतान संबंधित निवेशकों के बचत खाते में नहीं हो पाता है या फिर इस पर दावा नहीं किया जाता है तो उसके बाद की अवधि में उस पर बचत खाते पर मिलने वाले ब्याज या मैच्योर्ड FD/RD पर निर्धारित ब्याज में से जो कम होगा, उसके हिसाब से ब्याज का भुगतान होगा। 

नए नियम भारत स्थित अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लघु वित्त बैंक यानी स्मॉल फाइनेंस बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक यानी लोकल एरिया बैंक या फिर प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक या जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक या राज्य सहकारी बैंकों पर लागू होंगे। 

आरबीआई का नियम सिर्फ भारतीय बैंकों पर लागू होगा। भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं के परिचालन पर ये नियम लागू नहीं होंगे। यदि आप चाहें तो FD/RD पोस्ट ऑफिस में भी करा सकते हैं।

>नियम के नफा-नुकसान: 

इसको उदाहरण से समझिए। अगर बचत खाते पर ब्याज दर सालाना 5% है और FD/RD पर निर्धारित ब्याज दर 4% है तो पहले के नियम के मुताबिक, परिपक्वता अवधि के बाद की अवधि में हर साल 5%  ब्याज मिलता, लेकिन नए नियम के हिसाब से 4%  ब्याज मिलेगा। दूसरी ओर अगर ये मान लें कि यदि बचत खाते पर ब्याज दर सालाना 4% है और FD/RD पर निर्धारित ब्याज दर 5% है, तो परिपक्वता अवधि के बाद दावा नहीं करने पर पुराने और नए नियम के मुताबिक, 4% ब्याज मिलेगा। आमतौर पर बैंक FD/RD के मुकाबले बचत खाते पर कम ब्याज की पेशकश करते हैं। 

कुल मिलाकर कह सकते हैं कि अगर आपकी एफडी किसी भी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लघु वित्त बैंक यानी स्मॉल फाइनेंस बैंक, स्थानीय क्षेत्र बैंक यानी लोकल एरिया बैंक या फिर प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक या  जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक या राज्य सहकारी बैंक में है और मैच्योर हो चुकी है लेकिन आपने अभी तक उस एफडी खाते को पूरे पैसे निकाल कर ना तो बंद कराया है और ना ही रिन्यू कराया है, तो आप संभल जाएं, क्योंकि हो सकता है कि आपको इस पर नुकसान उठाना पड़े।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों में ₹18,381 करोड़ रुपए लावारिस पड़े हैं, इन पैसों का कोई दावेदार नहीं है। इसमें से एफडी की भी रकम शामिल है।

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