- Date : 16/01/2023
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बजट 2023 में सरकार एलटीसीजी के बदलाव को लेकर चर्चा जारी है।

Long Term Capital Gains: नए वर्ष का बजट आने में कुछ ही दिन बाकी हैं और बजट को लेकर अनुमान और चर्चाओं का दौर चल रहा है। खासकर इक्विटी आय पर लांग टर्म कैपिटल गेन्स या एलटीसीजी को लेकर की जा रही मांगों पर सरकार विचार करेगी या नहीं, इस पर कयास लगाए जा रहे हैं। तो पहले इस बात को समझते हैं कि आखिर एलटीसीजी है क्या और कब लगता है।
किसी पूंजीगत संपत्ति के हस्तांतरित होने या बेचने पर होने वाले लाभ पर पूंजीगत लाभ के अंतर्गत जो कर लगाया जाता है, इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स या एलटीसीजी कहते हैं। शेयर बाजार, घर, संपत्ति, जेवर, कार, बैंक एफडी, एनपीएस और बॉन्ड की बिक्री से होने वाले मुनाफे पर कैपिटल गेन टैक्स देय होता है। कैपिटल गेन्स टैक्स दो तरह के होते हैं- शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म। यह वर्गीकरण संपत्ति या शेयरों की धारिता अवदि के आधार किया जाता है।
अगर शेयर बाजार में सही जगह निवेश किया जाए तो अन्य विकल्पों की तुलना में अधिक लाभ मिल सकता है। अक्सर किसी शेयर से निवेशकों को 4 साल या 5 साल में 35 से 40 प्रतिशत या इससे भी ज्यादा लाभ मिलता देखा गया है। लेकिन लंबी अवधि में शेयर से वास्तव में जो लाभ होता है वह निवेशक को पूरा नहीं मिलता है।
किसी भी शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट को 12 महीने से ज्यादा समय तक बनाए रखने पर उससे होने वाली आय लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) के तहत आती है यानी कर योग्य मानी जाती है। इस बजट में इसमें राहत मिलने की उम्मीद है।
यह भी पढ़ें: ७ वित्तीय नियम
एलटीसीजी पर चल रही चर्चा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी, इसलिए विशेषज्ञों और निवेशकों में यह चर्चा तेज हो गई है कि एलटीसीजी पर सककार क्या कदम उठाने वाली है। सरकार से एलटीसीजी की समय सीमा बढ़ाने और हर उत्पाद पर समान नियम बनाने की मांग की जा रही है। इससे निवेशकों में लंबी अवधि के लिए निवेश करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा और निजी निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।
इक्विटी और डेट फंड्स एलटीसीजी
शेयर बाचार में सूजीवद्ध शेयरों या म्यूचुअल फंड् के यूनिट खरीदने से 12 महीने के बाद बेचने पर जो लाभ होता है, उस पर एलटीसीजी कर देना होता है। शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिटों को की बिक्री से एक लाख रुपये से ज्यादा का कैपिटेल गेन होने पर 10 प्रतिशत टैक्स लगता है और इससे कम मुनाफा कर मुक्त है।
इसी तरह 3 साल के बाद होनेवाले लाभ पर 20 प्रतिशत की दर से कर देना होता है। साथ ही सेस और सरचार्ज भी लगता है। बता दें कि जिस 65 प्रतिशत से अधिक डेट इंस्ट्रूमेंट्स वाले म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो इस वर्ग में आते हैं।
एलटीसीजी को लेकर की जाने वाली मांग
शेयर बाजार से होने वाली 1 लाख रुपए तक की कर मुक्त आय सीमा को बढ़ाकर 2 से 2.5 लाख रुपए करने की मांग की जा रही है। गैर-सूचीवद्ध शेयरों के लिए धारिता की सीमा 24 महीने है। गोल्ड और सिल्वर में भी एलटीसीजी की सीमा 3 साल से अधिक है। सभी पर धारिता के नियम एक होने की भी मांग की जा रही है।
यह भी पढ़ें: मार्केट में निफ़्टी ५० से रिटर्न कैसे पाए?
Union Budget 2023-24 Key Changes Expectations
Long Term Capital Gains: नए वर्ष का बजट आने में कुछ ही दिन बाकी हैं और बजट को लेकर अनुमान और चर्चाओं का दौर चल रहा है। खासकर इक्विटी आय पर लांग टर्म कैपिटल गेन्स या एलटीसीजी को लेकर की जा रही मांगों पर सरकार विचार करेगी या नहीं, इस पर कयास लगाए जा रहे हैं। तो पहले इस बात को समझते हैं कि आखिर एलटीसीजी है क्या और कब लगता है।
किसी पूंजीगत संपत्ति के हस्तांतरित होने या बेचने पर होने वाले लाभ पर पूंजीगत लाभ के अंतर्गत जो कर लगाया जाता है, इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स या एलटीसीजी कहते हैं। शेयर बाजार, घर, संपत्ति, जेवर, कार, बैंक एफडी, एनपीएस और बॉन्ड की बिक्री से होने वाले मुनाफे पर कैपिटल गेन टैक्स देय होता है। कैपिटल गेन्स टैक्स दो तरह के होते हैं- शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म। यह वर्गीकरण संपत्ति या शेयरों की धारिता अवदि के आधार किया जाता है।
अगर शेयर बाजार में सही जगह निवेश किया जाए तो अन्य विकल्पों की तुलना में अधिक लाभ मिल सकता है। अक्सर किसी शेयर से निवेशकों को 4 साल या 5 साल में 35 से 40 प्रतिशत या इससे भी ज्यादा लाभ मिलता देखा गया है। लेकिन लंबी अवधि में शेयर से वास्तव में जो लाभ होता है वह निवेशक को पूरा नहीं मिलता है।
किसी भी शेयर या इक्विटी म्यूचुअल फंड यूनिट को 12 महीने से ज्यादा समय तक बनाए रखने पर उससे होने वाली आय लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) के तहत आती है यानी कर योग्य मानी जाती है। इस बजट में इसमें राहत मिलने की उम्मीद है।
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एलटीसीजी पर चल रही चर्चा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी, इसलिए विशेषज्ञों और निवेशकों में यह चर्चा तेज हो गई है कि एलटीसीजी पर सककार क्या कदम उठाने वाली है। सरकार से एलटीसीजी की समय सीमा बढ़ाने और हर उत्पाद पर समान नियम बनाने की मांग की जा रही है। इससे निवेशकों में लंबी अवधि के लिए निवेश करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा और निजी निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा।
इक्विटी और डेट फंड्स एलटीसीजी
शेयर बाचार में सूजीवद्ध शेयरों या म्यूचुअल फंड् के यूनिट खरीदने से 12 महीने के बाद बेचने पर जो लाभ होता है, उस पर एलटीसीजी कर देना होता है। शेयरों और इक्विटी म्यूचुअल फंड की यूनिटों को की बिक्री से एक लाख रुपये से ज्यादा का कैपिटेल गेन होने पर 10 प्रतिशत टैक्स लगता है और इससे कम मुनाफा कर मुक्त है।
इसी तरह 3 साल के बाद होनेवाले लाभ पर 20 प्रतिशत की दर से कर देना होता है। साथ ही सेस और सरचार्ज भी लगता है। बता दें कि जिस 65 प्रतिशत से अधिक डेट इंस्ट्रूमेंट्स वाले म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो इस वर्ग में आते हैं।
एलटीसीजी को लेकर की जाने वाली मांग
शेयर बाजार से होने वाली 1 लाख रुपए तक की कर मुक्त आय सीमा को बढ़ाकर 2 से 2.5 लाख रुपए करने की मांग की जा रही है। गैर-सूचीवद्ध शेयरों के लिए धारिता की सीमा 24 महीने है। गोल्ड और सिल्वर में भी एलटीसीजी की सीमा 3 साल से अधिक है। सभी पर धारिता के नियम एक होने की भी मांग की जा रही है।
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