- Date : 25/04/2023
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Military Spending: स्वतंत्र स्वीडिश वॉचडॉग ने कहा कि पिछले साल हथियारों पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाले 3 प्रमुख देशों में संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस हैं। पूरी दुनिया की मिलिट्री स्पैंडिंग का 56% हिस्सा ये तीनों राष्ट्र ही करते हैं।

Military Spending: दुनियाभर में सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए देश हथियारों पर पानी की तरह पैसे बहा रहे हैं। स्वीडिश वॉचडॉग नान तियान का कहना है कि मिलिट्री स्पैंडिंग में इतनी तेजी से बस यही संकेत आ रहा है कि हम बहुत तेज गति से हो रहे असुरक्षित दुनिया में जी रहे हैं। वैश्विक सैन्य खर्च 2022 में लगातार आठवें साल बढ़कर $2.24 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया है। इनमें यूरोपीय देशों में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिल रहा है और इसकी वजह रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध है। यह डेटा ऑल टाइम हाई है।
वास्तविक रूप से वर्ल्ड लेवल पर सैन्य खर्च में 3.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इनमें यूरोप में 13 पर्सेंट ज्यादा है और यह कम से कम 30 वर्षों में साल-दर-साल सबसे तेज वृद्धि के साथ है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) का कहना है कि यूक्रेन को सैन्य सहायता और बढ़ते खतरे की चिंता के बीच यूरोपीय देशों ने सैन्य खर्च बढ़ाए और इसकी वजह से बाकी चीजें प्रभावित हुईं। आपको बता दें कि दुनिया के कई हिस्सों में अशांति का वातावरण पनप रहा है और हालात ऐसे बन पड़े हैं कि किसी ने माचिस जलाई और विस्फोट शुरू।
स्वीडिश वॉचडॉग ने कहा कि पिछले साल हथियारों पर सबसे ज्यादा खर्च संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस जैसे देशों ने किए। रूस के बाद कई राज्यों ने अपने सैन्य खर्च में काफी वृद्धि की। रूस-यूक्रेन वॉर के बीच फिनलैंड (36%), लिथुआनिया (27%), स्वीडन (12%) और पोलैंड (11%) जैसे रूस के करीबी देशों ने खूब हथियार खरीदे। स्वीडन और फिनलैंड, दोनों ने संयुक्त रूप से मई 2022 में नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन किया। कई फॉर्मर पूर्वी ब्लॉक स्टेट्स ने अपनी सेना को दोगुना से ज्यादा कर दिया है। रूस ने भी अपना सैन्य खर्च भी बढ़ाया है। चीन भी एशिया में अपनी धाक जमाने के लिए सैन्य शक्ति में काफी विस्तार कर रहा है।
Military Spending: दुनियाभर में सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए देश हथियारों पर पानी की तरह पैसे बहा रहे हैं। स्वीडिश वॉचडॉग नान तियान का कहना है कि मिलिट्री स्पैंडिंग में इतनी तेजी से बस यही संकेत आ रहा है कि हम बहुत तेज गति से हो रहे असुरक्षित दुनिया में जी रहे हैं। वैश्विक सैन्य खर्च 2022 में लगातार आठवें साल बढ़कर $2.24 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया है। इनमें यूरोपीय देशों में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिल रहा है और इसकी वजह रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध है। यह डेटा ऑल टाइम हाई है।
वास्तविक रूप से वर्ल्ड लेवल पर सैन्य खर्च में 3.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इनमें यूरोप में 13 पर्सेंट ज्यादा है और यह कम से कम 30 वर्षों में साल-दर-साल सबसे तेज वृद्धि के साथ है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) का कहना है कि यूक्रेन को सैन्य सहायता और बढ़ते खतरे की चिंता के बीच यूरोपीय देशों ने सैन्य खर्च बढ़ाए और इसकी वजह से बाकी चीजें प्रभावित हुईं। आपको बता दें कि दुनिया के कई हिस्सों में अशांति का वातावरण पनप रहा है और हालात ऐसे बन पड़े हैं कि किसी ने माचिस जलाई और विस्फोट शुरू।
स्वीडिश वॉचडॉग ने कहा कि पिछले साल हथियारों पर सबसे ज्यादा खर्च संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और रूस जैसे देशों ने किए। रूस के बाद कई राज्यों ने अपने सैन्य खर्च में काफी वृद्धि की। रूस-यूक्रेन वॉर के बीच फिनलैंड (36%), लिथुआनिया (27%), स्वीडन (12%) और पोलैंड (11%) जैसे रूस के करीबी देशों ने खूब हथियार खरीदे। स्वीडन और फिनलैंड, दोनों ने संयुक्त रूप से मई 2022 में नाटो की सदस्यता के लिए आवेदन किया। कई फॉर्मर पूर्वी ब्लॉक स्टेट्स ने अपनी सेना को दोगुना से ज्यादा कर दिया है। रूस ने भी अपना सैन्य खर्च भी बढ़ाया है। चीन भी एशिया में अपनी धाक जमाने के लिए सैन्य शक्ति में काफी विस्तार कर रहा है।