How does your contribution in EPF affect your retirement savings?

ईपीएफ में आपके योगदान को (12% से 10%) करने का आपके वेतन, रिटायरमेंट राशि और कॉस्ट-टू-कंपनी पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

ईपीएफ में आपके योगदान में कमी से क्या प्रभाव पड़ेगा

आपकी टेक-होम सैलरी में वृद्धि होना अच्छी बात है, क्यों सही कहा ना? लेकिन इस बारे में आपको फिर से सोचना चाहिए, खासतौर से उस वक्त जब सरकार कर्मचारी भविष्य निधि 

(ईपीएफ) में आपके योगदान को 12% से कम करके 10% करने का सोच रही है। पता करते हैं कि इस बदलाव का आपके वेतन और बचत से जुड़ी बातों जैसे टेक-होम सैलरी और रिटायरमेंट राशि पर क्या असर पड़ेगा।

ईपीएफ क्या है? 

ईपीएफ या कर्मचारी भविष्य निधि एक रिटायरमेंट लाभ योजना है जो 20 या उससे ज़्यादा कर्मचारियों वाले संस्थानों पर लागू होती है। इसके अंतर्गत आपको अपने मूल वेतन का 12% हिस्सा फंड में जमा कराना होता है और आपका नियोक्ता भी इतना ही हिस्सा जमा कराता है। रिटायरमेंट के समय आपको ब्याज़ के साथ पूरा पैसा वापस मिलता है जिसमें आपका और आपके नियोक्ता दोनों का जमा किया हिस्सा शामिल होता है। 

दर कम करने का आपकी टेक-होम सैलरी पर प्रभाव

वर्तमान में आप ईपीएफ में मूल वेतन का 12% हिस्सा जमा करते हैं। अब अगर आपके ईपीएफ में योगदान को घटा कर 10% कर दिया जाए तो आपकी टेक-होम सैलरी बढ़ जाएगी। आइए इसको एक उदाहरण से समझते हैं। 

मान लीजिए आपका मूल वेतन 50,000 रूपये है। अगर ईपीएफ 12% है तो आप 6000 रूपये फंड में जमा करेंगे और आपका नियोक्ता भी इतना ही पैसा जमा करेगा। लेकिन अगर यह 10% हो जाता है तो आप 5000 रूपये जमा करेंगे। इसका मतलब है कि आपकी टेक-होम सैलरी में 1000 रूपये बढ़ जाएंगें। अगर आप एक ईमानदार निवेशक है तो आप इस बढ़ी हुई राशि को किसी म्यूचूअल फंड में निवेश कर सकते हैं जिससे आपको भविष्य में फायदा मिल सकता है।

आपकी सीटीसी पर प्रभाव

अगर आप कॉस्ट-टू कंपनी देखते हैं तो आपको पता चलेगा कि आपके नियोक्ता द्वारा दिया जा रहा ईपीएफ सीटीसी का हिस्सा है। अब अगर ईपीएफ में आपका योगदान घटकर 10% हो जाता है तो आपके नियोक्ता का हिस्सा भी कम हो जाएगा। इसका मतलब है कि आपका सीटीसी भी अपने आप कम हो जाएगा।

ईपीएफ में आपके योगदान में कमी से आपकी रिटायरमेंट बचत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?


आपकी रिटायरमेंट राशि पर प्रभाव

ईपीएफ सही मायने में एक रिटायरमेंट बचत योजना है। इसलिए इसकी दर में परिवर्तन का मतलब है कि आपकी रिटायरमेंट राशि पर काफी प्रभाव पड़ेगा। ईपीएफ हिस्से में कमी का मतलब है कि आपकी रिटायरमेंट राशि में भी कमी आएगी । 

उदाहरण के लिए मान लेते हैं कि आपकी उम्र 30 वर्ष है और आपका मूल वेतन 50,000 रूपये महीना है। अगर आप 30 वर्ष बाद 60 की उम्र में रिटायर होते हैं तो आपकी रिटायरमेंट राशि करीब 1.17 करोड़ ( ईपीएफ का योगदान 12% और ब्याज़ दर 8.55% मानते हुए)। अब अगर आपका योगदान 10% हो जाता है तो आपकी रिटायरमेंट राशि 1.02 करोड़ रह जाएगी; इसका मतलब है कि आपकी रिटायरमेंट राशि में 12.5% की सीधी कमी हो जाएगी! 

निष्कर्ष 

ईपीएफ में योगदान की दर में कमी अच्छी ख़बर नहीं है। हालांकि, आपको अपने रिटायरमेंट के लिए पूरी तरह ईपीएफ पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। निवेश के दूसरे विकल्पों पर भी विचार करें और अपने मूल वेतन का कुछ हिस्सा उनमें निवेश करने का सोचें। आप अपने स्वैच्छिक भविष्य निधि (वीपीएफ) के जरिए ऐसा कर सकते हैं। इसके साथ आप ज़्यादा रिटर्न के लिए इक्विटी म्यूचूअल फंड में भी निवेश कर सकते हैं। 

संवादपत्र

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