इंस्टेंट लोन: कितने तरह के विकल्प हैं?

यहाँ अलग-अलग तरह के इंस्टेंट लोन की सूची दी गई है और इस बारे में बताया गया है कि इन्हें कैसे हासिल किया जा सकता है. इनका फ़ायदा कोई भी उठा सकता है.

इंस्टेंट लोन कितने तरह के विकल्प हैं

पहले लोन के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया में बहुत, यानी कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों तक का समय लग जाता था. हालांकि, आजकल इंस्टेंट लोन मिलने में ज़्यादा समय नहीं लगता. इससे, आपको कुछ ही मिनटों में लोन अमाउंट मिल जाता है, और आप इसे अपनी ज़रूरत के हिसाब से खर्च कर सकते हैं. यहाँ कुछ प्रकार के इंस्टेंट लोन की जानकारी दी गई हैं जिनका फ़ायदा आप उठा सकते हैं:

शॉर्ट-टर्म पर्सनल लोन

इन्हें 'एडवांस सैलरी' लोन के रूप में भी जाना जाता है और इनसे आपको महीने के अंत में तब मदद मिलती है जब आपकी जेबें टाइट होती हैं. आम तौर पर, वे विशेष रूप से एक तनख्वाह पाने वाले कर्मचारी के हिसाब से बनाए गए होते हैं, और आमतौर पर आपकी मासिक आय के एक निश्चित प्रतिशत के हिसाब से कैप किए जाते हैं. लोन की सीमा आवेदक के मासिक वेतन के 2.5 गुना तक जा सकती है. टेन्योर 1 महीने से एक वर्ष तक का होता है, और लोन की रकम 1000 रुपये जितनी छोटी भी हो सकती है. ब्याज दरें लगभग 2% प्रति माह से शुरू होती हैं.

रेंटल लोन

ये ऐसे लोन हैं जो किराये का अपार्टमेंट लेने पर उसके डिपॉज़िट के लिए ज़रूरी बचत के बोझ को कम करने में मदद करते हैं. बैंक, डिपॉज़िट अमाउंट को लोन के रूप में देता है, और केवल लोन अग्रीमेंट के टेन्योर पर इंटरेस्ट चुकाना पड़ता है, जो आमतौर पर रेंटल अग्रीमेंट के टेन्योर के हिसाब से होता है. टेन्योर के अंत में, लोन की मूल राशि बैंक को वापस कर दी जाती है. यह लोन लेने वाले के लिए बहुत मददगार साबित होता है क्योंकि डिपॉज़िट के लिए उन्हें अपनी सेविंग्स के पैसे नहीं निकालने पड़ते. ऐसे लोन के लिए आमतौर पर कोई प्री-पेमेंट चार्ज नहीं लगता है. इससे आवेदक को थोड़ा आराम रहता है.

कोलैटरल पर लोन 

यह लोन गोल्ड या फिक्स्ड डिपॉज़िट्स जैसे कोलैटरल पर दिया जाता है. कोलैटरल लोन लेने पर कम ब्याज दरों का फ़ायदा मिलता है, क्योंकि कोलैटरल से बैंक को भी अपने लोन दिए गए पैसे के लिए सुरक्षा मिलती है. कोलैटरल पर कितने रूपये तक का लोन मिल सकता है, इसे आमतौर पर सेविंग्स या गोल्ड की वैल्यू के प्रतिशत के रूप में कैलकुलेट किया जाता है. अगर सेविंग्स या गोल्ड उस बैंक के पास है जो आपको लोन जारी कर रहा है, और गोल्ड की वैल्यू पहले से ही मालूम है तो यह इंस्टेंट लोन के रूप में काम करता है. बैंक, एफडी की वैल्यू पर 95% तक का लोन मंज़ूर करते हैं. हालांकि, कुछ एफडी (जैसे कि नाबालिग के नाम पर, या पांच साल की टैक्स-सेविंग एफडी) पर यह लोन नहीं दिया जाता. 

क्रेडिट कार्ड पर लोन

यह काफी लोकप्रिय है और इसके लिए ज़्यादा कागज़ी कार्रवाई भी नहीं करनी पड़ती. यह लोन मिलने में समय भी बहुत कम लगता है. यह आमतौर पर बैंकों द्वारा उन ग्राहकों को ऑफ़र किया जाता है जिनके पास बहुत समय से उसी बैंक का क्रेडिट कार्ड होता है, और जिन्होंने रीपेमेंट भी समय पर किया होता है. इस लोन की लोकप्रियता की एक ख़ास वजह यह है कि किसी यूज़र के क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाला लोन उसकी कार्ड लिमिट पर असर नहीं डालता जैसा कि नकद निकासी या ईएमआई पर कुछ खरीदने पर होता है. 

पर्सनल लोन

पर्सनल लोन उन ग्राहकों को ऑफर किए जाते हैं जिनका क्रेडिट स्कोर ज़्यादा हो और जो रीपेमेंट भी समय पर करते रहे हों. हालांकि, उनमें से ज़्यादातर कोई कोलैटरल नहीं लेते और इसलिए उनकी ब्याज दर ज़्यादा होती है. चूंकि लोग कई कारणों से पर्सनल लोन के लिए आवेदन करते हैं - जैसे कि छुट्टी पर जाना, या शादी के खर्च के लिए, इसलिए लोन के आवेदन की रकम कुछ हजारों से लेकर कई लाख तक हो सकती है. बल्कि, कुछ पर्सनल लोन 'छुट्टी के लिए लोन' या 'शादी के लिए लोन' की तरह प्रमोट किए जाते हैं ताकि लोग इन पर्सनल लोन का इस्तेमाल उन ज़रूरतों के लिए भी करने के बारे में सोचें. बैंक टू-व्हीलर लोन के लिए आवेदन करने वाले लोगों को भी पर्सनल लोन बेचते हैं, क्योंकि उन्हें इसमें कोई हाइपोथेकेशन नहीं करना पड़ता और इसलिए लोन चुकता होने के बाद ग्राहक के साथ कोई कागज़ी कार्रवाई भी नहीं करनी पड़ती.

टॉप-अप लोन

ये लोन किसी मौजूदा लोन पर दिए जाते हैं जिन्हें ग्राहक अभी भी चुका रहा हो. टॉप-अप लोन बड़ी प्रॉपर्टी को आसानी से खरीदने के लिए एक ज़रिए के तौर पर दिया जाता था, लेकिन अब इसे विभिन्न क्षेत्रों जैसे ऑटोमोबाइल और पर्सनल लोन में भी दिया जाता है. एक इंस्टेंट टॉप-अप लोन, आवेदक की योग्यता के आधार पर ईएमआई और ब्याज दर को रीकैलकुलेट करता है, और न के बराबर या न्यूनतम कागज़ी कार्रवाई के साथ, तुरंत अतिरिक्त राशि डिस्बर्स करता है.

इंस्टेंट टू-व्हीलर लोन

बैंक और एनबीएफसी, आपको लोन लेने की योग्यता साबित करने के लिए न्यूनतम कागज़ी कार्रवाई के साथ इंस्टेंट टू-व्हीलर लोन देते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि टू-व्हीलर खरीदने की जल्दी उन्हें लोन की तरफ़ जल्दी आकर्षित करेगी. इंस्टेंट टू-व्हीलर लोन का इस्तेमाल किसी इस्तेमाल किए गए टू-व्हीलर को खरीदने के लिए भी किया जा सकता है, क्योंकि आमतौर पर इस्तेमाल की गई गाड़ी खरीदने के लिए लोन देने से बैंक हिचकिचाते हैं. इंस्टेंट टू-व्हीलर लोन के लिए मिलने वाली रकम 3000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक हो सकती है और ब्याज दरें 13 प्रतिशत प्रति वर्ष से शुरू होती हैं.

इंस्टेंट लोन लेने के लिए ज़रूरी योग्यता और आवेदन प्रक्रिया की जानकारी

एक बढ़िया क्रेडिट स्कोर होना इंस्टेंट लोन के लिए आपकी ज़रूरी योग्यता में अहम भूमिका निभाता है. इसका मतलब है कि समय पर अपने बिलों और ईएमआई का भुगतान करना, अपने क्रेडिट कार्ड पर कम खर्च करना लेकिन कार्ड का इस्तेमाल करते रहना, और अपनी क्रेडिट सीमा से ज़्यादा खर्चे न बढ़ाना. बैंक अक्सर अच्छे क्रेडिट स्कोर और समय पर पैसे चुकाने वाले लोगों को तुरंत लोन देते हैं. आपको केवल इतना करना है कि अपने बैंक से बात करें और पैसा आपको दिए जाने से पहले नियमों और शर्तों को अच्छे से पढ़ लें. 

पहले लोन के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया में बहुत, यानी कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों तक का समय लग जाता था. हालांकि, आजकल इंस्टेंट लोन मिलने में ज़्यादा समय नहीं लगता. इससे, आपको कुछ ही मिनटों में लोन अमाउंट मिल जाता है, और आप इसे अपनी ज़रूरत के हिसाब से खर्च कर सकते हैं. यहाँ कुछ प्रकार के इंस्टेंट लोन की जानकारी दी गई हैं जिनका फ़ायदा आप उठा सकते हैं:

शॉर्ट-टर्म पर्सनल लोन

इन्हें 'एडवांस सैलरी' लोन के रूप में भी जाना जाता है और इनसे आपको महीने के अंत में तब मदद मिलती है जब आपकी जेबें टाइट होती हैं. आम तौर पर, वे विशेष रूप से एक तनख्वाह पाने वाले कर्मचारी के हिसाब से बनाए गए होते हैं, और आमतौर पर आपकी मासिक आय के एक निश्चित प्रतिशत के हिसाब से कैप किए जाते हैं. लोन की सीमा आवेदक के मासिक वेतन के 2.5 गुना तक जा सकती है. टेन्योर 1 महीने से एक वर्ष तक का होता है, और लोन की रकम 1000 रुपये जितनी छोटी भी हो सकती है. ब्याज दरें लगभग 2% प्रति माह से शुरू होती हैं.

रेंटल लोन

ये ऐसे लोन हैं जो किराये का अपार्टमेंट लेने पर उसके डिपॉज़िट के लिए ज़रूरी बचत के बोझ को कम करने में मदद करते हैं. बैंक, डिपॉज़िट अमाउंट को लोन के रूप में देता है, और केवल लोन अग्रीमेंट के टेन्योर पर इंटरेस्ट चुकाना पड़ता है, जो आमतौर पर रेंटल अग्रीमेंट के टेन्योर के हिसाब से होता है. टेन्योर के अंत में, लोन की मूल राशि बैंक को वापस कर दी जाती है. यह लोन लेने वाले के लिए बहुत मददगार साबित होता है क्योंकि डिपॉज़िट के लिए उन्हें अपनी सेविंग्स के पैसे नहीं निकालने पड़ते. ऐसे लोन के लिए आमतौर पर कोई प्री-पेमेंट चार्ज नहीं लगता है. इससे आवेदक को थोड़ा आराम रहता है.

कोलैटरल पर लोन 

यह लोन गोल्ड या फिक्स्ड डिपॉज़िट्स जैसे कोलैटरल पर दिया जाता है. कोलैटरल लोन लेने पर कम ब्याज दरों का फ़ायदा मिलता है, क्योंकि कोलैटरल से बैंक को भी अपने लोन दिए गए पैसे के लिए सुरक्षा मिलती है. कोलैटरल पर कितने रूपये तक का लोन मिल सकता है, इसे आमतौर पर सेविंग्स या गोल्ड की वैल्यू के प्रतिशत के रूप में कैलकुलेट किया जाता है. अगर सेविंग्स या गोल्ड उस बैंक के पास है जो आपको लोन जारी कर रहा है, और गोल्ड की वैल्यू पहले से ही मालूम है तो यह इंस्टेंट लोन के रूप में काम करता है. बैंक, एफडी की वैल्यू पर 95% तक का लोन मंज़ूर करते हैं. हालांकि, कुछ एफडी (जैसे कि नाबालिग के नाम पर, या पांच साल की टैक्स-सेविंग एफडी) पर यह लोन नहीं दिया जाता. 

क्रेडिट कार्ड पर लोन

यह काफी लोकप्रिय है और इसके लिए ज़्यादा कागज़ी कार्रवाई भी नहीं करनी पड़ती. यह लोन मिलने में समय भी बहुत कम लगता है. यह आमतौर पर बैंकों द्वारा उन ग्राहकों को ऑफ़र किया जाता है जिनके पास बहुत समय से उसी बैंक का क्रेडिट कार्ड होता है, और जिन्होंने रीपेमेंट भी समय पर किया होता है. इस लोन की लोकप्रियता की एक ख़ास वजह यह है कि किसी यूज़र के क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाला लोन उसकी कार्ड लिमिट पर असर नहीं डालता जैसा कि नकद निकासी या ईएमआई पर कुछ खरीदने पर होता है. 

पर्सनल लोन

पर्सनल लोन उन ग्राहकों को ऑफर किए जाते हैं जिनका क्रेडिट स्कोर ज़्यादा हो और जो रीपेमेंट भी समय पर करते रहे हों. हालांकि, उनमें से ज़्यादातर कोई कोलैटरल नहीं लेते और इसलिए उनकी ब्याज दर ज़्यादा होती है. चूंकि लोग कई कारणों से पर्सनल लोन के लिए आवेदन करते हैं - जैसे कि छुट्टी पर जाना, या शादी के खर्च के लिए, इसलिए लोन के आवेदन की रकम कुछ हजारों से लेकर कई लाख तक हो सकती है. बल्कि, कुछ पर्सनल लोन 'छुट्टी के लिए लोन' या 'शादी के लिए लोन' की तरह प्रमोट किए जाते हैं ताकि लोग इन पर्सनल लोन का इस्तेमाल उन ज़रूरतों के लिए भी करने के बारे में सोचें. बैंक टू-व्हीलर लोन के लिए आवेदन करने वाले लोगों को भी पर्सनल लोन बेचते हैं, क्योंकि उन्हें इसमें कोई हाइपोथेकेशन नहीं करना पड़ता और इसलिए लोन चुकता होने के बाद ग्राहक के साथ कोई कागज़ी कार्रवाई भी नहीं करनी पड़ती.

टॉप-अप लोन

ये लोन किसी मौजूदा लोन पर दिए जाते हैं जिन्हें ग्राहक अभी भी चुका रहा हो. टॉप-अप लोन बड़ी प्रॉपर्टी को आसानी से खरीदने के लिए एक ज़रिए के तौर पर दिया जाता था, लेकिन अब इसे विभिन्न क्षेत्रों जैसे ऑटोमोबाइल और पर्सनल लोन में भी दिया जाता है. एक इंस्टेंट टॉप-अप लोन, आवेदक की योग्यता के आधार पर ईएमआई और ब्याज दर को रीकैलकुलेट करता है, और न के बराबर या न्यूनतम कागज़ी कार्रवाई के साथ, तुरंत अतिरिक्त राशि डिस्बर्स करता है.

इंस्टेंट टू-व्हीलर लोन

बैंक और एनबीएफसी, आपको लोन लेने की योग्यता साबित करने के लिए न्यूनतम कागज़ी कार्रवाई के साथ इंस्टेंट टू-व्हीलर लोन देते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि टू-व्हीलर खरीदने की जल्दी उन्हें लोन की तरफ़ जल्दी आकर्षित करेगी. इंस्टेंट टू-व्हीलर लोन का इस्तेमाल किसी इस्तेमाल किए गए टू-व्हीलर को खरीदने के लिए भी किया जा सकता है, क्योंकि आमतौर पर इस्तेमाल की गई गाड़ी खरीदने के लिए लोन देने से बैंक हिचकिचाते हैं. इंस्टेंट टू-व्हीलर लोन के लिए मिलने वाली रकम 3000 रुपये से लेकर 5 लाख रुपये तक हो सकती है और ब्याज दरें 13 प्रतिशत प्रति वर्ष से शुरू होती हैं.

इंस्टेंट लोन लेने के लिए ज़रूरी योग्यता और आवेदन प्रक्रिया की जानकारी

एक बढ़िया क्रेडिट स्कोर होना इंस्टेंट लोन के लिए आपकी ज़रूरी योग्यता में अहम भूमिका निभाता है. इसका मतलब है कि समय पर अपने बिलों और ईएमआई का भुगतान करना, अपने क्रेडिट कार्ड पर कम खर्च करना लेकिन कार्ड का इस्तेमाल करते रहना, और अपनी क्रेडिट सीमा से ज़्यादा खर्चे न बढ़ाना. बैंक अक्सर अच्छे क्रेडिट स्कोर और समय पर पैसे चुकाने वाले लोगों को तुरंत लोन देते हैं. आपको केवल इतना करना है कि अपने बैंक से बात करें और पैसा आपको दिए जाने से पहले नियमों और शर्तों को अच्छे से पढ़ लें. 

संवादपत्र

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