Pradhan Mantri Shram-Yogi Maandhan: A mega pension scheme to cover workers in India’s unorganised sector

अंतरिम बजट 2019 में घोषित प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन योजना पर एक नज़र, यह योजना भारत के विशाल असंगठित श्रमिक कर्मचारियों को अंशदायी आधार पर सेवानिवृत्ति लाभ प्रदान करने का वादा करती है।

प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन: भारत के असंगठित क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों को सुरक्षा देने के लिए एक वृहद पेंशन योजना

अधिकांश चुनावपूर्व बजट की तरह, 2019 के अंतरिम बजट में भी भारतीय समाज के एक बड़े वर्ग को ध्‍यान में रखते हुए एक बड़ी लाभप्रद योजना की घोषणा की गई है। भारत का असंगठित क्षेत्र, जिसमें कूड़ा बीनने वाले और रिक्शा खींचने वालों से लेकर बीड़ी बनाने वालों और दैनिक मजदूर शामिल हैं, ये सभी दुनिया की सबसे बड़ी पेंशन योजना के लाभार्थी होंगे। 

प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन (पीएमएसवायएम) को असंगठित क्षेत्र के 60 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति को हर महीने 3,000 रुपये की पेंशन देने के लिए तैयार किया गया है। इसमें वे श्रमिक शामिल होंगे जिनकी मासिक आय 15,000 रुपये से कम है।

18 वर्ष की आयु में योजना में शामिल होने वाले एक असंगठित श्रमिक को हर महीने 55 रुपये का योगदान करना होगा, जबकि 29 वर्ष की आयु में शामिल होने वाले श्रमिक को 100 रुपये का योगदान करना होगा। सरकार की ओर से भी इसमें समान योगदान दिया जाएगा। 

भारत का 90% से अधिक कार्यबल असंगठित क्षेत्र से जुड़ा हुआ है और जो सकल घरेलू उत्पाद का 50% योगदान करता है। पीएमएसवायएम योजना का सभी ओर से स्वागत किया गया है क्योंकि यह देश के श्रमिक वर्ग के एक बड़े हिस्से को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने का वादा करती है और यह योगदान के रूप में एक बड़ी राशि का निर्माण करेगी। 

दूसरी ओर, मतदाताओं को लुभाने के अंतिम प्रयास के रूप में इस योजना की आलोचना भी की गई है, जबकि बजट को आम-तौर पर रोजगार सृजन, सार्वजनिक निवेश बढ़ाने, या लोगों के वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार पर ध्‍यान नहीं देने के चलते खारिज कर दिया गया है। 

इस योजना के अलावा, बजट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) और प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाय) में बड़ा आवंटन किया।

प्रधानमंत्री श्रम-योगी मानधन क्‍या है?

पीएमएसवायएम एक ऐसी स्‍कीम है जिसका उद्देश्य उन लोगों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है जिनके पास कोई आर्थिक सुरक्षा नहीं है, क्योंकि ऐसे लोग आम तौर पर किसी भी पेंशन योजना का हिस्सा नहीं होते हैं। यह असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को पेंशन खाते खोलने और 60 वर्ष की आयु तक इसमें धन जमा करने की सुविधा प्रदान करेगा। 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति इस योजना में शामिल हो सकता है, बशर्ते उनकी मासिक आय 15,000 रुपये से कम हो।

अंतरिम बजट ने इस स्‍कीम के लिए 500 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की है और इससे असंगठित क्षेत्र के 10 करोड़ से अधिक श्रमिकों को मदद मिलने की उम्मीद है।

असंगठित क्षेत्र को इस योजना की आवश्यकता क्यों है?

असंगठित क्षेत्र के श्रमिक, विशेष रूप से 15,000 रुपये से कम की मासिक आय अर्जित करने वाले, किसी भी पेंशन योजना में शामिल नहीं होते हैं। ये वे लोग हैं जो दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और उन्‍हें आम तौर पर बचत की आदत नहीं होती है। वे लोग जिनकी आय 15,000 रुपये से अधिक है वे कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) स्‍कीम के तहत पात्र होते हैं, इसलिए पीएमएसवायएम उन लोगों का ध्यान रखेगी जो ईपीएफ के दायरे से बाहर हैं। 

इस बजट में वे कौन से प्रमुख मुद्दे हैं जिन पर ध्‍यान नहीं दिया गया?

सबसे बड़ी बात यह है कि बजट ने ‘45 साल की उच्‍चतम’ बेरोजगारी दर के मुद्दे पर ध्‍यान नहीं दिया गया, और न ही इसमें रोजगार सृजन के लिए किसी भी संगठित और संरचित दृष्टिकोण की बात की गई। जहां चालू खाता घाटा 2.5% है, ऐसे में 2018-19 में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने में असफल रहने के कारण सरकार की आलोचना की गई। यह दिखाई पड़ता है कि कल्‍याण के क्षेत्र में किया गया आवंटन सार्वजनिक निवेश में हुए आवंटन में दिखाई नहीं दिया है। 
 

संवादपत्र

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