- Date : 30/04/2018
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समृद्ध जिंदगी बिताना अलग बात है – लेकिन क्या आपने वृद्धावस्था में भी संपत्ति कायम रखने की योजना बनाई है?

मोटी पूंजी के साथ रिटायर होना बड़ी मुश्किल भरा काम नहीं है – हां, ये जरूर है कि पता होना चाहिए कि क्या करना है और कब। तो फिर इसके पीछ क्या राज है? जल्दी योजना बनाना। आप जिंदगी भर काम नहीं कर सकते हैं और बढ़ते जीवनकाल को देखते हुए बिना किसी तैयारी और योजना के रिटायर होने को टालना ही समझदारी है। पहले रिटायरमेंट के लिए योजना का मतलब था बचत, लेकिन मौजूदा समय में निवेश अहम हो गया है।
चाहे रिटायरमेंट के लिए योजना बनाना सुनने में परेशानी भरा और जटिल लगता हो, लेकिन ये नियमित और क्रमिक तौर पर छोटी रकम को निवेश करने की प्रक्रिया है, ताकि आप आसानी से अपने वित्तीय लक्ष्य को हासिल कर पाएं। फिर भी, भारत में रिटायरमेंट की योजना बनाने को लेकर काफी उदासीनता नजर आती है।
साल 2016 तक, दुनिया के कुल नौकरीपेशा व्यक्तियों में 38 फीसदी ने रिटायरमेंट के लिए योग्य योजना नहीं बनाई थी। एगॉन द्वारा साल 2016 में किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक दुनिया में रिटायरमेंट रेडिनेस रेट साल 2015 के 5.9 फीसदी से घटकर साल 2016 में 5.8 फीसदी हो गया था, लेकिन भारत में यही आंकड़ा 7 फीसदी से बढ़कर साल 2016 में 7.3 फीसदी हो गया था। इसके बावजूद, देश के अधिकांश लोग किसी भी पेंशन स्कीम के दायरे से बाहर हैं। हालांकि, ‘नेशनल पेंशन स्कीम – सब का रिटायरमेंट प्लान’ जैसे कदम मौजूद स्थिति में बदल लाने के लिए उठाए गए हैं।
भौगोलिक गतिशीलता की वजह से परिवार का आकार छोटा जा रहा है, इसलिए बच्चों का माता-पिता से दूर रहने की संभावना भी बढ़ती है। साथ ही, आजकल की अस्थिर सामाजिक परिस्थिति की वजह से संयुक्त परिवारों के मुकाबले न्यूक्लीयर परिवार का चलन बढ़ रहा है और इसकी आगे भी जारी रहने की संभावना है। इसके अलावा औसतन 40 की उम्र की बाद ही कोई भारतीय व्यक्ति अपने रिटायरमेंट की योजना बनाना शुरू करता है। और जो लोग योजना बनाते हैं, उनमें से सिर्फ 59 फीसदी (इस श्रेणी में सबसे ज्यादा) लोग ही नियमित रूप से रिटायरमेंट के लिए बचत करते हैं।
इस पर विचार करें: कई दंपति ये सुनकर खुश हो जाते हैं कि हर महीने 10,000 रुपये एसआईपी इक्विटी फंड में निवेश करने से उनके पास 20 साल में करीब 1 करोड़ रुपये होंगे। लेकिन, लोग इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं कि बाजार में उतार-चढ़ाव और मौजूदा खर्च करने का ढंग को देखते हुए 1 करोड़ रुपये की पूंजी उनकी कुल जरूरतों की एक-चौथाई ही होगी। इस वजह से आश्चर्य की बात नहीं है कि भारत में प्रति व्यक्ति रिटायरमेंट संपत्ति जीडीपी की सिर्फ 15.1 फीसदी है, जबकि ये आंकड़ा जर्मनी में 21 फीसदी और अमेरिका में 78.9 फीसदी है।
इसके साथ ही जरूरी है कि आप निवेश के सभी विकल्पों पर ध्यान दें, जैसे म्युचुअल फंड, पेंशन स्कीम, शेयर और हाइब्रिड उत्पादों में निवेश और अपने लिए योग्य विकल्पों में पैसा लगाएं। आज सही निवेश करना भविष्य में किसी दूसरे पर निर्भर रहने से कई गुना बेहतर है।
अगर आपको योग्य प्लान लेने के लिए मदद चाहिए तो आप पेंशन प्लान के प्रकार और उनके टैक्स फायदे से ज्यादा जानकारी हासिल कर सकते हैं।