- Date : 15/11/2018
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आप जीवन में वह पाते हैं जिससे आप माँगने की हिम्मत रखते हैं”-ओपेरा विन्फ़्रे

आप जो भी करें,यदि अलग तरीक़े से करें तो आप अलग दिखेंगे। अलग होना कोई बुरी बात नहीं है,इसका अर्थ केवल यह है कि आप स्वयं को बनाने के लिए काफ़ी साहसी हैं। आज की एक कामकाजी महिला के लिए कुछ भी इससे अधिक सटीक नहीं हो सकता। अब अपने कामयाबी के किस्से लिखना हर महिला पर निर्भर करता है। इसलिए इस महिला दिवस के अवसर पर,आइए कुछ प्रेरणास्त्रोत् भारतीय महिलाओं के सफ़र के बारे में पढ़ते हैं जिन्होंने उनके द्वारा चुने गए क्षेत्रों में एक नया पायदान स्थापित किया है।
१)अनपू वार्की : भित्तिचित्र कलाकार
यह ब्रेमेन,जर्मनी में रहने के दौरान हुआ कि अनपू वार्की ,एक नई दिल्ली की रहने वाली स्ट्रीट कलाकार और चित्रकार ,स्ट्रीट कला से सबसे पहली बार रूबरू हुई। वह यह देखकर मोहित हो गई है कि कैसे चित्रकारी की मदद से अपने भावनाओं को सड़कों पर दर्शाया जा रहा था। उसी वक़्त एक स्टूडियो चित्रकार से स्ट्रीट कलाकार का परिवर्तन हुआ ।
2011 से, वह साल जब अनपू भारत लौटी, वह बड़ी मूर्तियों पर काम करके अपने शिल्प को बढ़ावा दे रही थी और विभिन्न प्रकार की संस्कृति कला उत्सव में भाग लेकर ,सह-आयोजन भी कर रही थी ।’जाबा’, उनकी पहली ग्रैफिक उपन्यास, जो 2014 में प्रकाशित हुई थी और जिसमें उनकी बिल्ली की दैनिक जीवन की एक झलक थी। दरअसल, वह अपने बिल्ली पर आधारित मूर्तियों के लिए बहुत प्रसिद्ध हैं, यह उनकी हस्ताक्षर कला है । उसी वर्ष उन्होंने जर्मन कलाकार हैन्रीक बैकीर्च के साथ जुड़कर दिल्ली में सबसे ऊँची मूर्ति को रंगा। इस चित्र को ख़त्म करने में उन्हें पाँच दिन का समय लगा और यह महात्मा गांधी के लिए एक श्रद्धांजलि थी। यह सिर्फ़ भारत में ही नहीं हैं की अनपू सुप्रसिद्ध है, वे अपनी छाप विश्व भर की दीवारों पर छोड़ रही हैं।
२) प्रियंका कोचर, पेशेवर बाइकर:
एक मोटरसाइकिल का आना ही था जिसमें प्रियंका कोचर की दिलचस्पी दिखी , जिसने जब से होश संभाला तो ख़ुद को ऑटोमोबाइल्स के बीच पाया। KTM ड्यूक 200 में उड़ने के साथ ही,यह नवप्रवर्तक भारत और विदेशों में भी एक आदर्श हैं। प्रियंका की बाइक से वास्ते की शुरुआत 2014 में हुई। उन्हें उस वक़्त इसका बिलकुल भी अंदाज़ा नहीं था की बम्बई की व्यस्त सड़कों में घूमने का झुकाव जल्द ही एक पूर्ण उत्साही जुनून में तब्दील हो जाएगा। इन सब मे सिर्फ़ रोमांच के लिए कुछ उत्साह की आवश्यकता थी और उनकी विश्वसनीय रॉयल एनफील्ड क्लासिक 350 की - और बाक़ी तो इतिहास है।
इस पुरुष प्रधान दुनिया में, उत्साही प्रियंका रूढ़िवाद तोड़ रही है। वह विली करना सीख रही है और प्रतिदिन बाइक्स के बारे में अपना ज्ञान बढ़ा रही है,हालाँकि वह भारत की लंबाईयों और चौड़ाईयों तक बाइक चलाना बहुत ख़ूब जानती है जिससे आने-जाने वालों के होश उड़ जाते हैं।
३) अवनी चतुर्वेदी ,फ्लाइंग ऑफ़िसर - भारतीय वायुसेना
अवनी चतुर्वेदी पहली भारतीय महिला हैं,जिन्होंने अपनी एकल पहली उड़ान में MIG 21 लड़ाकू विमान उड़ाया। यह उनकी शानदार किस्सों में जुड़ने वाला एक और अंग था क्योंकि अवनी भारतीय वायु सेना की तीन महिलाओं के समूह का एक हिस्सा थी जिन्होंने पहली बार लड़ाकू पायलट प्रशिक्षण लिया।
यह अद्भुत महिला,मध्य प्रदेश के सेना अधिकारियों के परिवार से आती है और उनकी मिलिट्री जीवन ने इन्हें प्रेरणा दी है।उन्होंने कॉलेज के क्लब द्वारा उड़ान का अनुभव प्राप्त किया और उड़ान के इस जुनून ने उन्हें भारतीय वायु सेना से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। उनकी पहली एकल उड़ान केवल एक सीढ़ी है ,जिससे पहले ही वह पूरी तरह परिचालक हो जाए और तैनात होने के लिए तैयार हो जाए, इसलिए अवनी को अभी भी लड़ाकू विमान उड़ाने के लिए सारी पेचीदगियां सीखनी होगी।
४) राधिका जी.आर,पर्वतारोही:
राधिका आदर्श रूप से और शाब्दिक रूप से दुनिया के शिखर पर है | उन्होंने समस्त यूरोप और एशिया की सबसे ऊँची पर्वत आरोह की जो कि 18,550 फुट ऊँची है -एल्बरस पर्वत। इस साहसी महान माँ ने पर्वत चढ़ने के लिए आसानी से किया जा सकता दक्षिण के ट्रैकिंग के स्थान पर, उत्तर की कम यात्रा होने वाली सड़क का चयन किया। कितनी दफ़ा आपने एक भारतीय महिला पुलिसकर्मी को इस तरह का कुछ हासिल करते हुए सुना है?
तेलंगाना के निवासी,राधिका ने चित्तूर ज़िले को फक्र महसूस कराया पहली भारतीय महिला बनकर जो वर्दी पहने वे सब करती है जो वह करती है। राधिका ने पुलिस की परीक्षा निकाल कर, 2007 में उप-अधीक्षक बन गई। यह 2012 की कैलाश पर्वत की आरोह के बाद हुआ कि उन्होंने पर्वतारोहण करने का फ़ैसला लिया। उन्होंने एवरेस्ट पर्वत,कोसीयूज़को पर्वत (ऑस्ट्रेलिया में), किलिमंजारो पर्वत(अफ़्रीका में) पर चढ़ाई की है -भारत के कांग्री,कुन, मैंथोसा,और गोलेप के अलावा|
५) स्नेहा खँवलकर,संगीतकार
स्नेहा खँवलकर समकालीन और रचनात्मक गीतों के निर्माण के लिए सुप्रसिद्ध हैं। वेइन्दौर में जन्मी और बड़ी हुई। उनकानाना परिवार भारतीय संगीत के ग्वालियर घराने का एक हिस्सा था और बाल काल से ही उन्हें संगीत सिखाया जाता था। अनेको करियर के विकल्पों को छाँटने के बादजैसे की) कलानिर्देशन,इंजीनियरिंग,एनिमेशन(,स्नेहा ने अपनी दिल की आवाज़ सुनी और संगीत निर्देशन में अपना असली जुनून पाया। आजकल बॉलीवुड के पुरुष प्रधान संगीतउद्योग में,वह इकलौती महिला संगीतकार हैं। उनकी अकल्पनीय धुनें,गैंग्स ऑफ़ वासेपुर,लव सेक्स और धोखा,ख़ूबसूरत और ओय लक्की ओय में नवीन और पारंपरिक भारत का एक मिश्रण दिखता है।
28 सालों के बाद,2013 की फ़िल्म गैंग्स ऑफ़ वासेपुर भाग १ और २ के लिए स्नेहा को फिल्मफेयर की बेहतरीन संगीत निर्देशन की श्रेणी में नामित किया गया था ।
वे दिन अब ख़त्म हो गए हैं जब महिलाएँ कुछ पेशो और क्षेत्रों से हिचकिचाती थी यह सोचकर कि वह उन कामों के साथ न्याय नहीं कर पाएंगी। हर दिन महिलाएँ अपनी क़दम अज्ञात क्षेत्रों में निर्भरता और निश्चित रूप से जमा रही हैं। फ़ैशन से लेकर यात्रा तक,निवेश से लेकर ईकॉमर्स तक,फ़िटनेस से लेकर कला तक,महिलाएँ संसाधन, उत्साही पहल और बेबुनियाद उत्साह के साथ बदलाव के लिए आगे बढ़ रही है और अपने रास्तो में प्रेरणा बनती जा रही है।