There are over 1.75 lakh stalled housing projects in India. Here's how to Deal with Delayed or Stalled Housing Projects

एक होमबायर जिसका घर विलंबित या रुकी हुई परियोजना में फंस गया है, तो वह शुरूआत में रियल स्टेट रेगुलेटर या आगे राहत पाने के लिए कोर्ट जा सकता है।

Heres how to Deal with Delayed or Stalled Housing Projects

देरी या रुकी हुई आवासीय परियोजनाओं से निपटने का तरीका यहां दिया गया है

किसी भी घर खरीदने वाले व्‍यक्ति के लिए अपने सपनों के घर का कब्जे मिलने में लंबे समय तक देरी का सामना करना बहुत बुरा सपना होता है। यह न केवल होमबायर्स को आर्थिक रूप से प्रभावित करता है बल्कि उसकी मानसिक स्थिति में भी एक बड़ी क्षति पहुंचती है। इससे पहले कि हम आगे बढ़ें, विलंबित परियोजनाओं और रुकी हुई परियोजनाओं के बीच के अंतर को समझना आवश्‍यक है।

विलंबित परियोजनाएं धीमी या न्यूनतम प्रगति वाली परियोजनाएं हैं, जबकि रुकी हुई परियोजनाएं वे परियोजनाएं हैं जिनमें निर्माण कार्य बिल्कुल भी नहीं हुआ है।

नवीनतम रिपोर्टों के अनुसार, यह पाया गया है कि भारत के शीर्ष सात शहरों में 1.75 लाख से अधिक आवास परियोजनाएं रुकी हुई हैं, जिनकी राशि 1.5 लाख करोड़ से अधिक है। अधिकतम रुकी हुई परियोजनाएं नेशनल कैपिटल रीजन में हैं और इसके बाद मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन में हैं, जिसमें क्रमशः 1.15 लाख और 50,000 से अधिक रुकी हुई परियोजनाएं हैं।

इसके साथ ही, रिपोर्टों में यह भी सामने आया कि अधिकांश परियोजनाएं, यानी 60% से अधिक, 75 लाख रुपये के प्राइस ब्रैकेट के अंदर आती हैं।

जैसे-जैसे परियोजनाओं में देरी या रुकी हुई स्थितियों की संख्या दिन-पर-दिन बढ़ती जा रही है, आप जैसे गृहस्वामियों के लिए अपने अधिकारों और आपके लिए उपलब्ध कानूनी विकल्पों को समझना पहले से कहीं अधिक आवश्‍यक हो गया है।

इसलिए, इस लेख में, हम इन बातों को कवर करेंगे कि यदि आपका रियल स्‍टेट प्रोजेक्‍ट रुक गया है या उसमें देरी हो रही है तो एक होमबायर के रूप में आप क्या कर सकते हैं।

रियल स्‍टेट रेग्‍युलेटर की भूमिका

रियल स्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 के अनुसार, रियल स्टेट रेग्‍युलेटरी अथॉरिटी (RERA) होमबायर्स की सुरक्षा करने के साथ-साथ रियल स्टेट निवेश को बढ़ाने के मुख्य उद्देश्य के साथ अस्तित्व में आई। यह रियल स्टेट रेग्‍युलेशन की कुछ सबसे आवश्यक भूमिकाओं को बताता है जो इस प्रकार हैं: 

  1. रियल स्‍टेट प्रोजेक्‍ट्स और एजेंट्स को रजिस्‍टर्ड और रेग्‍युलेट करना।
  2. एप्‍लीकेशन में सबमिट की गई जानकारी सहित, सभी रियल स्टेट प्रोजेक्‍ट्स, जिनके लिए रजिस्‍ट्रेशन अनुमति दी गई है, की जांच करने के लिए लोगों के लिए रिकॉर्ड की एक वेबसाइट बनाना और उसे बनाए रखना।
  3. अपनी वेबसाइट पर डिफॉल्‍टर्स प्रमोटर्स के नाम और फोटोग्राफ के साथ परियोजना के विवरण का सार्वजनिक डेटाबेस रखना, जिसका रजिस्‍ट्रेशन अधिनियम के तहत वापस ले लिया गया है या अन्‍य कारणों से दंडित किया गया है।
  4. इस अधिनियम के तहत आवेदन करने वाले और रजिस्‍टर्ड रियल स्टेट एजेंट्स के नाम और फोटो को सार्वजनिक उपयोग के लिए अपनी वेबसाइट पर पोस्ट करना, जिसमें ऐसे रियल स्‍टेट एजेंट्स भी शामिल हैं, जिनके रजिस्‍ट्रेशन को अस्वीकार या रद्द कर दिया गया है।
  5. अलॉटीज़, प्रमोटर्स और रियल स्टेट एजेंट्स से ली जाने वाले शुल्क सहित, अपने अधिकार क्षेत्र के तहत प्रत्येक क्षेत्र के लिए कानून स्थापित करना।
  6. यह सुनिश्चित करना कि प्रमोटर्स, अलॉटीज़ और रियल स्टेट एजेंट्स इस अधिनियम और इसके नियमों और विनियमों द्वारा उन पर अधिरोपित कर्तव्यों का पालन करते हैं।
  7. यह सुनिश्चित करना कि इस अधिनियम के तहत अपने कार्यों को करने में जारी नियमों, आदेशों या निर्देशों का पालन किया जाता है।
  8. किसी भी अतिरिक्त कार्य को करना जिसे सरकार इस अधिनियम का पालन करने के लिए प्राधिकरण को सौंप सकती है।

उपरोक्त चर्चा से, हम स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि प्रगति में देरी के लिए, पहला विकल्प रियल स्टेट (विनियमन और विकास) प्राधिकरण (RERA) के पास उपभोक्ता शिकायत दर्ज करना है। यह या तो आपको रिफंड दिलाने में मदद करेगा या प्रोजेक्‍ट को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए बिल्डर पर दबाव डालेगा। 

कानूनी रास्‍ता क्या है?

यदि आप बिल्डर से अपनी प्रॉपर्टी का स्वामित्व प्राप्त करने में हद से ज़्यादा देरी का अनुभव कर रहे हैं और कानूनी कार्यवाही करना चाहते हैं, तो आप एक अधिमान्‍य सुनवाई संस्था या अदालत चुन सकते हैं।

हालांकि रेरा का सेक्‍शन 79 सिविल अदालतों को अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने से रोकता है, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत 1988 में स्थापित राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, बिल्डर्स के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए पीड़ित घर खरीदने वाले व्‍यक्तियों के लिए एक मान्‍य अदालत है।

हालांकि, भारत में, प्रत्येक राज्य की अपनी एक अदालत होती है, और इसके अलावा, भारत के प्रमुख शहरों में शहर-स्तरीय अदालत हैं। ये अदालतें उपभोक्ता अदालतों के रूप में काम करती हैं, जहां आप डेवलपर के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं और यदि एक साल के भीतर घर या फ्लैट नहीं मिलता है तो आप रिफंड का अनुरोध कर सकते हैं।

प्रॉपर्टी के मूल्य के आधार पर, आप सीधे निम्नलिखित अदालतों में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) से संपर्क कर सकते हैं: 

  • 20 लाख रुपये तक की प्रॉपर्टी के लिए जिला आयोग से संपर्क किया जाना चाहिए
  • 20 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच की प्रॉपर्टी के लिए, राज्य आयोग से संपर्क किया जाना चाहिए
  • 1 करोड़ रुपये से अधिक की प्रॉपर्टी के लिए, राष्ट्रीय आयोग से संपर्क किया जाना चाहिए

क्‍या आपको प्रॉपर्टी बेचनी चाहिए?

यह सवाल आप जैसे घर खरीदने वाले व्‍यक्ति के मन में सबसे पहले आता है, जिसका घर एक फंसी हुई परियोजना में है। मुख्य रूप से क्योंकि आप परियोजना में इतनी अधिक देरी के कारण आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान हैं; इसलिए, सबसे अच्छा विकल्प जो सामने आता है वह है प्रॉपर्टी को बेच देना। लेकिन यह उतना आसान नहीं है जितना लगता है।

प्रमुख कारक जो आपके लिए प्रॉपर्टी को बेचना कठिन बनाते हैं, वे इस प्रकार हैं:

  • इस तरह की देरी की वजह से, प्रॉपर्टी के मूल्य से अक्सर समझौता किया जाता है।
  • एक प्रमुख हाउसिंग कॉम्प्‍लेक्‍स के भीतर, विलंबित परियोजनाओं का डेवलपमेंट पूरा नहीं हुआ है।
  • रुकी हुई परियोजनाओं की कोई गारंटी नहीं है कि वे कभी पूरी होंगी।
  • अधिकांश विलंबित परियोजनाओं में बुनियादी ढांचा और निर्माण अधूरा हो सकता है।

ये सभी कारक प्रॉपर्टी के लिए एक नए खरीदार को ढूंढना बहुत कठिन बनाते हैं, क्योंकि कोई भी इन सभी मुद्दों और समस्याओं के साथ एक रियल स्‍टेट प्रॉपर्टी को लेने के लिए तैयार नहीं होगा।

क्या आपको ईएमआई का भुगतान जारी रखना चाहिए?

यह लोगों के मन में उठने वाला बहुत ही आम प्रश्न है क्योंकि आप इस बात से भ्रमित हो सकते हैं कि क्या आपको बैंक जैसे वित्तीय संस्थान से लिए गए होम लोन के लिए अपनी ईएमआई का भुगतान जारी रखना चाहिए, या बंद कर देना चाहिए।

एक डर यह भी है कि अगर आप होम लोन के लिए अपनी ईएमआई का भुगतान करना बंद कर देंगे, तो आपका क्रेडिट स्कोर बुरी तरह प्रभावित होगा, और इससे बाजार में आपकी फाइनेंशियल क्रेडिटेबिलिटी कम हो जाएगी।

इस चिंता को दूर करने के लिए, दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने हालिया आदेश में कहा कि, "हम बैंकों को निर्देश दे रहे हैं कि वे क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो ऑफ इंडिया से उन सभी होमबायर्स के क्रेडिट स्कोर को रिस्‍टोर करने के लिए कहें, जिन्होंने अपनी मासिक किस्तों यानी ईएमआई का भुगतान करना बंद कर दिया था,  क्योंकि उनके घर रुके हुए या विलंबित परियोजनाओं में फंस गए हैं।" 

दिल्ली उच्च न्यायालय का यह हालिया फैसला 1,200 से अधिक होमबायर्स के लिए एक आशीर्वाद के रूप में आया है, जिन्हें ईएमआई का भुगतान न करने के कारण क्रेडिट स्कोर में डाउनग्रेडिंग का सामना करना पड़ा था।

लेकिन कुछ विशेषज्ञों के दृष्टिकोण के अनुसार, "एक होमबायर के रूप में आपको अपनी ईएमआई का भुगतान बंद नहीं करना चाहिए, भले ही आपके घर का निर्माण रुक गया हो या कब्‍जा मिलने में देरी हो। इसका प्रमुख कारण यह है कि बैंक जैसे वित्तीय संस्थान जहां से आपने अपना होम लोन लिया होगा, आपके खिलाफ कार्यवाही कर सकते हैं और आपको अदालत में ले जा सकते हैं, और इसके अलावा, आपके द्वारा विलंबित ईएमआई राशि के ब्याज पर आपसे चार्ज भी ले सकते हैं।"

सारांश:

  • यदि आपका घर विलंबित या रुकी हुई परियोजना में फंस गया है, तो सबसे पहला विकल्प रियल स्टेट (विनियमन और विकास) प्राधिकरण (RERA) के पास उपभोक्ता शिकायत दर्ज करना है।
  • आप प्रॉपर्टी की कीमत के आधार पर सीधे राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) से भी संपर्क कर सकते हैं। 
  • यदि आप अपना घर बेचने की सोच रहे हैं क्योंकि आपके लिए उस वित्तीय और मानसिक दबाव को संभालना बहुत कठिन हो रहा है, लेकिन ऐसे कई कारक हैं जिनके कारण अपने घर को बेचना मुश्किल होगा, जो लंबे समय से रुका हुआ या विलंबित है।
  • कुछ विशेषज्ञों के दृष्टिकोण के अनुसार, एक होमबायर के रूप में, आपको अपनी ईएमआई का भुगतान करना बंद नहीं करना चाहिए क्योंकि जिस वित्तीय संस्थान ने आपको ऋण दिया है, वे आपको अदालत में ले जा सकते हैं।

संवादपत्र