Types Of Pension Plans And Their Tax Benefits Hindi

पेंशन प्लान खरीदने के पहले जरूरी है कि आप जानें कि पेंशन प्लान कैसे काम करते हैं और इन प्लान के कौन से टैक्स लाभ हैं।

पेंशन प्लान के प्रकार और उनके टैक्स लाभ

रिटायरमेंट के बाद हर व्यक्ति को नियमित आय की जरूरत होती है ताकि वो अपनी जीवनशैली को बरकरार रख सके। रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई निजी और सरकारी बीमा कंपनियों के पेंशन प्लान बाजार में उपलब्ध हैं। इन पेंशन प्लान से टैक्स में छूट का भी फायदा मिलता है। इस लेख में पेंशन प्लान के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है।

क्या हैं पेंशन प्लान?

अनुइटी प्लान के तौर पर भी जाने वाले पेंशन प्लान का मकसद रिटायरमेंट के बाद लोगों को नियमित आय मुहैया कराना है। पेंशन प्लान के तहत पॉलिसीधारक पेंशन शुरू करने की तारीख (इस को निहित तारीख भी कहा जाता है) तय कर सकता है। जरूरी नहीं है कि रिटारमेंट के बाद ही पेंशन लेना शुरू करना होता है, रिटायरमेंट के कई साल पहले भी पेंशन प्राप्त किया जा सकता है।

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बीमा कंपनियों द्वारा कई तरह के पेंशन प्लान ग्राहकोंको मुहैया कराए जाते हैं। आइए इन प्लान के बारे में गहराई से जानते हैं।

इमीडिटएट अनुइटी (भत्ते का तात्कालिक भुगतान):

इमीडिटएट अनुइटी प्लान के तहत पॉलिसीधारक को एक मुश्त निवेश करना होता है और उन्हें जिंदगीभर पेंशन के रूप में नियमित भत्ता मिलता रहता है। ज्यादातर प्लान में पेंशन का भुगतान तुरंत शुरू हो सकता है। पेंशन का भुगतान मासिक, वार्षिक, त्रैमासिक या अर्धवार्षिक तौर पर किया जा सकता है।

इमीडिटएट अनुइटी प्लान उन लोगों के लिए बेहतर हैं जिन्हें सुनिश्चित करना है कि रिटायरमेंट के बाद भी उन्हें नियमित आय मिलती रहेगी। इमीडिटएट अनुइटी प्लान की सबसे बड़ी कमी है पॉलिसीधारक निवेश निकाल नहीं सकता या फिर पेंशन रद्द नहीं कर सकता है।

इमीडिटएट अनुइटी प्लान के रिटर्न अलग-अलग तरह के होते हैं। उदाहरण के तौर पर आप तय समय जैसे रिटायरमेंट के बाद 10 सालों के लिए ज्यादा रिटर्न लेने का विकल्प चुन सकते हैं। 10 सालों के बाद आपको अनुइटी मिलेगी लेकिन पहले से कम दर पर।

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डिफर्ड अनुइटी (भत्ते का विलंबित भुगतान):

डिफर्ड अनुइटी

डिफर्ड अनुइटी एक ऐसा अनुइटी करार होता है जिसके तहत भत्ते का भुगतान तब तक स्थगित किया जाता है जब तक पॉलिसीधारक पेंशन प्राप्त न करना चाहे। डिफर्ड अनुइटी में दो मुख्य चरण होते हैं – बचत या संग्रह चरण और प्राप्ति चरण।

संग्रह चरण में पॉलिसीधारक तय समय के लिए नियमित तौर पर प्रीमियम जमा करता है। इस चरण के अंत में प्राप्ति चरण की शुरुआत होती है, जिसके तहत जमा की हुई रकम का एक-तिहाई पॉलिसीधारक निकाल सकता है और बाकी पूंजी अनुइटी खरीदने के लिए इस्तेमाल की जाती है जिससे पॉलिसीधारक को जिंदगीभर नियमित आय मिलती है।

डिफर्ड अनुइटी प्लान के दो प्रकार हैं:

अ. पारंपरिक रिटायरमेंट प्लान:

इन प्लान के तहत पॉलिसीधारक द्वारा जमा की गई पूंजी का निवेश सरकारी प्रतिभूतियों जैसे डेट इंस्ट्रूमेंट्स में किया जाता है। इन वित्तीय उत्पादों के साथ कम जोखिम जुड़ा होना पारंपरिक रिटायरमेंट प्लान को उन निवेशकों के लिए आकर्षक बनाता है जो जोखिम नहीं लेना चाहते हैं।

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ब. यूनिट-लिंक्ड प्लान:

ये प्लान उन निवेशकों के लिए बनाए गए हैं जो अपने रिटायरमेंट के लिए जल्दी योजना करना चाहते हैं। पारंपरिक प्लान के मुकाबले यूनिट-लिंक्ड प्लान में निवेशकों के पास ज्यादा रिटर्न कमाने का मौका होता है। यूनिट-लिंक्ड पेंशन प्लान के तहत पॉलिसीधारक इक्विटी, डेट, आदि जैसे अलग-अलग एसेट श्रेणियों में निवेश के लिए अपनी पूंजी का आवंटन कर सकता है।

पेंशन प्लान के टैक्स लाभ

पेंशन प्लान के तहत निवेशकों को टैक्स छूट के कई फायदे मिलते हैं। हालांकि, निवेशक को क्या टैक्स लाभ मिलता है ये चुने गए प्लान पर निर्भर करता है।

सेक्शन 80सीसीसी: सरकार द्वारा आयकर कानून में ये सेक्शन पेंशन प्लान में निवेश को बढ़ावा देने के लिए जोड़ा गया था। इस सेक्शन के तहत पेंशन फंड में किए गए निवेश को कुल आय में से कम किया जा सकता है यानि टैक्स में बचत होती है। साल 2015 से इस सेक्शन के तहत अधिकतम डिडक्शन की सीमा सालाना 1.5 लाख रुपये तय की गई है।

पूंजी निकालते वक्त टैक्स लाभ: विद्ड्रॉअल के वक्त पॉलिसीधारक पेंशन फंड में जमा की गई पूंजी का एक-तिहाई हिस्सा निकाल सकता है, जिसपर टैक्स नहीं लगता है।

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निष्कर्ष:

रिटायरमेंट के लिए जितनी जल्दी योजना बनाई जाए उतना ही बेहतर है। अपने जीवन के चरण के मुताबिक उपयुक्त रिटायरमेंट योजना जानने के लिए हमारे जीवन चरण और निवेश (इंफोग्राफिक) को जरूर पढ़ें।

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