Type of ITR form, every taxpayer should be aware about.

यदि आप टैक्स चुकाते हैं, तो आपको इन नौ प्रकार के आईटीआर फॉर्म के बारे में जरूर जानना चाहिए

Type of ITR form, every taxpayer should be aware about.

चूंकि टैक्स देने वाले लोग कई तरह के होते हैं, इसलिए उनके लिए आईटीआर फॉर्म भी अलग-अलग होते हैं। कुल मिलाकर नौ प्रकार के आयकर रिटर्न (आईटीआर) फार्म होते हैं:


इन आईटीआर फॉर्म को आमतौर से दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है:

1- निजी व्यक्तियों पर लागू फॉर्म - आईटीआर 1, आईटीआर 2, आईटीआर 2ए, आईटीआर 3, आईटीआर 4, और आईटीआर 4 एस

2- कंपनियों और फर्मों पर लागू फॉर्म - आईटीआर 5, आईटीआर 6, और आईटीआर 7


प्रत्येक तरह के फार्म के बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें और जानिये कि आपको किस तरह का फॉर्म भरना चाहिए।

1- आटीआर- 1

Type of ITR form, every taxpayer should be aware about.

यह फॉर्म निम्नलिखित मामलों में लागू नहीं होगा:

- अगर वे भारत के अलावा अन्य देशों में एक से अधिक संपत्तियों के मालिक हैं

- अगर वे अन्य व्यवसायों से या संपत्तियों की बिक्री से कमाते हैं

- अगर वे भारत के अलावा किसी अन्य देश में कमाते हैं

- अगर उनकी कृषि आय 5000 रुपये से अधिक है

- अगर वे लॉटरी या ऐसी दूसरी अप्रत्याशित चीजों से कमाते हैं

- यदि वे आईटी अधिनियम की धारा 90/90ए/91 के तहत डबल टैक्सेशन से राहत का दावा कर रहे हैं


जीवनसाथी या छोटे बच्चों की आय को किसी व्यक्ति की आमदनी के साथ जोड़ा जा सकता है, जब तक कि कुल जोड़ी गई आय ऊपर बताये मानदंडों को पूरा करती हो।

2. आईटीआर-2: इस फॉर्म का इस्तेमाल निम्नलिखित में से किसी भी मामले में निजी व्यक्तियों या हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) द्वारा किया जा सकता है:

- अगर वे वेतन कमाते हैं

- अगर उन्हें पेंशन मिलती है

- अगर वे लॉटरी या ऐसी अन्य अप्रत्याशित आय से कमाते हैं

- अगर उनकी कृषि आय 5000 रुपये से अधिक है

- अगर वे एक से अधिक घरों के मालिक हैं और उनसे आय अर्जित करते हैं।

- अगर वे भारत के अलावा किसी अन्य देश में कमाते हैं

- अगर वे भारत के अलावा अन्य देशों में संपत्ति रखते हैं।


इस फ़ॉर्म का उपयोग निम्नलिखित मामलों में लागू नहीं है:

अगर वे अन्य व्यवसायों से कमाते हैं।


3. आईटीआर-2 ए: यह तुलनात्मक रूप से नया फॉर्म है और मूल्यांकन वर्ष 2015-16 में इसे लागू किया गया था। इसका उपयोग व्यक्तियों या एचयूएफ द्वारा निम्नलिखित मामलों में से कोई भी एक होने पर किया जा सकता है:

- अगर वे वेतन कमाते हैं

- अगर उन्हें पेंशन मिलती है

- अगर उन्हें किसी भी तरह के ब्याज या लाभांश प्राप्त होते हैं

- यदि वे कई आवासीय संपत्तियों से आय अर्जित करते हैं (एक से अधिक)

इस फ़ॉर्म का उपयोग निम्नलिखित मामलों में लागू नहीं है:


- अगर वे भारत के अलावा अन्य देशों में किसी भी तरह की संपत्ति के मालिक हैं

- अगर वे अन्य व्यवसायों या संपत्तियों की बिक्री से कमाते हैं

- अगर वे भारत के अलावा किसी अन्य देश में आय कमाते हैं

- अगर उनकी कृषि आय 5000 रुपये से अधिक है।

- अगर वे लॉटरी या ऐसी अन्य अप्रत्याशित आय से कमाते हैं

- यदि वे आईटी अधिनियम की धारा 90/90ए/91 के तहत डबल टैक्सेशन राहत का दावा कर रहे हैं

4. आईटीआर-3: इस फॉर्म का इस्तेमाल व्यक्तियों या एचयूएफ द्वारा किया जा सकता है जो किसी व्यवसाय या पेशे से आय कमाते हैं। इसमें घर संपत्ति से हुई आय, वेतन या पेंशन, और अन्य स्रोतों से हुई आय भी शामिल हो सकती है।

जैसे टैक्स देने वाले ऐसे व्यक्ति जिनकी कर योग्य आय एक साझेदार के रूप में निम्नलिखित तरीकों से अर्जित की जाती हो:

-अगर वे वेतन कमाते हैं

-अगर वे कमीशन कमाते हैं

-अगर वे बोनस कमाते हैं

-अगर उन्हें किसी भी तरह के ब्याज या लाभांश प्राप्त होते हैं

-अगर उन्हें व्यावसायिक शुल्क या पारिश्रमिक मिलता है

5. आईटीआर - 4: इस फॉर्म का इस्तेमाल उन व्यक्तियों द्वारा किया जा सकता है जो व्यवसाय चलाते हैं या विभिन्न पेशों जैसे - डॉक्टर, कलाकार, आर्किटेक्ट्स, इंटीरियर डेकोरेशन इत्यादि के जरिए आय कमाते हैं। कोई भी पेशेवर सलाहकार जो अपनी सेवाओं के लिए फीस लेता है, इस फॉर्म का उपयोग कर सकता है। अनुमानित आय की धारा 44 एडी के तहत, एक छोटा व्यवसायी जिसका कारोबार 2 करोड़ रुपये से कम है वह भी इस फॉर्म को भर सकता है।


तो आईटीआर-3 और आईटीआर-4 के बीच क्या अंतर है? आईटीआर-3 केवल तभी लागू होता है जब व्यक्तियों या एचयूएफ की खुद के मालिकाना हक वाले व्यवसायों या पेशों से कोई आय न हो। यदि वे इनसे आय कमाते हैं, तो आईटीआर-4 लागू होता है।


6. आईटीआर-4एस: इस फॉर्म को सुगम फॉर्म के नाम से भी जाना जाता है। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 44 एडी और 44 एई के अनुसार, आईटीआर-4 एस फॉर्म का इस्तेमाल उन व्यक्तियों / एचयूएफ द्वारा किया जा सकता है जिनकी कुल आय में व्यापार या पेशे से हुई कोई आय शामिल है। हालांकि, इस प्रकार की आय को अनुमानित आधार पर माना जाता है। 


इस फॉर्म का उपयोग निम्न में से किसी भी मामले में किया जा सकता है:


- अगर वे वेतन कमाते हैं

- अगर उन्हें पेंशन मिलती है

- अगर वे एक आवासीय संपत्ति से आय कमाते हैं

- यदि वे अन्य स्रोतों से आय अर्जित करते हैं (अप्रत्याशित आय के स्रोतों से हुई आय को छोड़कर)

- अगर वे किसी भी तरह के व्यवसाय से कमाते हैं


यह फॉर्म निम्नलिखित मामलों में लागू नहीं होगा:


-यदि वे कई आवासीय संपत्तियों से आय अर्जित करते हैं (एक से अधिक)

-अगर वे भारत के अलावा अन्य देशों में किसी भी संपत्ति के मालिक हैं

-अगर वे संपत्ति की बिक्री से कमाते हैं

-अगर वे भारत के अलावा किसी अन्य देश में आय कमाते हैं

-अगर उनकी कृषि आय 5000 रुपये से अधिक है

-अगर वे लॉटरी या ऐसी अन्य अप्रत्याशित आय से कमाते हैं

7. आईटीआर 5:

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8. आईआईटीआर-6: यह फॉर्म केवल कंपनियों पर लागू होता है। कोई भी कंपनी जो धारा 11 के अनुसार छूट का दावा नहीं करती उसे इस फॉर्म का इस्तेमाल करना होगा । आईटीआर -6 फॉर्म भरने वाली कंपनियों के लिए जरूरी है कि वे डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल करके इसे ऑनलाइन भरें।


9. आईटीआर -7: यह उन व्यक्तियों या कंपनियों द्वारा भरा जाता है जिन्हें निम्नलिखित धाराओं के तहत अपना रिटर्न जमा करना होता है:


-धारा 139 (4ए) - इसके तहत, उन व्यक्तियों द्वारा रिटर्न दायर किया जा सकता है जो किसी भी ऐसी संपत्ति से कमाई करते हैं जिसे दान या धर्मिक उद्देश्य के लिए कानूनी दायित्व या ट्रस्ट के रूप में रखा गया है।

-धारा 139 (4बी) - इसके तहत, राजनीतिक दलों द्वारा रिटर्न दायर किया जाना चाहिए, बशर्ते उनकी कुल अर्जित आय गैर-टैक्स योग्य सीमा से अधिक हो

-धारा 139 (4सी) - इसके तहत, निम्नलिखित संस्थाओं द्वारा रिटर्न दायर किया जाता है:

-धारा 10 (23ए) के तहत बताई गई कोई संस्था या संगठन

-धारा 10 (21) के तहत बताए गए रिसर्च से जुड़े संगठन

-धारा 10 (23बी) में बताई गई कोई भी संस्था 

-धारा 10 (22बी) में बताई गई कोई भी समाचार एजेंसी-धारा 10 (23सी) में बताया गया कोई भी फंड, चिकित्सा संस्थान या शैक्षिक संस्थान

-धारा 10 (23 डी) में बताए गए म्यूचुअल फंड

-धारा 10 (23 डीए) में बताए गए सिक्योरिटेशन ट्रस्ट

-धारा 10 (23 एफबी) में बताए गए वेंचर कैपिटल कंपनी या वेंचर कैपिटल फंड 

-धारा 10 (24) (ए) या धारा 10 (23) (बी) में बताए गए ट्रेड यूनियन या एसोसिएशन


-धारा 10 (46) में बताए अनुसार कोई संस्था, प्राधिकरण, बोर्ड, ट्रस्ट या समिति (जो भी नाम रखा जाए)

-सेक्शन 10 (47) में बताए गए इंफ्रास्ट्रक्चर डेट फंड

-धारा 139 (4डी) - इसके तहत, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, या किसी ऐसी अन्य संस्थाओं द्वारा रिटर्न दायर किया जाता है, जिन्हें इस धारा में बताए गए दूसरे प्रावधानों के हिसाब से आय के रिटर्न या हानि की जानकारी देना आवश्यक नहीं है

-धारा 139 (4ई) - इसके तहत, उस प्रत्येक व्यापार ट्रस्ट द्वारा रिटर्न दाखिल किया जाता है जिसे इस धारा में बताए गए दूसरे प्रावधानों के हिसाब से आय के रिटर्न या हानि की जानकारी देना आवश्यक नहीं है

-धारा 139 (4एफ) - इसके तहत, धारा 115यूबी में बताया गया प्रत्येक इन्वेस्मेंट फंड आता है जिसे इस धारा में बताए गए दूसरे प्रावधानों के हिसाब से आय के रिटर्न या हानि की जानकारी देना आवश्यक नहीं है।


डिस्कलेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है और इसे निवेश, कर या कानूनी सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। इनसे जुड़े निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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