आयकर नोटिस का स्पष्टीकरण और उनके क्या मायने है

करदाता को विभिन्न वर्गों के आयकर के तहत प्राप्त होने वाले विभिन्न सूचनाओं और नोटिस के बारे में जानें

आयकर नोटिस का स्पष्टीकरण और उनके क्या मायने है

आयकर (आईटी) विभाग से प्राप्त ईमेल आपके दिल की धड़कनो को एक क्षण के लिए रोक सकता है , भले ही आप समय पर अपने सभी करों का भुगतान कर रहे हो । हालांकि कई ऐसे हालात हैं, जिनमें आईटी विभाग आपको नोटिस भेज सकता है। यह पुष्टि करने के लिए हो सकता है कि आपके द्वारा दायर आईटी रिटर्न पर कार्रवाई की जा रही है, या आपको विसंगति के बारे में सूचित करने और स्पष्ट जानकारी की मांग करने हेतु हो सकता है । 

नियमित नोटिस में हमेशा एक प्रतिक्रिया की आवश्यकता नहीं होती है। उदाहरण के लिए, आईटी विभाग आपको समय पर अपना टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए रिमाइंडर भेज सकता है । हालांकि, यदि उन्हें संदेह हो कि आपने अपनी आय को कम दिखाया है या आपके दावे में उन्हें कोई त्रुटि मिलती है, तो आपको एक नोटिस भेजा जाएगा जिसके लिए आपको निर्धारित समय के भीतर जवाब देने की आवश्यकता होती है। ऐसा न करने पर अतिरिक्त ब्याज के साथ दंड दिया जा सकता है ।

हालांकि यह सच है कि किसी भी आईटी संचार में स्पष्ट निर्देश शामिल होते हैं कि प्रतिक्रिया की ज़रूरत है या नहीं, विभिन्न प्रकार की सूचनाओं/नोटिस के बारे में जानने से आपको अपने कर दायित्वों के संबंध में जानने में मदद मिल सकती है । इस लेख में, हम उन मुख्य कारकों की समीक्षा करेंगे जो आईटी विभाग से अधिसूचना जारी करा सकती है, और उन्हें प्रतिक्रिया कैसे दी जाती है।

पुष्टि नोटिस (धारा 143-1)

यह आमतौर पर एक शिष्टाचार के रूप में भेजा जाता है जब आपके कर रिटर्न पर कार्रवाई की जाती है। जब तक अन्यथा उल्लेख नहीं हो, तब तक आपकी ओर से आगे कोई जवाब देने की आवश्यकता नहीं होती है। आपको टैक्स रिटर्न फाइल करने के मूल्यांकन अवधि के 12 महीने बाद तक ऐसा नोटिस मिल सकता है । अगर आईटी डिपार्टमेंट कोई त्रुटि नोटिस करे, मान ले, कैलकुलेशन त्रुटि या गलत पैन संख्या , तो वह इस नोटिफिकेशन के जरिए आपको इसे ठीक करने के लिए कह सकता है।

मांग नोटिस (धारा 156)

जैसा कि नाम से पता चलता है, आईटी विभाग आपको जुर्माना, ब्याज या अर्थदंड देने के लिए कह सकता है यदि वे देखते हैं कि आपने देय कर राशि का पूरा भुगतान समय पर नहीं किया है। इस प्रकार की सूचना पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता होती है; थोड़ी सी भी देरी आपको अतिरिक्त दंड या प्रति माह 1% तक के ब्याज भुगतान के जोखिम में डाल सकता है जब तक बकाया कर का निपटारा नहीं हो जाता है । यदि आपको मांग नोटिस प्राप्त होता है, तो यह सुनिश्चित करें कि बकाया कर का भुगतान 30 दिनों के भीतर किया जाए। वैकल्पिक रूप से, आप धारा 246 के तहत अपील दायर कर सकते हैं, जो आपको आईटी मूल्यांकन अधिकारी (एओ) के साथ इस मुद्दे को हल करने के लिए समय देता है।

निरीक्षण नोटिस (धारा 142-1 और 143-2)

धारा 142-1 के तहत एक आईटी नोटिस लागू होता है यदि आप समय पर कर रिटर्न दाखिल करने में विफल रहते हैं या आईटी विभाग द्वारा मांगे गए दस्तावेजी सबूत प्रदान नहीं करते हैं। मूल्यांकन वर्ष खत्म होने के बाद भी इस तरह का नोटिस भेजा जा सकता है। यदि करदाता धारा 142-1 के तहत प्रारंभिक नोटिस का पालन नहीं करता है, तो एओ आईटी अधिनियम की धारा 143-2 के तहत अनुवर्ती नोटिस भी भेज सकता है । इस प्रकार की सूचना एक वृद्धि का प्रतिनिधित्व करती है और करदाता को व्यक्तिगत रूप में या अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से जवाब देने की आवश्यकता होती है । ध्यान दें कि यदि आपको धारा 143-2 के तहत आईटी नोटिस प्राप्त होता है, तो आपके पास एओ के अनुमोदन के साथ आवश्यक सबूत ऑनलाइन जमा करने का विकल्प होता है।

कारण बताओ नोटिस (धारा 148)

अगर एओ के पास यह मानने का कारण है कि कोई करदाता जानबूझकर टैक्स से बच रहा है तो वे आईटी एक्ट की धारा 148 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी कर सकते हैं। इसमें 30 दिनों के भीतर या उससे जल्दी, उल्लेख समय सीमा के आधार पर एक प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है । आपको विभाग से स्पष्टीकरण का अनुरोध करने का अधिकार है कि कारण बताओ नोटिस जारी करने का कारण क्या है , जिसे एओ को कानूनन देना ज़रूरी है ।एक डिफॉल्टर को मूल्यांकन वर्ष के खत्म होने के 4 साल बाद तक ऐसा नोटिस मिल सकता है, जहां टैक्स डिमांड 1 लाख रुपये से कम हो। हालांकि, आईटी विभाग 6 साल तक कर चोरी के संदिग्ध मामले को आगे बढ़ा सकता है, अगर राशि 1 लाख रुपये से अधिक हो या विदेशों में कर योग्य निवेश से संबंधित मामला हो।

रिफंड का समायोजन (धारा 245)

आईटी विभाग आप पर बकाया कर मांग के लिए उनके पास जमा आपकी बकाया वापसी के साथ एडजस्ट कर सकते हैं । इस मामले में, यह आपको धारा 245 के तहत एक अधिसूचना भी भेजता है जो आपको उससे अवगत कराता है। ऑफर स्वीकार करने या मना करने की समय सीमा 30 दिन है, जिसके बाद विभाग मान लेता है कि रिफंड के एडजस्टमेंट के लिए आपकी भी सहमति है।

अंतिम शब्द

सभी कर संबंधित चीजों के जैसे , जानकारी के लिए अनुरोध मिलने पर जल्दी से जवाब देना मददगार हो सकता है ,जिससे आप बाद में बाधाओं से बच सकते हैं । संदेह होने पर, किसी पेशेवर लेखाकार या कर सलाहकार से परामर्श करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी बकाया राशि का भुगतान समय सीमा से पहले अच्छी तरह से किया जाए ।

आयकर (आईटी) विभाग से प्राप्त ईमेल आपके दिल की धड़कनो को एक क्षण के लिए रोक सकता है , भले ही आप समय पर अपने सभी करों का भुगतान कर रहे हो । हालांकि कई ऐसे हालात हैं, जिनमें आईटी विभाग आपको नोटिस भेज सकता है। यह पुष्टि करने के लिए हो सकता है कि आपके द्वारा दायर आईटी रिटर्न पर कार्रवाई की जा रही है, या आपको विसंगति के बारे में सूचित करने और स्पष्ट जानकारी की मांग करने हेतु हो सकता है । 

नियमित नोटिस में हमेशा एक प्रतिक्रिया की आवश्यकता नहीं होती है। उदाहरण के लिए, आईटी विभाग आपको समय पर अपना टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए रिमाइंडर भेज सकता है । हालांकि, यदि उन्हें संदेह हो कि आपने अपनी आय को कम दिखाया है या आपके दावे में उन्हें कोई त्रुटि मिलती है, तो आपको एक नोटिस भेजा जाएगा जिसके लिए आपको निर्धारित समय के भीतर जवाब देने की आवश्यकता होती है। ऐसा न करने पर अतिरिक्त ब्याज के साथ दंड दिया जा सकता है ।

हालांकि यह सच है कि किसी भी आईटी संचार में स्पष्ट निर्देश शामिल होते हैं कि प्रतिक्रिया की ज़रूरत है या नहीं, विभिन्न प्रकार की सूचनाओं/नोटिस के बारे में जानने से आपको अपने कर दायित्वों के संबंध में जानने में मदद मिल सकती है । इस लेख में, हम उन मुख्य कारकों की समीक्षा करेंगे जो आईटी विभाग से अधिसूचना जारी करा सकती है, और उन्हें प्रतिक्रिया कैसे दी जाती है।

पुष्टि नोटिस (धारा 143-1)

यह आमतौर पर एक शिष्टाचार के रूप में भेजा जाता है जब आपके कर रिटर्न पर कार्रवाई की जाती है। जब तक अन्यथा उल्लेख नहीं हो, तब तक आपकी ओर से आगे कोई जवाब देने की आवश्यकता नहीं होती है। आपको टैक्स रिटर्न फाइल करने के मूल्यांकन अवधि के 12 महीने बाद तक ऐसा नोटिस मिल सकता है । अगर आईटी डिपार्टमेंट कोई त्रुटि नोटिस करे, मान ले, कैलकुलेशन त्रुटि या गलत पैन संख्या , तो वह इस नोटिफिकेशन के जरिए आपको इसे ठीक करने के लिए कह सकता है।

मांग नोटिस (धारा 156)

जैसा कि नाम से पता चलता है, आईटी विभाग आपको जुर्माना, ब्याज या अर्थदंड देने के लिए कह सकता है यदि वे देखते हैं कि आपने देय कर राशि का पूरा भुगतान समय पर नहीं किया है। इस प्रकार की सूचना पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता होती है; थोड़ी सी भी देरी आपको अतिरिक्त दंड या प्रति माह 1% तक के ब्याज भुगतान के जोखिम में डाल सकता है जब तक बकाया कर का निपटारा नहीं हो जाता है । यदि आपको मांग नोटिस प्राप्त होता है, तो यह सुनिश्चित करें कि बकाया कर का भुगतान 30 दिनों के भीतर किया जाए। वैकल्पिक रूप से, आप धारा 246 के तहत अपील दायर कर सकते हैं, जो आपको आईटी मूल्यांकन अधिकारी (एओ) के साथ इस मुद्दे को हल करने के लिए समय देता है।

निरीक्षण नोटिस (धारा 142-1 और 143-2)

धारा 142-1 के तहत एक आईटी नोटिस लागू होता है यदि आप समय पर कर रिटर्न दाखिल करने में विफल रहते हैं या आईटी विभाग द्वारा मांगे गए दस्तावेजी सबूत प्रदान नहीं करते हैं। मूल्यांकन वर्ष खत्म होने के बाद भी इस तरह का नोटिस भेजा जा सकता है। यदि करदाता धारा 142-1 के तहत प्रारंभिक नोटिस का पालन नहीं करता है, तो एओ आईटी अधिनियम की धारा 143-2 के तहत अनुवर्ती नोटिस भी भेज सकता है । इस प्रकार की सूचना एक वृद्धि का प्रतिनिधित्व करती है और करदाता को व्यक्तिगत रूप में या अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से जवाब देने की आवश्यकता होती है । ध्यान दें कि यदि आपको धारा 143-2 के तहत आईटी नोटिस प्राप्त होता है, तो आपके पास एओ के अनुमोदन के साथ आवश्यक सबूत ऑनलाइन जमा करने का विकल्प होता है।

कारण बताओ नोटिस (धारा 148)

अगर एओ के पास यह मानने का कारण है कि कोई करदाता जानबूझकर टैक्स से बच रहा है तो वे आईटी एक्ट की धारा 148 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी कर सकते हैं। इसमें 30 दिनों के भीतर या उससे जल्दी, उल्लेख समय सीमा के आधार पर एक प्रतिक्रिया की आवश्यकता होती है । आपको विभाग से स्पष्टीकरण का अनुरोध करने का अधिकार है कि कारण बताओ नोटिस जारी करने का कारण क्या है , जिसे एओ को कानूनन देना ज़रूरी है ।एक डिफॉल्टर को मूल्यांकन वर्ष के खत्म होने के 4 साल बाद तक ऐसा नोटिस मिल सकता है, जहां टैक्स डिमांड 1 लाख रुपये से कम हो। हालांकि, आईटी विभाग 6 साल तक कर चोरी के संदिग्ध मामले को आगे बढ़ा सकता है, अगर राशि 1 लाख रुपये से अधिक हो या विदेशों में कर योग्य निवेश से संबंधित मामला हो।

रिफंड का समायोजन (धारा 245)

आईटी विभाग आप पर बकाया कर मांग के लिए उनके पास जमा आपकी बकाया वापसी के साथ एडजस्ट कर सकते हैं । इस मामले में, यह आपको धारा 245 के तहत एक अधिसूचना भी भेजता है जो आपको उससे अवगत कराता है। ऑफर स्वीकार करने या मना करने की समय सीमा 30 दिन है, जिसके बाद विभाग मान लेता है कि रिफंड के एडजस्टमेंट के लिए आपकी भी सहमति है।

अंतिम शब्द

सभी कर संबंधित चीजों के जैसे , जानकारी के लिए अनुरोध मिलने पर जल्दी से जवाब देना मददगार हो सकता है ,जिससे आप बाद में बाधाओं से बच सकते हैं । संदेह होने पर, किसी पेशेवर लेखाकार या कर सलाहकार से परामर्श करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी बकाया राशि का भुगतान समय सीमा से पहले अच्छी तरह से किया जाए ।

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