क्या आपको पता है कि धर्मार्थ होने से टैक्स बचता है?

धर्मार्थ होने से न सिर्फ आप समाजित जिम्मेदारी को पूरा करते हैं और जरूरतमंदो को सहायता पहुंचाते हैं, बल्कि इससे आप टैक्स भी बचा सकते हैं।

क्या आपको पता है कि धर्मार्थ होने से टैक्स बचता है?
कहावत है कि जैसा करोगे, वैसा भरोगे। इसका एक अच्छा उदाहरण दयालुता और दानवीरता है; धर्मार्थ होना बहुत प्रशंसनीय है और इस अच्छे काम का फल आपको टैक्स छूट के तौर पर मिलता है। अच्छे कार्यों के लिए चंदे को बढ़ावा देने के लिए सरकार आपको निश्चित संस्थाओं और एनजीओ को दी गई रकम पर टैक्स छूट देती है। 
 
हम सबको पता है कि दान एक नेक काम है। लेकिन, इससे किसी दूसरे को सहायता करने के साथ आपको टैक्स बचाने में भी मदद मिलती है।
 
कौन टैक्स छूट का फायदा ले सकता है?
कोई भी करदाता, कंपनी या संस्था आयकर कानून के सेक्शन 80जी के तहत इस टैक्स छूट का फायदा ले सकती है। ध्यान रखें कि आप जिन संस्थानों और राहत कोषों को चंदा दे रहे हैं उन्हें आयकर विभाग से मान्यता मिली हुई हो। महत्वपूर्ण सूचना: ये टैक्स छूट का लाभ सभी उठा सकते हैं चाहे उनकी आय का स्रोत वेतन, निवेश या कारोबारी आमदनी (यानि सभी कानूनी आय) हो। हालांकि, ये अहम है कि चंदा लेना वाली संस्था आपको दान के सबूत के तौर पर स्टैंप लगी हुई रसीद दे। जो रकम आपने चंदे के तौर पर दी है उसे आपकी टैक्स लगनी वाली आय से कम की जाएगी।
 
 
सेक्शन 80जी और सबसेक्शन के तहत डिडक्शन
सेक्शन 80जी के अलावा आप सेक्शन 80जीजीए और सेक्शन जीजीसी के तहत भी टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं। सेक्शन 80जीजीए के तहत आप वैज्ञानिक अनुसंधान या ग्रामीण विकास के लिए दिए गए चंदे पर भी टैक्स छूट ले सकते हैं। वैसे ही सेक्शन 80जीजीसी के तहत आपको राजनीतिक पार्टियों को दिए गए चंदे पर टैक्स छूट मिलती है। हालांकि, ये पार्टियां जन प्रतिनिधत्व कानून 1951 के तहत पंजीकृत होना जरूरी है। 
 
ध्यान रखने वाली अहम बातें
जब आप चंदा दे रहे हों, तो ध्यान रखें कि हर प्रकार का चंदा टैक्स छूट योग्य नहीं होता है। जैसे, खाना, दवाई, कपड़ों, आदि के रूप में किया गया दान सेक्शन 80जी के तहत नहीं आता है।
पैसों के रूप में किया दान यानि नकद, चेक और ड्राफ्ट ही टैक्स छूट के योग्य माने जाते हैं।
दान देने के पहले संस्था की पूरी जानकारी जुटाएं। ऐसी कई फर्जी संस्थाएं हैं जो ऊपरी तौर पर विश्वसनीय दिखती है और जनता से दान के रूप में पैसे लूटने में जुटी होती हैं। 
अधिकृत संस्थाओं को दिया गया चंदा ही टैक्स छूट के लिए योग्य है। जैसे, विदेशी दानी संस्था को दिए गए चंदे पर टैक्स छूट नहीं मिलती है।
 

डिडक्शन की पूरी सूची पाने के लिए http://80g.in/  वेबसाइट पर जाएं।

संबंधित: आपके वेतन के घटक और उनके टैक्स फायदे (इंफोग्राफिक) नवीनतम संशोधन

बजट 2017-18, वित्त मंत्री ने धर्मार्थ संस्थानों को मिलने वाले नकद चंदे की सीमा को 10,000 रुपये से घटाकर 2,000 रुपये करने का प्रस्ताव रखा। इसका मकसद फर्जी दान रसीदों के जरिए टैक्स छूट के दुरुपयोग पर लगाम लगाना है। इससे दान के जरिए काले धन को वैध बनाने पर भी रोक लगेगी। ये संशोधन 1 अप्रैल 2018 से लागू होगा। हालांकि, चेक या ऑनलाइन रूप में किए जाने वाले दान पर कोई सीमा नहीं है। 
संक्षेप में
देश में ऐसी कई संस्थाएं हैं जो लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के काम में जुटी हैं। हालांकि, इस नेक काम को जारी रखने के लिए दान अहम है। आप कई संस्थाओं की जानकारी हासिल करें और ऐसे मुद्दे को चुनें जो आपके दिल के करीब हो। चंदा देना न सिर्फ टैक्स बचाने में मदद करता है, बल्कि इससे आप किसी का जीवन उज्जवल बना सकते हैं। 

डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी उद्देश्य के लिए है और इसे निवेश, बीमा, कर या कानूनी सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। इन क्षेत्रों से संबंधित निर्णय लेने के पहले विशेषज्ञों से स्वतंत्र सलाह प्राप्त करें।

कहावत है कि जैसा करोगे, वैसा भरोगे। इसका एक अच्छा उदाहरण दयालुता और दानवीरता है; धर्मार्थ होना बहुत प्रशंसनीय है और इस अच्छे काम का फल आपको टैक्स छूट के तौर पर मिलता है। अच्छे कार्यों के लिए चंदे को बढ़ावा देने के लिए सरकार आपको निश्चित संस्थाओं और एनजीओ को दी गई रकम पर टैक्स छूट देती है। 
 
हम सबको पता है कि दान एक नेक काम है। लेकिन, इससे किसी दूसरे को सहायता करने के साथ आपको टैक्स बचाने में भी मदद मिलती है।
 
कौन टैक्स छूट का फायदा ले सकता है?
कोई भी करदाता, कंपनी या संस्था आयकर कानून के सेक्शन 80जी के तहत इस टैक्स छूट का फायदा ले सकती है। ध्यान रखें कि आप जिन संस्थानों और राहत कोषों को चंदा दे रहे हैं उन्हें आयकर विभाग से मान्यता मिली हुई हो। महत्वपूर्ण सूचना: ये टैक्स छूट का लाभ सभी उठा सकते हैं चाहे उनकी आय का स्रोत वेतन, निवेश या कारोबारी आमदनी (यानि सभी कानूनी आय) हो। हालांकि, ये अहम है कि चंदा लेना वाली संस्था आपको दान के सबूत के तौर पर स्टैंप लगी हुई रसीद दे। जो रकम आपने चंदे के तौर पर दी है उसे आपकी टैक्स लगनी वाली आय से कम की जाएगी।
 
 
सेक्शन 80जी और सबसेक्शन के तहत डिडक्शन
सेक्शन 80जी के अलावा आप सेक्शन 80जीजीए और सेक्शन जीजीसी के तहत भी टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं। सेक्शन 80जीजीए के तहत आप वैज्ञानिक अनुसंधान या ग्रामीण विकास के लिए दिए गए चंदे पर भी टैक्स छूट ले सकते हैं। वैसे ही सेक्शन 80जीजीसी के तहत आपको राजनीतिक पार्टियों को दिए गए चंदे पर टैक्स छूट मिलती है। हालांकि, ये पार्टियां जन प्रतिनिधत्व कानून 1951 के तहत पंजीकृत होना जरूरी है। 
 
ध्यान रखने वाली अहम बातें
जब आप चंदा दे रहे हों, तो ध्यान रखें कि हर प्रकार का चंदा टैक्स छूट योग्य नहीं होता है। जैसे, खाना, दवाई, कपड़ों, आदि के रूप में किया गया दान सेक्शन 80जी के तहत नहीं आता है।
पैसों के रूप में किया दान यानि नकद, चेक और ड्राफ्ट ही टैक्स छूट के योग्य माने जाते हैं।
दान देने के पहले संस्था की पूरी जानकारी जुटाएं। ऐसी कई फर्जी संस्थाएं हैं जो ऊपरी तौर पर विश्वसनीय दिखती है और जनता से दान के रूप में पैसे लूटने में जुटी होती हैं। 
अधिकृत संस्थाओं को दिया गया चंदा ही टैक्स छूट के लिए योग्य है। जैसे, विदेशी दानी संस्था को दिए गए चंदे पर टैक्स छूट नहीं मिलती है।
 

डिडक्शन की पूरी सूची पाने के लिए http://80g.in/  वेबसाइट पर जाएं।

संबंधित: आपके वेतन के घटक और उनके टैक्स फायदे (इंफोग्राफिक) नवीनतम संशोधन

बजट 2017-18, वित्त मंत्री ने धर्मार्थ संस्थानों को मिलने वाले नकद चंदे की सीमा को 10,000 रुपये से घटाकर 2,000 रुपये करने का प्रस्ताव रखा। इसका मकसद फर्जी दान रसीदों के जरिए टैक्स छूट के दुरुपयोग पर लगाम लगाना है। इससे दान के जरिए काले धन को वैध बनाने पर भी रोक लगेगी। ये संशोधन 1 अप्रैल 2018 से लागू होगा। हालांकि, चेक या ऑनलाइन रूप में किए जाने वाले दान पर कोई सीमा नहीं है। 
संक्षेप में
देश में ऐसी कई संस्थाएं हैं जो लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के काम में जुटी हैं। हालांकि, इस नेक काम को जारी रखने के लिए दान अहम है। आप कई संस्थाओं की जानकारी हासिल करें और ऐसे मुद्दे को चुनें जो आपके दिल के करीब हो। चंदा देना न सिर्फ टैक्स बचाने में मदद करता है, बल्कि इससे आप किसी का जीवन उज्जवल बना सकते हैं। 

डिस्क्लेमर: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी उद्देश्य के लिए है और इसे निवेश, बीमा, कर या कानूनी सलाह के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। इन क्षेत्रों से संबंधित निर्णय लेने के पहले विशेषज्ञों से स्वतंत्र सलाह प्राप्त करें।

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