- Date : 07/06/2020
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फॉर्म 26 AS करदाताओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों में से एक है। इस फॉर्म के साथ रिटर्न फाइल करने के लिए इसके विभिन्न सेक्शन के बारे में आप जो कुछ भी जानना चाहते हैं, उसके हर सवाल का जवाब यहां दिया गया है।

यहां एक प्रश्न है: मान लीजिए आपके नियोक्ता (या एक कंपनी या व्यक्ति जिसके लिए आपने कुछ फ्रीलांस काम किया है) ने आपको किए गए भुगतान में टीडीएस / टीसीएस (स्रोत पर टैक्स कटौती / वसूली) के रूप में कुछ कटौती की है। साथ ही वह आयकर विभाग में आपके नाम से राशि भी जमा करने का दावा करता है। ऐसे में, आप कैसे जान पाएंगे कि वास्तव में उसने यह राशि जमा की भी है या नहीं?
असल में, इसमें कोई बड़ी समस्या नहीं होनी चाहिए। आप आयकर विभाग के फॉर्म 26 AS से इसका पता लगा सकते हैं। इसमें करदाता से काटे गए एवं एकत्रित किए गए सभी करों का विवरण शामिल होता है। इसे व्यक्ति के पैन (परमानेंट अकाउंट नंबर) के साथ प्रदर्शित किया जाता है।
तो क्या फॉर्म 26 AS वास्तव में टैक्स कटौती पर नज़र रखने के लिए ही है?
फॉर्म 26 AS टैक्स कटौती पर नज़र रखने के साधन से कहीं ज्यादा उपयोगी है। यह एक संपूर्ण विवरण है जिसमें सभी प्रकार की आय की जानकारी शामिल होती है, जैसे कि आपका वेतन, बैंक जमा से प्राप्त ब्याज इत्यादि। इसके साथ ही आयकर विभाग द्वारा काटे गए कुल टैक्स और आपके नाम पर जमा रकम का भी विवरण शामिल होता है। इस प्रकार, इसे करदाता का एनुअल स्टेटमेंट (AS) भी कहा जाता है। इस फॉर्म में केवल कानूनी रूप से प्राप्त आय ही प्रदर्शित होती है।
एक वित्त वर्ष के दौरान करदाता को प्राप्त रिफंड का विवरण भी फॉर्म 26 AS में शामिल होता है। यहां ध्यान रखें कि आयकर विभाग करदाता को उनके फॉर्म 26 AS में प्रदर्शित होने वाले टैक्स क्रेडिट को क्लेम करने की अनुमति देता है। इसमें आपको प्राप्त हुए भुगतान पर टीडीएस (ग्राहकों / नियोक्ता / अन्य द्वारा) को प्रदर्शित करता है। इसका मतलब है कि आप उस निर्धारण वर्ष (एसेसमेंट इयर) के लिए फॉर्म में देय करों पर दिखाए गए क्रेडिट को क्लेम कर सकते हैं।
फॉर्म 26 AS रिफंड और मासिक वेतन जैसे नियमित स्रोतों के अलावा प्राप्त होने वाली आय पर नज़र रखने में आयकर विभाग की मदद भी करता है। ये आय संपत्ति की बिक्री या म्यूचुअल फंड निवेश जैसे लेनदेन से भी हो सकती है। यह सब फॉर्म 26 AS में इसलिए दिखाई देता है क्योंकि बैंकों और अन्य संस्थाओं को अपने एनुअल इंफॉर्मेशन रिटर्न (एआईआर) के जरिए आयकर विभाग को इस प्रकार के लेनदेन की जानकारी देना जरूरी होता है।
असल में, फॉर्म 26 AS आयकर विभाग द्वारा तैयार किया गया एक डेटाबेस है, जिसमें करदाता की कुल आय और भुगतान किया गया टैक्स शामिल होता है। यहां तक कि फॉर्म 26 AS में दिया गया आपका पता आपको जारी किए गए नवीनतम पैन कार्ड के विवरण के साथ पैन डेटाबेस से लिया जाता है। इस प्रकार, यदि जरूरत पड़ती है तो आयकर विभाग आपको आपके टैक्स स्टेटस से संबंधित कोई भी डेटा प्रदान कर सकता है।
कोई व्यक्ति फॉर्म 26 AS से जरूरी डेटा का पता कैसे लगा सकता है?
एनुअल टैक्स स्टेटमेंट (फॉर्म 26 AS) कई भागों में विभाजित होता है। टीडीएस/टीसीएस की जानकारी पार्ट ए, ए1 और बी में मिलती हैं। यह वह डेटा है जिसे टैक्स क्रेडिट का दावा करने से पहले सत्यापित किया जाना चाहिए। विभिन्न श्रेणियों को नीचे समझाया गया है:
पार्ट ए: यह सेक्शन वेतन, पेंशन और बैंक ब्याज से टीडीएस को प्रदर्शित करता है।
पार्ट ए1:यह सेक्शन बैंकों जैसे वित्तीय संस्थानों के साथ लेनदेन से संबंधित है, जहां करदाता ने फॉर्म 15 जी/15 एच (आय प्रदाता से टीडीएस के रूप में कर कटौती नहीं करने के अनुरोध के लिए) जमा कर दिया है। इन मामले में कोई टीडीएस नहीं होता है, और यह सेक्शन आपको प्राप्त हुए कर-मुक्त ब्याज आमदनी पर नज़र रखने में मदद करता है। एक करदाता को फॉर्म 15 जी/15 एच फाइल करने के लिए वृद्ध उम्र जैसी कुछ शर्तों को पूरा करना जरूरी होगा। इन शर्तों को यहां देख सकते हैं।
पार्ट बी: इस सेक्शन में विशेष श्रेणी की वस्तुओं (जैसे एल्कोहॉल वाले पेय, स्क्रैप, पार्किंग शुल्क, टोल इत्यादि) के खरीदार से एकत्रित टीसीएस का विवरण शामिल होता है; टीसीएस दरें प्रत्येक श्रेणी की वस्तु के लिए अलग-अलग होती हैं।
इन सेक्शन के अलावा, इसमें पार्ट सी, डी, और ई भी हैं, जो गैर-टीडीएस/टीसीएस से संबंधित होते हैं।
पार्ट सी :इस सेक्शन में टीडीएस या टीसीएस के अलावा अन्य करों का विवरण शामिल होता है, जैसे कि सीधे बैंकों में देय एडवांस टैक्स या सेल्फ-एसेसमेंट टैक्स। ये आपका चैक क्लियर होने पर जानकारी अपलोड करते हैं।
पार्ट डी: इस सेक्शन के अंतर्गत एक एसेसमेंट वर्ष में टैक्स रिफंड दिया जाता है।
पार्ट ई: इसमें एआईआर ट्रांजेक्शन का विवरण होता है।
फॉर्म 26 AS में बुकिेंग स्टेटस का मतलब क्या होता है?
पार्ट ए या बी बुकिंग के स्टेटस भी दिखाते हैं। इससे पता चलता है कि आपका टीडीएस आईटी अथॉरिटीज़ के पास किस स्थिति में मौजूद है। दूसरे शब्दों में, जिस राशि की कटौती का दावा किया गया है वह वास्तव में जमा की गई है कि नहीं। यह स्थिति एफ, ओ, यू या पी में प्रदर्शित की गई है।
एफ (फाइनल): स्टेटस एफ तब दिया जाता है जब कटौतीकर्ताओं द्वारा बैंकों में जमा टीडीएस/टीसीएस कटौतीकर्ता द्वारा दायर टीडीएस/टीसीएस स्टेटमेंट में दिए स्टेटमेंट से मेल खाता है। यह एक आदर्श स्टेटस है।
ओ (ओवरबुक्ड): स्टेटस ओ तब दिखाई देता है जब क्लेम की गई राशि बैंक में जमा किए गए वास्तविक टीडीएस/टीसीएस से अधिक होती है।
यू (अनमैच्ड) : यह स्टेटस तब प्रकट होता है जब कटौतीकर्ता के स्टेटमेंट में दिया गया भुगतान विवरण बैंकों में जमा रिकॉर्ड के साथ मेल नहीं खाता है।
पी (प्रोविजनली मैच्ड) : कभी-कभी सरकारी कटौतीकर्ताओं द्वारा की गई फाइलिंग मेल नहीं खाती; इस मामले में, स्टेटस प्रोविजनली मैच्ड (पी) के रूप में अपडेट किया जाता है।
फॉर्म 26 AS कितनी बार अपडेट किया जाता है, और कोई व्यक्ति अपने एनुअल स्टेटमेंट की जांच कैसे करता है?
फॉर्म 26 AS एक लगातार अपडेट होने वाला दस्तावेज है। यह टीडीएस या जमा या सेल्फ-असेसमेंट टैक्स की प्रोसेसिंग या दिए गए वित्त वर्ष के लिए अग्रिम टैक्स के अलावा प्रत्येक लेनदेन पर अपडेट किया जाता है। टीडीएस/टीसीएस के लिए, संस्थाओं एवं व्यक्तियों को आयकर कानून के तहत प्रत्येक तिमाही अपना स्टेटमेंट फाइल करना आवश्यक है।

आपको टैक्स कटौती करने वाले व्यक्ति या कंपनी से संपर्क करना होगा और दर्ज डेटा की जांच करनी होगी। यदि आप उनके उत्तर से संतुष्ट नहीं हैं, तो आप अपनी शिकायत के साथ अपने क्षेत्र के आयकर अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।
अपने फॉर्म 26 AS प्राप्त करने के दो तरीके हैं
1. TRACES पोर्टल
यदि आप रजिस्टर्ड पैन धारक हैं, तो आप अपना फॉर्म 26 AS आयकर विभाग के TRACES (टीडीएस रिकंसिलिएशन एनालिसिस एंड करेक्शन इनेबलिंग सिस्टम) पर देख सकते हैं। यहां आप टैक्स कटौतीकर्ता द्वारा दर्ज जानकारी का मिलान कर सकते हैं। TRACES के जरिए पहले ही दायर टीडीएस रिटर्न को ऑनलाइन सुधार भी सकते हैं।
आप अपने TRACES अकाउंट का उपयोग कैसे कर सकते हैं:
स्टेप 1: http://contents.tdscpc.gov.in/en/home.html पर जाएं और फिर कंटीन्यू बटन पर क्लिक करें, इसके बाद एक पॉपअप सामने आएगा।
स्टेप 2: 'लॉग इन' पर क्लिक करें, यह आपको ऊपर बाईं ओर नेविगेशन बार पर मिलेगा।
स्टेप 3: एक नया पेज खुलेगा और यहां आपको लॉगइन जानकारियां भरनी होंगी।
2. नेटबैंकिंग:
आप नेटबैंकिंग के माध्यम से भी अपना टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट या फॉर्म 26 AS देख सकते हैं। यहां जरूरी है कि आप पैन धारक हों और आपके पास किसी अधिकृत बैंक की नेटबैंकिंग एक्टिवेट हो।
यदि आपने रजिस्ट्रेशन नहीं किया है, तो आयकर विभाग की वेबसाइटwww.incometaxindia.gov.inपर लॉग इन करें और खुद का रजिस्टर करें। इसके बाद लॉग इन करें और ‘माय अकाउंट’ टैब पर क्लिक करें, यहां आपको ‘व्यू टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट’ विकल्प दिखाई देगा। यहां आप फॉर्म 26 AS पर क्लिक कर सकते हैं।
क्या मैं फॉर्म 26 AS स्टेटमेंट का प्रयोग कर आईटी रिटर्न फाइल कर सकता हूं?
फॉर्म 26 AS आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है क्योंकि इसमें आपके सभी टैक्स कटौती का ब्योरा होता है। इसके आधार पर आप टैक्स क्रेडिट भी क्लेम कर सकते हैं। लेकिन यह एकमात्र दस्तावेज़ नहीं है, क्योंकि इसमें रिटर्न दाखिल करने के लिए आवश्यक सभी जानकारी शामिल नहीं होती है। इसके अलावा, करदाता की आय को फॉर्म 26 AS के आधार पर सटीक रूप से तय नहीं किया जा सकता। ऐसा इसलिए क्योंकि करदाता के पास अन्य स्रोतों से आय हो सकती है जिस पर टैक्स काटा नहीं गया है। इसलिए, केवल फॉर्म 26 AS के आधार पर टैक्स रिटर्न तैयार करने और जमा करने की सलाह नहीं दी जाती है।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करने के लिए है। इसे निवेश या टैक्स या कानूनी सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। इस संबंध में निर्णय लेने पर आपको अलग से स्वतंत्र सलाह लेनी चाहिए।