- Date : 15/02/2023
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टैक्स बचाने के इन तरीकों से शायद आप अनजान हों, लेकिन ये तरीके बेहद कारगर साबित हो सकते हैं।

भारतीय टैक्स अधिनियम 1961 के अंतर्गत कई तरह की सुविधाएँ और प्रावधान किए गए हैं जिनसे करदाता टैक्स में छूट प्राप्त कर सकता है।
टैक्स बचाने के लिए सबसे पहले तो आप किसी ऐसी जगह निवेश करें जहाँ आपका ओवरऑल टैक्स एक्सपेंस न्यूनतम रहे। माता-पिता के नाम पर निवेश करने से कुल टैक्स का बोझ कम हो सकता है। इस लेख के जरिए कुछ इसी तरह के तरीके बताए जा रहे हैं।
माता-पिता के नाम पर निवेश
गौरतलब है कि जब आप माता-पिता को उपहार देते हैं तो उस पर टैक्स नहीं लगता। इसलिए अपनी धनराशि जिसपर टैक्स देय हो उसका कुछ अंश उपहार स्वरूप माता-पिता को दिया जा सकता है। ध्यान रहे कि माता-पिता को उपहार स्वरूप प्राप्त राशि से मिलने वाले रिटर्न पर टैक्स नहीं देना पड़ता।
दूसरी महत्त्वपूर्ण बात है कि यदि आपके माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं और ‘नॉन टैक्सेबल’ समूह में शामिल हैं तो टैक्स पर और अधिक बचत की जा सकती है।
वरिष्ठ नागरिकों को धारा 80TTB के अंतर्गत बैंक अथवा डाकघर में ₹50,000 तक की जमा राशि पर टैक्स छूट मिलती है। इतना ही नहीं वरिष्ठ नागरिकों को, अन्य नागरिकों द्वारा किए गए एफडी की तुलना में अधिक ब्याज प्राप्त होता है
माता-पिता के नाम पर एफडी किए जाने से टैक्स में छूट और अधिक ब्याज का लाभ यानी दोहरा फायदा मिलता है।
एचआरए (HRA) क्लेम करें और माता-पिता को किराया दें
धारा 103A के अनुसार माता-पिता को किराया देने पर मिलने वाले होम रेंट अलाउंस (HRA) पर मिलने वाली छूट का लाभ उठाया जा सकता है। इस सुविधा का फायदा तब लिया जा सकता है जब माता-पिता के टैक्स का स्लैब आप से कम हो अथवा वे वरीष्ठ नागरिक हों और उनके पास टैक्सेबल आमदनी नहीं हो।
संपत्ति माता-पिता के नाम होनी जरूरी है एवं उन्हें किराए स्वरूप चेक अथवा बैंक ट्रांसफर के जरिए भुगतान आवश्यक है।
यह भी पढ़ें: ७ वित्तीय नियम
माता-पिता का करवाएँ हेल्थ इंश्योरेंस
यदि आप स्वयं माता-पिता का हेल्थ इंश्योरेंस कराएँ तो आपको आयकर में छूट मिल सकती है। टैक्समैन के डीजीएम नवीन वाधवा ने बताया कि यदि आयकरदाता द्वारा पिता के रखरखाव आदि के लिए खर्च किया जाता है तो उसके एवज टैक्स में छूट का दावा किया जा सकता है। हालाँकि यह छूट सीमित है और शर्तों के अनुसार ही मिलती है। आयकर अधिनियम की धारा 80D, 80DD और 80DDB के अंतर्गत उपरोक्त प्रावधान किए गए हैं।
80D के अंतर्गत आयकरदाता द्वारा अपने माता-पिता के लिए किए गए भुगतान के बदले में हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में छूट मिल सकती है। यह छूट अधिकतम ₹25,000 की हो सकती है। यदि माता-पिता वरीष्ठ नागरिक हैं तो यह छूट ₹50,000 तक बढ़ जाएगी।
यदि माता-पिता वरीष्ठ नागरिक हैं और उनकी कोई भी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी नहीं हो तो उनके इलाज आदि के खर्चों पर भी ₹50,000 तक की टैक्स कटौती के लिए दावा किया जा सकता है।
समय पर भरें इनकम टैक्स रिटर्न
यदि आप टैक्स में छूट के लिए माता-पिता की सहायता ले रहे हैं तो समय पर यह पूरी जानकारी रिटर्न में जरूर भरें। इसके लिए जरूरी है कि खर्चों आदि का सही रिकॉर्ड रिटर्न दाखिल करते समय उपलब्ध कराया जाए। रिकॉर्ड देने के लिए माता-पिता को लगने वाली सहायता भी की जानी चाहिए। साथ ही अपना इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय उपहार आदि की जानकारी जरूर मुहैया करवाएँ।
यह भी पढ़ें: मार्केट में निफ़्टी ५० से रिटर्न कैसे पाए?
How can you save more on Tax
भारतीय टैक्स अधिनियम 1961 के अंतर्गत कई तरह की सुविधाएँ और प्रावधान किए गए हैं जिनसे करदाता टैक्स में छूट प्राप्त कर सकता है।
टैक्स बचाने के लिए सबसे पहले तो आप किसी ऐसी जगह निवेश करें जहाँ आपका ओवरऑल टैक्स एक्सपेंस न्यूनतम रहे। माता-पिता के नाम पर निवेश करने से कुल टैक्स का बोझ कम हो सकता है। इस लेख के जरिए कुछ इसी तरह के तरीके बताए जा रहे हैं।
माता-पिता के नाम पर निवेश
गौरतलब है कि जब आप माता-पिता को उपहार देते हैं तो उस पर टैक्स नहीं लगता। इसलिए अपनी धनराशि जिसपर टैक्स देय हो उसका कुछ अंश उपहार स्वरूप माता-पिता को दिया जा सकता है। ध्यान रहे कि माता-पिता को उपहार स्वरूप प्राप्त राशि से मिलने वाले रिटर्न पर टैक्स नहीं देना पड़ता।
दूसरी महत्त्वपूर्ण बात है कि यदि आपके माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं और ‘नॉन टैक्सेबल’ समूह में शामिल हैं तो टैक्स पर और अधिक बचत की जा सकती है।
वरिष्ठ नागरिकों को धारा 80TTB के अंतर्गत बैंक अथवा डाकघर में ₹50,000 तक की जमा राशि पर टैक्स छूट मिलती है। इतना ही नहीं वरिष्ठ नागरिकों को, अन्य नागरिकों द्वारा किए गए एफडी की तुलना में अधिक ब्याज प्राप्त होता है
माता-पिता के नाम पर एफडी किए जाने से टैक्स में छूट और अधिक ब्याज का लाभ यानी दोहरा फायदा मिलता है।
एचआरए (HRA) क्लेम करें और माता-पिता को किराया दें
धारा 103A के अनुसार माता-पिता को किराया देने पर मिलने वाले होम रेंट अलाउंस (HRA) पर मिलने वाली छूट का लाभ उठाया जा सकता है। इस सुविधा का फायदा तब लिया जा सकता है जब माता-पिता के टैक्स का स्लैब आप से कम हो अथवा वे वरीष्ठ नागरिक हों और उनके पास टैक्सेबल आमदनी नहीं हो।
संपत्ति माता-पिता के नाम होनी जरूरी है एवं उन्हें किराए स्वरूप चेक अथवा बैंक ट्रांसफर के जरिए भुगतान आवश्यक है।
यह भी पढ़ें: ७ वित्तीय नियम
माता-पिता का करवाएँ हेल्थ इंश्योरेंस
यदि आप स्वयं माता-पिता का हेल्थ इंश्योरेंस कराएँ तो आपको आयकर में छूट मिल सकती है। टैक्समैन के डीजीएम नवीन वाधवा ने बताया कि यदि आयकरदाता द्वारा पिता के रखरखाव आदि के लिए खर्च किया जाता है तो उसके एवज टैक्स में छूट का दावा किया जा सकता है। हालाँकि यह छूट सीमित है और शर्तों के अनुसार ही मिलती है। आयकर अधिनियम की धारा 80D, 80DD और 80DDB के अंतर्गत उपरोक्त प्रावधान किए गए हैं।
80D के अंतर्गत आयकरदाता द्वारा अपने माता-पिता के लिए किए गए भुगतान के बदले में हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम में छूट मिल सकती है। यह छूट अधिकतम ₹25,000 की हो सकती है। यदि माता-पिता वरीष्ठ नागरिक हैं तो यह छूट ₹50,000 तक बढ़ जाएगी।
यदि माता-पिता वरीष्ठ नागरिक हैं और उनकी कोई भी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी नहीं हो तो उनके इलाज आदि के खर्चों पर भी ₹50,000 तक की टैक्स कटौती के लिए दावा किया जा सकता है।
समय पर भरें इनकम टैक्स रिटर्न
यदि आप टैक्स में छूट के लिए माता-पिता की सहायता ले रहे हैं तो समय पर यह पूरी जानकारी रिटर्न में जरूर भरें। इसके लिए जरूरी है कि खर्चों आदि का सही रिकॉर्ड रिटर्न दाखिल करते समय उपलब्ध कराया जाए। रिकॉर्ड देने के लिए माता-पिता को लगने वाली सहायता भी की जानी चाहिए। साथ ही अपना इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय उपहार आदि की जानकारी जरूर मुहैया करवाएँ।
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