डिविडेंड आय पर टैक्‍स कैसे लगता है?

अपनी डिविडेंड आय पर टैक्‍स को लेकर उलझन में हैं? यहां वह सब है जिसकी जानकारी आपको होनी चाहिए।

डिविडेंड आय पर टैक्‍स कैसे लगता है?

डिविडेंड आय एक कंपनी की कमाई का वह हिस्सा है जिसे वह उन लोगों में वितरित करती है जिनके पास उस विशेष कंपनी के शेयर या म्युचुअल फंड हैं। निवेशक और शेयरधारक निस्संदेह इसके लाभों से परिचित होंगे। हालांकि, अक्‍सर इस पर लगने वाले टैक्‍स और परिणामों के बारे में थोड़ी बहुत अनिश्चितता भी रहती है। 

कोई भी व्‍यक्ति शेयर, म्युचुअल फंड आदि जैसे विभिन्न माध्‍यमों से डिविडेंड आय अर्जित कर सकता है। यहां ध्‍यान देने वाली एक महत्वपूर्ण बात यह है कि विभिन्न माध्‍यमों से प्राप्त डिविडेंड आय पर अलग-अलग तरह से टैक्‍स लगते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं; डिविडेंड आय के कराधान में आगे फिर से कई विभाजन होते हैं। 

विदेशों में सूचीबद्ध कंपनियों की तुलना में भारत में सूचीबद्ध कंपनियों से अर्जित डिविडेंड आय पर अलग प्रकार से टैक्‍स लगाया जाता है। यहां तक कि म्युचुअल फंड में भी, इक्विटी म्युचुअल फंड और डेट-स्कीम म्युचुअल फंड पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स के बारे में अलग-अलग नियम हैं। 

डिविडेंड आय की गणना के संबंध में इस तरह के विभिन्न नियमों के बीच, निवेश का फैसला करते समय उस पर लगने वाले टैक्‍स को समझना भी अनिवार्य है।

शेयरों से डिविडेंड आय

आयकर प्रावधानों के अनुसार, यदि घरेलू कंपनियों से अर्जित डिविडेंड आय की राशि 10 लाख रुपये से अधिक है, तो वह व्यक्ति 10 लाख रुपये से अधिक की राशि पर 10% की दर से टैक्‍स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा।

विदेशी-सूचीबद्ध कंपनियों से अर्जित डिविडेंड के लिए नियम अलग हैं, क्‍योंकि डिविडेंड आय पर टैक्‍स व्‍यक्ति पर निर्भर करता है। इसे ’अन्य स्रोतों से आय’ माना जाता है और टैक्‍स की दर व्यक्ति के इनकम टैक्‍स स्लैब के अनुसार होती है। 

भारत में सूचीबद्ध घरेलू कंपनियां निवेशकों को लाभांश वितरित करने से पहले 15% की दर से डिविडेंड डिस्‍ट्रीब्‍यूशन टैक्‍स का भुगतान करना होता है। हालांकि, विदेशी कंपनी जो भारत में लिस्‍टेड नहीं होती, उसको डिविडेंड डिस्ट्रीब्‍यूशन टैक्‍स का भुगतान नहीं करना होता है। 

म्युचुअल फंड से डिविडेंड आय 

निवेशकों को म्युचुअल फंड से अर्जित डिविडेंड पर टैक्‍स का भुगतान करने की कोई आवश्यकता नहीं है, भले ही वह डेट म्युचुअल फंड स्कीम हो या फिर इक्विटी म्युचुअल फंड स्कीम हो। म्युचुअल फंड से अर्जित डिविडेंड आय पर निवेशकों को टैक्‍स से पूरी तरह छूट प्राप्त होती है।

डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को लेकर म्युचुअल फंड कंपनियों के टैक्स नियम अलग-अलग हो सकते हैं। डेट म्युचुअल फंड कंपनियों को वितरित डिविडेंड पर 29.12% की दर से टैक्‍स का भुगतान करना होता है, इसमें अधिभार और उपकर शामिल होता है। इसी तरह, इक्विटी म्युचुअल फंड कंपनियों द्वारा देय डिविडेंड डिस्‍ट्रीब्‍यूशन टैक्‍स की दर, अधिभार और उपकर को मिलाकर 11.64% है। 

निष्‍कर्ष 

निवेश के संबंध में निर्णय लेते समय टैक्‍स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस प्रकार, किसी को अपनी डिविडेंड आय पर लगने वाले टैक्‍स को जरूर जानना चाहिए, क्योंकि यह विश्लेषण करने में मदद करता है कि कौन सा विकल्प निवेश के लिए सबसे उपयुक्त है। इससे एडवांस टैक्स प्लानिंग में भी मदद मिलेगी।

डिविडेंड आय एक कंपनी की कमाई का वह हिस्सा है जिसे वह उन लोगों में वितरित करती है जिनके पास उस विशेष कंपनी के शेयर या म्युचुअल फंड हैं। निवेशक और शेयरधारक निस्संदेह इसके लाभों से परिचित होंगे। हालांकि, अक्‍सर इस पर लगने वाले टैक्‍स और परिणामों के बारे में थोड़ी बहुत अनिश्चितता भी रहती है। 

कोई भी व्‍यक्ति शेयर, म्युचुअल फंड आदि जैसे विभिन्न माध्‍यमों से डिविडेंड आय अर्जित कर सकता है। यहां ध्‍यान देने वाली एक महत्वपूर्ण बात यह है कि विभिन्न माध्‍यमों से प्राप्त डिविडेंड आय पर अलग-अलग तरह से टैक्‍स लगते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं; डिविडेंड आय के कराधान में आगे फिर से कई विभाजन होते हैं। 

विदेशों में सूचीबद्ध कंपनियों की तुलना में भारत में सूचीबद्ध कंपनियों से अर्जित डिविडेंड आय पर अलग प्रकार से टैक्‍स लगाया जाता है। यहां तक कि म्युचुअल फंड में भी, इक्विटी म्युचुअल फंड और डेट-स्कीम म्युचुअल फंड पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स के बारे में अलग-अलग नियम हैं। 

डिविडेंड आय की गणना के संबंध में इस तरह के विभिन्न नियमों के बीच, निवेश का फैसला करते समय उस पर लगने वाले टैक्‍स को समझना भी अनिवार्य है।

शेयरों से डिविडेंड आय

आयकर प्रावधानों के अनुसार, यदि घरेलू कंपनियों से अर्जित डिविडेंड आय की राशि 10 लाख रुपये से अधिक है, तो वह व्यक्ति 10 लाख रुपये से अधिक की राशि पर 10% की दर से टैक्‍स का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा।

विदेशी-सूचीबद्ध कंपनियों से अर्जित डिविडेंड के लिए नियम अलग हैं, क्‍योंकि डिविडेंड आय पर टैक्‍स व्‍यक्ति पर निर्भर करता है। इसे ’अन्य स्रोतों से आय’ माना जाता है और टैक्‍स की दर व्यक्ति के इनकम टैक्‍स स्लैब के अनुसार होती है। 

भारत में सूचीबद्ध घरेलू कंपनियां निवेशकों को लाभांश वितरित करने से पहले 15% की दर से डिविडेंड डिस्‍ट्रीब्‍यूशन टैक्‍स का भुगतान करना होता है। हालांकि, विदेशी कंपनी जो भारत में लिस्‍टेड नहीं होती, उसको डिविडेंड डिस्ट्रीब्‍यूशन टैक्‍स का भुगतान नहीं करना होता है। 

म्युचुअल फंड से डिविडेंड आय 

निवेशकों को म्युचुअल फंड से अर्जित डिविडेंड पर टैक्‍स का भुगतान करने की कोई आवश्यकता नहीं है, भले ही वह डेट म्युचुअल फंड स्कीम हो या फिर इक्विटी म्युचुअल फंड स्कीम हो। म्युचुअल फंड से अर्जित डिविडेंड आय पर निवेशकों को टैक्‍स से पूरी तरह छूट प्राप्त होती है।

डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स को लेकर म्युचुअल फंड कंपनियों के टैक्स नियम अलग-अलग हो सकते हैं। डेट म्युचुअल फंड कंपनियों को वितरित डिविडेंड पर 29.12% की दर से टैक्‍स का भुगतान करना होता है, इसमें अधिभार और उपकर शामिल होता है। इसी तरह, इक्विटी म्युचुअल फंड कंपनियों द्वारा देय डिविडेंड डिस्‍ट्रीब्‍यूशन टैक्‍स की दर, अधिभार और उपकर को मिलाकर 11.64% है। 

निष्‍कर्ष 

निवेश के संबंध में निर्णय लेते समय टैक्‍स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस प्रकार, किसी को अपनी डिविडेंड आय पर लगने वाले टैक्‍स को जरूर जानना चाहिए, क्योंकि यह विश्लेषण करने में मदद करता है कि कौन सा विकल्प निवेश के लिए सबसे उपयुक्त है। इससे एडवांस टैक्स प्लानिंग में भी मदद मिलेगी।

संवादपत्र

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