How GST changes your everyday life

जीएसटी लागू होने के बाद आपकी खर्च करने की आदत में बदलाव आने वाला है। जीएसटी का आप पर इस तरह से असर होगा।

कैसी बदली जीएसटी से आपकी जिंदगी

1 जुलाई 2017 को देश में अबतक का सबसे बड़ा अप्रत्याशित कर सुधार लागू हुआ। तब से आम आदमी की जिंदगी में कई बदलाव आए हैं, खासतौर पर रोजमर्रा के खर्चों को लेकर। क्या आपको नहीं पता कि नई कर प्रणाली का आपपर कितना असर होगा? हम आपको रोजमर्रा के उदाहरण देते हुए समझाते हैं कि कैसे जीएसटी से आपके दैनिक खर्चों में बदलाव आएगा। 

सुबह की दिनचर्या होगी महंगी
इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन के शोध के मुताबिक ज्यादातर लोग सुबह उठने के बाद पहले 15 मिनट अपने स्मार्टफोन पर बिताते हैं। चाहे ये प्रमाणित प्रचलन हो गया है, लेकिन इससे बचा जा सकता है। 
लेकिन, सुबह उठकर शौचालय जाकर नहाना-धोना तो नहीं छोड़ा जा सकता है और ये अब महंगा हो गया है। टूथपेस्ट, रेजर, शेविंग क्रीम, आफ्टर शेव जैसे सामान्य चीजों की कीमतें जीएसटी लागू होने के बाद बढ़ गई हैं। पहले इनपर 26 फीसदी टैक्स लगता था, लेकिन जीएसटी के तहत 28 फीसदी टैक्स लगेगा। 
हालांकि, टूथपाउडर जैसे पारंपरिक चीजों पर टैक्स 26 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी हो गया है। इसके अलावा साबुन पर भी टैक्स घटकर 18 फीसदी हो गया है, जबकि पहले 26 फीसदी टैक्स लगता था। 

जीवन एक पार्टी है, उसके लिए तैयार रहो
कपड़ों की कीमतों पर जीएसटी का काफी सकारात्मक असर पड़ा है, अगर आप खास ब्रैंड के कपड़े पहनना न पसंद करते हों तो। आपको 1,000 रुपये से कम कीमत वाले कपड़े पर पहले से कम यानि 5 फीसदी ही टैक्स देना होगा। लेकिन, ब्रैंडेड कपड़ों पर ये राहत नहीं है। इनपर 1,000 रुपये से महंगे कपड़ों की तरह ही 12 फीसदी टैक्स लगेगा। 
जीएसटी का असर जूते-चप्पलों पर भी पड़ा है। देशभर के जूते-चप्पल के निर्माता उत्पादों के दाम 5-7 फीसदी बढ़ाने का विचार कर रहे हैं। सबसे ज्यादा असर चमड़े के जूते-चप्पलों पर दिखेगा। चमड़े के दूसरे उत्पाद जैसे बैग भी महंगे होंगे, क्योंकि इनपर टैक्स 6 फीसदी से बढ़कर 28 फीसदी हो गया है। 
सजना संवरना भी महंगा हो गया है क्योंकि जीएसटी के तहत सौंदर्य उत्पादों पर ज्यादा टैक्स लगेगा। जिन सौंदर्य उत्पादों पर 28 फीसदी टैक्स लगेगा, जो पहले के मुकाबले 2 फीसदी ज्यादा है, उनमें ये शामिल हैं

  • पर्फ्यूम
  • शैंपू
  • हेयर क्रीम और डाइ
  • विग
  • आइलैश

खाना: मुख्य आवश्यकताओं में से एक
सुबह का नाश्ता दिन सबसे अहम आहार होता है। ये अब पहले से सस्ता हो सकता है। 
कॉर्नफ्लेक्स, कॉफी, चाय, खाने के लिए तैयार नमकीन, कंडेंस्ड मिल्क जैसे नाश्ते के सामान पर अब कम टैक्स लगेगा। उदाहरण के लिए कॉफी और चाय पर लगने वाले टैक्स को 6 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है। ताजा दूध, सब्जी और फल को टैक्स के दायरे से बाहर ही रहेंगे। वनस्पति तेल, सूप, आइसक्रीम, फूड मिक्स, जैसे दूसरे खाने के सामान भी सस्ते हो गए हैं। 
हालांकि, जीएसटी की वजह से मक्खन और ब्रैंडेड सीरियल्स महंगे हो गए हैं और इनकी कीमतों में थोड़ा इजाफा हुआ है। 

जीवन एक सफर है
जीएसटी लागू होने से उबर और ओला के ग्राहकों को थोड़ी राहत मिली है। पहले इन कैब से सफर करने पर 6 फीसदी सर्विस टैक्स लगता था। लेकिन, जीएसटी के तहत 5 फीसदी टैक्स ही लगेगा। 
अगर आप कार खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आपके लिए अच्छी खबर है। छोटी कारों और सेडार कापों पर टैक्स घटा है। जीएसटी का असर हवाई किराए पर भी पड़ा है। इकानमी क्लास के टिकट पर टैक्स 6 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी हो गया है।
हालांकि, बिजनेस क्लास टिकट पर पहले के 9 फीसदी के बजाय 12 फीसदी टैक्स लगेगा। 

मनोरंजन और नाइट आउट्स
जीएसटी के तहत एक सामान्य नाइट आउट के लिए आपको पहले के मुकाबले कम पैसे खर्च करने पड़ेंगे। मद्य परोसने वाले वातानुकूलित रेस्त्रां में अब 18 फीसदी टैक्स लगेगा, जो पहले के मुकाबले 4 फीसदी कम है। वहीं, आपको मद्य न परोसने वाले गैर वातानुकूलित रेत्रां में भी कम टैक्स देना होगा। 
हालांकि, अगर आप पांच सितारा रेस्त्रां में भोजन करते हैं तो आपको ज्यादा पैसे चुकाने पड़ेंगे, क्योंकि इन रेस्त्रां के टैक्स में 10 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। मनोरंजन के बाकी विकल्प जैसे सिनेमा घर, टेलिविजन, वीडियो गेम कंसोल्स और पियानो पर जीएसटी के तहत ज्यादा टैक्स लगेगा। 

नेक तंदुरुस्ती लाख नियामत
चाहे कई उत्पादों और सेवाओं पर जीएसटी का असर पड़ा हो, लेकिन चिकित्सा संबंधी सामान जैसे मानव रक्त और गर्भनिरोधकों पर टैक्स दर में बदलाव नहीं हुआ है। इसके अलावा आयुर्वेदिक, यूनानी, सिद्धा और होम्योपैथिक दवाइयों पर भी टैक्स में बदलाव नहीं हुआ और इनपर 12 फीसदी ही टैक्स लगेगा। 
ऐसे ही एलोपैथिक दवाइयों की कीमतों में भी बदलाव होने की संभावना नहीं है। हालांकि, आपके बीमा के प्रीमियम में बढ़ोतरी होगी। पहले बीमा सेवाओं पर 15 फीसदी टैक्स लगता था, लेकिन जीएसटी के तहत इसे बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया गया है। 

शिक्षा और रोजमर्रा की स्टेशनरी
वित्त मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि जीएसटी का असर शिक्षा सेक्टर पर नहीं पड़ेगा। शिक्षा शुल्क पर पहले जैसा ही टैक्स लगेगा। रोजमर्रा की स्टेशनरी जैसे कलम, स्याही कलम और मुद्रित किताबों की कीमतों में बदलाव आने की संभावना नहीं है। वहीं, ज्यामिति बॉक्स जैसे सामान पर टैक्स 18.5 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया गया है। 

संक्षेप में
किसी भी नई चीज की शुरुआत मुश्किल ही होती है। जीएसटी, भारत के लिए नई पहल है और इसका देश के कई सेक्टर पर असर हुआ है। आगे वक्त ही बताएगा कि इस कदम का कितना असर आम आदमी की जिंदगी पर पड़ेगा। 

संवादपत्र

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