विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स): महामारी ने इसके महत्व को कैसे बढ़ाया है | Inheritance tax and COVID 19

भारत में विरासत पर कितना कर लगता है, और क्या इसके कर दायरे को और बढ़ाया जाना चाहिए?

विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स)

COVID-19 महामारी न केवल मानव जीवन पर बल्कि देश की वित्तीय स्थिति पर भी कहर बरपा रही है। भारत को ऋणात्मक सकल घरेलू उत्पाद के कड़वे सच को स्‍वीकार करना पड़ा और आर्थिक सुधार के लिए अपनी जेब ढीली करनी पड़ी - चाहे वह पिछले साल जारी किए गए 24.35 लाख करोड़ रुपये के तीन राहत पैकेज हों या इस साल मार्च तक टीकों पर खर्च किए गए 1400 करोड़ रुपये हों। 

सरकारी खजाने पर अभूतपूर्व दबाव है, और जैसी कि उम्मीद थी, विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) को फिर से शुरू करने की बात हो रही है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) की हालिया रिपोर्ट ने इस अटकलों को हवा दी है। OECD की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार COVID-19 के कारण आई कमी को पूरा करने के लिए विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) को पुनः लागू करने पर विचार करे।

अपनी ओर से आयकर विभाग ने अन्य उपायों के साथ-साथ विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) को 55% पर फिर से शुरू करने की सिफारिश की है।

भारतीय कर प्रणाली में विरासत का क्या अर्थ है 

जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, उस समय 1985 में भारत में विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) समाप्त किया जा चुका है। बाद की सरकारें इसे पुनः लागू करने से इनकार करती रही हैं, साथ ही इसे लगाने पर सवाल उठाती रही हैं। 

विरासत: वर्तमान में, अगर आपको भारत में विरासत में पैतृक संपत्ति मिली है, तो विरासत में मिली संपत्ति पर कोई कर लागू नहीं होता है। जबकि भारत में उपहार कर लागू है, वसीयत या विरासत के माध्यम से कोई भी हस्तांतरण या प्राप्ति उपहार कर के दायरे से बाहर है। 

विरासत से आय:हालाँकि, विरासत आय के स्रोत के रूप में भी हो सकती है। विरासत में मिली संपत्ति से अर्जित कोई भी आय उसी प्रकार कर योग्य है, जैसे कि प्राप्तकर्ता की आय है। इसलिए, यदि आप अपने पिता की मृत्यु के उपरांत उनसे 1 करोड़ रुपये की संपत्ति प्राप्त करते हैं, तो आपको किसी भी कर का भुगतान नहीं करना होगा। हालाँकि, अगर संपत्ति से 1 लाख रुपये प्रति माह की किराये की आय होती है, तो वह आय गृह संपत्ति से आय के रूप में कर योग्य होगी।

विरासत में मिली संपत्ति की बिक्री से पूंजीगत लाभ: अगर उत्तराधिकारी संपत्ति बेचने का फैसला करता है, तो संपत्ति की आगे की बिक्री पर पूंजीगत लाभ कर लगेगा। हालाँकि, पूर्वज से प्राप्ति की लागत को व्यय माना जाएगा। पूंजीगत लाभ की गणना के लिए, होल्डिंग अवधि में पूर्वज और उत्तराधिकारी दोनों की होल्डिंग अवधि शामिल की जाएगी। लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ के मामले में इंडेक्सेशन प्राप्ति की लागत को बढ़ाता है, जो विक्रेता पर पूंजीगत लाभ और कर को कम करता है। 

इसके अलावा, अगर बिक्री की आय का निवेश सही तरीके से किया जाता है, तो आयकर में छूट दी जा सकती है। इसमें विरासत में मिली संपत्ति की बिक्री की आय से 2 करोड़ रुपये तक के दो घरों की खरीद और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) या ग्रामीण विद्युतीकरण निगम बांड में 50 लाख रुपये तक का निवेश शामिल है।

Related: यहाँ बताया गया है कि महिलाएँ अपनी विरासत की रक्षा कैसे कर सकती हैं

कोविड-19 के आलोक में विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) 

कोविड के बाद की अर्थव्यवस्था में संपत्ति पर विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) की प्रासंगिकता पर वापस जाने पर, इसके पक्ष में कई तर्क हैं। इसका उपयोग धन संग्रहण और धन संबंधी असमानता के खिलाफ एक टूल के रूप में किया जा सकता है। प्रशासनिक दृष्टिकोण से, सरकारी विभाग के लिए संपत्ति कर से राजस्व एकत्र करना आसान है, और कराधान के अन्य तरीकों की तुलना में कम कागजी कार्रवाई करनी होती है। 

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) की दर सबसे अधिक है, और दक्षिण कोरिया में टैक्स की दर 50% है। यहाँ तक कि इंग्लैड और अमेरिका जैसे प्रमुख विकसित देश भी 40% कर लगाते हैं, जो विरासत पर लगाया जाता है। भारत में, सबसे धनी 10% आबादी के पास देश की 77% संपत्ति है, और 60% लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। इसलिए, यह कुछ अजीब है कि भारत में विरासत पर कर नहीं लगाया जाता है। 

पिछले साल कॉर्पोरेट टैक्स संग्रह में तेज गिरावट आने और विगत वर्ष की तुलना में फरवरी में राजकोषीय घाटा 36% अधिक होने के साथ, विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) की प्रासंगिकता शायद ही आश्चर्यजनक है। तथ्य यह है कि 2020 के लॉकडाउन के दौरान भारतीय अरबपति 35% अधिक अमीर हो गए, यह भी विरासत और संपत्ति कर जैसे धन-आधारित कराधान पुनः लागू करने के लिए एक आधार देता है। 

हालाँकि, विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) लगाने के तंत्र को प्रभावी ढंग से डिज़ाइन किया जाना चाहिए। संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों के विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) संग्रह से सबक सीखा जा सकता है, जहाँ इसकी केवल 0.2% संपत्ति विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) का भुगतान करती हैं। हालाँकि, यहाँ के 10% सबसे अमीर नागरिकों के पास उसकी 80% संपत्ति है। यदि सरकार कर राजस्व का लाभ उठाकर राजकोषीय घाटे की भरपाई करने का निर्णय लेती है, तो उसके लिए अपने विकल्पों का मूल्यांकन करना और उसका सुचारू क्रियान्वयन सुनिश्चित करना सबसे बड़ी चुनौती होगी।

COVID-19 महामारी न केवल मानव जीवन पर बल्कि देश की वित्तीय स्थिति पर भी कहर बरपा रही है। भारत को ऋणात्मक सकल घरेलू उत्पाद के कड़वे सच को स्‍वीकार करना पड़ा और आर्थिक सुधार के लिए अपनी जेब ढीली करनी पड़ी - चाहे वह पिछले साल जारी किए गए 24.35 लाख करोड़ रुपये के तीन राहत पैकेज हों या इस साल मार्च तक टीकों पर खर्च किए गए 1400 करोड़ रुपये हों। 

सरकारी खजाने पर अभूतपूर्व दबाव है, और जैसी कि उम्मीद थी, विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) को फिर से शुरू करने की बात हो रही है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) की हालिया रिपोर्ट ने इस अटकलों को हवा दी है। OECD की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार COVID-19 के कारण आई कमी को पूरा करने के लिए विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) को पुनः लागू करने पर विचार करे।

अपनी ओर से आयकर विभाग ने अन्य उपायों के साथ-साथ विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) को 55% पर फिर से शुरू करने की सिफारिश की है।

भारतीय कर प्रणाली में विरासत का क्या अर्थ है 

जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, उस समय 1985 में भारत में विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) समाप्त किया जा चुका है। बाद की सरकारें इसे पुनः लागू करने से इनकार करती रही हैं, साथ ही इसे लगाने पर सवाल उठाती रही हैं। 

विरासत: वर्तमान में, अगर आपको भारत में विरासत में पैतृक संपत्ति मिली है, तो विरासत में मिली संपत्ति पर कोई कर लागू नहीं होता है। जबकि भारत में उपहार कर लागू है, वसीयत या विरासत के माध्यम से कोई भी हस्तांतरण या प्राप्ति उपहार कर के दायरे से बाहर है। 

विरासत से आय:हालाँकि, विरासत आय के स्रोत के रूप में भी हो सकती है। विरासत में मिली संपत्ति से अर्जित कोई भी आय उसी प्रकार कर योग्य है, जैसे कि प्राप्तकर्ता की आय है। इसलिए, यदि आप अपने पिता की मृत्यु के उपरांत उनसे 1 करोड़ रुपये की संपत्ति प्राप्त करते हैं, तो आपको किसी भी कर का भुगतान नहीं करना होगा। हालाँकि, अगर संपत्ति से 1 लाख रुपये प्रति माह की किराये की आय होती है, तो वह आय गृह संपत्ति से आय के रूप में कर योग्य होगी।

विरासत में मिली संपत्ति की बिक्री से पूंजीगत लाभ: अगर उत्तराधिकारी संपत्ति बेचने का फैसला करता है, तो संपत्ति की आगे की बिक्री पर पूंजीगत लाभ कर लगेगा। हालाँकि, पूर्वज से प्राप्ति की लागत को व्यय माना जाएगा। पूंजीगत लाभ की गणना के लिए, होल्डिंग अवधि में पूर्वज और उत्तराधिकारी दोनों की होल्डिंग अवधि शामिल की जाएगी। लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ के मामले में इंडेक्सेशन प्राप्ति की लागत को बढ़ाता है, जो विक्रेता पर पूंजीगत लाभ और कर को कम करता है। 

इसके अलावा, अगर बिक्री की आय का निवेश सही तरीके से किया जाता है, तो आयकर में छूट दी जा सकती है। इसमें विरासत में मिली संपत्ति की बिक्री की आय से 2 करोड़ रुपये तक के दो घरों की खरीद और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) या ग्रामीण विद्युतीकरण निगम बांड में 50 लाख रुपये तक का निवेश शामिल है।

Related: यहाँ बताया गया है कि महिलाएँ अपनी विरासत की रक्षा कैसे कर सकती हैं

कोविड-19 के आलोक में विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) 

कोविड के बाद की अर्थव्यवस्था में संपत्ति पर विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) की प्रासंगिकता पर वापस जाने पर, इसके पक्ष में कई तर्क हैं। इसका उपयोग धन संग्रहण और धन संबंधी असमानता के खिलाफ एक टूल के रूप में किया जा सकता है। प्रशासनिक दृष्टिकोण से, सरकारी विभाग के लिए संपत्ति कर से राजस्व एकत्र करना आसान है, और कराधान के अन्य तरीकों की तुलना में कम कागजी कार्रवाई करनी होती है। 

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) की दर सबसे अधिक है, और दक्षिण कोरिया में टैक्स की दर 50% है। यहाँ तक कि इंग्लैड और अमेरिका जैसे प्रमुख विकसित देश भी 40% कर लगाते हैं, जो विरासत पर लगाया जाता है। भारत में, सबसे धनी 10% आबादी के पास देश की 77% संपत्ति है, और 60% लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। इसलिए, यह कुछ अजीब है कि भारत में विरासत पर कर नहीं लगाया जाता है। 

पिछले साल कॉर्पोरेट टैक्स संग्रह में तेज गिरावट आने और विगत वर्ष की तुलना में फरवरी में राजकोषीय घाटा 36% अधिक होने के साथ, विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) की प्रासंगिकता शायद ही आश्चर्यजनक है। तथ्य यह है कि 2020 के लॉकडाउन के दौरान भारतीय अरबपति 35% अधिक अमीर हो गए, यह भी विरासत और संपत्ति कर जैसे धन-आधारित कराधान पुनः लागू करने के लिए एक आधार देता है। 

हालाँकि, विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) लगाने के तंत्र को प्रभावी ढंग से डिज़ाइन किया जाना चाहिए। संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों के विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) संग्रह से सबक सीखा जा सकता है, जहाँ इसकी केवल 0.2% संपत्ति विरासत कर(इनहेरिटेंस टैक्स) का भुगतान करती हैं। हालाँकि, यहाँ के 10% सबसे अमीर नागरिकों के पास उसकी 80% संपत्ति है। यदि सरकार कर राजस्व का लाभ उठाकर राजकोषीय घाटे की भरपाई करने का निर्णय लेती है, तो उसके लिए अपने विकल्पों का मूल्यांकन करना और उसका सुचारू क्रियान्वयन सुनिश्चित करना सबसे बड़ी चुनौती होगी।

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